– डॉ. राजबहादुर मौर्य, असिस्टेंट प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग, बुंदेलखंड महाविद्यालय, झांसी (उत्तर प्रदेश)
परिचय
उत्तर-प्रदेश के अंतर्गत आने वाले बुंदेलखंड क्षेत्र में झांसी, जालौन, ललितपुर, बांदा, हमीरपुर, महोबा तथा चित्रकूट जनपद आते हैं। सातों जनपदों में कुल मिलाकर १ करोड़ की आबादी निवास करती है। वर्ष २०१२ से पूर्व बुंदेलखंड में २१ विधानसभा सीटें थीं परन्तु २०१० के चुनाव पूर्व किए गए परिसीमन में यहां की २ विधानसभा सीटें, जालौन की कोंच तथा महोबा की मौदहा समाप्त कर दी गयीं। वर्तमान समय में बुंदेलखंड में उत्तर प्रदेश विधानसभा की १९ सीटें हैं। यहां पर सातों जनपदों को मिलाकर ४ संसदीय क्षेत्र बनते हैं।
भारतीय जनसंघ/जनसंघ
सन् १९५० में नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद, दिनांक २१ अक्टूबर १९५१ को, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वारा मिलकर एक नए दल, भारतीय जनसंघ की स्थापना की गई। इसका चुनाव चिन्ह दीपक था। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मृत्यु के बाद जनसंघ की बागडोर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के हाथों में आयी। दिनांक ६ अप्रैल १९८० को इसका रूपांतरण भारतीय जनता पार्टी के रूप में हुआ। राष्ट्रवाद, राष्ट्रीय समन्वय, लोकतंत्र, प्रभावकारी धर्मनिरपेक्षता तथा गांधी वादी समाजवाद को नव सृजित भारतीय जनता पार्टी ने अपनी मूल निष्ठाएं माना था।
उत्तर- प्रदेश में जनसंघ का राजनीतिक सफर
उत्तर- प्रदेश में भारतीय जनसंघ ने १९५२ के पहले विधानसभा चुनाव में २११ स्थानों पर चुनाव लड़कर ६.५ प्रतिशत मत के साथ २ स्थान हासिल किया। यहीं से उत्तर प्रदेश में जनसंघ का राजनीतिक सफर प्रारम्भ हुआ।१९५७ के दूसरे विधानसभा चुनाव में २३६ स्थानों पर चुनाव लड़कर जनसंघ ने १७ स्थानों पर जीत दर्ज की तथा ९.८४ प्रतिशत मत भी हासिल किया। १९६२ में तीसरे प्रदेश विधानसभा चुनाव में जनसंघ ने ३७७ स्थानों पर अपने प्रत्याशी उतारे जिसमें से ४९ उम्मीदवार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। इस बार उसे कुल पड़े वैध मतों का १६.४६ प्रतिशत प्राप्त हुआ। १९६७ में पार्टी ने ४०१ स्थानों पर चुनाव लडा तथा २१.६७ फीसदी मतों के साथ ९८ सीटों पर शानदार जीत हासिल की। यह अब तक का पार्टी का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन था।
वर्ष १९६९ में भारतीय जनसंघ पार्टी ने उत्तर प्रदेश में ३९७ स्थानों पर चुनाव लडा जिसमें ४९ प्रत्याशी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। इस चुनाव में उसे १७.९३ प्रतिशत मत प्राप्त हुए। १९७४ में पुनः पार्टी ने ४०१ सीटों पर चुनाव लड़कर १७.१२ फीसदी मतों के साथ ६१ सीटों पर जीत हासिल किया। वर्ष १९७७ के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनसंघ ने हिस्सा नहीं लिया। इसके बाद भारतीय जनसंघ, भारतीय जनता पार्टी में रूपांतरित हो गया।
बुंदेलखंड में भारतीय जनसंघ
बुंदेलखंड में भारतीय जनसंघ का राजनीतिक सफर संघर्षों से भरा रहा है। बावजूद इसके जनसंघ ने यहां पर अपनी उपस्थिति मजबूती से बनाए रखी थी। जिसका फायदा कालांतर में यहां पर भारतीय जनता पार्टी को मिला। भारतीय जनसंघ का बुंदेलखंड में प्रभाव और प्रतिनिधित्व निम्नलिखित है-
