“एक भारत – श्रेष्ठ भारत” की संकल्पना

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– डॉ. राजबहादुर मौर्य, असिस्टेंट प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग, बुंदेलखंड कालेज, झांसी, उत्तर- प्रदेश) भारत । email : drrajbahadurmourya@gmail.com, Website- themahamaya.com.

“एक भारत – श्रेष्ठ भारत” की अवधारणा, भारत की ‘विविधता में एकता’ को बढ़ावा देने तथा भारत की सभ्यता और संस्कृति को प्रदर्शित करने की कोशिश है। इस अवधारणा में प्राचीनता के साथ आधुनिकता का पुट है। प्राचीन भारत में मौर्य राजवंश के संस्थापक सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य ने एक भारत – श्रेष्ठ भारत की अवधारणा को ठोस आयाम दिया था, जिसे कालांतर में सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल में चट्टानी मजबूती प्रदान की। इस परम्परा को गुप्त राजवंश ने भी कायम रखा था। नालन्दा, तक्षशिला, उदन्तपुरी तथा विक्रम शिला जैसे महान शिक्षा के केन्द्र निरंतर इसे वैचारिक रूप से सुदृढ़ करते रहे। भारत में विदेशी आक्रांताओं के हमले के बाद “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की मूल संकल्पना को गंभीर क्षति पहुँची । अंग्रेजों की “फूट डालो और राज करो” की नीति ने देश के सम्पूर्ण ताने बाने को नुक़सान पहुँचाया । 1947 में देश के विभाजन ने इस सोच को खंडित कर दिया । परन्तु लगभग इसी समय से राष्ट्रवादी विचारधारा के अनुयायियों ने पुनः “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की परिकल्पना को बुलंद किया । जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसे “एक निशान-एक विधान-एक प्रधान” के रूप में लोकप्रिय बनाया । भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इसे “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के रूप में लोकप्रिय बनाया ।

परिचय

भारत सरकार के प्रकाशन विभाग, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा प्रकाशित वार्षिक संदर्भ ग्रंथ, भारत 2021 के प्रथम अध्याय में विद्वान लेखक मार्क ट् वेन को उद्धृत करते हुए लिखा गया है ‘‘ भारत मानव जाति का पालना, मानव भाषा की जन्म स्थली, इतिहास की जननी, पौराणिक कथाओं की दादी और परम्परा की परदादी रहा है। मानव इतिहास में हमारी सर्वाधिक मूल्यवान और सर्वाधिक मूल्यवान और सर्वाधिक शिक्षाप्रद सामग्री का खजाना केवल भारत में निहित है।’’ (1)

वस्तुत: 32 लाख, 87 हजार, 263 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ भारत, बेजोड़ सभ्यता और संस्कृति का देश है। लगभग 130 करोड़ लोगों को अपने ऑंचल में बसाए हुए भारत विविधता में एकता का प्रतीक है। समय समय पर अनेकों प्रकार की संस्कृतियों का प्रबल प्रहार झेलने के बावजूद भी इस देश ने अपनी मूल भाषा, सभ्यता, संस्कृति, रहन सहन, परम्पराएं, रीति रिवाज को बचाए और बनाए रखा है। “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की अवधारणा इन्हीं के बीच से जन्म लेती है।(2)

एक भारत- श्रेष्ठ भारत की संकल्पना

एक भारत – श्रेष्ठ भारत की अवधारणा की संकल्पना भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा वर्ष 2015 में भारत के पहले गृह मंत्री, भारत रत्न, लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल की 140 वीं जयंती के अवसर पर की गई है। इस पहल के व्यापक निहितार्थ हैं- 1. हमारे राष्ट्र की विविधता में एकता का महिमा मंडन करना। 2. देश के लोगों के बीच परम्परा से विद्यमान भावनात्मक सम्बन्धों के ताने बाने को बनाए रखना। 3. सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के बीच साल भर तक चलने वाले सुनियोजित गहन और स्तरीय संपर्क के जरिए राष्ट्रीय एकता की भावना को बढ़ावा देना। 4. किसी भी राज्य की संवृद्ध धरोहर और संस्कृति तथा रीति रिवाज और परम्पराओं को प्रदर्शित करना ताकि लोग भारत की विविधता को समझ सकें और उनके बीच एक जैसी पहचान को बढ़ावा मिले। 5. दीर्घावधि सम्पर्कों की स्थापना करना। 6. ऐसे वातावरण का निर्माण करना जिसमें एक दूसरे के बेहतरीन तौर तरीकों और अनुभवों से सीखने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिले।(3)

