बुंदेलखंड में जनता पार्टी

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– डॉ. राज बहादुर मौर्य, असिस्टेंट प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग, बुंदेलखंड कालेज, झांसी

परिचय-

वर्ष १९७५ में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के द्वारा लाए गए आपातकाल के दौरान ही देश में एक नए राजनीतिक दल का जन्म हुआ, यही जनता पार्टी थी। जय प्रकाश नारायण पार्टी के प्रणेता थे। जनसंघ, भारतीय लोकदल, संगठन कांग्रेस और सोशलिस्ट पार्टी ने मिलकर, दिनांक १ मई १९७७ को जनता पार्टी का गठन किया। कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी, ने भी तत्काल जनता पार्टी में अपने विलय की घोषणा किया। अपनी विचारधाराओं से ऊपर उठकर इंदिरा गांधी के द्वारा तानाशाही तरीके से लगाए गए देश व्यापी आपातकाल का विरोध करना जनता पार्टी का तत्कालीन लक्ष्य था।हल ले जाता हुआ किसान जनता पार्टी का चुनाव चिन्ह था।

आपातकाल के बाद वर्ष १९७७ में जब देश में लोकसभा के चुनाव हुए तब कांग्रेस का सफाया हो गया और जनता पार्टी को पूरे देश में कुल ३४५ लोकसभा सीटों पर शानदार जीत मिली। साथ ही कुल पड़े वैध मतों का ५१.८९ प्रतिशत मत भी जनता पार्टी के खाते में गया। जनता पार्टी के नेता श्री मोरारजी देसाई मात्र ८१ साल की उम्र में, दिनांक २३ जनवरी, १९७७ ई. को भारत के प्रधानमंत्री बने। वह गुजरात की सूरत लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद बने थे।वह १९७७ से १९८९ तक इस पद पर रहे। गांधी वादी समाजवाद, सामाजिक न्याय और भ्रष्टाचार मुक्त शासन उनकी प्राथमिकता थी। जनता पार्टी का झंडा दो रंगों, नारंगी और हरा रंग का था।

जून १९७७ में देश के ९ राज्यों और २ संघीय क्षेत्रों की विधानसभाओं का चुनाव सम्पन्न हुआ।इन चुनावों में केरल, पांडिचेरी, तमिलनाडु और बंगाल को छोड़कर, उत्तर प्रदेश, विहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली में दो तिहाई बहुमत से जनता पार्टी की विजय हुई।

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प्रमुख नेता-

श्री मोरारजी देसाई, मधु लिमए, राजनारायण, जार्ज फर्नांडिस, मधु दंडवते जैसे समाजवादी नेता जनता पार्टी के प्रमुख नेता थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से श्री अटल बिहारी वाजपेई, लाल कृष्ण आडवाणी और नाना जी देशमुख थे। कांग्रेस से बगावत कर श्री चंद्रशेखर, चौधरी चरण सिंह, मोहन धारिया और कृष्ण कांत की युवा जोडी भी थी। बुजुर्ग नेताओं में जय प्रकाश नारायण और आचार्य जे. बी. कृपलानी थे। केन्द्र में बनी जनता पार्टी की सरकार में मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री, चौधरी चरण सिंह गृहमंत्री और जगजीवन राम रक्षा मंत्री थे।

यह दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि बहुत सारी आशाएं और उम्मीद जगाकर जनता पार्टी देश और जनता की आकांक्षाओं पर खरी नहीं उतरी और जल्दी ही पार्टी विखंडन का शिकार होकर कई टुकड़ों में बंट गई। जनता पार्टी, १९८० आते-आते ४ खेमों में बंट गई।जनता पार्टी, जनता पार्टी (जे.पी.), जनता पार्टी,(सेक्युलर, तो. चरण सिंह), और जनता पार्टी, (सेक्युलर, राजनारायण) ।

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उत्तर प्रदेश की राजनीति में जनता पार्टी

