जम्मू- कश्मीर : परिवर्तन और विकास की नई इबारत

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डॉ. राजबहादुर मौर्य, असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, राजनीति विज्ञान, बुंदेलखंड कालेज, झाँसी (उत्तर-प्रदेश) भारत । email : drrajbahadurmourya @ gmail.com, website : themahamaya.com

 

भूमिका

वर्तमान में जम्मू- कश्मीर भारतीय संघ का एक केंद्र शासित प्रदेश है। इसका क्षेत्रफल लगभग 42 हजार 241 वर्ग किलोमीटर तथा जनसंख्या लगभग 1.25 करोड़ है। 2019 में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के बाद, जम्मू कश्मीर और लद्दाख को पूरी तरह से भारतीय संघ का हिस्सा बनाया गया है। सर्वप्रथम जम्मू-कश्मीर में अभियांत्रिकी और औद्योगिक प्रशिक्षण क्षेत्र में विदेशी निवेश की प्रबल सम्भावनाएँ हैं। जम्मू–कश्मीर की औद्योगिक नीति 2021-30 इस केंद्र शासित प्रदेश में निवेश तथा औद्योगिक वृद्धि की अग्रणी नीति है। चूँकि जम्मू-कश्मीर का प्रभाव पहले की अपेक्षा बढ़ा है, अतः निवेशकों के पास यातायात सुविधाओं में निवेश के अवसरों का भी विकास हुआ है। यातायात तथा परिवहन सुविधाओं में वृद्धि यहाँ के पर्यटन व्यवसाय के लिए भी लाभदायक है। जम्मू-कश्मीर की प्राकृतिक सुंदरता हमेशा से पर्यटकों को लुभाती रही है। अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद जम्मू-कश्मीर के पर्यटन की सम्भावनाओं में वृद्धि हुई है। सरकार द्वारा बजट में यहाँ 75 नए पर्यटन केंद्रों के लिए मदद और संसाधन दिए गए हैं ताकि क्षेत्र की पर्यटन अर्थव्यवस्था का विस्तार हो। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर के विपणन और वित्तीय सेक्टर में भी विदेशी निवेश की संभावनाएं बढ़ी हैं। भारत सरकार ने जम्मू -कश्मीर को एक सर्वोच्च और अग्रणी वित्तीय हब बनाने की योजना बनाई है, जिसमें विदेशी निवेश एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस प्रकार जम्मू-कश्मीर में अनु. 370 और 35A, की समाप्ति के पश्चात् जम्मू- कश्मीर में आ रहे बदलावों का अध्ययन और अनुशीलन ही प्रस्तुत लेखन का विवेच्य विषय है।

प्रस्तुत आलेख जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35A की समाप्ति के बाद वहाँ विविध क्षेत्रों में आए हुए बदलावों पर केन्द्रित है । सन्दर्भित प्रकरणों में जम्मू कश्मीर का परिचय, इतिहास तथा भूगोल, संविधान में विशेष दर्जा (पूर्व में) तथा अनुच्छेद 370 की समाप्ति को सम्मिलित किया गया है । अनुच्छेद 370 और 35A की समाप्ति के बाद जम्मू कश्मीर में उल्लेखनीय बदलाव आया है । वहाँ चारों तरफ़ बदलाव की आहट है । यह एक भारत, श्रेष्ठ भारत की मौलिक अभिव्यक्ति है । राष्ट्र की एकता और अखंडता को मज़बूती मिली है । प्रस्तुत आलेख विश्लेषणात्मक अध्ययन है जिसमें आगमनात्मक पद्धति का उपयोग करके विषय वस्तु का संग्रह किया गया तथा उसे तर्कसंगत बनाया गया है । मौलिक पुस्तकों के साथ दैनिक समाचार पत्रों का सहारा लिया गया है ।

आलेख का महत्व

प्रस्तुत लेखन समकालीन संदर्भों में अति महत्वपूर्ण तथा समाजोपयोगी है । जम्मू- कश्मीर का उलझा हुआ प्रश्न आज़ादी के बाद से सर्वाधिक चर्चा का विषय रहा है । समय- समय पर यह मुद्दा भारतीय एकता और अखंडता को भी प्रश्नांकित करता रहा । सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण देश की सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी जम्मू कश्मीर हमेशा अहम रहा है । वर्ष 2019 में अनुच्छेद 370 और 35A की समाप्ति के साथ ही यह प्रश्न उठता रहा है कि इससे जम्मू कश्मीर की अवाम को क्या फ़ायदा होगा । वहाँ के लोगों के जीवन में क्या बेहतरी होगी । आज लगभग चार वर्षों के बाद यह समीचीन है कि इस बात का परीक्षण किया जाए और जम्मू कश्मीर में क्या तब्दीली आ रही है ।

आलेख का विवेच्य विषय विशेषतः प्रदेश में अमन चैन के बनते वातावरण, समग्र विकास की आगे बढती प्रक्रिया, रियासत के एकाधिकारी क़ानूनों की समाप्ति, आतंकवाद में आ रही कमी, बढ़ती हुई पर्यटकों की संख्या, आतंकी फ़ंडिंग पर प्रभावी रोक, पंचायती चुनावों के माध्यम से सत्ता का विकेंद्रीकरण, सामाजिक समरसता का बढता दायरा, सांस्कृतिक परम्पराओं की वापसी, विदेशी निवेश की संभावनाओं का अध्ययन है। साथ हीउन क्षेत्रों का भी अध्ययन किया गया है जिनमें अनु. 370 की समाप्ति के पश्चात् निवेशक आकर्षित हो रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर : एक परिचय-

भारतीय संविधान के अनु.1 के अनुसार इंडिया अर्थात भारत राज्यों का संघ है। वर्तमान में भारत में 28 राज्य तथा 8 केंद्र-शासित प्रदेश हैं। गृह मंत्रालय के आदेश एसओ संख्या 3979 (ई) दिनांक 2 नवंबर, 2019 द्वारा जम्मू और कश्मीर का पुनर्गठन अधिनियम, 2019 लागू किया गया (भारत-2022)। इस आदेश के पश्चात् जम्मू-कश्मीर भारत का एक केंद्रशासित प्रदेश है। इसका क्षेत्रफल लगभग 42 हजार 241 वर्ग किलोमीटर तथा जनसंख्या लगभग 1.25 करोड़ है। जम्मू-कश्मीर हिमालयी प्रदेश है जिसके अंतर्गत दो क्षेत्र- कश्मीर घाटी तथा जम्मू आते हैं।

