“बदली है न बदलेगी हम बंजारों की रीत। दुश्मन कहा तो दुश्मन,मीत कहा तो मीत।।”
हिंदी फिल्म बंजारन का यह गीत तथा “हमारे पूर्वजों ने आपके पैरों के नीचे कालीन तो नहीं बिछाई, लेकिन अगर आवश्यकता पड़ी है तो अपनी लाशें ज़रूर बिछाई हैं” जैसे संवाद, बंजारा समाज की दृढ़ इच्छाशक्ति तथा समर्पण एवं वफ़ादारी के प्रतीक हैं।
भारत का बंजारा समाज देश का मूल निवासी समाज है। सभ्यताओं की उत्पत्ति का साक्षी है। अपने सम्मान और स्वाभिमान से समझौता न करने वाला बंजारा समाज ईमानदार, परिश्रमी व मेहनत कश है। प्राचीन सामाजिक व्यवस्था में यह समाज बैलों के क्रय – विक्रय का व्यापार करता था। बाबा लक्खीशाह बंजारा, बंजारा समाज के नायक माने जाते हैं। किंवदंती है कि जब मुग़ल बादशाह ने गुरू तेग बहादुर जी का शिर धड़ से अलग कर उनकी हत्या कर दी,तब बाबा लक्खीशाह बंजारा ही थे जिन्होंने सम्मानपूर्वक गुरु के शव का अंतिम संस्कार किया था। आज इस स्थान को शीशगंज गुरुद्वारा के नाम से जाना जाता है। यह देश की राजधानी दिल्ली में है। यहां बाबा लक्खीशाह बंजारा की स्मृति में एक पत्थर भी लगा है।प्रति दिन हजारों लोग इस पवित्र स्थल पर आते हैं,माथा टेकते हैं तथा बाबा का आशीर्वाद लेते हैं।
उत्तर – प्रदेश में बंजारा समाज बिखरा हुआ है तथा राजनीतिक रूप से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड रहा है।श्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने उनके इस संघर्ष में उनका भरपूर साथ दिया है। जब भी और जहां भी बंजारा नायक समाज ने उन्हें आवाज दिया, वह उनके बीच पहुंचते हैं। दिनांक 23 नवंबर 2008 को लक्खीशाह बंजारा नायक समाज सेवा संस्थान उत्तर- प्रदेश द्वारा तहसील प्रांगण, सिकंदरा, कानपुर देहात में आयोजित कार्यक्रम में मंत्री जी ने हिस्सा लिया। दिनांक 19.4.2017 को ग्राम – गुंधा का पुरवा ,मौजा- तातारपुर ,पोस्ट -गौरीकरन, भोगनीपुर, कानपुर देहात में बाबा लक्खीशाह बंजारा की प्रतिमा का अनावरण किया दिनांक- 11.1.2018 को सरनाम सिंह नायक द्वारा ककोर, जनपद औरैया में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
अपने भाषणों में श्री स्वामी प्रसाद मौर्य बंजारा नायक समाज को शिक्षा, संगठन और संघर्ष के लिए प्रेरित करते हैं।साथ ही उनकी समस्याओं के निराकरण का भरपूर प्रयास करते हैं।
-डॉ.राजबहादुर मौर्य