उद्देश्य

इस योजना का उद्देश्य मौजूदा सांस्कृतिक सम्बन्धों के माध्यम से देश के विभिन्न हिस्सों में एकता को बढ़ावा देना है। उन भारतीयों के बीच सम्बन्धों को सुधारना है जो पूरे देश में अलग अलग भागों में रह रहे हैं। यह पहल लोगों को लोगों से जोडेगी- जो वास्तव में एकता को बढ़ाएगी। इससे शांति और सद्भावना को बढ़ावा मिलेगा। इसके तहत एक राज्य को दूसरे राज्य से संगीत, फूड फेस्टिवल, साहित्य, बुक फेस्टिवल और यात्रा आदि के द्वारा जन संपर्क बढ़ाने का प्रयास किया गया है। इसे आम जनता का आन्दोलन बनाने का प्रयास किया जा रहा है।(4) वस्तुतः सम्पूर्ण देश की सांस्कृतिक विविधता को भारतीयता के सूत्र में एक दूसरे के साथ जोड़ने वाले एक विराट सांस्कृतिक उत्सव का यह अभियान है । यह शानदार अहसास लोगों को आपसी बंधन और भाईचारे की डोर में बाँधता है । इससे लोगों के बीच समझ और प्रशंसा की भावना पैदा होती है ।

लोगों में राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना जागृत करने में इस योजना का महत्वपूर्ण योगदान है। सरकार ने इसे बहुत अनूठे ढंग से सामने रखा है। इसे एक त्योहार की तरह खुशियां फैलाते हुए बढ़ाया जाएगा। “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की इस पहल में राज्य एवं केन्द्र शासित प्रदेश, भारत सरकार का सूचना मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, रेल मंत्रालय, खेल एवं युवा मंत्रालय तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय शामिल हैं। (5) दिनांक 5 दिसम्बर, 2019 को इस योजना के तहत मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कर्नाटक राज्य को जोड़ा। (6) वर्ष 2020 में छत्तीसगढ़ राज्य को गुजरात के साथ जोडा गया है।(7) विविधता में एकता के लिए आवश्यक है कि विभिन्न प्रकार के सभ्यता और संस्कृति के लोग मिल-जुलकर रहें, एक दूसरे की आस्था और विश्वासों का सम्मान करें । जब हम सामने वाले की आस्था का सम्मान करेंगे तो वह भी हमारी आस्था का सम्मान करेगा । ऐसा करने से आपके पास प्यार और दोस्ती की भावना पैदा होगी । (7A)

स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी

“एक भारत- श्रेष्ठ भारत” का प्रतीक तथा प्रेरणा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी है। इसे इस अवधारणा का मोनोग्राम भी कहा जा सकता है। इस स्टैच्यू पर “एक भारत- श्रेष्ठ भारत” अंकित है। यह गुजरात राज्य में स्थित भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री तथा प्रथम गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल को समर्पित एक विशाल और बेनजीर तथा भव्य स्मारक है। देश की आज़ादी और इसे गणतंत्र बनाने में सरदार वल्लभ भाई पटेल की अहम भूमिका रही है । उन्होंने देश की एकता और अखंडता के लिए काम किया । स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की आधारशिला दिनांक 31 अक्टूबर, 2013 को गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और आज के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा सरदार बल्लभ भाई पटेल के जन्मदिन के अवसर पर रखी गई थी। दिनांक 31 अक्टूबर, 2018 को देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा इस प्रतिमा को राष्ट्र को समर्पित किया गया। (8) यह स्टैच्यू विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा है । इसकी ऊँचाई 182 मीटर है । गुजरात के भरूच ज़िले में नर्मदा नदी के किनारे सरदार सरोवर बांध से 3.2 किलोमीटर दूर साधू बेट नामक स्थान पर यह स्थित है । देश के 6 लाख ग्रामीण ने इस मूर्ति के निर्माण के लिए लोहा दान किया था । इस अभियान में एक सुराज प्रार्थना पत्र बना था जिस पर दो करोड़ लोगों ने हस्ताक्षर किया था । सरदार बल्लभ भाई पटेल एकता ट्रस्ट ने इसके निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । स्टैच्यू 1700 टन वज़नी है ।(9)

