दि. 2 जनवरी 2020 को उ. प्र.सरकार के काबीना मंत्री माननीय श्री स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी उम्र के साढ़े छह दशक पार कर रहे हैं।
जिसमें लगभग 45 वर्ष का उनका जीवन सामाजिक और राजनीतिक सरोकारों में बीता है।आज उनके पास उपलब्धियों का भरा-पूरा भंडार है, परन्तु उतना ही सच यह भी है कि उन्होंने त्याग, समर्पण और संघर्ष की नई इबारत लिखी है। उनके चिंतन तथा व्यक्तित्व ने समाज की पीढ़ियों को प्रभावित किया है।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने चिंतन में उन सबको वाणी दी जो उनके युग की प्रवृतियां थीं। उनके दिखाए गए मार्ग ने लोगों के दृष्टिकोण को बदला। सभी प्रकार के लोगों ने उनकी शब्दावली से प्रेरणा ली। राजनीति के प्रति उनका दृष्टिकोण परिवर्तन वादी है, परंतु वैचारिक स्तर पर उसकी प्रतिध्वनि का विस्तार त्याग, सेवा और संघर्ष है।उनकी इतिहास दृष्टि ने अनेक लोगों को अपने अतीत के विषय में जागरूक बनाया।
जिसे हम विकास का विचार कहते हैं,उस भावभूमि को उन्होंने उर्वर बनाया। सामाजिक और सांस्कृतिक विचार के क्षेत्र में भी स्वामी प्रसाद मौर्य ने चिंतन की बौद्धिक धाराओं को पुनर्जीवित किया और उनका रुख भी बदला। उन्होंने गलत परम्पराओं को कभी आदेश के रूप में नहीं देखा। समुदाय के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने यह सिद्ध किया कि वैयक्तिकता सामाजिकता के अनुभव से प्राप्त होने वाली एक विशिष्टता है।
वे सभी विचारधाराएं जो समूह मस्तिष्क और राष्ट्रीय चरित्र की बातें करती हैं,उनकी ऋणी हैं। जहां कहीं भी परिवर्तन की संस्कृति की अवधारणा उभर कर सामने आती है, ऐसा लगता है सामने से स्वामी प्रसाद मौर्य चले आ रहे हैं।
– डॉ. राजबहादुर मौर्य, झांसी
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