पुस्तक समीक्षा- ‘‘मौर्य, शाक्य, सैनी, कुशवाहा एवं तथागत बुद्ध’’, लेखक- आर.एल. मौर्य

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  • डॉ. राजबहादुर मौर्य, असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, राजनीति विज्ञान, बुंदेलखंड कालेज, झाँसी (उत्तर- प्रदेश) भारत । email : drrajbahadurmourya @gmail.com, website : themahamaya.com

मौर्य, शाक्य,सैनी, कुशवाहा एवं तथागत बुद्ध, शीर्षक से सितंबर 2020 में प्रकाशित पुस्तक श्री आर. एल. मौर्य (मूल निवासी ग्राम- लोहसडा, पोस्ट- घघसरा, जनपद- गोरखपुर) की लेखनी से निकली कृति है।

कुल 60 पेज की यह पुस्तक जहां मौर्य, कुशवाहा, शाक्य एवं सैनी समाज को भगवान बुद्ध और उनके राजवंश से जोड़ने का प्रयास करती है वहीं सामाजिक जीवन के नैतिक मूल्यों तथा आचरण के साथ जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है। श्री आर. एल. मौर्य ने पुस्तक को अपने छोटे भाई, पुलिस इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार मौर्य को समर्पित किया है जिनकी पिछले वर्ष 14 अक्टूबर 2019 में मात्र 46 वर्ष की उम्र में बीमारी ने प्राण ले लिया। पुस्तक 8/40 जानकीपुरम विस्तार,निकट- भिटौली रेलवे क्रासिंग, सीतापुर रोड, लखनऊ से प्रकाशित है। पुस्तक की सहयोग राशि मात्र 20 रुपए है।

पुस्तक की प्रस्तावना में लेखक आर. एल. मौर्य ने अपनी पीड़ा को व्यक्त करते हुए पुस्तक के लेखन और प्रकाशन के कारण को स्पष्ट किया है। उनका दर्द है कि मौर्य, कुशवाहा, शाक्य और सैनी समाज भगवान बुद्ध, सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य तथा सम्राट अशोक का वंशज और उत्तराधिकारी होते हुए भी उन्हें स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है, उन्हें संदेह की दृष्टि से देखता है। पुस्तक में इसी भ्रम व संदेह को दूर करने का प्रयास किया गया है। लेखन के आधार ग्रन्थ मुद्राराक्षस, द लाइट आफ एशिया जैसी प्रामाणिक पुस्तकें हैं।

काफी परिश्रम पूर्वक लिखी गई उक्त पुस्तक का प्रारंभ मौर्य, कुशवाहा, शाक्य,सैनी समाज के संक्षिप्त परिचय से की गई है। ऐतिहासिक दौर में शाक्यों का नरसंहार, शाक्य वंश की शाखाएं तथा मौर्य और कुशवाहा समाज की उत्पत्ति व वंश पर प्रकाश डाला गया है। मौर्य वंश के बारे में कहा गया है कि वह भारत का मुक्तिदाता है। बौद्ध और जैन ग्रन्थों के अनुसार मौर्य क्षत्रिय थे। ईसा पूर्व छठीं शताब्दी से लेकर इस राजवंश के अवशेष मिले हैं। जूनागढ़ के शिलालेखों में चन्द्र गुप्त मौर्य की सौराष्ट्र विजय का वर्णन है। कुशवाहा समाज भी शाक्यों की एक शाखा है। बुद्ध, शाक्य वंश के कुलदीपक और सरताज हैं।

पुस्तक के पेज नं. 11 से 20 तक तथागत बुद्ध के जन्म, विवाह, शाक्य संघ से मतभेद तथा उनके गृह त्याग का विवरण है। लेखक के लिखा है कि राजा के पुत्र होते हुए भी सिद्धार्थ गौतम ने युद्ध का विरोध किया। अपने लिए स्वैच्छिक दंड स्वीकार किया जिसमें सुख की जगह दरिद्रता, भोग की जगह भिक्षा तथा घर की जगह बेघर हो जाना था। उनका स्वेच्छा से किया हुआ यह वह महान त्याग है जिसने दुनिया को मैत्री और करुणा के सागर बुद्ध दिया। धन्य हैं, वह माता-पिता जिन्होंने ऐसे पुत्र को जन्म दिया।