भारतीय संस्कृति और उसकी निरंतरता

भारतीय संस्कृति, “एक भारत-श्रेष्ठ भारत” की परिकल्पना को साकार करती है। यह भारतीय संस्कृति की जीवटता है कि अनगिनत अवरोधों और झंझावातों के बावजूद आज तक उसकी निरंतरता कायम है। प्रोफेसर मैकडोनाल्ड ने अपने ‘ संस्कृत साहित्य के इतिहास’ में लिखा है कि ‘‘ हिंदुस्तानी साहित्य का महत्व, समग्र रूप से, उसकी मौलिकता में है। चीन को छोड़कर कोई ऐसा मुल्क नहीं, जो अपनी भाषा और साहित्य, अपने धार्मिक विश्वास और कर्म- कांड और अपने सामाजिक रीति- रिवाजों का तीन हजार वर्षों से ज्यादा का अटूट विकास का सिलसिला पेश कर सके।’’ करीब-करीब यही बात मशहूर विद्वान मैक्समूलर ने कहा है। उन्होंने लिखा है ‘‘ दरअसल हिंदू विचार के सबसे हाल के और सबसे पुराने रूपों में एक अटूट क्रम मिलता है और यह तीन हजार साल से ज्यादा तक बना रहा है।’’(10)

सन् 1882 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में दिए गए एक व्याख्यान में मैक्समूलर ने कहा था कि ‘‘अगर हम सारी दुनिया की खोज करें, ऐसे मुल्क का पता लगाने के लिए कि जिसे प्रकृति ने सबसे सम्पन्न, शक्तिवाला और सुन्दर बनाया है- जो कुछ हिस्सों में धरती पर स्वर्ग की तरह है- तो मैं हिंदुस्तान की तरफ इशारा करूंगा।अगर मुझसे कोई पूछे कि किस आकाश के तले इंसान के दिमाग ने अपने कुछ सबसे चुने हुए गुणों का विकास किया है, जिन्दगी के सबसे अहम मसलों पर सबसे ज्यादा गहराई के साथ सोच विचार किया है और उनमें से कुछ के ऐसे हल हासिल किए हैं, जिन पर उन्हें भी ध्यान देना चाहिए, जिन्होंने कि अफलातून और कांट को पढ़ा है- तो मैं हिंदुस्तान की तरफ इशारा करूंगा। अगर मैं अपने से पूछूं कि कौन सा ऐसा साहित्य है, जिससे हम यूरोप वाले, जो बहुत कुछ महज़ यूनानियों और रोमनों और एक सेमेटिक जाति के, यानी यहूदियों के, विचारों के साथ साथ पले हैं, वह इसलाह कर सकते हैं, जिसकी हमें अपनी जिंदगी को ज्यादा मुकम्मिल, ज्यादा विस्तृत और ज्यादा व्यापक बनाने के लिए जरूरत है, न महज़ इस जिंदगी के लिहाज से, बल्कि एक कदम बदली हुई और सदा कायम रहने वाली जिंदगी के लिहाज से- तो मैं हिंदुस्तान की तरफ इशारा करूंगा।’’ (11) करीब- करीब आधी सदी बाद, रोम्यां रोलां ने उसी लहजे में लिखा है – ‘‘अगर दुनिया की सतह पर कोई एक मुल्क है, जहां कि जिंदा लोगों के सभी सपनों को उस कदीम वक्त से जगह मिली है, जबसे इंसान ने अस्तित्व का सपना शुरू किया, तो वह हिंदुस्तान है।’’(12)