जम्मू-कश्मीर: इतिहास और भूगोल-

राजतरंगिणी और नीलमत पुराण नामक ग्रंथों में यह आख्यान मिलता है कि कश्मीर की घाटी कभी बहुत बड़ी झील हुआ करती थी। इस कथा के अनुसार कश्यप ऋषि ने यहाँ से पानी निकाल लिया और इसे मनोरम प्राकृतिक स्थल में बदल दिया। किन्तु भू-गर्भशास्त्रियों का कहना है कि भू-गर्भीय परिवर्तनों के कारण खदियानयार तथा बारामुला में पहाड़ियों के धसने से झील का पानी बहकर निकल गया और इस तरह ‘पृथ्वी पर स्वर्ग’ कहलाने वाली कश्मीर घाटी अस्तित्व में आई। ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में सम्राट अशोक ने कश्मीर में बौद्ध धर्म का प्रसार किया। बाद में कनिष्क ने इसकी जड़ें और गहरी कीं। छठी शताब्दी के आरम्भ में कश्मीर पर हूणों का अधिकार हो गया। यद्यपि 530 ईस्वीं में घाटी फिर स्वतंत्र हो गई, लेकिन इसके तुरंत बाद इस पर उज्जैन साम्राज्य का नियंत्रण हो गया। विक्रमादित्य राजवंश के पतन के पश्चात् कश्मीर पर स्थानीय शासक राज करने लगे। वहाँ हिन्दू और बौद्ध संस्कृतियों का मिश्रित रूप विकसित हुआ। कश्मीर में इस्लाम का आगमन 13वीं और 14वीं शताब्दी में हुआ। सन 1586 में अकबर ने कश्मीर को जीत लिया। सन 1752 में कश्मीर मुग़ल शासकों के हाथ से निकलकर अफगानिस्तान के अहमद शाह अब्दाली के हाथों में चला गया। 67 वर्षों तक पठानों ने कश्मीर घाटी में शासन किया।

जम्मू का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। अखनूर से प्राप्त हड़प्पा कालीन अवशेषों तथा मौर्य, कुषाण और गुप्त काल की कलाकृतियों से जम्मू के प्राचीन स्वरुप पर नया प्रकाश पड़ा है। जम्मू 22 पहाड़ी रियासतों में बंटा हुआ था। डोगरा शासक राजा मालदेव ने कई क्षेत्रों को जीतकर अपने विशाल राज्य की स्थापना की। 1773 से 1782 तक राजा रणजीत देव ने जम्मू पर शासन किया। किन्तु उनके उत्तराधिकारी दुर्बल थे, इसलिए महाराजा रणजीत सिंह ने जम्मू को पंजाब में मिला लिया। बाद में उन्होंने डोगरा शाही खानदान के वंशज गुलाब सिंह को जम्मू सौंप दिया। रणजीत सिंह के गवर्नरों में गुलाब सिंह सबसे शक्तिशाली बन गए और लगभग समूचे जम्मू क्षेत्र को उन्होंने अपने राज्य में मिला लिया। 1947 तक जम्मू-कश्मीर पर डोगरा शासकों का शासन रहा। इसके बाद महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर, 1947 को भारतीय संघ में विलय के समझौते पर हस्ताक्षर किये।

संविधान और जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा-

अक्टूबर 1947 में विलय के जिन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर हुए उनके तहत जम्मू और कश्मीर रियासत को भारतीय संघ में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के अंतर्गत एक तात्कालिक विशेष दर्जा प्रदान किया गया। रियासत ने भारतीय संघ में विलय सिर्फ प्रतिरक्षा, विदेश और संचार के मामले में ही किया था तथा अन्य सभी मामलों में अपनी स्वायत्तता बनाए रखी थी। इस राज्य को अपनी अलग संविधान सभा और संविधान बनाने, सद्र-ए-रियासत नाम से अपना अलग राज्य प्रमुख निर्वाचित करने और अपना अलग झंडा बनाए रखने की इजाजत दे दी गई। 1956 में जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा ने इस राज्य के भारत में विलय को मंजूरी दे दी। इस विशेष दर्जे को क्रमशः कम किया गया। संघ की कई संस्थाओं, जैसे- सर्वोच्च न्यायलय, चुनाव आयोग और महालेखाकार एवं भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों से सम्बंधित अनुच्छेदों को इस राज्य पर भी लागू कर दिया गया। इस राज्य के लिए भी कानून बनाने का संसद को अधिकार तथा राज्य सरकार के ऊपर राष्ट्रपति का नियंत्रण एवं राष्ट्रपति शासन लगाने के अधिकार को भी बढ़ा दिया गया। राज्य की प्रशासनिक सेवाओं को केंद्रीय एवं अखिल भारतीय सेवाओं के साथ एकीकृत कर दिया गया। सद्र-ए-रियासत का नाम बदलकर गवर्नर तथा राज्य के प्रधानमंत्री को मुख्यमंत्री कर दिया गया।

अनु. 370 की समाप्ति-

2014 में केंद्र में भाजपा सरकार आने के पश्चात् कश्मीर कि राजनीति में बड़ा बदलाव आया। 2016 में भाजपा के समर्थन से महबूबा मुफ़्ती मुख्यमंत्री बनीं। लेकिन 20 जून, 2018 को भाजपा के समर्थन वापस लेने के पश्चात् राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग कर दी गई। अंततः 6 माह पश्चात् दिसंबर 2018 में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। ऐसे में केंद्र ने राज्यपाल को विधानसभा का प्रतिनिधि मानते हुए उनकी सहमति से अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला कर लिया। 5 अगस्त, 2019 को जब गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में अनुच्छेद 370 को हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बाँटने की घोषणा की तो उसके पहले कश्मीर घाटी में न केवल बड़ी संख्या में सेना और सुरक्षा बलों को तैनात कर कर्फ्यू जैसी स्थिति बना दी गई थी और अलगाववादी नेताओं सहित मुख्यधारा के नेताओं, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों आदि को नज़रबंद कर दिया गया था बल्कि इंटरनेट, फोन और डिश चैनलों सहित अख़बारों पर भी रोक लगा दी गई थी। हालात सामान्य होने पर धीरे-धीरे पाबंदियों को हटाया गया तथा जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख वर्तमान में दो केंद्रशासित प्रदेशों के रूप में स्थापित हैं।