जनपद – जालौन
जनपद जालौन के अन्तर्गत आने वाली विधानसभा माधौगढ़ विधानसभा (क्रमांक-२१९) जनसंघ अथवा भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार कभी जीत दर्ज नहीं कर पाये। वर्ष १९६७ के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी श्री वी. के. शाह ने २८५५२ मत प्राप्त कर दूसरा स्थान हासिल किया। वर्ष १९७४ में शिवशंकर सिंह को भी दूसरा स्थान मिला। उन्हें १६४१६ मत प्राप्त हुए थे।
इसी जनपद की दूसरी विधानसभा, कालपी (क्रमांक-२२०) में भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार श्री सी. एस. सिंह ने १९६७ के चुनाव में २१ हजार, १८९ मत प्राप्त कर कांग्रेस के उम्मीदवार श्री शिव सम्पत्ति सिंह को ८५७ मतों के अंतर से परास्त किया जबकि १९६९ के चुनाव में भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार श्री शंकर सिंह को दूसरा स्थान मिला। उन्हें कुल मिलाकर १८ हजार, ३३१ मत मिले थे।
जनपद जालौन की ही विधानसभा क्षेत्र, उरई (क्रमांक-२२१) भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार को जीत कभी नहीं मिली।केवल १९६७ में उनके प्रत्याशी बी. सिंह को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ। उन्हें १७ हजार, ६७० मत प्राप्त हुए थे।
जनपद जालौन की एक विधानसभा क्षेत्र, कोंच, वर्ष २०१२ में समाप्त कर दी गई। इसलिए जालौन जिले में अब केवल तीन सीटें बची हैं। वर्ष १९७४ में यहां से भारतीय जनसंघ के टिकट पर श्री मलखान सिंह ने पार्टी को जीत दिलाई। उन्हें कुल मिलाकर २९ हजार, १०८ मत प्राप्त हुए थे। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के उम्मीदवार श्री चौधरी बसंत लाल को १० हजार, ७९२ मतों के अंतर से हराया। इसी सीट पर ज्वाला प्रसाद अहिरवार ने १९६९ में तथा सी. लाल ने १९६७ में भारतीय जनसंघ के टिकट पर चुनाव लडा तथा उपविजेता रहे। ज्वाला प्रसाद को २१ हजार, ३०४ मत तथा सी. लाल को १६ हजार, ८८२ मत प्राप्त हुए थे।
जनपद- झांसी
जनपद झांसी की विधानसभा क्षेत्र बबीना (क्रमांक-२२२) में वर्ष १९७४ में भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी श्री भगवत दयाल ने ३३ हजार, ७११ मत प्राप्त कर कांग्रेस के उम्मीदवार श्री बाबूलाल अहिरवार को लगभग १० हजार मतों के अंतर से हराया। वर्ष १९६९ में भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार श्री सूरत सिंह यादव को यहां से १५ हजार, ४४३ मत प्राप्त हुए थे और वह दूसरे स्थान पर रहे थे।
विधानसभा क्षेत्र झांसी सदर (क्रमांक-२२३) से भी भारतीय जनसंघ या जनसंघ के उम्मीदवार को जीत कभी नहीं मिली। वर्ष १९६७ में एम. पी. अग्निहोत्री ने भारतीय जनसंघ के टिकट पर चुनाव लडा तथा उपविजेता रहे। उन्हें कुल मिलाकर ६ हजार, ३६२ मत प्राप्त हुए। वर्ष १९७४ में यही परिणाम त्रिभुवन नाथ त्रिवेदी के साथ भी रहा। उन्हें भी १८ हजार, १२४ मतों के साथ दूसरा स्थान मिला।