अतुल्य भारत

भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अपनी संवर्धन गतिविधियों के अंतर्गत अतुल्य भारत के नारे के साथ प्रचार अभियान चलाता है।इसका उद्देश्य देश के विभिन्न पर्यटन स्थलों और उत्पादों को बढ़ावा देना है ताकि देश में अधिक संख्या में विदेशी पर्यटकों का आगमन हो और घरेलू पर्यटकों की संख्या भी बढ़े। भारत को अध्यात्म, धरोहर, साहसिक, सांस्कृतिक, योग और आरोग्य तथा इसी तरह के विभिन्न अनुभव देने वाले समग्र पर्यटन गन्तव्य के रूप में प्रस्तुत करने के लिए इनक्रेडिबल इंडिया मोबाइल एप जारी किया गया है। इस एप में भारत यात्रा के प्रत्येक चरण में पर्यटकों की मदद के लिए व्यवस्था की गई है।(13)

वर्ष 1950 में स्थापित भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद के माध्यम से रामायण उत्सव, सूफ़ी उत्सव, अंतरराष्ट्रीय लोक उत्सव, अंतरराष्ट्रीय जॉज उत्सव का आयोजन किया जा रहा है । वर्ष 2019 में परिषद के द्वारा भारत को शिक्षा के वैश्विक केंद्र के रूप में बढ़ावा देने के लिए गन्तव्य भारत (डेस्टिनेशन इंडिया) पर सम्मेलन आयोजित किया गया । इसके अतिरिक्त भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, राष्ट्रीय स्मारक एवं पुरावशेष मिशन, राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन, राष्ट्रीय संग्रहालय तथा रामकृष्ण मिशन संस्कृति संस्थान निरंतर “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की अवधारणा को मज़बूती प्रदान करने में संलग्न हैं ।(14)

ई- बीजा सुविधा और टूरिस्ट इंफो लाइन

इन सबके सम्मिलित प्रयास का प्रभाव यह हुआ है कि वर्ष 2019 के दौरान लगभग 10.89 करोड़ विदेशी पर्यटक भारत में आये । इससे देश को 2 लाख, 10 हज़ार, 981 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई । पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए दिसम्बर, 2019 से भारत सरकार ने 169 देशों के लिए ई- मेल वीज़ा सुविधा प्रदान की है । यह सुविधा पॉंच श्रेणियों में उपलब्ध है- ई- टूरिस्ट, ई- मेल बिज़नेस, ई- मेडिकल, ई- मेल मेडिकल अटेंडेंट और ई- मेल कांफ्रेंस वीज़ा । इसके साथ ही पर्यटन को और अधिक बढ़ावा देने के लिए देश में 24 घंटे और सातों दिन बहुभाषी टूरिस्ट इंफो लाइन प्रारंभ की गई है । यह सेवा हिन्दी और अंग्रेज़ी के अलावा अरबी, फ़ारसी, जर्मन, इतालवी, जापानी, कोरियन, चीनी, पुर्तगाली, रूसी और स्पेनिश जैसी अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं में उपलब्ध है ।(15)

स्वदेश दर्शन योजना

स्वदेश दर्शन योजना थीम के तहत देश में 13 पर्यटन सर्किटों की पहचान की गई है ताकि उनका विकास कर अधिकतम सुविधायुक्त बनाया जा सके। इसमें उत्तर- पूर्वी भारत सर्किट, बौद्ध सर्किट, हिमालय सर्किट, समुद्र तटीय सर्किट, कृष्ण सर्किट, मरूस्थलीय सर्किट, जनजातीय सर्किट, इको सर्किट, वन्य जीव सर्किट, ग्रामीण सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, रामायण सर्किट और धरोहर सर्किट शामिल हैं। इसमें सभी सम्बद्ध पक्षों के सरोकारों को ध्यान में रखते हुए उनके प्रयासों को समन्वित करने पर जोर दिया गया है।(16)