जम्मू-कश्मीर में बदलाव की आहट

अनुच्छेद 370 और35A के निरस्तीकरण से जम्मू और कश्मीर का भारत में सम्पूर्ण एकीकरण हुआ । दो केन्द्र शासित प्रदेशों के गठन के ज़रिए जम्मू कश्मीर को अन् राज्यों के बराबर लाया गया ।भारतीय संविधान तथा क़ानून के सभी प्राविधान लागू हुए । जम्मू कश्मीर का अलग झंडा ख़त्म किया गया । दो तरह की नागरिकता ख़त्म की गयी। कश्मीरी, डोगरी, उर्दू, हिन्दी और अंग्रेज़ी भाषाएँ जम्मू कश्मीर की राजभाषाएँ बनीं । संविधान के अनुच्छेद 370 व 35 A को निरस्त करने के साथ ही यू.ए.पी.ए. एक्ट व एन.आई.ए. में संशोधन किया गया । व्यक्ति को भी दहशतगर्द घोषित करने, आतंकियों के महिमामण्न पर प्रतिबंध लगाने तथा भारत से पाकिस्तान में पढ़ने जाने व पाकिस्तान की शैक्षिक योग्यता से यहाँ पर नौकरी करने पर रोक लगाई गई । इससे सरकार की आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस नीति का संदेश साफ हुआ ।इसमें भारत के बाहर होने वाले आतंकी अपराधों की जॉंच के लिए एन आई ए का अधिकार क्षेत्र बढ़ाया गया । संस्थाओं के साथ व्यक्तियों को भी आतंकी घोषित करने का अधिकार दिया गया । पहले आंतकियों की अंत्येष्टि का अधिकार था । अब अंत्येष्टि तय प्रोटोकॉल के तहत ही हो सकती है । प्रोटोकॉल का सख़्ती से पालन अनिवार्य है ।

आतंकवादी घटनाओं में कमी

वर्ष 2006 से 2013 के बीच जम्मू कश्मीर में कुल 4766 आतंकवादी घटनाएँ हुईं जबकि 2014 से 2021 के बीच केवल 1941 घटनाएँ हुईं । इसी प्रकार वर्ष 2006-2013 के बीच 3212 घटनाएँ घुसपैठ की हुई जबकि 2014 -2021 के बीच यह ऑंकडा घटकर 1853 पर आया । इसी प्रकार अक्टूबर से अगस्त 2019 के बीच कुल 959 आतंकी घटनाएँ हुईं जबकि अगस्त 2019 से जून 2022 के बीच 654 आतंकवादी घटनाएँ हुईं । इस प्रकार इनमें 32 फ़ीसदी की गिरावट आई । अक्टूबर 2016 से अगस्त 2019 के बीच जम्मू कश्मीर में कुल 137 नागरिकों की हत्या हुई जबकि अगस्त 2019 से जून 2022 के बीच 118 नागरिकों की हत्या हुई । इस प्रकार इनमें 14 प्रतिशत की कमी आयी । अक्टूबर 2016 से अगस्त 2019 के बीच जम्मू कश्मीर में कुल 267 सुरक्षा बलों के जवानों की हत्या हुई जबकि अगस्त 2019 से जून 2022 के बीच 127 जवानों की हत्या हुई । इनमें उक्त अवधि में 52 प्रतिशत की गिरावट आई । (1) ऐसा पहली बार हुआ है जबकि प्रशासन ने पाँच सरकारी कर्मचारियों को राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाये जाने पर सेवामुक्त कर दिया है । सेवामुक्त किये गये सरकारी कर्मियों में पुलिस कांस्टेबल तनवीर सलाम डार, सेंट्रल कोआपरेटिव बैंक बारामूला के प्रबन्धक आफाक अहमद नानी, ग्रामीण विकास विभाग में पंचायत सचिव इफ़्तिख़ार अंद्राबी, जलशक्ति विभाग का अर्दली इरशाद अहमद खान और असिस्टेंट लाइन मैन मोमिन पीर शामिल हैं ।(2) एक जनसभा को संबोधित करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि कांग्रेस की यूपीए सरकार के 10 वर्षों में जम्मू कश्मीर में क़रीब 7,327 आतंकी घटनाएँ हुईं जबकि मोदी सरकार के नौ वर्षों में केवल 2,350 घटनाएँ हुईं । मतलब, आतंकी घटनाओं में 70 प्रतिशत की कमी आयी है । (3)

अनुसूचित जाति का आरक्षण

पहली बार एस सी के लिए 9 सीटें आरक्षित की गई जिनमें 6 विधानसभा क्षेत्र जम्मू क्षेत्र में और 3 विधानसभा क्षेत्र कश्मीर घाटी में हैं । जम्मू कश्मीर पंचायती राज अधिनियम में संशोधन कर जिला विकास परिषदों का सृजन किया गया जिससे सत्ता में आम लोगों की भागीदारी का रास्ता साफ़ हुआ । पहले भारतीयों को रियासत में प्रवेश करने के लिए अनुमति आवश्यक होती थी तथा भारतीय वाहनों पर टैक्स था । अब इसे समाप्त कर दिया गया तथा लखनपुर टोल टैक्स रद्द कर दिया गया । अब जम्मू – श्रीनगर दोनों सचिवालय साल भर खुले रहते हैं । 150 वर्ष पुरानी परम्परा को समाप्त कर दिया गया । इससे सलाना लगभग 200 करोड़ रुपए की बचत होगी । एल ओ सी निवासियों के बाद अब आई बी के पास रहने वाले लोगों को चार फ़ीसदी तथा आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को भी दस फ़ीसदी आरक्षण दिया गया । अब जम्मू कश्मीर के सफ़ाई कर्मचारियों को भी डोमिसाइल सर्टिफिकेट देने का फ़ैसला किया गया है । अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वनवासी (अधिकारों की मान्यता) क़ानून 2006 लागू किया गया । (4)

इसके साथ ही जम्मू और कश्मीर के जनजातीय लोगों के उत्थान के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है । सरकार ने वन अधिकार अधिनियम (एफ़आरए), 2006 के तहत गुज्जर, बकरवाल और गिद्दी सिप्पी समुदाय के लाभार्थियों को व्यक्तिगत तौर सामुदायिक अधिकार प्रमाण- पत्र सौंपा है । यहाँ पर सड़क, बिजली आपूर्ति, आंगनबाड़ी केंद्रों पर भी बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए सरकार आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है । जनजातीय बच्चों को आधुनिक तर्ज़ पर शिक्षा प्रदान करने के लिए यूटी सरकार ने 40 करोड़ रुपए की लागत से जनजातीय क्षेत्रों में 200 स्कूलों को स्मार्ट स्कूलों में बदलने की एक महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू की है ।(newsonair.gov.in/New)