वर्ष १९७७ के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी ने ४२२ सीटों पर चुनाव लड़कर शानदार रूप से ३५२ सीटों पर जीत दर्ज किया। यह गैर कांग्रेसी दलों का रिकॉर्ड था, जो आज तक नहीं टूटा। इससे पहले केवल १९५२ के उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को ३८८ सीटें मिली थीं। इस चुनाव में जनता पार्टी को लगभग एकतरफा यानी ४७.७६ प्रतिशत मत प्राप्त हुआ। यह भी १९५१-५२ में कांग्रेस को मिले मत प्रतिशत से मात्र ०.१७ फ़ीसदी कम था।जनता पार्टी को मिले इस मत प्रतिशत का रिकॉर्ड भी अब नहीं टूटा।

वर्ष १९८० में जनता पार्टी के एक धड़े, जनता पार्टी (जे.पी.) ने उत्तर प्रदेश की २३९ सीटों पर चुनाव लड़कर केवल ४ स्थानों पर जीत दर्ज की। वर्ष १९८९ में पुनः इस गुट ने प्रदेश में ११९ स्थानों पर चुनाव लड़कर मात्र ०१ स्थान पर जीत दर्ज की। जनता पार्टी के दूसरे गुट, जनता पार्टी (सेक्युलर), चरण सिंह ने वर्ष १९८० के उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में अपने ३९९ उम्मीदवार खड़े किए जिसमें से ५९ प्रत्याशी जीतकर विधानसभा पहुंचे।

जनता पार्टी के तीसरे गुट, जनता पार्टी (सेक्युलर), राजनारायण ने भी वर्ष १९८० के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपने ३०२ उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा जिसमें से केवल ४ प्रत्याशी जीतकर विधानसभा पहुंचे।

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मुख्यमंत्री-

उत्तर प्रदेश की सातवीं विधानसभा (१९७७-१९८०) के दौरान जनता पार्टी की सरकार में, प्रदेश में २ मुख्यमंत्री बने। पहले श्री रामनरेश यादव तथा दूसरे श्री बनारसी दास। श्री रामनरेश यादव का कार्यकाल १ वर्ष, २४९ दिन का रहा। उन्होंने दिनांक २३.०६.१९७७ से २८.०२.१९७९ तक मुख्यमंत्री पद को धारण किया। इसी दौर में दूसरे मुख्यमंत्री श्री बनारसी दास का कार्यकाल ३५४ दिन का रहा। वह दिनांक २८.०२.१९७९ से १७.०२.१९८० तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।

बुंदेलखंड में –

देश की आजादी के आन्दोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने वाला बुन्देलखण्ड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के मध्य बसा हुआ वह क्षेत्र है जो अपने सूखे, अकाल, भुखमरी, बेरोजगारी और बदहाली के लिए जाना जाता है। उत्तर प्रदेश के अन्तर्गत आने वाले बुन्देलखण्ड में सात जिले- जालौन, झांसी, ललितपुर, बांदा, महोबा, हमीरपुर और चित्रकूट हैं। वर्ष २०१२ के प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले यहां पर विधानसभा की कुल २१ सीटें थीं परन्तु वर्ष २०१० में हुए परिसीमन में यहां की दो सीटें, जनपद जालौन की विधानसभा क्षेत्र कोंच और जनपद हमीरपुर की विधानसभा क्षेत्र मौदहा को समाप्त कर दिया गया। इस प्रकार वर्तमान समय में बुंदेलखंड में उत्तर प्रदेश विधानसभा की १९ सीटें हैं।

वर्ष १९७७ के उत्तर- प्रदेश विधानसभा चुनाव में बुंदेलखंड से जनता पार्टी को १६ सीटों पर जीत हासिल हुई थी। बुन्देलखण्ड में जनता पार्टी की राजनीति का विस्तृत विवरण निम्नलिखित है-

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जनपद – जालौन

जनता पार्टी के प्रत्याशी जनपद जालौन की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव जीते हैं। यहां की विधानसभा क्षेत्र, माधौगढ़ (क्रमांक- २१९) पर वर्ष १९७७ के उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में जनता पार्टी के टिकट पर श्री कृष्ण कुमार ने विजय हासिल किया। कृष्ण कुमार जी को इस चुनाव में कुल मिलाकर ३० हजार, ०२८ मत प्राप्त हुए। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के उम्मीदवार श्री राजेन्द्र शाह को १० हजार, ८९७ मतों के अंतर से चुनाव हराया।

