बौद्ध संस्कृति और युद्ध के ज़ख्मों के साथ आगे बढ़ने की जद्दोजहद में- लाओस (भाग-१)

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दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थित एक छोटा सा देश लाओस बौद्ध धर्म की शिक्षा और अमेरिका- वियतनाम युद्ध में मिले जख्मों के साथ विकास की राह में आगे बढ़ने के लिए जद्दोजहद कर रहा है। यह एक अविकसित देश है जिसे दो हजार हाथियों की भूमि भी कहते हैं। २ लाख, ३६ हजार,८०० वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बसे हुए लाओस की राजधानी विनतियन (वियेंटाइन) है।

शांति, स्वतंत्रता, लोकतंत्र, एकता और संवृद्धि यहां का राष्ट्र वाक्य है। लगभग ७० लाख की आबादी वाले इस देश का राष्ट्र गान ‘ फेंग सत लाओ, तथा राजभाषा लाओ है। सन् १८४३ में लाओस फ्रांस का संरक्षित राज्य बना। १९४६ में इसे आंतरिक स्वायत्तता मिली तथा १९५४ में जिनेवा समझौते के तहत लाओस को स्वतंत्रता मिली।

लाओस की लगभग ६५ फ़ीसदी आबादी बौद्ध धर्म को मानती है। ‘व्यंचन, नाम बौद्ध धर्म की धार्मिक भाषा पाली से उत्पन्न हुआ है। यहां पर ८ वीं शताब्दी में सोम बौद्ध भिक्षुओं के द्वारा बौद्ध धर्म आया। कई लाओरियन राजा बौद्ध धर्म के संरक्षक थे। लाओस में लगभग ५,००० बौद्ध मठ और विहार हैं। देश में लगभग २२ हजार बौद्ध भिक्षु हैं जिनमें से लगभग ९ हजार भिक्षु ‘ वरिष्ठ भिक्षु, का दर्जा प्राप्त कर चुके हैं। लाओस में प्रतिदिन प्रातः काल बौद्ध भिक्षुओं के द्वारा लोगों को मुफ्त में शिक्षा देने की परम्परा है। बौद्ध धर्म की थेरवादी शाखा का यहां पर अधिक प्रभाव है।

Pha That Luang, Vientiane, Laos.

इस देश में बौद्ध दर्शन में निहित विनय का पालन किया जाता है। भिक्षुओं को महिलाओं को छूने की इजाजत नहीं है। उंगली से इशारा करना मना है। बुद्ध की छवि को अपने पैरों की ओर इंगित करना मना है। अभिवादन, प्रार्थना की मुद्रा में दोनों हाथ जोड़कर किया जाता है। शिर को सबसे अधिक पवित्र माना जाता है इसलिए इसे स्पर्श करने की अनुमति नहीं है। किसी की फोटो ग्राफ्स लेने से पहले अनुमति मांगना विनम्र है।

लाओस के हर गांव में बौद्ध मंदिर होता है जिसके आसपास गांव का जीवन केन्द्रित होता है। देश के निचले इलाकों में बौद्ध लाओ लोम, जनसंख्या का लगभग आधा हिस्सा हैं।

१ नवंबर १९५५ से ३० अप्रैल १९७३ तक चले अमेरिका और वियतनाम युद्ध में लाओस ने अपनी धरती वियतनाम की सेना के लिए मुहैया कराई थी। यद्यपि वह इस युद्ध में तटस्थ था, बावजूद इसके लाओस को अमेरिका के कोप और कहर का सामना करना पड़ा। सबक सिखाने के नाम पर लाओस जैसे छोटे देश में अमेरिका ने १९६४ से १९७३ तक, पूरे ९ साल अपनी वायुसेना के विमानों द्वारा हर ८ मिनट में बम गिराए। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इन वर्षों में अमेरिका ने लाओस पर इतने बम दागे थे कि दुनिया भर में क्लस्टर बमों से शिकार हुए कुल लोगों में से आधे लोग लाओस के हैं।