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश-

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) किसी देश के एक फर्म या व्यक्ति द्वारा दूसरे देश में स्थित व्यावसायिक गतिविधियों में किया गया निवेश है। FDI किसी निवेशक को एक बाहरी देश में प्रत्यक्ष व्यावसायिक खरीद की सुविधा प्रदान करता है। निवेशक कई तरह से FDI का लाभ उठा सकते हैं। दूसरे देश में एक सहायक कंपनी की स्थापना करना, किसी मौजूदा विदेशी कंपनी का अधिग्रहण या विलय अथवा किसी विदेशी कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम साझेदारी इसके कुछ सामान्य तरीके हैं। FDI को आर्थिक विकास का एक प्रमुख चालक माना जाता है, क्योंकि यह मेज़बान देश के लिये पूंजी, प्रौद्योगिकी, कौशल, बाज़ार पहुँच एवं रोज़गार के अवसर प्रदान कर सकता है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भारत में आर्थिक विकास का एक महत्त्वपूर्ण चालक होने के साथ ही देश के आर्थिक विकास के लिये एक प्रमुख गैर-ऋण वित्तीय संसाधन भी रहा है। केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में वित्त वर्ष 2020-23 में जनवरी तक 1,547.87 करोड़ रुपए का निवेश प्राप्त हुआ । एक लिखित सवाल के जवाब में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में यह जानकारी दी । राय ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान यह निवेश अब तक का सर्वाधिक निवेश है । जम्मू कश्मीर में साल 2017-18 में 840.55 करोड़, 2018-19 में 590.97 तो वहीं 2019-20 में 296.64, 2020-21 में 412.74 और 2021-22 में 376.76 करोड़ का निवेश हुआ है ।(5)

जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था के परम्परागत आधारभूत चालक –

जम्मू-कश्मीर हिमालय की गोद में बसा प्रदेश है, जहाँ की जलवायु फूलों एवं फलों के उत्पादन के लिए उपयुक्त है। फूल, सेब, केसर आदि हमेशा से यहाँ के मुख्य उत्पाद रहे हैं। साथ ही भेड़-पालन एवं पश्मीना ऊन से बने उत्पाद जम्मू-कश्मीर के विश्व-प्रसिद्ध हस्तशिल्प रहे हैं। मनोरम प्राकृतिक सौन्दर्य तथा अनेक धार्मिक स्थल जम्मू-कश्मीर में पर्यटन उद्योग के लिए उत्प्रेरक का कार्य करते रहे हैं। इस प्रकार कृषि, बागवानी, हस्तशिल्प तथा पर्यटन जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था के चार पहियों की भांति कार्य करते रहे हैं। किन्तु अकूत प्राकृतिक सौन्दर्य और प्राकृतिक सम्पदा से परिपूर्ण प्रदेश कभी देश की आर्थिक गतिविधियों के केंद्र में नहीं रहा। अलगाववादी एवं आतंकवादी गतिविधियों तथा राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर का अलग संवैधानिक दर्जा इसके देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ने में बाधक रहा है।

जम्मू-कश्मीर में बदलता कारोबारी माहौल-

पिछले दिनों श्रीनगर के सेमपोरा में विदेशी निवेश से निर्मित होने वाले 250 करोड़ रूपए की लागत के एक मॉल की आधारशिला उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रखी। यह श्रीनगर ही नहीं, विदेशी पूंजी से बनने वाला प्रदेश का पहला मॉल होगा, जिसे 2026 तक पूरा किये जाने का लक्ष्य है। दुबई का एम्मार समूह इसका निर्माण कर रहा है। इसके अलावा जम्मू और श्रीनगर में डेढ़ सौ करोड़ रूपए की लागत वाले एक-एक आईटी टावर का विनिर्माण भी एम्मार समूह कर रहा है। यह इसका प्रमाण है कि अनु.370 हटाए जाने के बाद की बदली परिस्थितियों में जम्मू-कश्मीर में भी विदेशी निवेश आ रहा है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के मुताबिक, नई औद्योगिक नीति आने के 22 महीनों में 5000 से अधिक देशी व विदेशी कंपनियों के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। यह प्रदेश के बदलते आर्थिक, वित्तीय व कारोबारी स्थिति का ही प्रमाण है कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शिलान्यास की गई परियोजनाओं की कुल लागत 38 हजार करोड़ तक पहुँच गई है। प्रदेश ने अगले कुछ वर्षों में कुल 75 हजार करोड़ रूपए के निवेश का लक्ष्य रखा है। वस्तुतः जम्मू-कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार पूर्व की सभी सरकारों से अलग दृष्टिकोण से काम कर रही है। आर्थिक गतिविधियों द्वारा प्रदेश का माहौल बदलना इनमें प्रमुख है। हाल ही में इंडिया-यूएई इन्वेस्टर्स मीट में जम्मू-कश्मीर की ओर से उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने यह घोषणा की कि निवेश सम्बन्धी प्रस्ताव आने के 15 दिन के अंदर जमीन उपलब्ध कराई जाएगी। देश के किसी भी प्रदेश में ऐसी घोषणा शायद ही हुई हो। भले ही जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाएं पूरी तरह बंद नहीं हुई हैं, पर शांति और बेहतर सुरक्षा माहौल को कोई नकार नहीं सकता। आम लोग यह महसूस करने लगे हैं कि पहले की तरह आतंकवादियों के पनपने, उन्हें संरक्षण मिलने तथा हिंसात्मक गतिविधियों के लिए अनुकूल माहौल नहीं है। (6)

अनु. 370 हटाए जाने के बाद ऐसे अनेक कानूनों का अंत कर दिया गया, जो वहाँ की स्वाभाविक आर्थिक व कारोबारी गतिविधियों के रास्ते की बाधाएँ थीं। अगर भूमि कानून नहीं बदला होता तो उपराज्यपाल यह वादा नहीं कर सकते थे कि निवेश घोषणा के 15 दिनों के अंदर जमीन उपलब्ध हो जाएगी। हालाँकि यह नहीं कहा जा सकता कि शत प्रतिशत आधारभूत ढांचा तैयार हो गया है। मगर तीन वर्षों में निवेश के लिए वातावरण तैयार करने में काफी सफलता मिली है। जम्मू-कश्मीर में कारोबार के लिए बुनियादी ढांचा विकसित किया जा रहा है। एक लाख करोड़ रूपए की तो हाईवे और उससे जुडी अन्य परियोजनाएं चल रही हैं। रेलमार्ग के जरिये कश्मीर को कन्याकुमारी से जोड़ने पर तेजी से काम चल रहा है। हवाई अड्डों का आधुनिकीकरण हुआ है। सामान्य एवं प्रोफेशनल शिक्षा का भी विस्तार हुआ है। जनवरी, 2021 में जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने नए निवेश को प्रोत्साहित करने और औद्योगिक विकास को ब्लॉक स्तर तक ले जाने के लिए 28 हजार, 400 करोड़ रूपए के परिव्यय के साथ एक नई औद्योगिक विकास योजना की घोषणा की थी, जिसका सकारात्मक असर हुआ। (7)

जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनु. 370 के प्रावधानों को निष्प्रभावी करने के बाद से 185 बाहरी लोगों ने वहां जमीन खरीदी है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि लद्दाख में बीते तीन सालों में किसी भी बाहरी व्यक्ति ने जमीन नहीं खरीदी है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर में बीते तीन सालों में 1559 भारतीय व बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने निवेश किया है। (8)

पर्यटन में इज़ाफ़ा –

आतंकी जितने भी षड्यंत्र रच लें, लेकिन वादी-ए-कश्मीर में बदलाव की बयार में पर्यटन परवान चढ़ चुकी है। पर्यटन को जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था के मजबूत स्तम्भों में गिना जाता है। प्रदेश की लगभग 40 प्रतिशत आबादी अपनी आजीविका के लिए प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से पर्यटन और इससे सम्बन्धित गतिविधियों पर निर्भर करती है। आतंकी हिंसा और अलगाववादियों के हड़ताली कैलेंडर की राजनीति से जम्मू-कश्मीर का पर्यटन उद्योग प्रभावित रहा है। देश-विदेश के पूंजी निवेशक भी जम्मू-कश्मीर में पर्यटन में लाभ की संभावनाओं के बावजूद पूंजी निवेश से बचते थे। अनु.370 को हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर के पर्यटन क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव को चारों ओर महसूस किया जा रहा है। पर्यटन क्षेत्र में संभावनाओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को पर्यटन विकास के लिए 786 करोड़ की राशि आवंटित की जो बीते वर्ष की आवंटित निधि के मुकाबले 184 प्रतिशत ज्यादा है। पर्यटन सचिव सरमद हफ़ीज़ ने कहा कि हम प्रदेश के हर हिस्से की विशेषताओं के आधार पर क्षेत्र विशेष में पर्यटन विकास की योजनाओं पर काम कर रहे हैं। श्रीनगर के हाउसबोट मालिक हिलाल बडियारी ने कहा कि यहाँ अमन बहाल हुआ है और इसका असर पर्यटकों की आमद पर हुआ है। पहले यहाँ आने वाले पर्यटक हमसे पूछते थे कि फलां जगह जाएंगे तो कुछ होगा तो नहीं। वह डरे नज़र आते थे, अब ऐसा नहीं है। पर्यटकों में यहाँ सुरक्षा और विश्वास की भावना नज़र आती है। (9)

जी 20 देशों के पर्यटन समूह की बैठक

भारत ने केंद्र-शासित क्षेत्र जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में जी-20 देशों के पर्यटन से सम्बन्धित कार्यसमूह की बैठक दिनांक 22 से 24 मई, 2023 तक आयोजित कर स्पष्ट सन्देश दिया है कि अनु.370 को निष्प्रभावी करने के बाद वहाँ के हालात किस तरह से सामान्य हो गए हैं। श्रीनगर में हुई बैठक का महत्त्व इसी से समझा जा सकता है कि चीन, तुर्की और सऊदी अरब के इसमें हिस्सा न लेने के बावजूद इसका आयोजन हुआ। वास्तव में 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने की घोषणा के बाद वहाँ स्थितियाँ धीरे-धीरे सामान्य हो गई हैं। नई परिस्थितियों में पहली बार जनवरी, 2020 में विदेशी राजनयिकों के एक दल ने जम्मू-कश्मीर के हालात का जायज़ा लिया था और उसके बाद कई दल वहाँ जा चुके हैं। यही नहीं देश-विदेश से वहाँ जाने वाले पर्यटकों की संख्या भी बढ़ रही है। पिछले साल केंद्रीय व्यापार और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बताया था कि 2022 में जनवरी से अक्टूबर के बीच रिकॉर्ड 1.62 करोड़ पर्यटक जम्मू-कश्मीर आये थे। निश्चित रूप से जी-20 के पर्यटन से सम्बन्धित कार्यसमूह की बैठक के पश्चात् यहाँ और अधिक पर्यटक आकर्षित होंगे। सम्मेलन का मुख्य स्थल डल झील के किनारे पर स्थित शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कान्फ्रेंस सेंटर था । जहां 7.5 करोड़ रुपये की लागत से डिजिटल बुनियादी ढाँचा विकसित किया गया था । जगह जगह राष्ट्रीय ध्वज के हरे, सफ़ेद और नारंगी रंग में प्रकाशित लैम्पपोस्ट से आगंतुकों का स्वागत किया गया । इस सम्मेलन से पहले ही श्रीनगर के जबरवान पार्क में हॉट एयर बैलून राइड और ट्रैकिंग अभियान की शुरुआत की गई ताकि पर्यटक घाटी की सुन्दरता का आसमान से दीदार कर सकें ।(10) इस बैठक में 17 ताकतवर देशों के 60 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया ।

चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार

जम्मू कश्मीर में चिकित्सा सेवाओं का विस्तार करने के लिए मोदी सरकार ने सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार करने का फ़ैसला लिया है । इसके तहत अस्पतालों कुल 265 डीएनबी सीटें आवंटित की गई हैं । वर्ष 2019 तक इस राज्य में एक भी डीएनबी सीट नहीं थी । सरकार ने आयुर्विज्ञान में राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड के सक्रिय योगदान के साथ जम्मू कश्मीर के 20 ज़िलों में 265 डिप्लोमैट ऑफ नेशनल बोर्ड पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल सीटें आवंटित की हैं । इस महत्वपूर्ण कदम से न केवल जम्मू कश्मीर के लोग लाभान्वित होंगे बल्कि केंद्र शासित प्रदेश के डॉक्टरों को भी अपने क्षेत्र में प्रशिक्षित होने का अवसर मिलेगा । विस्तार योजना के पहले चरण के तहत 20 ज़िलों में पीजी की 250 से अधिक सीटें उपलब्ध हैं । वहीं दूसरे चरण के तहत पीजी की दो और सीटें दी जाएँगी । इसके अलावा पीजी की 50 फ़ीसदी सीटें सेवारत स्थानीय डॉक्टरों के लिए आरक्षित हैं, जिससे उन्हें पीजी प्रशिक्षण का अवसर प्रदान किया जा सके । इसके अलावा विभिन्न मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं के लिए भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर स्थित परीक्षा केन्द्रों की संख्या में बढ़ोतरी की है । इससे केन्द्र शासित प्रदेश के उम्मीदवारों को प्रवेश परीक्षाओं में शामिल होने के लिए दूसरे राज्यों में नहीं जाना पड़ेगा ।(11)