झांसी जनपद की विधानसभा क्षेत्र मऊरानीपुर (क्रमांक-२२४) से केवल एक बार वर्ष १९६९ में भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार श्री प्रेमनारायण को जीत मिली। उन्होंने कुल २५ हजार, ७२३ मत प्राप्त कर कांग्रेस के उम्मीदवार बेनीबाई को २४५ मतों के अंतर से हराया था। १९७४ में प्रेमनारायण ने पुनः भारतीय जनसंघ के टिकट पर चुनाव लडा, परन्तु इस बार उन्हें २८ हजार, ८३८ मतों के साथ दूसरा स्थान मिला।
झांसी जनपद की ही विधानसभा क्षेत्र गरौठा (क्रमांक-२२५) से भी केवल एक बार वर्ष १९६७ में भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार श्री कन्हैयालाल ने २५ हजार, २५५ मत प्राप्त कर कांग्रेस के उम्मीदवार श्री के. पी. द्विवेदी को लगभग ६ हजार, १५३ मतों के अंतर से हराया। वर्ष १९७४ के चुनाव में कन्हैयालाल ने पुनः भारतीय जनसंघ के टिकट पर चुनाव लडा परन्तु इस बार उन्हें दूसरा स्थान प्राप्त हुआ। उन्हें कुल मिलाकर १६ हजार, ९३३ मत प्राप्त हुए थे।
जनपद- ललितपुर
ललितपुर जनपद की विधानसभा क्षेत्र महरौनी (क्रमांक-२२७) से भारतीय जनसंघ ने दो बार जीत दर्ज की।पहली बार वर्ष १९६७ में तथा दूसरी बार वर्ष १९७४ में। दोनों बार पार्टी के टिकट पर श्री रघुनाथ सिंह ने जीत हासिल की। पहली बार उन्हें कुल २० हजार, ४७१ तथा दूसरी बार ४० हजार, ९६७ मत प्राप्त हुए। दोनों बार उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार को हराया। इसी सीट पर वर्ष १९६२ में श्री रघुनाथ सिंह ने जनसंघ के टिकट पर चुनाव लडा तथा उपविजेता रहे। उन्हें कुल मिलाकर १५ हजार, ११ मत मिले थे। १९६९ में रघुनाथ सिंह को भी पार्टी के टिकट पर ही दूसरा स्थान मिला था। उन्हें २३ हजार,८८४ मत प्राप्त हुए थे।
जनपद ललितपुर की विधानसभा क्षेत्र ललितपुर सदर (क्रमांक-२२६) से केवल एक ही बार, वर्ष १९६९ में भगवत दयाल ने भारतीय जनसंघ की जीत का परचम लहराया। उन्होंने २० हजार, ४५ मत प्राप्त कर कांग्रेस के उम्मीदवार श्री राधे लाल को १ हजार, ६१६ मतों के अंतर से परास्त किया। इसके पूर्व १९६७ के चुनाव में भारतीय जनसंघ के टिकट पर ही राधेलाल ने चुनाव लडा था, परन्तु उन्हें ११ हजार, ७९७ मतों के साथ दूसरा स्थान मिला था।
जनपद- हमीरपुर
जनपद हमीरपुर की विधानसभा क्षेत्र, हमीरपुर सदर (क्रमांक-२२८) से केवल एक बार वर्ष १९६७ में भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार श्री बी.बी. ब्रम्हचारी ने इस सीट पर जीत दर्ज की। उन्होंने इस चुनाव में २३ हजार, ५११ मत प्राप्त कर कांग्रेस के उम्मीदवार सुरेन्द्र दत्त बाजपेई को ११ हजार, ४८४ मतों के अंतर से हराया था। वर्ष १९६९ तथा १९७४ में बी. बी. ब्रम्हचारी को भारतीय जनसंघ के ही टिकट पर दूसरा स्थान मिला था। १९६९ में उन्हें कुल मिलाकर १२ हजार, १५८ तथा १९७४ में १५ हजार, ४९ मत प्राप्त हुए थे।
हमीरपुर जिले की ही विधानसभा क्षेत्र राठ (क्रमांक-२२९) से वर्ष १९६७ में भारतीय जनसंघ के टिकट पर श्री आर. एस. राजपूत ने चुनाव लडा तथा जीत दर्ज किया। उन्हें कुल मिलाकर ३४ हजार, ९३३ मत प्राप्त हुए। उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार श्री डूंगर सिंह को १७ हजार, ७१२ मतों के अंतर से परास्त किया। १९६९ के चुनाव में पुनः आर. एस. राजपूत ने भारतीय जनसंघ के टिकट पर चुनाव में किस्मत आजमाई परन्तु असफल रहे। इस बार उन्हें १४ हजार, ४२७ मत प्राप्त हुए और वह दूसरे स्थान पर रहे।
