बुन्देलखण्ड में भारतीय क्रांति दल

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भारतीय क्रांति दल- परिचय

सन् १९६७ में राजस्थान के दिग्गज किसान नेता चौधरी कुम्भाराम आर्य (१० मई १९१४-२६ अक्टूबर १९९५) तथा उत्तर प्रदेश के किसान नेता चौधरी चरण सिंह (२३ दिसम्बर १९०२-२९ मई १९८७) ने मिलकर भारतीय क्रांति दल की स्थापना, लखनऊ में किया था। इसके पूर्व यह दोनों किसान नेता भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सक्रिय भूमिका अदा कर रहे थे। चौधरी चरण सिंह भारतीय क्रांति दल के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष और चौधरी कुम्भाराम आर्य पहले राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने। कंधे पर हल धरे किसान, इस दल का चुनाव चिन्ह था।

कालान्तर में उत्तर प्रदेश और बिहार में भारतीय क्रांति दल ने अपनी सरकार बनाई। चौधरी चरण सिंह उत्तर – प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री बने। पहली बार दिनांक ३ अप्रैल १९६७ से २५ फरवरी १९६८ तक यानी ३२८ दिन और दूसरी बार दिनांक १८ फरवरी १९७० से १ अक्टूबर १९७० तक यानी २२५ दिन। बाद में वह भारत के पांचवें प्रधानमंत्री (२८ जुलाई १९७९ से १४ जनवरी १९८० तक) भी बने।हेमवती नन्दन बहुगुणा को चौधरी चरण सिंह के स्थान पर भारतीय क्रांति दल का कार्य कारी अध्यक्ष चुना गया। उधर बिहार में भी भारतीय क्रांति दल ने अपनी सरकार बनाई तथा माया प्रसाद सिंह मुख्यमंत्री बने। भारतीय क्रांति दल के टिकट पर १९६८ में चौधरी कुम्भाराम आर्य, राजस्थान से राज्यसभा के सदस्य चुने गए। वर्ष १९७७ में भारतीय क्रांति दल का जनता पार्टी में विलय हो गया

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उत्तर – प्रदेश के चुनाव में-

भारतीय क्रांति दल ने पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के १९६९ के मध्यावधि चुनावों में हिस्सा लिया। इस चुनाव में पार्टी ने ४०२ स्थानों पर अपने प्रत्याशी उतारे। इसमें से ९८ प्रत्याशी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे।साथ ही साथ चुनाव में कुल पड़े वैध मतों का २१.२९ प्रतिशत मत भी हासिल किया। इस लिहाज से पार्टी का आगाज अच्छा माना जाएगा।दूसरी बार पुनः वर्ष १९७४ के प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय क्रांति दल ने ३९६ स्थानों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए। इनमें से १०६ स्थानों पर जीत हासिल किया। इस बार भी पार्टी को कुल पड़े वैध मतों का २१.२२ प्रतिशत मत प्राप्त हुए। पिछले चुनाव की तुलना में पार्टी को ८ सीटों का इजाफा हुआ। यह परिणाम बड़े राजनीतिक दलों को चौंकाने वाले थे।

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बुंदेलखंड में भारतीय क्रांति दल

बुन्देलखण्ड की सभी २१ सीटों ( वर्ष २०१२ से १९ सीटें) पर भारतीय क्रांति दल का प्रतिनिधित्व निम्नलिखित है-

जनपद- जालौन

जनपद जालौन की विधानसभा माधौगढ़ ( क्रमांक-२१९) में भारतीय क्रांति दल के प्रत्याशी कभी जीत दर्ज नहीं कर सके और न ही उप विजेता बन पाए। यही स्थिति यहां की विधानसभा क्षेत्र कालपी ( क्रमांक- २२०) में रही है। यहां पर भी भारतीय क्रांति दल के टिकट पर चुनाव लड़कर कोई भी प्रत्याशी न तो जीत दर्ज कर पाया और न ही दूसरा स्थान हासिल किया। इसी जनपद की विधानसभा क्षेत्र उरई ( क्रमांक- २२१) से भी भारतीय क्रांति दल को कभी जीत नहीं मिली। परन्तु वर्ष १९७४ के प्रदेश विधानसभा के चुनाव में पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर श्री सुरेन्द्र पाल सिंह ने २० हजार, ७०० मत हासिल कर दूसरा स्थान प्राप्त किया। वह कांग्रेस के उम्मीदवार श्री आनन्द स्वरूप से १६ हजार, ३०५ मतों के अंतर से चुनाव हार गए।

