रजक समाज को उत्तर भारत में “धोबी” समाज के नाम से जाना जाता है। यह भारत का मूल निवासी समाज है। कपड़े धोना, कपड़ों को रंगना, कपड़ों को प्रेस करना, इससे संबंधित दुकानों का संचालन करना इस समाज का परम्परागत पेशा था। देश के विभिन्न भागों में यह समाज अलग अलग नामों से जाना जाता है। इनमें प्रमुख नाम-कनौजिया, बयिठा, मादी वाला, अगसार, पारित, साफी, चकली, राजकुला, वेलुप्दार, एकली, सेठी मरेठिया, दिवाकर, निर्मल तथा पनिक्कर हैं।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में रजक समाज की अनुमानित आबादी लगभग 9 करोड़ थी। उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति की आबादी 21.5 फीसदी है जिसमें धोबी,कोरी तथा बाल्मीकि समाज की सम्मिलित आबादी 15 प्रतिशत है। देश की आजादी के आंदोलन में भी रजक समाज का अविस्मरणीय योगदान है। दिखयी धोबी, देवरिया, रामचन्द्र, रामपुर, संतु धोबी, आजमगढ़,बैजू धोबी, जौनपुर, बलदेव धोबी, गिरधारी धोबी, विष्णु धोबी,अजुद्धी धोबी, इटावा,कल्लू धोबी, गोरखपुर,लालमोहन, लखीमपुर, छत्र पाल, आगरा,झब्बू धोबी, कन्नौज,नत्थू, फर्रूखाबाद, साहब दीन, गोण्डा, लल्लू धोबी तथा लोहारी धोबी, कन्नौज प्रमुख क्रांतिकारी स्वतंत्रता-संग्राम सेनानी थे जिन्होंने देश की आजादी की लड़ाई में अपनी कुर्बानी दी।
रजक समाज के परिश्रमी और कर्तव्यनिष्ठ लोगों का देश की अर्थव्यवस्था में भी योगदान है।इस समाज के लोग बड़ी संख्या में खाड़ी के देशों में रहते हैं, जहां कठिन परिश्रम करके वह जो आय अर्जित करते हैं उसका बड़ा हिस्सा भारत में भेजते हैं। इससे देश को विदेशी मुद्रा मिलती है।समकालीन दौर की रजक समाज की बड़ी हस्तियों में नगीना के पूर्व सांसद श्री यशवीर सिंह, पूर्व सांसद बहराइच श्री कमल किशोर, पूर्व कमिश्नर श्री श्याम किशोर, पूर्व विधायक श्रीमती आशा किशोर, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष श्री अखिलेश पल्लवी, लखीमपुर,श्री दिलीप जयंत, रायबरेली, पूर्व विधायक जगदीश पुर श्री राम सेवक कनौजिया, श्रीमती गुलाब देवी, वर्तमान विधायक,बिल्लौर, कानपुर देहात,श्री भगवती प्रसाद सागर प्रमुख हैं। इसी समाज से ताल्लुक रखने वाले श्री लाल जी प्रसाद निर्मल वर्तमान में उत्तर -प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष हैं। उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त है।
समकालीन दौर में रजक समाज ने अपने महापुरुषों के द्वारा बताए गए मार्ग का अनुकरण कर अपनी बेहतरी का प्रयास किया है।संत गाडगे बाबा रजक समाज के पथ प्रदर्शक तथा पूज्य हैं। मूलतः महाराष्ट्र के अमरावती जिले के शेणपुर गांव में 1876 ई.में जन्में संत गाडगे बाबा ने अपने जीवन काल में 31 शिक्षण संस्थानों, 18 धर्म शालाओं, 3 गौ रक्षा संस्थानों तथा 2 विकलांग आश्रम खोले। 1954 ई.मे जे .के. अस्पताल बम्बई में रोगियों के सम्बंधियों के ठहरने के लिए धर्म शाला का निर्माण कराया। बाबा साहेब डॉ .अम्बेडकर के मिलिंद विश्वविद्यालय के लिए जमीन संत गाडगे ने ही दान की थी।स्वयं आजीवन कष्टों में रहकर भी संत गाडगे बाबा ने दबे – कुचले और शोषित समाज को सम्मान और स्वाभिमान से जीना सिखाया।
रजक समाज के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी शोध छात्र अयोध्या प्रसाद निर्मल जी ने उपलब्ध कराई है। उन्हें धन्यवाद।
– डॉ.राजबहादुर मौर्य,झांसी