प्रसाद योजना

एक भारत, श्रेष्ठ भारत की अवधारणा को मजबूती प्रदान करने के लिए प्रसाद योजना में तीर्थ यात्रा को पुनर्जीवित करने के लिए देशभर में 25 धार्मिक स्थलों की पहचान की गई है। इसमें आन्ध्र प्रदेश में अमरावती, तिरूपति और सैलम, पंजाब में अमृतसर, राजस्थान में अजमेर, उत्तर प्रदेश में अयोध्या, उत्तराखंड में बद्रीनाथ, और केदारनाथ, गुजरात में द्वारका और सोमनाथ, झारखंड में देवघर, पश्चिम बंगाल में बेलूर, बिहार में गया और पटना, उड़ीसा में पुरी, जम्मू और कश्मीर में हज़रत बल, असम में कामाख्या देवी तथा तमिलनाडु में कांचीपुरम और वेल्लांकणी, केरल में गुरुवायूर, जम्मू और कश्मीर में कटरा, उत्तर प्रदेश में मथुरा और वाराणसी, महाराष्ट्र में त्रयम्बकेश्वर, मध्य प्रदेश में उज्जैन सम्मिलित हैं।(17)

जम्मू और कश्मीर का पुनर्गठन

जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 को कानून का रूप देकर, पूर्व जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों- एक, जिसे पहले की भांति जम्मू और कश्मीर ही कहा जाता है तथा दूसरा लद्दाख के रूप में पुनर्गठित किया गया। दिनांक 5 अगस्त 2019 को अधिनियम हेतु एक विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया, जो उसी दिन पारित हुआ। लोकसभा ने इसे 6 अगस्त, 2019 को पारित किया। दिनांक 9 अगस्त, 2019 को राष्ट्रपति ने इसे स्वीकृति प्रदान की। दिनांक 31 अगस्त 2019 से यह अधिनियम पूरी तरह प्रभावी हुआ। विधेयक को पेश करने से पहले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत राष्ट्रपति के आदेशों से जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को वापस ले लिया गया। परिणामस्वरूप भारतीय संविधान के सारे प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू हो गए। वहां की विधानसभा और विधान परिषद को समाप्त कर दिया गया।(18)

नागरिकता संशोधन विधेयक

नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 द्वारा नागरिकता अधिनियम में संशोधन किया गया, जिसे भारतीय संसद ने दिनांक 11 दिसम्बर, 2019 को पारित किया। दिनांक 12 दिसम्बर, 2019 को राष्ट्रपति ने इसे स्वीकृति प्रदान की। यह अधिनियम अफगानिस्तान, बांग्लादेश, और पाकिस्तान के छः धार्मिक समुदायों- हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई अवैध विदेशी प्रवासियों को भारतीय नागरिकता के योग्य बनाता है। यह उन लोगों पर लागू होता है जो अपने अपने देशों में धर्म के आधार पर प्रताड़ना के कारण या ऐसी प्रताड़ना के भय से भारत में शरण लिए हुए हैं और दिनांक 31 दिसम्बर, 2014 से पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं। नागरिकता प्राप्ति पर ऐसे प्रवासी भारत में अपने प्रवेश की तिथि से भारतीय नागरिक माने जाएंगे।(19)

