पुस्तक समीक्षा- विश्व इतिहास की झलक (भाग- 8)

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पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी पुस्तक विश्व इतिहास की झलक में लिखा है कि मोहम्मद साहब के इंतकाल के बाद लगभग 100 वर्षों तक खलीफा लोग इसी वंश की उमैया शाखा के हुआ करते थे। उनकी राजधानी दमिश्क थी। मोहम्मद साहब के वंश के एक दूसरे घराने ने, जो चचा अब्बास की संतान था, अब्बासी कहलाता था। इसने उम्मैया खानदान को गद्दी से उतार दिया। यहीं से 750 ई. में अब्बासी खलीफाओं का शासन शुरू होता है।अब्बासियों ने राजधानी दमिश्क से हटाकर बगदाद बनायी। यही बगदाद अलिफ़ लैला का शहर है।

स्पेन के हिस्सों पर अरबों ने 700 वर्षों तक शासन किया। स्पेन के इन अरबों को मुरों के नाम से जाना जाता था। इनकी सभ्यता और संस्कृति ऊंचे दर्जे की थी। 500 वर्षों तक कुर्तुबा स्पेन की राजधानी रहा। इसी को अंग्रेजी में कॉर्डोबा कहते हैं। कहा जाता है कि कॉर्डोबा में 60,000 महल, 2 लाख छोटे मकान, 80 हजार दुकानें, 37,800 मस्जिदें तथा 700 सार्वजनिक हम्माम थे। यहां के शाही पुस्तकालय में 4 लाख पुस्तकें थीं। एक जर्मन लेखक ने इसे ही संसार का भूषण कहा है। स्पेन के अरबों अथवा मुरों की अलंकृत चित्र कला या मूर्ति कला को अरबेक्स कहा जाता था। इसमें पौधों और लताओं का चित्रण अधिक होता था। अरबेक्स उस सुंदर नक्काशी को कहते हैं जो इस्लाम से प्रभावित अरबी और दूसरी इमारतों में पायी जाती है।

अल-फ़ॉ पैलेस, बगदाद, इराक.

सन् 1095 ई. में क्रूसेड या सलीब के युद्ध प्रारम्भ हुए और 150 वर्षों तक इसाईयत और इस्लाम में, सलीब और हिलाल में लड़ाई चलती रही। लगभग 700 वर्षों तक यरूशलेम मुसलमानों के अधीन रहा। सन् 1918 में एक अंग्रेज सेनापति ने इसे तुर्कों से छीन लिया। आख़िरी क्रूसेड 1249 ई. मे हुआ। इसका नेता फ्रांस का राजा लुई नवम था। वह हार गया और क़ैद कर लिया गया। सन् 1193 में सलादीन की मृत्यु के साथ ही पुराना अरब साम्राज्य टूट गया।

इब्नसीना, जिसे यूरोप में एवीसेना के नाम से जाना जाता है, वह हकीमों का शाह कहा जाता था।वह एशिया के बुखारा शहर में रहता था और बहुत बड़ा अरब हकीम था। सन् 1037 में उसकी मृत्यु हुई। पवित्र रोमन साम्राज्य का सम्राट फ्रेडरिक द्वितीय जगत का आश्चर्य के नाम से मशहूर है। क्योंकि उस ज़माने में, जब ज्यादातर राजा बे- पढ़े-लिखे होते थे, यह अरबी के अलावा कई अन्य भाषाएं जानता था तथा पोप की बिल्कुल परवाह नहीं करता था।

सन् 710 ई. में 17 साल के एक अरब लड़के मोहम्मद- इब्न- कासिम ने सिंध कॉंठे से पश्चिमी पंजाब में मुल्तान को जीत लिया। 11 वीं सदी में गजनी के महमूद का भारत पर हमला हुआ। गजनी अब अफगानिस्तान का एक छोटा सा कस्बा है। सुबुक्तगीन नामक एक तुर्की गुलाम ने 975 ई. के लगभग गजनी और कंधार में अपना राज्य क़ायम कर लिया था। उसने भारत पर भी हमला कर दिया था परन्तु यहाँ लाहौर के राजा जयपाल से उसकी हार हुई। इस्लाम उत्तर भारत में महमूद के साथ आया, जबकि दक्षिण भारत लम्बे समय तक इससे अछूता रहा।

सुबुक्तगीन के बाद उसका बेटा महमूद गद्दी पर बैठा। कुल मिलाकर इस महमूद ने 17 बार भारत पर हमला किया, जिसमें से सिर्फ एक कश्मीर का धावा असफल रहा।इसी ने सोमनाथ मन्दिर पर हमला किया था और बहुत लूटपाट किया। महमूद 1030 ई. में मर गया। महमूद ने गजनी में एक सुन्दर मस्जिद बनवाई थी, जिसका नाम उसने ‘उरूसे जन्नत, यानी स्वर्ग वधू रखा था। महमूद ने उस समय के मथुरा के बारे में लिखा था कि ‘यहां एक हजार ऐसी इमारतें हैं, जो मोमिनों के ईमान की तरह मजबूत हैं। यह मुमकिन नहीं है कि यह शहर अपनी मौजूदा हालत को बिना करोड़ों दीनार खर्च किए हुए पहुंचा हो और न इस तरह का दूसरा शहर दो सौ साल से कम में तैयार ही किया जा सकता है।”

महाकवि फ़िरदौसी, महमूद का समकालीन था। उसकी रचना शाहनामा है।

एलिस इन द वंडरलैंड, अंग्रेजी की एक पुस्तक का नाम है। आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एक प्रोफ़ेसर ने, लुई केरोल, के नाम से, एक मित्र की लड़कियों के विनोद के लिए, सन् 1865 में इसे लिखा था। यह पुस्तक बड़ी रोचक है। अंग्रेजी जानने वाला शायद ही कोई बालक या बालिका हो, जिसने इसे न पढ़ा हो। इस पुस्तक में एलिस नाम की एक लड़की की आश्चर्यजनक लोक की स्वप्न यात्रा का वर्णन है।

एलिस इन द वंडरलैंड, (1st Edition)

यूरोप में पढ़े- लिखे लोगों की आम भाषा लातीनी थी। दॉंते अलीघेरी इटली का महान कवि था जो 1265 ई. में पैदा हुआ था।दूसरा इटालियन कवि पेलक था जो सन् 1304 ई. में पैदा हुआ था। थोड़े दिन बाद इंग्लैंड में चॉसर हुआ, जो महान कवि था। रोजर बेकन एक अंग्रेज था जो वैज्ञानिक भावना से ओत-प्रोत था। लियोनार्दो द विंची, माइकल ऐंजिलो और राफियल 15 वीं सदी के महान इटालियन कलाकार और चित्र कार हैं।

सन् 843 ई. से जर्मनी का एक राष्ट्र के रूप में जन्म माना जाता है। सन् 962 से 973 ई. तक शासन करने वाले सम्राट ओटो महान् ने जर्मनों को एक कौम बना दिया। इसी समय उत्तर के रूरिक नामक एक व्यक्ति ने 850 ई. के लगभग रूसी राज्य की नींव डाली।

– डॉ. राजबहादुर मौर्य, असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, राजनीति विज्ञान, बुंदेलखंड कालेज, झाँसी, फोटो गैलरी- डॉ. संकेत सौरभ, झांसी (उत्तर प्रदेश) भारत

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Dr. Raj Bahadur Mourya:
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