जम्मू- कश्मीर में दो अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) बनाए जा रहे हैं जिसका लाभ जल्द ही मरीज़ों को मिलने लगेगा । स्वास्थ्य क्षेत्र में 2966 स्वास्थ्य और कल्याण केन्द्रों की स्थापना और संचालन किया जा रहा है । जम्मू और कश्मीर को आयुष्मान भारत एबी पीएमजेएसवाई के तहत 83 लाख आयुष्मान कार्ड जारी किए गए हैं । इसके नामांकन में सबसे बेहतर प्रदर्शन करने के लिए जम्मू- कश्मीर को देश में पहला स्थान हासिल हुआ है । वहीं श्रीनगर में 500 बिस्तरों वाले बाल चिकित्सा अस्पताल में बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध करायी जा रही हैं । जम्मू के जी एम सी और श्रीनगर के एसकेआईएमएस में एक- एक कैंसर संस्थान संचालित किया जा रहा है । यह सभी प्रयास सामूहिक रूप से स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढाँचे में सुधार, स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने और सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल को प्राथमिकता देने के लिए जम्मू और कश्मीर प्रशासन की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हैं । सरकार ने यहाँ पर बुनियादी ढाँचे के विकास, चिकित्सा सुविधाओं को उन्नत करने और वंचित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित किया है ।(अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, दिनांक 7 मार्च, 2024, झाँसी संस्करण, पेज नंबर 2)

विंटर गेम्स का आयोजन

जम्मू कश्मीर की बदलती आबोहवा में फ़रवरी, 2023 में खेलो इंडिया विंटर गेम्स का आयोजन किया गया । कार्यक्रम का डिजिटल उद्घाटन करते हुए खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि घाटी में एक उत्कृष्टता केंद्र अर्थात् सेंटर ऑफ एक्सीलेंस भी खोला जाएगा । खेल मंत्री के अनुसार मंत्रालय जम्मू और कश्मीर को वित्तीय मदद के अलावा श्रेष्ठ कोच भी उपलब्ध करा रहा है । गुलमर्ग में 6 दिन चलने वाले गेम्स में 29 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 1500 से अधिक खिलाड़ियों ने 11 विभिन्न खेलों में भाग लिया । खेलो इंडिया विंटर गेम्स की मेज़बानी करना जम्मू कश्मीर में बदलाव की आहट है ।(12)

शॉपिंग मॉल की नींव

जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद औद्योगिक विकास में तेज़ी आयी है । पहले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रूप में दुबई का एमार समूह जम्मू कश्मीर में 500 करोड़ रुपए का निवेश कर रहा है । श्रीनगर के सेमपोरा में 250 करोड़ रुपये की लागत से कम्पनी शॉपिंग मॉल बना रही है । यह श्रीनगर ही नहीं, विदेशी पूँजी से बनने वाला प्रदेश का पहला मॉल है । इसमें 10 लाख वर्ग फुट क्षेत्र में 500 दुकानों का निर्माण किया जाएगा । यह समूह जम्मू व श्रीनगर में डेढ़- डेढ़ सौ करोड़ रुपये की लागत वाले एक एक आई टी टॉवर का भी निर्माण करेगा । यह मॉल जम्मू कश्मीर के आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा । जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के अनुसार नई औद्योगिक नीति के 22 महीनों में 5,000 से अधिक देशी व विदेशी कम्पनियों के निवेश मिले हैं । हर दिन आठ कम्पनियाँ जम्मू कश्मीर में निवेश की इच्छा जता रही हैं । प्रधानमंत्री 38,000 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास कर चुके हैं ।(13)

सुरंगों के निर्माण में प्रगति

जम्मू और कश्मीर में 25 हज़ार करोड़ रुपये की लागत से 19 सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है । इसके तहत 2680 करोड़ की लागत से 6.5 किलोमीटर लम्बी जेड- मोड सुरंग व पहुँच मार्ग का निर्माण कार्य प्रगति पर है । जेड- मोड सुरंग गांदरबल ज़िले में गगनगीर व सोनमर्ग के बीच स्थित पर्वतीय ग्लेशियर थजीवास ग्लेशियर के नीचे बनायी जा रही है । इसका 75 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका है । दिसम्बर 2023 तक इसे खोल दिया जाएगा । जोजिला में 13.14 किलोमीटर लम्बी सुरंग और 810 मीटर की चार पुलिया बनाई जा रही हैं । यह कश्मीर में गांदरबल तथा लद्दाख के कारगिल ज़िले में द्रास शहर के बीच जोजिला दर्रे के नीचे से गुजरेगी । केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी के अनुसार सुरंग बनने पर जोजिला दर्रे को 20 मिनट में पार किया जा सकेगा । अभी सामान्य मौसम में इसे पार करने में तीन घंटे लग जाते हैं । इससे ईंधन की भी बचत होगी । जोजिला दर्रे के पास का इलाक़ा बेहद कठिन है और यहाँ पर हर वर्ष कई जानलेवा दुर्घटनाएँ हो जाती हैं । जोजिला सुरंग का कार्य पूरा हो जाने के बाद दुर्घटनाओं की संख्या नगण्य हो जाएगी । प्रारम्भ में जोजिला सुरंग के पूरे प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 12,000 करोड़ रुपये थी, लेकिन विशेषज्ञों और अंतर्राष्ट्रीय सलाहकारों के साथ चर्चा के बाद इसकी लागत 5,000 करोड़ रुपये कम हो गयी है । हमारे देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है । यह बहुत मुश्किल काम है । यहाँ माइनस 26 डिग्री में लोग काम करते हैं ।(14)

परम्पराओं की वापसी

अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर के लोग पुरानी परम्पराओं, सभ्यता और गंगा- जमुनी तहज़ीब की ओर बढ़ रहे हैं । दिनांक 22 मई, 2023 को गृह मंत्री अमित शाह ने कुपवाड़ा ज़िले के टीटवाल में स्थित मॉं शारदा देवी के मंदिर का जीर्णोद्धार करने के बाद आनलाइन उद्घाटन किया । उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार करतारपुर कॉरिडोर की तर्ज़ पर शारदा पीठ को खोलने की दिशा में काम करेगी । श्रृंगेरी मठ द्वारा दान की गई शारदा मॉं की मूर्ति को यहाँ पर प्रतिस्थापित किया गया है । कुपवाड़ा में मॉं शारदा के मंदिर का पुनर्निर्माण होना शारदा सभ्यता की खोज व शारदा लिपि के संवर्धन की दिशा में एक आवश्यक एवं महत्वपूर्ण कदम है । गृह मंत्री ने कहा कि यहाँ पर 123 चिन्हित स्थानों का जीर्णोद्धार का काम चल रहा है, जिनमें कई मंदिर और सूफ़ी स्थान शामिल हैं ।(15)