अपनी कठिन तपस्या के दौरान सिद्धार्थ गौतम ने जाना कि ऐसा व्यक्ति नया प्रकाश और ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता,जिसका बल जाता रहा हो,जो भूख से निढाल हो,प्यासा व थका हो तथा जिसका मनोचित्त एकाग्र न हो।यहीं से बुद्ध का मध्यम मार्ग निकला है। बुद्ध के अनुसार मन ही सब चीजों का केन्द्र है। निरंतर चित्त को निर्मल बनाए रखना ही धम्म का सार है। प्रत्येक मानव को सत्य और उसके यथार्थ को जानना चाहिए। यदि मनुष्य पवित्रता के पथ पर चले, धम्म परायणता और शीलों का पालन करे सभी दुखों का अंत हो जाता है। पुस्तक में पंचशीलों का भी वर्णन है।

विद्वान लेखक ने सुन्दर सीख देते हुए लिखा है कि बुद्ध का धम्म यह कहता है कि अपना दीपक स्वयं बनो, प्रकाश दूसरों को दो, सेवा सत्कार करो। झूठ, लालच, मोह और व्यसनों का तिरस्कार करो। माता- पिता की सेवा व अपने कर्तव्यों के पालन करने की शिक्षा तथागत बुद्ध का धम्म देता है। बुद्ध का चिरंतन संदेश है कि आदमी- आदमी के बीच दीवार नहीं होना चाहिए। प्रकृति पर हर मानव का समान अधिकार है इसे बांटा नहीं जा सकता। समानता, प्रत्येक व्यक्ति को जीवित रहने की अनुमति देती है। आदमी स्वयं ही अपना स्वामी है, दूसरा कौन उसका स्वामी हो सकता है।

पुस्तक में बुद्ध वचनों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि ऊंचा जीवन स्तर नहीं बल्कि ऊंचे आचरण सच्चा सुख प्रदान करते हैं। लोभ और तृष्णा रहित होकर सुखमय जीवन गुजारें। किसी को कठोर वचन न बोलें। न तो झूठ बोलें और न ही दूसरों को झूठ बोलने की प्रेरणा दें। वह व्यक्ति सबसे श्रेष्ठ, उच्च व प्रतिष्ठित होता है जो दूसरों की भलाई के लिए प्रयास रत होता है।पालि के कथन को उद्धृत करते हुए कहा गया है कि “सूर्य केवल दिन में चमकते हैं और चंद्रमा केवल रात्रि में”। बुद्ध अपने तेज़ से दिन और रात हर समय तपते रहते हैं। इसमें कुछ भी संदेह नहीं कि बुद्ध भुवन प्रदीप हैं जो समस्त लोक को प्रकाशमान कर रहे हैं।

यद्यपि पुस्तक मात्र 60 पेज की है, परंतु ज्ञान का सागर है। बुद्ध के संदेशों की संवाहक है। मौर्य, कुशवाहा, शाक्य, सैनी समाज को स्पष्ट और साफ़ पैग़ाम देती है कि सब एक हैं। बुराइयों को छोड़, अच्छाइयों की ओर निरंतर चलते रहें। समाज और राष्ट्र का कल्याण होगा।

श्री आर. एल. मौर्य

मेरी दुआ है कि उत्तर प्रदेश में रेशम विभाग में सहायक निदेशक पद पर कार्यरत(अब सेवानिवृत्त) श्री आर. एल. मौर्य, उनकी धर्मपत्नी श्रीमती मालती देवी सदैव स्वस्थ रहें। उनके ऊपर मां श्रीमती अशरफा देवी तथा पिता श्री हरिहर मौर्य का आशीर्वाद हमेशा बना रहे। उनके बच्चों, बेटा गौरव, बेटी नीलम, दामाद श्री राहुल मौर्य तथा पुत्र वधू शिप्रा सिंह पर बुद्ध की करुणा हो। सब का जीवन सुखमय हो। सभी प्रकार से मंगल हो। श्री आर.एल. मौर्य का सम्पर्क मोबाइल नंबर- 7054251058 है।

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Dr. Raj Bahadur Mourya:

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