जब मेसिडोनिया का सम्राट सिकंदर अपने विश्व विजय के अभियान में व्यस्त था और अपने विश्व राज्य की परिकल्पना का आदर्श बुन रहा था,उसी समय भारत में एक नयी क्रांति का सूत्रपात हो चुका था। भारत भी अपने अतीत के खंडहरों और भग्नावशेषों को एकत्र कर एक विशाल और महान् अखंड भारत बनने की ओर अग्रसर था। यह क्रांति व्यावहारिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक अभिवृत्तियों एवं विचारों से लैस दुनिया को परिवेष्टित कर रही थी। राजनीतिक शक्ति सम्बन्धों में जो उग्र परिवर्तन आ रहे थे उससे एक नयी बौद्धिक जलवायु जन्म ले रही थी। आगे चलकर इसी परिवेश ने एक अखंड और विशाल मौर्य साम्राज्य की नींव डाली,जो भारत के इतिहास का एक शानदार युग है। 325 बी.सी.से लेकर ई. सन् के प्रारंभ के ठीक पहले तक फैला हुआ यह दौर इतिहास में अपना सानी नहीं रखता।
सम्राट अशोक इसी राजवंश का तीसरा शासक था, जो 268 ई.पू. मगध का सम्राट बना। लगभग 40 वर्षों तक उसने भारत में राज किया। अखंड और विशाल भू-भाग का राजा होते हुए भी उसने अहंकार का परित्याग किया। बुद्ध के सद्धर्म को अंगीकार कर 84 हजार स्तूपों, शिलालेखों तथा स्तम्भ लेखों की स्थापना की। राजसी वैभव का त्याग कर नंगे पैर चलकर बुद्ध के चरण चिन्हों को नमन किया। अपने प्राण- प्रिय पुत्र, पुत्री तथा पत्नी विदिशा को भिक्षु तथा भिक्षुणी बनाया। समता, ममता एवं करुणा का संदेश वाहक बन पूरी दुनिया में सम्राट अशोक, अशोक महान बना। ऐसे विरले सम्राट हैं दुनिया में, जिन्हें सम्राट अशोक जैसा आदर और सम्मान मिला।
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ब्रिटिश इतिहासकार एच.जी. वेल्स ने अपनी पुस्तक “आउट लाइन आफ हिस्ट्री” में लिखा है कि”दुनिया में अकेला अशोक का नाम ही सितारे की तरह चमकता है।” दुनिया का ऐसा कोई शांति प्रिय मुल्क नहीं होगा जहां सम्राट अशोक की स्मृतियां संग्रहीत न हों। वह देश-देशांतर और युग- युगांतर की सीमा रेखाओं से परे है। जब तक धरती और अंबर रहेगा,तब तक अशोक की यश पताका ऊंची फहराती रहेगी।
श्री स्वामी प्रसाद मौर्य के अब तक के जीवन के चिंतन का प्रत्येक क्षण अशोका मिशन को समर्पित रहा है।समय की गति के अनुसार उन्होंने उसे आगे बढ़ाने के लिए काम किया है।दि.5 अप्रैल 1997 को ग्राम बेहीखोर जनपद रायबरेली में,दि. 25 मार्च 2010 को पड़रौना जनपद कुशीनगर में,दि.20 अप्रैल 2010 को नगर परिषद प्रांगण, जौनपुर में,दि.16 जुलाई 2010 को जनपद मुरादाबाद में, इसी प्रकार दि.21 अप्रैल 2017 को जनपद सुल्तानपुर में,दि.23 अप्रैल 2017 को जनपद प्रतापगढ़ में,दि.7.5.17 को जनपद कौशांबी में,दि.30.9.17 को जनपद श्रावस्ती में,दि.15.10.17 को जनपद रायबरेली में,दि. 22.10.17 को जनपद हरदोई में,दि. 2.2.18 को संडीला जनपद हरदोई में,दि.2.4.18 को जनपद गाजीपुर में तथा दि.25.5.2018 को जनपद लखीमपुर खीरी में आयोजित सम्राट अशोक जयंती समारोहों में भाग लिया। सम्राट अशोक के प्रति उद्ब़ोधन अत्यंत प्रभावशाली तथा प्रेरक होता है।
अशोका मिशन के प्रति स्वामी प्रसाद मौर्य का अप्रतिम योगदान है।उनका कार्य वर्तमान तथा भावी पीढ़ियों को प्रेरणा प्रदान करता रहेगा।
– डॉ .राजबहादुर मौर्य,झांसी