बहुजन आंदोलन का सजग प्रहरी – श्री गजाधर प्रसाद मौर्य

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नहीं रहा बहुजन आंदोलन का प्रहरी: –

पिछले चार दशक से जनपद रायबरेली में बहुजन आंदोलन के सजग प्रहरी श्री गजाधर प्रसाद मौर्य अब इस दुनिया में नहीं रहे| 03/09/2019 को आकस्मिक और अचानक उनका शरीरांत हो गया। 12 जुलाई सन् 1944 को जन्मे श्री गजाधर प्रसाद मौर्य की माता श्रीमती मिठाना देवी तथा पिता श्री लालाराम मौर्य थे।

लगभग आज से 27 साल पहले जब मैं स्नातक की पढ़ाई करने फिरोज गांधी कॉलेज रायबरेली में आया तभी पहली बार मैं उनके संपर्क में आया ,इन सालों के दौर में मैंने दादा जी को जिस रूप में अपनी पहली मुलाकात में देखा था आज तक उन्हें मैंने उसी रूप में देखा और पाया है। उनके अचानक परिनिर्वाण ने मुझे और मेरे जैसे अनेकों लोगों को स्तब्ध कर दिया। आज वह हमारे बीच में नहीं है तब ऐसा लगता है कि जीवन संवेदन शून्य हो गया है।

दादा जनपद रायबरेली में अपने उच्च नैतिक मूल्यों, सादगी, ईमानदारी और सदाश्यता के लिए जाने जाते रहे हैं । लगभग 50 सालों तक समाज की निस्वार्थ सेवा कर उन्होंने वह मुकाम हासिल कर लिया जिसे पाने के लिए अपने जीवन को खपाना पड़ता है। उनका सार्वजनिक जीवन बहुत साफ सुथरा था। सामाजिक जुर्म, अन्याय, अत्याचार के खिलाफ वह हमेशा से मुखर रहे हैं।

दादा सच को सच कह कर उसकी प्रतिष्ठा के लिए लड़ते थे और वे झूठ को झूठ कह कर उसका विरोध करते थे उन्होंने कभी भी अपने जीवन मूल्यों से विपरीत पस्थितियों में भी समझौता नहीं किया। दादा ने बहुजन समाज को अंधविश्वास व कुरीतियों से निकालकर बुद्ध के मार्ग की ओर प्रेरित किया। उनका पूरा जीवन एक जलती हुई मशाल है जो आगे आने वाली पीढ़ियों को रास्ता दिखाती रहेगी। अविश्वसनीय अकल्पनीय किंतु कठोर सच के साथ मैं उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

दादा फिराक गोरखपुरी के शब्दों में कह सकते हैं-
” अब रुखसत होता हूं आपसे आओ संभालो साजे- गजल, छेड़ो नए तराने मेरे नगमों को नींद आती है।”

-डाॅ राज बहादुर मौर्य, झाँसी।

 

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Dr. RB Mourya:

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