माधौगढ़ विधानसभा क्षेत्र की इसी सीट पर पुनः वर्ष १९८० के प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी श्री दलगंज सिंह ने जनता पार्टी (S.C.) के टिकट पर चुनाव लड़कर २२ हजार, ९९१ मत प्राप्त कर जीत दर्ज की। उन्होंने कांग्रेस (I) के उम्मीदवार श्री राजेन्द्र पाल सिंह को ६ हजार, ६२१ मतों के अंतर से पराजित किया।

वर्ष १९८० में उत्तर प्रदेश में विधानसभा के मध्यावधि चुनाव हुए। इस चुनाव में भी कालपी से जनता पार्टी के प्रत्याशी श्री शंकर सिंह ने दुबारा चुनाव लड़कर जीत दर्ज किया। उन्हें कुल मिलाकर २५ हजार, ५०३ मत प्राप्त हुए। शंकर सिंह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के उम्मीदवार श्री परमात्मा शरण चतुर्वेदी को ३ हजार, ११९ मतों के अंतर से पराजित किया।

विधानसभा क्षेत्र, कालपी (क्रमांक- २२०) में वर्ष १९७७ के प्रदेश विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी के प्रत्याशी श्री शंकर सिंह ने २९ हजार, ९२६ मत प्राप्त कर जीत दर्ज की। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी, भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी, श्री लालसिंह सिंह को १२२४ मतों के अंतर से चुनाव हराया।

वर्ष १९९१ के प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी ने पुनः यहां से चौधरी शंकर सिंह को मैदान में उतारा। इस बार उन्हें दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। उन्हें कुल मिलाकर १९ हजार, ५७० मत प्राप्त हुए। इस बार वह बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी श्री राम से ६ हजार, ०८३ मतों के अंतर से चुनाव हार गए। बावजूद इसके पार्टी को सम्मान जनक स्थिति प्राप्त हुई।

जनपद जालौन की विधानसभा क्षेत्र, उरई (क्रमांक- २२१) पर वर्ष १९७७ के प्रदेश विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी के प्रत्याशी श्री श्याम सुन्दर ने ३७ हजार, ०३२ मत प्राप्त कर कांग्रेस के उम्मीदवार श्री इन्द्र राज एम. एम. सिंह को ३ हजार, ७०० मतों के अंतर से पराजित किया।

वर्ष १९८० के चुनाव में पार्टी ने उरई से श्री इन्द्र जीत सिंह को मैदान में उतारा, परन्तु उन्हें दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। उन्हें कुल मिलाकर २९ हजार, ८२६ मत प्राप्त हुए और वह कांग्रेस (आई) के उम्मीदवार श्री सुरेश दत्त पालीवाल से ३ हजार, ६१९ मतों के अंतर से चुनाव हार गए।

वर्ष २०१० के नए परिसीमन में जनपद जालौन की विधानसभा क्षेत्र, कोंच को समाप्त कर दिया गया। यहां से वर्ष १९७७ के चुनाव में जनता पार्टी के प्रत्याशी श्री कौशल किशोर ने जीत का परचम लहराया था। उन्हें कुल मिलाकर इस चुनाव में ३२ हजार, ७९५ मत प्राप्त हुए थे और उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के उम्मीदवार श्री चौधरी श्याम लाल को २,३५१ मतों के अंतर से पराजित किया था।

वर्ष १९८० के प्रदेश विधानसभा के मध्यावधि चुनावों में पार्टी ने कोंच से श्री रामसेवक भारतीय को चुनाव मैदान में उतारा। परन्तु उन्हें दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा और वह २२ हजार, ७९६ मत प्राप्त कर कांग्रेस (आई) के उम्मीदवार श्री राम प्रसाद से ४ हजार, ४१९ मतों के अंतर से पराजित हो गए।

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जनपद- झांसी

जनपद झांसी की विधानसभा क्षेत्र, बबीना (क्रमांक- २२२) से जनता पार्टी ने केवल एक बार वर्ष १९७७ में जीत हासिल की है। वर्ष १९७७ के इन उत्तर प्रदेश विधानसभा के मध्यावधि चुनावों में बबीना विधानसभा क्षेत्र से जनता पार्टी के प्रत्याशी श्री भगवत दयाल ने ३५ हजार, ५०३ मत प्राप्त कर कांग्रेस की उम्मीदवार बेनी बाई को ३ हजार, ८७६ मतों के अंतर से पराजित किया।

