पंचमढ़ी की गुफाएं (म.प्र.)

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“सतपुड़ा की रानी” के नाम से मशहूर पंचमढ़ी, मध्य – प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 200 किलोमीटर दूर होशंगाबाद जिले में स्थित हैं। मध्य भारत के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक पंचमढ़ी सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच समुद्र तल से 3550 फ़ीट की ऊंचाई पर बसा हुआ एक मात्र हिल स्टेशन है। एक छोटी-सी पहाड़ी पर यहां पर 5 प्राचीन गुफाएं बनी हुई हैं। इन्हीं 5 गुफाओं के कारण इस स्थान को “पंचमढ़ी” कहा जाता है।

बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निर्मित पंचमढ़ी गुफाएं

पुरातत्व विभाग के विद्वान मानते हैं कि कि यह गुफाएं बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निर्मित की गई हैं। पुरातत्व विदों का यह भी मानना है कि इनका निर्माण गुप्त काल में हुआ है। अभी हाल में ही गुफाओं के पास एक स्तूप भी खोजा गया है। यह थोड़ा सा जीर्ण-शीर्ण अवस्था में मिला है। पंचमढ़ी की खोज सन् 1857 में बंगाल लांसर के कैप्टन जेम्स फॉरसिथ ने की थी। यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन पिपरिया है जो मुम्बई- हावड़ा रेल मार्ग पर इटारसी व जबलपुर के बीच पंचमढ़ी से 47 किलोमीटर दूर है। भोपाल, इन्दौर, होशंगाबाद, नागपुर, छिंदवाड़ा तथा पिपरिया से यहां के लिए नियमित बस सेवाएं हैं।

“सतपुड़ा” भारत के मध्य भाग में स्थित एक पर्वतमाला है। यह पर्वत श्रेणियां नर्मदा एवं ताप्ती की दरार घाटियों के बीच राजपिपला पहाड़ी, महादेव पहाड़ी एवं मैकाल श्रेणी के रूप में पश्चिम से पूर्व की ओर फैली हुई हैं। पूर्व में इसका विस्तार छोटा नागपुर पठार तक है। यह पर्वत श्रेणी एक ब्लाक पर्वत है जो मुख्यत: ग्रेनाइट और बेसाल्ट चट्टानों से निर्मित है। सतपुड़ा रेंज के मैकाल पर्वत में स्थित अमरकंटक पठार से नर्मदा और सोन नदी निकलती है। यह विंध्याचल के दक्षिण में स्थित है तथा मध्य-प्रदेश और महाराष्ट्र के 900 किलोमीटर प्राय द्विपीय क्षेत्र में फैली हुई है। मैकाल पर्वत की सबसे ऊंची चोटी अमरकंटक 1036 मीटर ऊंची है। सतपुड़ा की पहाड़ियों का सबसे ऊंचा प्वाइंट प्रियदर्शिनी प्वाइंट है। इसका मूल नाम फॉरसिथ प्वाइंट था जिसे बाद में बदलकर प्रियदर्शिनी प्वाइंट रख दिया गया। यहीं पर रजत जल प्रपात है जिसकी ऊंचाई 350 फ़ीट है।

यहां से निकलने वाली नर्मदा नदी को “मध्य प्रदेश की जीवन रेखा” कहा जाता है। इसे “रेवा” नाम से भी जाना जाता है। यह नदी 1312 किलोमीटर चल कर “खम्भात की खाड़ी” में अरब सागर में मिल जाती है। नर्मदा नदी का बहाव पूर्व से पश्चिम की ओर तथा सोन नदी का प्रवाह पूर्व दिशा की ओर है। इसे “मैकिलसुता” भी कहते हैं। जबलपुर के नजदीक भेड़ाघाट के पास नर्मदा नदी 9 किलोमीटर का जल प्रपात बनाती है जिसे “धुवां धार प्रपात” के नाम से जाना जाता है। शेर, शक्कर, दुधी, तवा सहित नर्मदा नदी की 41 सहायक नदियां हैं जिनमें से 22 इसके बाएं किनारे पर तथा 19 दाएं किनारे पर मिलती हैं। सतपुड़ा की ऊपरी पहाड़ियों पर “गोंड” तथा “कोरकू” जनजाति निवास करती है।

यहीं पास में “अमरकंटक” भी है जो मध्य प्रदेश के अनूप पुर जिले का लोकप्रिय स्थान है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग 1065 मीटर है।धुनी पानी अमरकंटक का गर्म पानी का झरना है।दूध धारा अमरकंटक का दूसरा लोकप्रिय झरना है जो शहडोल जिले में स्थित है।सोन मुडा, मां की बगिया, कपिल धारा यहां के प्रमुख स्थल हैं। यहां पर एक “कबीर चबूतरा” है।कहा जाता है कि इस स्थान पर संत कबीर कई वर्षों तक रहे। यहीं उनकी भेंट गुरु नानक देव जी से भी हुई। यहीं जैनों का सर्वोच्च जैन मंदिर है जहां भगवान आदिनाथ की 24 टन की मूर्ति स्थापित है।

– डॉ. राज बहादुर मौर्य, फोटो गैलरी-संकेत सौरभ (अध्ययन रत एम.बी.बी.एस.) झांसी (उत्तर-प्रदेश)


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Dr. RB Mourya:
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