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे छात्रों की अनुदान राशि में बढोत्तरी

केन्द्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय की तरफ़ से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों को दी जाने वाली अनुदान राशि 8 करोड़ रुपये को बढ़ाकर जम्मू कश्मीर में 20 करोड़ रुपये कर दी गई । इसका असर वहाँ पर साफ़ देखा जा सकता है । संघ लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित 2022 की सिविल सेवा परीक्षा में 29 मुस्लिम उम्मीदवारों को कामयाबी मिली है । कुल चयनित उम्मीदवारों में मुस्लिम समुदाय के उम्मीदवारों की हिस्सेदारी 3 फ़ीसदी तक हो गई है । इससे पहले 2021 की परीक्षा में 25 मुस्लिम उम्मीदवारों का चयन हुआ था । जम्मू कश्मीर में पिछले चार वर्षों से अल्पसंख्यक उम्मीदवारों के प्रदर्शन में वृद्धि हुई है । इसे बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है । वर्ष 2016 से पहले सिविल सेवा परीक्षा में कामयाब उम्मीदवारों में मुस्लिम समुदाय की भागीदारी 2.5 फ़ीसदी तक होती थी । वर्ष 2022 में जम्मू से 13 और कश्मीर से 3 उम्मीदवारों ने सफलता हासिल की है ।(16)

तीन दशक बाद श्रीनगर में निकला मुहर्रम का जुलूस

प्रशासन की ओर से मुहर्रम के जुलूस पर तीन दशक से अधिक समय से लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने के बाद वर्ष 2023 में श्रीनगर के डल गेट इलाक़े में 8 वें मुहर्रम पर शांतिपूर्ण तरीक़े से जुलूस निकाला गया । शोक मनाने वाले (अजादारों) ने गुरू बाज़ार से सुबह क़रीब छह बजे त्रिस्तरीय सुरक्षा में जुलूस निकाला, जो जहांगीर चौक, बडशाह चौक, लाल चौक, एमए रोड होते हुए डल गेट पहुँचा । मुर्तज़ा रिज़वी नाम के अजादार ने कहा कि 1989 के बाद जुलूस को अनुमति देना बड़ा फ़ैसला है । इसका श्रेय एलजी प्रशासन और भाजपा सरकार को जाता है । (17)

जम्मू कश्मीर में पहली बार निकाली तिरंगा शिकारा रैली

स्वतंत्रता दिवस से पहले आज़ादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में पहली बार डल झील में तिरंगा शिकारा रैली आयोजित की गई । रैली नेहरू पार्क से एस के आई सी सी तक हुई, जहां से यह एसकेआईसीसी में समाप्त होने से पहले चिनार तक गई । जेके सेल्यूट तिरंगा के अध्यक्ष मुज़फ़्फ़र हुसैन कलाल ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के हर घर तिरंगा के संकल्प पर प्रदेश के युवाओं ने फ़ैसला किया है कि यह अभियान 15 अगस्त तक जारी रखा जाएगा ।(18) कश्मीर घाटी में आतंकवाद के भीषण दौर के क़रीब तीन दशक बाद स्वतंत्रता दिवस पर हर तरफ़ देश भक्ति के तराने गूंजे ।मुख्य समारोह बख्शी स्टेडियम में आयोजित किया गया । इसमें शामिल होने के लिए लोगों ने ज़बरदस्त उत्साह दिखाया । स्टेडियम के लगभग सभी प्रवेश द्वार के बाहर लोगों की लम्बी क़तारें देखी गईं । इसमें महिलाएँ, बच्चे और बुजुर्ग भी बड़ी संख्या में शामिल थे । लोग सुबह 8 बजे से ही समारोह स्थल के बाहर पहुँचने लगे थे । (19)

बेटियाँ भी क्रिकेट के मैदान में

जम्मू कश्मीर में महिला क्रिकेटरों का मनोबल बढ़ाने के लिए भारतीय सेना ने यहाँ महिला क्रिकेट लीग शुरू की है । इसमें घाटी की 12 टीमों ने भाग लिया । कर्नल मनोज डोबरियाल ने कहा कि महिला लीग सेना की सद्भावना परियोजना के तहत आयोजित की जा रही हैं और इसे अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है । उन्होंने कहा कि लीग शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में हो रही है । इसमें तीन टीमें श्रीनगर से हैं बाक़ी टीमें कश्मीर के अन्य ज़िलों से हैं । कश्मीर विश्वविद्यालय की कोच सकीना अख़्तर ने कहा कि इस तरह के और अधिक कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए । उन्होंने कहा कि टूर्नामेंट को अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है । प्रतिभागियों को अंतरराष्ट्रीय मानकों की जर्सी, मैदान, आवास आदि मिल रहे हैं । महिलाओं को आगे बढ़ता देखकर अच्छा लग रहा है । (20)

रेल लिंक का बढ़ता दायरा

जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद वहाँ आतंकवाद में कमी आयी है जिसके कारण वहाँ कामकाजी माहौल बेहतर हुआ है और इससे राज्य में भारती विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है । केन्द्र शासित प्रदेश के आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के अनुसार, उद्योगों, कृषि, बाग़वानी, पर्यटन और सेवा क्षेत्रों पर ज़ोर देने के साथ अगले पाँच वर्षों में जम्मू कश्मीर की जीएसडीपी वर्तमान स्तर से दुगुनी होने की संभावना है । जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था हाल के वर्षों में राष्ट्रीय औसत से अधिक तेज़ी से बढ़ी है । रिपोर्ट के अनुसार विश्व स्तरीय राष्ट्रीय राजमार्ग, एक्सप्रेसवे, सुरंग, पुल, फ़्लाई ओवर, रिंग रोड बन रहे हैं । वर्ष 2024 में जम्मू कश्मीर का रेल लिंक राष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़ जाएगा और हवाई अड्डों का भी विस्तार किया जा रहा है । रिपोर्ट में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था है इसलिए सरकार डॉ. मंगला राय समिति की सिफ़ारिशों के आधार पर विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश करके इस क्षेत्र को बदलने का हर संभव प्रयास कर रही है ।(21)