वर्ष १९८० के पुनः प्रदेश के मध्यावधि चुनावों में जनता पार्टी (सो.) ने बबीना से नारायण दास को अपना प्रत्याशी बनाया। परन्तु इस बार उन्हें दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। नारायण दास, कांग्रेस की उम्मीदवार बेनी बाई से १६ हजार, ९६२ मतों के बड़े अंतर से चुनाव हार गए। उन्हें कुल मिलाकर १३ हजार, ९६१ मत प्राप्त हुए थे।

जनपद झांसी की विधानसभा क्षेत्र झांसी सदर, क्रमांक- २२३) से वर्ष १९७७ में ही जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर श्री सूर्य मुखी शर्मा ने जीत दर्ज की। उन्हें कुल मिलाकर २३ हजार, ८८२ मत प्राप्त हुए और उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के उम्मीदवार श्री मेघराज सिंह कुशवाहा को ५ हजार, ६८० मतों के अंतर से चुनाव में परास्त किया।

झांसी जिले की ही विधानसभा क्षेत्र, मऊरानीपुर (क्रमांक- २२४) से भी केवल एक बार, वर्ष १९७७ में जनता पार्टी के प्रत्याशी श्री प्रेम नारायण ने चुनाव लड़कर २९ हजार, ४५३ मतों के साथ जीत दर्ज की। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के उम्मीदवार श्री भागीरथ को २ हजार, ७२८ मतों के अंतर से चुनाव हराया।

झांसी जिले की विधानसभा क्षेत्र, गरौठा (क्रमांक- २२५) पर जनता पार्टी के प्रत्याशी को कभी जीत नहीं मिली। केवल वर्ष १९७७ के प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ था। इस चुनाव में पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर श्री विश्वनाथ सिंह ने २५ हजार, ८७८ मत प्राप्त किया परंतु वह कांग्रेस के उम्मीदवार श्री रणजीत सिंह जूदेव से ९ हजार, ३१६ मतों के अंतर से चुनाव हार गए।

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जनपद- ललितपुर

जनपद ललितपुर की विधानसभा क्षेत्र, ललितपुर सदर (क्रमांक- २२६) से वर्ष १९७७ में, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी के प्रत्याशी श्री सुदामा प्रसाद गोस्वामी ने २७ हजार, ८३३ मत प्राप्त कर भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार श्री चन्दन सिंह को ७ हजार, ७२६ मतों के अंतर से पराजित किया।

अगले चुनाव यानी वर्ष १९८० में ललितपुर सदर से जनता पार्टी ने अपने प्रत्याशी श्री शादी लाल दुबे को चुनाव लड़ाया। परंतु इस बार पार्टी के प्रत्याशी श्री दुबे को मात्र ११ हजार, २०३ मत प्राप्त हुए और वह कांग्रेस (आई) के प्रत्याशी श्री ओम प्रकाश रिछारिया से ७ हजार, ५९५ मतों के अंतर से चुनाव हार गए तथा उपविजेता रहे।

जनपद ललितपुर की विधानसभा क्षेत्र, महरौनी (क्रमांक- २२७) से भी वर्ष १९७७ के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी के प्रत्याशी श्री रणवीर सिंह ने चुनाव लड़कर ३३ हजार, ३१९ मत प्राप्त कर शानदार जीत दर्ज की। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के उम्मीदवार श्री कृष्ण चन्द्र शर्मा को ९ हजार, ७४६ मतों के अंतर से चुनाव में पराजित किया।