वर्ष २०१० में हुए परिसीमन में जनपद हमीरपुर की विधानसभा क्षेत्र, मौदहा, को समाप्त कर दिया गया। ऐसा यहां पर जनसंख्या कम होने के कारण किया गया। यह विधानसभा क्षेत्र १९५१ में बना था। वर्ष १९६७ में यहां से भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार श्री बी. सिंह ने २४ हजार, ४३४ मत प्राप्त कर जनसंघ की जीत का परचम लहराया था। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के बृजराज सिंह को ८१ मतों के अंतर से हराया था। अगले चुनाव यानी वर्ष १९६९ में भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार श्री शिवनारायण सिंह को मात्र ९ हजार, ९१६ मत प्राप्त हुए और उन्हें दूसरा स्थान प्राप्त हुआ।
जनपद- महोबा
जनपद महोबा की विधानसभा क्षेत्र, महोबा सदर(क्रमांक-२३०) से अब तक केवल एक बार १९६७ में श्री जोरावर ने भारतीय जनसंघ को यहां से विजय दिलाई। उन्हें कुल मिलाकर २१ हजार, ९६८ मत प्राप्त हुए थे। उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार श्री माही १० हजार, ७३७ मतों के अंतर से हराया था।उस समय यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी।
महोबा जिले की दूसरी विधानसभा सीट, चरखारी (क्रमांक-२३१) से वर्ष १९६९ में भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार श्री चन्द्र नारायण सिंह ने जीत हासिल कर जनसंघ का परचम लहराया। उन्हें कुल मिलाकर १६ हजार, २१६ मत प्राप्त हुए थे। उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार श्री राजेन्द्र कुमार को ३२४ मतों के अंतर से पराजित किया था।
जनपद- बांदा
जनपद बांदा की विधानसभा क्षेत्र, तिंदवारी ( क्रमांक-२३२) से वर्ष १९७४ में भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार श्री जगन्नाथ सिंह ने १९ हजार १० मत प्राप्त कर अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के उम्मीदवार श्री विचित्र वीर सिंह को ६,०१५ मतों के अंतर से परास्त किया। १९७४ में ही यह विधानसभा बनी थी।
बांदा जिले की दूसरी विधानसभा क्षेत्र, बबेरू (क्रमांक-२३३३) से भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार कभी जीत दर्ज नहीं कर सके। परन्तु १९७४ में यहां से पार्टी के प्रत्याशी श्री जब्बार सिंह ने १८ हजार, ९८६ मत प्राप्त कर दूसरा स्थान हासिल किया था।
जनपद बांदा की विधानसभा क्षेत्र, नरैनी (क्रमांक-२३४) भारतीय जनसंघ के लिए मुफीद रही है। यहां से १९६२ में जनसंघ के उम्मीदवार श्री मटोला सिंह ने ९ हजार, ३५० मत प्राप्त कर, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी श्री जग प्रसाद को ५,०६९ मतों के अंतर से परास्त किया था १९६७ में यहीं से भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार श्री जे. सिंह ने १६ हजार, ६१७ मत प्राप्त कर कांग्रेस के उम्मीदवार श्री जी. पी. पाण्डेय को ४,१७२ मतों के अंतर से पराजित किया था। वर्ष १९५७ में यहां से मटोला सिंह को ५ हजार, २३० मत तथा १९७४ में जगपत सिंह को १६ हजार, ७६२ मत प्राप्त हुए थे। यह दोनों प्रत्याशी भारतीय जनसंघ के टिकट पर चुनाव लडे थे और दोनों लोगों को दूसरा स्थान हासिल हुआ था।