राष्ट्रीय शिक्षा नीति

देश में लगभग 34 वर्षों के बाद लाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020, 21 वीं शताब्दी की पहली शिक्षा नीति है। यह 1986 की नई शिक्षा नीति का स्थान लेगी। यह नीति सतत विकास हेतु 2030 के एजेंडे से जुड़ी है। पहुँच, समानता, गुणवत्ता, वहनीयता और उत्तरदायित्व इस नई शिक्षा नीति के आधार स्तम्भ हैं। इसका लक्ष्य है स्कूल और कॉलेज दोनों की शिक्षा को अधिक समग्र और लचीला बनाकर भारत को एक जीवंत ज्ञान समाज और वैश्विक ज्ञान महाशक्ति के रुप में परिणत करना। यह नीति प्रत्येक विद्यार्थी के अंदर की अनूठी क्षमताओं को बाहर लाने, नैतिक मूल्यों को बढ़ाने, तार्किक चिंतन को प्रोत्साहित करने, अनुसंधान की संस्कृति को बढ़ावा देने तथा भारत के प्रति सुदृढ़ता और गौरव को बढ़ाने पर भी जोर देती है। बेशक यह “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” का सशक्त माध्यम बनेगी।(20)

निष्कर्ष

भारत सरकार, निरंतर “एक भारत, श्रेष्ठ भारत, सबका साथ, सबका विकास, नया भारत, आत्मनिर्भर भारत, जो देश का है, वह सबका है” जैसे विजन और मिशन पर काम कर रही है। यह शिक्षा मंत्रालय की एक पहल है । इसके तहत पॉंच पुरस्कार विजेता पुस्तकों और कविता, लोकप्रिय लोकगीतों का एक भाषा से भागीदार राज्य की भाषा में अनुवाद किया गया है । साझेदार राज्य से आनेवाले आगन्तुकों के लिए होम स्टे की व्यवस्था की गयी है । इसके साथ ही अन्य राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की पारम्परिक पोशाक को भी सम्मिलित किया जाता है । इसका उद्देश्य राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के बीच सांस्कृतिक एकीकरण और आपसी समझ को बढ़ावा देना है । वस्तुत: इस परिवर्तन और गतिशीलता के पीछे शाश्वत सत्य को खोजने की चाह है। यह राष्ट्र के लिए पूर्ण और आत्मनिर्भर जीवन की प्राप्ति है। प्रज्ञा युक्त विवेक और सामर्थ्य वान दृष्टि ही इसे खोज सकती है। यह विजन अखंड संवृद्ध और खुशहाल भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगा। यदि समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दों को भी हल कर लिया जाए तो यह “एक भारत- श्रेष्ठ भारत” की अवधारणा के लिए अति उत्तम होगा ।

सन्दर्भ स्रोत

1- भारत-2021, वार्षिक सन्दर्भ ग्रन्थ, प्रकाशन विभाग, भारत सरकार, पेज नंबर- 01

2- उपरोक्त, पेज नंबर-01

3- उपरोक्त, पेज नंबर-06

4- hindi ke duniya.com

5- Deepawali.co.in

6- www.livehindustan.com

7- www.bhaskar.com

7A- डॉ. सौरभ ऑर्गनाइज़ेशन, 11 अक्टूबर, 2023, Dr.Syama Prasad Mookerjee Research foundation

8- wikipidiya.org

9- www.tv9 hindi.com

10- नेहरू, जवाहरलाल, हिंदुस्तान की कहानी, सस्ता साहित्य मण्डल, पेज नंबर- 101

11- उपरोक्त, पेज नंबर-102

12- उपरोक्त, पेज नंबर- 102

13- भारत-2021, वार्षिक सन्दर्भ ग्रन्थ, प्रकाशन विभाग, भारत सरकार, पेज नंबर- 82

14- भारत-2021, वार्षिक सन्दर्भ ग्रन्थ, प्रकाशन विभाग, भारत सरकार, पेज नंबर- 66,67,68

15- उपरोक्त, पेज नंबर, 79,80

16- उपरोक्त, पेज नंबर, 82

17- उपरोक्त, पेज नंबर, 83

18- जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019

19- भारत-2021, वार्षिक सन्दर्भ ग्रन्थ, प्रकाशन विभाग, भारत सरकार, पेज नंबर- 15

20- उपरोक्त, पेज नंबर 161

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Dr. Raj Bahadur Mourya:
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