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जनपद- हमीरपुर

जनपद हमीरपुर की विधानसभा क्षेत्र, हमीरपुर सदर (क्रमांक- २२८) से वर्ष १९७७ में जनता पार्टी के प्रत्याशी श्री ओंकार नाथ ने ३२ हजार, ५८८ मत प्राप्त कर कांग्रेस के उम्मीदवार श्री प्रताप नारायण को ५ हजार, ४२० मतों के अंतर से चुनाव हराया। अगले चुनाव यानी वर्ष १९८० के प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी ने यहां से श्री अशोक कुमार सिंह चंदेल को मैदान में उतारा। परन्तु उन्हें दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। अशोक कुमार सिंह चंदेल को कुल मिलाकर २० हजार, ५४९ मत प्राप्त हुए और वह कांग्रेस के उम्मीदवार श्री प्रताप नारायण से १२ हजार, १७२ मतों के अंतर से चुनाव हार गए।

अशोक कुमार सिंह चंदेल ने वर्ष १९९१ में पुनः जनता पार्टी के टिकट पर हमीरपुर सदर से चुनाव लडा। परंतु इस बार भी उन्हें कुल मिलाकर १९ हजार, १२६ मतों के साथ दूसरा स्थान हासिल हुआ। वह इस बार बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी श्री शिव चरण प्रजापति से ६ हजार, ४७६ मतों के अंतर से चुनाव हार गए। वर्ष १९९१ में इसी सीट से श्री अशोक कुमार चंदेल जी स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़कर जीत दर्ज किए थे।

हमीरपुर जिले की विधानसभा क्षेत्र, राठ (क्रमांक- २२९) से वर्ष १९७७ में जनता पार्टी के प्रत्याशी श्री बालकिशन ने चुनाव लड़कर जीत दर्ज की थी। उन्हें कुल मिलाकर ४१ हजार, १५७ मत प्राप्त हुए थे और उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के उम्मीदवार श्री स्वामी प्रसाद सिंह को ५ हजार, ०६७ मतों के अंतर से चुनाव हराया था।

वर्ष १९८० के प्रदेश विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी (सो.) ने यहां से राम श्री सिंह को चुनाव मैदान में उतारा। परंतु उन्हें कुल मिलाकर १८ हजार, ७५९ मत ही मिले और वह कांग्रेस (आई) के उम्मीदवार श्री स्वामी प्रसाद सिंह से २५ हजार, ५७० मतों के विशाल अंतर से चुनाव हार गए।

वर्ष २०१० में हुए परिसीमन में जनपद हमीरपुर की विधानसभा क्षेत्र, मौदहा को समाप्त कर दिया गया। वर्ष १९७७ के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में यहां से जनता पार्टी के प्रत्याशी श्री लक्ष्मी नारायण ने जीत हासिल की थी। लक्ष्मी नारायण को यहां से कुल मिलाकर २५ हजार, ९९२ मत प्राप्त हुए थे और उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के उम्मीदवार श्री कुंवर बहादुर मिश्रा को २ हजार, ५३३ मतों के अंतर से पराजित किया था।

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जनपद- महोबा

बुन्देलखण्ड के जनपद महोबा की विधानसभा क्षेत्र, महोबा सदर, क्रमांक (२३०) भी वर्ष १९७७ के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी के प्रत्याशी श्री उदित नारायण ने ३१ हजार, १४१ मत प्राप्त कर पार्टी को जीत दिलाई थी। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी श्री कीर्ति कुमार को ९ हजार, ८५३ मतों के अंतर से चुनाव में पराजित किया था।

महोबा जिले की दूसरी विधानसभा क्षेत्र, चरखारी, क्रमांक (२३१) से जनता पार्टी के प्रत्याशी कभी जीत दर्ज नहीं कर सके। केवल वर्ष १९८० के प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी श्री काशी प्रसाद को १० हजार, १९३ मतों के साथ दूसरा स्थान हासिल हुआ था और वह कांग्रेस (आई) के उम्मीदवार श्री मोहनलाल से ५ हजार, ८१८ मतों के अंतर से चुनाव हार गए थे।

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जनपद- बांदा

जनपद बांदा की विधानसभा क्षेत्र, तिंदवारी (क्रमांक- २३२) से वर्ष १९७७ में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी के प्रत्याशी श्री जगन्नाथ सिंह ने २९ हजार, १३० मत प्राप्त कर जीत दर्ज की। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के उम्मीदवार श्री जगरूप सिंह को ४ हजार, ४०६ मतों के अंतर से चुनाव हराया।