बांदा जिले की विधानसभा क्षेत्र, सदर (क्रमांक-२३५) से वर्ष १९६७ में भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार श्री जी. एस. सर्राफ ने जीत दर्ज की। उन्हें कुल मिलाकर १२ हजार, १२७ मत प्राप्त हुए थे। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी श्री वाई. एन. सिंह को ३,७९४ मतों के अंतर से पराजित किया।
जनपद- चित्रकूट
जनपद चित्रकूट, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश दोनों के बीच विभाजित है। उत्तर प्रदेश के अन्तर्गत आने वाले चित्रकूट जनपद में दो विधानसभा क्षेत्र हैं। चित्रकूट सदर और मानिकपुर। चित्रकूट सदर ( क्रमांक-२३६) से भारतीय जनसंघ के उम्मीदवारों को जीत कभी नहीं मिली।
चित्रकूट जनपद की विधानसभा क्षेत्र, मानिकपुर (क्रमांक-२३७) से भारतीय जनसंघ ने दो बार जीत दर्ज की। वर्ष १९६७ में यहां से इन्द्रपाल ने १४ हजार, ९१८ मत प्राप्त कर कांग्रेस की उम्मीदवार सियादुलारी को ७३५ मतों के अंतर से हराया। वर्ष १९७४ में भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार श्री लक्ष्मी प्रसाद ने २० हजार, २४० मत प्राप्त कर कांग्रेस की उम्मीदवार सियादुलारी को ५,४४९ मतों के अंतर से हराया।
निष्कर्ष
बुंदेलखंड के सातों जनपदों में जनसंघ और भारतीय जनसंघ ने १९५१ से संघर्ष किया है।अब तक कुल मिलाकर बुंदेलखंड से १९ विधायक, विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों से चुनकर गये हैं। बांदा जिले की विधानसभा नरैनी, चित्रकूट जनपद की विधानसभा मानिकपुर तथा जनपद जालौन की विधानसभा कालपी से भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार दो- दो बार जीते हैं।
विधानसभा क्षेत्र मौदहा, कोंच, ललितपुर, महरौनी, हमीरपुर सदर, राठ, महोबा सदर, चरखारी, तिंदवारी, बांदा सदर, गरौठा, मऊरानीपुर तथा बबीना से भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार एक-एक बार चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं। झांसी सदर, उरई, माधौगढ़, बबेरू तथा चित्रकूट सदर से भारतीय जनसंघ को चुनावी सफलता कभी नहीं मिली।
संदर्भ स्रोत-
१- मंगलानी डॉ. रूपा, भारतीय शासन एवं राजनीति, राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर, राजस्थान, ISBN : 978-93-89260-60-1
२- मौर्य, डॉ. राजबहादुर, उत्तर प्रदेश विधानसभा, अतीत से वर्तमान (१९५२-२०१७), दुसाध प्रकाशन, लखनऊ, ISBN: 978-81-87618-80-5
३- भारत सरकार, निर्वाचन आयोग की वेबसाइट www.eci.gov.in
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Very informative and analytical article Dr R B Maurya ji.
Your work / analysis related electoral process and electoral results is a landmark.
I greatly appreciate your work and your analysis.
Thank you very much Dr. Brajesh Mishra he. Really you are a great personality. I am proud of you.
बुंदेलखंड में जनसंघ के राजनीतिक सफर के लिए बहुत ही ज्ञानवर्धक लेख है।
गुरु जी को प्रणाम