वियतनाम युद्ध के दौरान अमेरिका ने लगभग २ मिलियन डॉलर प्रतिदिन (आज के हिसाब से लगभग १५ करोड़ रुपए) सिर्फ और सिर्फ लाओस पर बमबारी करने में खर्च किया। इस युद्ध के समय अमेरिका तथा दक्षिणी वियतनाम द्वारा संयुक्त रूप से ‘आपरेशन जंक्शन सिटी, नाम का ८२ दिवसीय अभियान चलाया गया। इस अभियान का नाम कंसास के जंक्शन सिटी के नाम पर रखा गया था जो इस आपरेशन के कमांडिंग ऑफिसर का गृह नगर था।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा चलाए गए ‘मार्केट गार्डेन, नामक आपरेशन के बाद यह सबसे बड़ा हवाई आक्रमण का अभियान था। शीतयुद्ध काल में वियतनाम, लाओस और कम्बोडिया की धरती पर लड़ी गई यह एक भयंकर लड़ाई थी। इसे द्वितीय हिन्द-चीन युद्ध भी कहते हैं।

लाओस में इस युद्ध ने अपने पीछे तबाही और बर्बादी का मंजर छोड़ा है। हजारों लोग बेघर और बिना परिवार के हो गए। अनगिनत लोग अपाहिज हुए। अनगिनत लोगों की आंखों की रोशनी चली गई। २० हजार से ज्यादा लोग मारे गए। लेगेसी आफ वार के मुताबिक़ लाओस की धरती में अभी भी लगभग ८ करोड़ बम दफन हैं। यहां पर अमेरिका ने एक अनुमान के मुताबिक लगभग २७ करोड़ बम गिराए थे।

लाओस को आधिकारिक रूप से ‘लाओस जनवादी लोकतांत्रिक जनतंत्र, कहा जाता है। इसकी सीमाएं उत्तर पश्चिम में म्यांमार और चीन से, पूर्व में कंबोडिया, दक्षिण में वियतनाम और पश्चिम में थाईलैण्ड से मिलती हैं। यहां की जलवायु ऊष्ण कटिबंधीय है। धान प्रमुख कृषि उपज है। टिन तथा सेंधा नमक प्रमुख खनिज हैं। यह स्थल रुद्ध देश है अर्थात् इसकी कोई समुद्री सीमा नहीं है। कुल १८ प्रान्तों में विभाजित लाओस की भाषा में संस्कृत, पाली तथा फ्रेंच शब्दों की भरमार है।

– डॉ. राजबहादुर मौर्य, फोटो गैलरी-संकेत सौरभ अध्ययन रत, एम.बी.बी.एस., झांसी, उ.प्र.(भारत)

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Dr. Raj Bahadur Mourya:

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  • बौद्ध धर्म की उपस्थिति को यह लेख पुरी तरह से परिभाषित करते हुए स्पष्ट करता है कि कि बौद्ध धर्म दुनिया में पुरी तरह स्थापित है

  • बौद्ध धर्म की बहुत सुन्दर व्याख्या.... बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं अनुकरणीय लेखक को..

  • लाओस और भारतीय संस्कृति का सम्बंध बहुत व्यापक और प्रचीन है । लाओस पर संस्कृत और पाली भाषा और साहित्य की छाप हर क्षेत्र में द्रष्टिगोचर होती है। आज भी यहाँ हिन्दू कैलेंडर की अपनी विशेष जगह है। आपके विस्तृत आलेख के लिए आपका आभार।

  • डॉ साहब को सादर नमो बुद्धाय
    आपने लाओस की संस्कृति के विषय मे बहुत ही सारगर्भित जानकरी प्रदान किया है।लाओस के नागरिक विषम परिस्थितियों में भी भगवान बुद्ध के धम्म को अपना कर अच्छा जीवन यापन कर रहें।लाओस के लोगों का जीवन दर्शन हम सबके लिए पेरणा स्रोत है।
    डॉ साहब को बहुत-- बहुत साधवाद।

  • लाओस की बौद्ध संस्कृति के विषय में बहुत ही मार्मिक एवं प्रसंसनीय लेख है। आप इसी तरह निरन्तर लेखन कार्य करते रहें एवं हमें बौद्ध संस्कृति के बारे में अवगत कराते रहें। बहुत-बहुत हार्दिक आभार 💐💐💐💐💐💐

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