वर्ष १९८० के प्रदेश विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी (सो.) के उम्मीदवार श्री राम हित ने पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर दूसरा स्थान हासिल किया। उन्हें कुल मिलाकर इस बार ८ हजार, २९८ मत प्राप्त हुए और वह कांग्रेस के उम्मीदवार श्री शिवप्रताप सिंह से १२ हजार, ४५६ मतों के अंतर से चुनाव हार गए।

जनपद बांदा की विधानसभा क्षेत्र, बबेरू (क्रमांक- २३३) से जनता पार्टी के प्रत्याशी कभी जीत दर्ज नहीं कर सके। केवल वर्ष १९७७ में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रत्याशी श्री अयोध्या प्रसाद सिंह ने दूसरा स्थान हासिल किया था। अयोध्या प्रसाद सिंह को इस चुनाव में कुल मिलाकर २९ हजार, २९५ मत प्राप्त हुए थे और वह भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी श्री देवकुमार से ६ हजार, ६१० मतों के अंतर से चुनाव हार गए थे।

बांदा जिले की विधानसभा क्षेत्र, नरैनी (क्रमांक- २३४) पर भी जनता पार्टी के प्रत्याशी कभी जीत हासिल नहीं कर सके। केवल वर्ष १९७७ के उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में पार्टी को यहां से दूसरा स्थान हासिल हुआ था। इस चुनाव में पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर श्री गोस्वामी राधा कृष्ण ने २८ हजार, ७४६ मत प्राप्त किया था लेकिन वह भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी श्री सुरेन्द्र पाल से मात्र १९९१ मतों के अंतर से चुनाव हार गए थे।

जनपद बांदा की विधानसभा क्षेत्र, बांदा सदर (क्रमांक- २३५) से जनता पार्टी ने दो बार जीत हासिल की। पहली बार, वर्ष १९७७ में जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर श्री जमुना प्रसाद बोस ने ३३ हजार, १८० मतों के साथ शानदार जीत दर्ज की। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी श्री दुर्जन बहल को १ हजार, ९६९ मतों के अंतर से चुनाव हराया।

दूसरी बार, वर्ष १९८५ के उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में बांदा सदर से ही जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर श्री जमुना प्रसाद बोस ने १७ हजार, ५१७ मतों के साथ जीत दर्ज की। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी श्री रामनाथ दुबे को ८ हजार, ५५७ मतों के अंतर से चुनाव में पराजित किया। जबकि १९८० के चुनाव में जमुना प्रसाद बोस को यहीं से जनता पार्टी के ही टिकट पर चुनाव लडने पर दूसरा स्थान मिला था। वह कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार श्री चन्द्र प्रकाश शर्मा से १७ हजार, ६३१ मतों के बड़े अंतर से चुनाव हार गए थे। उन्हें मात्र ११ हजार, ५०२ मत मिले थे।

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जनपद- चित्रकूट

उत्तर प्रदेश के अन्तर्गत आने वाले चित्रकूट जनपद में विधानसभा की दो सीटें हैं। चित्रकूट सदर तथा मानिकपुर। वर्ष २०१२ के चुनाव तक चित्रकूट सदर सीट, कर्वी के नाम से जानी जाती थी। विधानसभा क्षेत्र, चित्रकूट सदर ( क्रमांक- २३६) से कभी भी जनता पार्टी के प्रत्याशी को जीत नहीं मिली। केवल वर्ष १९७७ के चुनाव में यहां से जनता पार्टी के प्रत्याशी श्री विनय कुमार को ३० हजार, ३४२ मतों के साथ दूसरा स्थान हासिल हुआ था। वह भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार कामरेड रामसजीवन पटेल से ३ हजार, ११८ मतों के अंतर से चुनाव हार गए थे।

विधानसभा क्षेत्र, मानिकपुर (क्रमांक- २३७) से वर्ष १९७७ में जनता पार्टी के प्रत्याशी श्री रमेश चंद्र ने पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत दर्ज की। उन्हें कुल मिलाकर २० हजार, ७४९ मत प्राप्त हुए थे और उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के उम्मीदवार श्री एस. भाई को ५ हजार, ७७७ मतों के अंतर से चुनाव में पराजित किया।