वर्ष २०१२ से जनपद जालौन की विधानसभा क्षेत्र कोंच समाप्त कर दी गई। यहां पर भी भारतीय क्रांति दल को किसी प्रकार की कोई सफलता कभी नहीं मिली।न तो पार्टी को जीत मिली और न ही दूसरा स्थान।

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जनपद- झांसी

जनपद झांसी की विधानसभा क्षेत्र बबीना ( क्रमांक- २२२) भी भारतीय क्रांति दल के लिए कभी मुफीद नहीं रही। यहां पर कभी न तो पार्टी के प्रत्याशी को जीत मिली और न ही दूसरा स्थान मिला। विधानसभा क्षेत्र झांसी सदर ( क्रमांक- २२३) से भारतीय क्रांति दल के टिकट पर श्री जगमोहन वर्मा ने सन् १९६९ के प्रदेश विधानसभा चुनाव में १६ हजार, ७०५ मत प्राप्त कर जीत दर्ज किया। उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार श्री कृष्ण चन्द्र पेंगोरिया को ९९३ मतों के अंतर से हराया। कायस्थ परिवार से ताल्लुक रखने वाले श्री जगमोहन वर्मा का परिवार आज भी झांसी के प्रतिष्ठित परिवारों में है। उनकी बहू डॉ. ज्योति वर्मा यहीं के बुंदेलखंड महाविद्यालय में संस्कृत विभाग की विभागाध्यक्ष हैं।

इसी जनपद की विधानसभा क्षेत्र मऊरानीपुर ( क्रमांक- २२४) भी भारतीय क्रांति दल के लिए मुफीद नहीं रही। यहां से भी पार्टी के प्रत्याशी को कभी भी न तो जीत मिली और न ही दूसरा स्थान।जबकि विधानसभा क्षेत्र गरौठा ( क्रमांक- २२५) से पार्टी के प्रत्याशी को जीत तो कभी नहीं मिली, परन्तु १९७४ के विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी श्री भगवान दास को २१ हजार, ७६० मतों के साथ दूसरा स्थान हासिल हुआ।वह कांग्रेस के दिग्गज नेता श्री आत्माराम गोविंद खेर से ४ हजार, ७८० मतों के अंतर से पराजित हुए।

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जनपद- ललितपुर

बुंदेलखंड के सबसे अंतिम छोर पर बसे हुए जनपद ललितपुर की विधानसभा क्षेत्र ललितपुर सदर ( क्रमांक- २२६) से भारतीय क्रांति दल के टिकट पर कोई चुनाव नहीं जीत सका। परन्तु वर्ष १९७४ में पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर श्री शादी लाल दुबे ने ९ हजार, २९४ मतों के साथ दूसरा स्थान हासिल किया। वह भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी श्री चंदन सिंह से १४ हजार, ६५२ मतों के अंतर से चुनाव हार गए। ललितपुर की दूसरी विधानसभा क्षेत्र महरौनी ( क्रमांक- २२७) से भी भारतीय क्रांति दल के प्रत्याशियों को हमेशा निराशा ही मिली है।न तो पार्टी को जीत मिली और न ही दूसरा स्थान।

जनपद- हमीरपुर

जनपद हमीरपुर की विधानसभा क्षेत्र, हमीरपुर सदर ( क्रमांक- २२८) से भी भारतीय क्रांति दल को कभी भी चुनावी सफलता नहीं मिली और न ही उप विजेता रहे। हमीरपुर जिले की विधानसभा क्षेत्र राठ ( क्रमांक- २२९) से भारतीय क्रांति दल के टिकट पर किसी को कभी जीत नहीं मिली परन्तु वर्ष १९७४ के विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी श्री शिवनंदन सिंह को ३१ हजार, ३३१ मतों के साथ दूसरा स्थान हासिल हुआ। वह कांग्रेस के उम्मीदवार श्री स्वामी प्रसाद सिंह से मात्र २२ मतों के अंतर से चुनाव हार गए।

