श्री लंका बौद्ध जगत के प्रकाश स्तम्भ अनागारिक धम्मपाल की जन्मस्थली है जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी बुद्ध के संदेशों के प्रचार प्रसार में लगा दिया। जीवन के ४० वर्ष उन्होंने भारत, श्री लंका एवं अन्य देशों में बौद्ध धर्म का प्रचार किया। १८ सितंबर १८९३ को शिकागो में सम्पन्न विश्व धर्म संसद में उन्होंने प्रभावी रूप से दुनिया के सामने बौद्ध दर्शन पर व्याख्यान दिया।
यह अनागारिक धम्मपाल ही थे जिन्होंने अपने भाषण से ३ मिनट का समय काटकर स्वामी विवेकानंद को बोलने का मौका दिया था। सारनाथ का प्रसिद्ध महाविहार उन्हीं का बनवाया हुआ है। श्री लंका में ३०० से अधिक स्कूलों की स्थापना अनागारिक धम्मपाल के द्वारा की गई।
१८९१ में अनागारिक धम्मपाल ने बोधगया की यात्रा किया। इसी वर्ष उन्होंने महाबोधि सोसायटी की स्थापना किया। पहले इसका मुख्यालय कोलम्बो था। बाद में इसे कोलकाता स्थानांतरित किया गया।इसी वर्ष अक्टूबर में बोधगया में उनके द्वारा अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन आयोजित किया गया।अनागारिक का शाब्दिक अर्थ होता है- बिना घर का। १७ सितंबर १८६४ में श्री लंका में जन्मे अनागारिक धम्मपाल का ६९ वर्ष की आयु में २९ अप्रैल १९३३ को परिनिर्वाण हो गया। उनकी अस्थियां पत्थर के एक छोटे से स्तूप में सारनाथ में मूलगंध कुटी विहार के पार्श्व में रख दी गई हैं।
श्री लंका में एक बड़ी आबादी तमिलों की है। परन्तु यहां पर दो प्रकार के तमिल हैं – एक श्री लंकाई तमिल तथा दूसरे भारतीय तमिल। श्री लंकाई तमिल प्राचीन जाफना राजवंश और पूर्वी तटीय कबीलों के वंशज हैं। भारतीय तमिल उन बंधुआ मजदूरों के वंशज हैं जिन्हें १९ सदी में चाय बागानों में मजदूरी करने के लिए भारत से ले जाया गया है। यहां पर मुस्लिम तमिल भी हैं। तमिल भाषा का साहित्य अत्यंत प्राचीन है। २ हजार वर्ष पूर्व तक के काव्य तमिल भाषा में उपलब्ध हैं। तमिल भाषा का मुख्य ग्रन्थ – तिरुवल्लुवर रचित ‘कुराल, काव्य है।
चारों ओर से हिन्द महासागर से घिरे हुए श्री लंका की समुद्री सीमा १३४० किलोमीटर है। एलीफेंटा दर्रा यहां का प्रमुख मार्ग है। केलानी नदी कोलम्बो की जीवन रेखा है। यह नुवाराइलिया पर्वत से निकलती है। इसी पर्वत पर १४ वर्ष में एक बार खिलने वाला पुष्प ‘नेल्लू पुष्प, मिलता है। भारत का १०० रूपया श्री लंका के लगभग २३० रुपिया के बराबर होता है।
श्री लंका जाने वाले यात्रियों के लिए भारत से वीजा आन एराइवल की सुविधा उपलब्ध है। अभी हाल में ही भारत द्वारा श्री लंका के लिए ई टूरिस्ट बीजा की सुविधा भी प्रदान की गई है। भारत के शहर चेन्नई से कोलम्बो पहुंचने में हवाई जहाज के द्वारा लगभग १ घंटे २० मिनट का समय लगता है।
दिनांक १३ अप्रैल २०१५ को भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी श्री लंका में महाबोधि सोसायटी आफ इंडिया के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। मई २०१७ में पुनः बेसाक महोत्सव में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी श्री लंका के शहर कैंडी गये। दिनांक २८ नवम्बर २०१९ को श्री लंका के राष्ट्रपति गोटवाया राजपक्षे ने तीन दिवसीय भारत दौरा किया।
राष्ट्र पति बनने के बाद उनकी यह पहली विदेश यात्रा थी। इस अवसर पर भारत सरकार के द्वारा श्री लंका को ४५ करोड़ डॉलर की मदद की गई। भारत श्रीलंका में दूसरा सबसे बड़ा निवेशक है। भारत और श्रीलंका के बीच मुक्त व्यापार समझौता वर्ष २००० से अस्तित्व में आ गया है।
श्री लंका को बौद्ध धर्म का आधुनिक पुनरुत्थान द्वीप भी कहा जाता है। यहां पर जगह जगह बुद्ध विहार स्थापित हैं। सार्वजनिक स्थानों पर बुद्ध प्रतिमाओं के साथ पंचशील के लहराते हुए झण्डे अनुपम छटा बिखेरते हैं। यहां के लोग साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखते हैं। बुद्ध देव की मूर्तियों को स्पर्श नहीं किया जाता। पूरा देश हरा भरा है। अनुराधा पुरा से ११ किलोमीटर दूर एक पहाड़ी स्थल है जहां पर संघमित्रा और महेन्द्र की पहली मुलाकात, २४७ ईसा पूर्व श्री लंका के तत्कालीन राजा से हुई थी। जून माह की पूर्णिमा के दिन महेंद्र ने अनुराधा पुरा की धरती पर कदम रखा था।
जनपद झांसी के निवासी, पूर्व उप सचिव शिक्षा निदेशालय, उत्तर प्रदेश, श्री एम.डी. वर्मा, जिन्होंने जून २०१६ में १० दिवसीय श्री लंका की यात्रा किया, वह बताते हैं कि ‘श्री लंका भ्रमण के लिए एक सुंदर और आकर्षक स्थान है। यहां पर एक बार जाने के बाद बार- बार जाने का मन करता है।
श्री लंका का रहन -सहन, प्राकृतिक सुंदरता, समुद्र के दृश्य यात्रा को यादगार बनाती हैं। यहां पर महसूस ही नहीं होता कि आप विदेश में हैं। सड़कों से लेकर लोगों की जिंदगी में अनुशासन का पालन किया जाता है। श्री लंका बुद्धिस्ट देश है। लोग ईमानदार हैं। यहां की सफाई व्यवस्था उच्च कोटि की है। यहां पर राष्ट्रपति को शपथ लेने से पहले बौद्ध दीक्षा लेनी पड़ती है।
– डॉ. राज बहादुर मौर्य, फोटो गैलरी-संकेत सौरभ, अध्ययनरत एम.बी.बी.एस., झांसी, उत्तर प्रदेश
View Comments (5)
सुंदर अदभुत बहुत ही सारगर्भित लेख हैं
अद्भुत
धन्यवाद आपको डॉ साहब
इस सुंदर और सारगर्भित लेख के लिये आपका आभार।
निरन्तर उत्साह बढ़ाने के लिए आपका बहुत बहुत आभार