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निष्कर्ष-

उत्तर प्रदेश की राजनीति में जनता पार्टी ने वर्ष १९७७ के विधानसभा चुनाव में निर्णायक जीत हासिल की। इसका प्रभाव बुंदेलखंड के अन्तर्गत आने वाली विधानसभा सीटों पर भी पड़ा। इस चुनाव में बुंदेलखंड के सातों जनपदों- जालौन, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा, बांदा तथा चित्रकूट की कुल २१ विधानसभा सीटों में से १६ सीटों पर जनता पार्टी के प्रत्याशियों ने जीत का परचम लहराया था तथा कांग्रेस जैसी स्थापित और मजबूत पार्टी को करारी शिकस्त दिया था।

वर्ष १९७७ के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बुंदेलखंड के विधानसभा क्षेत्र, माधौगढ़, कालपी, उरई, कोंच, बबीना, झांसी सदर, मऊरानीपुर, ललितपुर सदर, महरौनी, हमीरपुर सदर, राठ, मौदहा, महोबा सदर, तिंदवारी, बांदा सदर तथा मानिकपुर से जनता पार्टी के प्रत्याशी जीते थे। बांदा सदर से वर्ष १९८५ में तथा कालपी और माधौगढ़ विधानसभा क्षेत्र से वर्ष १९८० में भी जनता पार्टी के उम्मीदवारों को जीत मिली थी।

वर्ष १९७७ में माधौगढ़ से श्री कृष्ण कुमार, कालपी से श्री शंकर सिंह, उरई से श्री श्याम सुन्दर, कोंच से श्री कौशल किशोर, बबीना से श्री भगवत दयाल, झांसी सदर से श्री सूर्य मुखी शर्मा, मऊरानीपुर से प्रेम नारायण, ललितपुर सदर से श्री सुदामा प्रसाद गोस्वामी, महरौनी से श्री रणवीर सिंह, हमीरपुर सदर से श्री ओंकार नाथ, राठ से श्री बालकिशन, मौदहा से श्री लक्ष्मी नारायण, महोबा सदर से श्री उदित नारायण, तिंदवारी से श्री जगन्नाथ सिंह, बांदा सदर से श्री जमुना प्रसाद बोस और मानिकपुर से श्री रमेश चंद्र ने जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर शानदार जीत दर्ज की थी।

वर्ष १९८० में विधानसभा क्षेत्र कालपी से श्री शंकर सिंह ने लगातार दूसरी जीत दर्ज की, जबकि माधौगढ़ से १९८० में जनता पार्टी के टिकट पर श्री दलगंज सिंह ने जीत हासिल किया। वर्ष १९८५ में बांदा सदर से श्री जमुना प्रसाद बोस ने पुनः जीत दर्ज कर जनता पार्टी का परचम लहराया था। इसके बाद बुंदेलखंड में किसी भी चुनाव क्षेत्र से जनता पार्टी को जीत कभी नहीं मिली।

इस तरह जनता पार्टी ने १९७७ के प्रदेश विधानसभा चुनाव में धमाकेदार जीत हासिल की परन्तु इसके बाद एक के बाद एक पार्टी में हुए विखंडन ने जनता पार्टी का अस्तित्व लगभग समाप्त कर दिया। वर्तमान समय में इसका नाम मात्र का अस्तित्व है।

– फोटो गैलरी- डॉ. संकेत सौरभ, झांसी, उत्तर प्रदेश, भारत।

संदर्भ स्रोत-

  • १- दुबे, श्री प्रदीप कुमार, सम्पादक, उत्तर प्रदेश में राजनीतिक दलों का उद्भव एवं विकास, प्रकाशक- विधानसभा, सचिवालय उत्तर प्रदेश, विधान भवन, लखनऊ, प्रथम संस्करण : फरवरी २०१७.
  • २- मौर्य, डॉ. राजबहादुर, उत्तर प्रदेश विधान सभा, अतीत से वर्तमान (१९५२-२०१७) एक विश्लेषणात्मक विवरण, दुसाध प्रकाशन, लखनऊ। ISBN-978-81-87618-80-5
  • ३- भारतीय निर्वाचन आयोग की वेबसाइट eci.gov.in से
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Dr. Raj Bahadur Mourya:

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