वर्ष २०१२ से जनपद हमीरपुर की विधानसभा क्षेत्र मौदहा समाप्त कर दी गई। यहां पर भी भारतीय क्रांति दल को कभी जीत नहीं मिली और न ही दूसरा स्थान हासिल हुआ।

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जनपद- महोबा

जनपद महोबा की विधानसभा क्षेत्र, महोबा सदर ( क्रमांक- २३०) से भारतीय क्रांति दल के प्रत्याशियों को जीत कभी नहीं मिली, परन्तु वर्ष १९६९ में पार्टी के प्रत्याशी श्री राजाराम को १५ हजार, ७३९ मतों के साथ दूसरा स्थान मिला। वह कांग्रेस के उम्मीदवार श्री मोहनलाल से मात्र १२४ मतों के अंतर से चुनाव हार गए। इसी जनपद की विधानसभा क्षेत्र चरखारी ( क्रमांक- २३१) से वर्ष १९७४ में भारतीय क्रांति दल के प्रत्याशी श्री काशी प्रसाद ने २२ हजार, ०९१ मत हासिल कर शानदार जीत दर्ज की। उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार श्री महीलाल को ४ हजार, २८४ मतों के अंतर से हराया।

जनपद- बांदा

बुंदेलखंड के जनपद बांदा से उत्तर प्रदेश विधानसभा में ४ विधायक चुन कर जाते हैं। परन्तु यहां की चारों सीटों, विधानसभा क्षेत्र, तिंदवारी ( क्रमांक- २३२), विधानसभा क्षेत्र, बबेरू ( क्रमांक- २३३), विधानसभा क्षेत्र, नरैनी ( क्रमांक- २३४) तथा विधानसभा क्षेत्र, बांदा सदर, ( क्रमांक- २३५) से भारतीय क्रांति दल के प्रत्याशी कभी जीत दर्ज नहीं कर सके और न ही दूसरा स्थान हासिल कर पाए। इस लिहाज से यह सीट पार्टी के लिए शुभ नहीं रही।

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जनपद- चित्रकूट

बुंदेलखंड के अन्तर्गत आने वाले चित्रकूट जनपद में विधानसभा की दो सीटें हैं। विधानसभा क्षेत्र, चित्रकूट सदर ( क्रमांक- २३६) तथा विधानसभा क्षेत्र, मानिकपुर ( क्रमांक- २३७)। इन दोनों सीटों पर भारतीय क्रांति दल के प्रत्याशियों को जीत कभी नहीं मिली।केवल १९६९ में पार्टी के टिकट पर मानिकपुर से चुनाव लड़कर श्री बुद्धन प्रसाद ने दूसरा स्थान हासिल किया। उन्हें कुल मिलाकर ११ हजार, ४८९ मत प्राप्त हुए थे और वह कांग्रेस की उम्मीदवार सियादुलारी से ८ हजार, ०९६ मतों के अंतर से चुनाव हार गए थे।

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निष्कर्ष

भारतीय क्रांति दल के प्रत्याशियों की जीत के लिहाज से बुंदेलखंड बहुत अच्छा नहीं रहा।केवल २ प्रत्याशी ही पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत पाए। झांसी सदर से श्री जगमोहन वर्मा और चरखारी से श्री काशी प्रसाद। इसके अतिरिक्त १९६९ में महोबा सदर से पार्टी के प्रत्याशी श्री राजाराम मात्र १२४ मतों के अंतर से तथा १९७४ में हमीरपुर सदर से श्री शिवनंदन सिंह मात्र २२ मतों के अंतर से चुनाव हारे।

– फोटो गैलरी- डॉ. संकेत सौरभ, झांसी, उत्तर प्रदेश, भारत

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Dr. Raj Bahadur Mourya:
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