महिला सशक्तिकरण

महिला सशक्तिकरण के लिए लाड़ली बेटी और राज्य विवाह सहायता योजना जैसी पहल समाज में महिलाओं का आदर- सम्मान पुनः स्थापित कर रही है । यूटी प्रायोजित लाड़ली बेटी योजना में वर्ष 2017 में 16095 लोगों को लाभ दिया गया जिसे 2022-23 में बढ़ाकर 1,03,294 लोगों तक कर दिया गया । इस अवधि में योग्य बालिकाओं के लिए वित्तीय सहायता 3 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 150 करोड़ रुपये कर दी गई । विवाह सहायता के लिए एक अन्य यूटी- प्रायोजित योजना के तहत 2015-16 से 2021-22 तक 62,326 गरीब लड़कियों को 185 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई । 2022-23 के दौरान इसे बड़े पैमाने पर बढ़ाकर 16 हज़ार गरीब लड़कियों को विवाह के लिए 80 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की गई । जम्मू कश्मीर में 87,541 स्वयं सहायता समूहों के साथ सात लाख से अधिक महिलाएँ जुड़ी हुई हैं । लगभग तीन लाख महिला किसानों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है । महिला किसानों ने अपने परिवारों की पोषण सम्बन्धी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए लगभग दो लाख कृषि पोषण उद्यान स्थापित किया है । ग्रामीण आजीविका मिशन ने पिछले एक साल में 10,000 माइक्रो- स्टार्टअप शुरू किया है । संसद द्वारा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया है, जो जम्मू और कश्मीर विधानसभा में महिलाओं के लिए सभी निर्वाचित सीटों में से एक तिहाई आरक्षण का प्रावधान करता है । (22)

सड़क नेटवर्क का विस्तार

जम्मू कश्मीर में 8787 किलोमीटर लम्बी सड़क का निर्माण करके 1315 पीएमजीएसवाई योजनाएँ पूरी की गईं । इसमें नाबार्ड की 206 योजनाएँ भी शामिल हैं । दिल्ली- अमृतसर- कटरा एक्सप्रेसवे (जम्मू कश्मीर में 135 किलोमीटर) प्रगति पर है ।सेमी रिंग रोड जम्मू और सेमी रिंग रोड श्रीनगर पर काम चल रहा है । अखनूर- पुँछ सड़क के दोहरीकरण का कार्य चल रहा है । 05 मेगावाट जल विद्युत परियोजनाएँ (4134 मेगावाट) प्रगति पर है । प्रधानमंत्री विकास कार्यक्रम (पीएमडीपी) के तहत, 33 परियोजनाएँ (जीओआई-10, जीओजेके-23) पूरी हो चुकी अथवा पूरी होने वाली हैं और शेष 20 परियोजनाओं में काम अंतिम चरण में है । 21 सुरंगों, 39 फ़्लाई ओवरों, 26 बाइपास रोड दो रिंग रोड का निर्माण प्रगति पर है । इसके अलावा, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा 294 प्रमुख सड़क और पुल परियोजनाओं के निर्माण और उन्नयन को रूपये की अनुमानित लागत पर मंज़ूरी दी गई है । 4,315 करोड़ की 163 परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं और लगभग स्वीकृति परियोजनाओं पर 2706 करोड़ रुपए खर्च हुए । (23)

प्रधानमंत्री का दौरा

दिनांक 7 मार्च, 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक दिवसीय दौरे में जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए कई सौग़ातें दी । टूरिज़्म और विकास से जुड़ी कई परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया । 1,000 युवाओं को सरकारी नौकरी के नियुक्ति पत्र दिये गये । स्वदेश दर्शन योजना के तहत 6 परियोजनाएँ देश को समर्पित की गई । ‘देखो अपना देश पीपल्स चॉइस’ 2024, और चलो इंडिया ग्लोबल डायसपोरा जंप, अभियान लॉंच किया गया । लगभग 5,000 करोड़ रुपये का समग्र कृषि विकास कार्यक्रम राष्ट्र को समर्पित किया गया । 1400 करोड़ रुपए से अधिक की स्वदेशी दर्शन एवं प्रसाद योजना के तहत 52 पर्यटन क्षेत्रों के श्लोकों का विमोचन किया गया । हज़रतबल तीर्थ स्थल के निर्मित विकास को राष्ट्र को समर्पित किया गया । चुनौती आधारित लक्ष्य विकास योजना के तहत पर्यटन स्थलों की घोषणा की गई । (24)

निष्कर्ष

अनुच्छेद 370 और 35ए की समाप्ति के बाद जम्मू कश्मीर में चारों ओर बदलाव की आहट है । निवेश, रोज़गार और पर्यटकों की संख्या में इज़ाफ़ा हो रहा है । पत्थरबाज़ी की घटनाएँ लगभग बंद हो गई हैं । आतंकी घटनाओं तथा घुसपैठ में उल्लेखनीय कमी आयी है । आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त लोगों पर कड़ी क़ानूनी कार्रवाई की गई है । जम्मू कश्मीर पर अब पूरा भारतीय संविधान लागू होता है । यहाँ के वासियों को देश के उनके बाकी भाइयों व बहनों की बराबरी पर लाया गया है । लोगों को सभी मौलिक अधिकार मिल गए हैं और कल्याणकारी योजनाओं को वहाँ तेज़ी से लागू किया जा रहा है ।अभी तक कृषि और पर्यटन जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था का मूल आधार रहे हैं । उम्मीद है कि आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर भी अन्य राज्यों के सामानांतर आर्थिक विकास की पटरी पर दौड़ता दिखाई देगा। जी-20 की बैठक के दौरान जम्मू-कश्मीर के आम नागरिकों ने इस बात को भी महसूस किया कि वसुधैव कुटुंबकम का मूल-मंत्र ही बहुविध समाज की समस्याओं का समाधान कर सकता है। लिहाजा यह कहा जा सकता है कि जम्मू-कश्मीर विकास की नई पटकथा लिखने को तैयार है।

सन्दर्भ ग्रन्थ सूची-

1- अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, झाँसी (उत्तर-प्रदेश) संस्करण, दिनांक 5 सितम्बर, 2022, पेज नंबर 11

2- उपरोक्त, दिनांक 16 अक्टूबर, 2022, पेज नंबर 15

3- उपरोक्त, दिनांक 24 जून, 2023, पेज नंबर 14

4- अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, झाँसी संस्करण (उत्तर-प्रदेश) दिनांक 5 सितम्बर, 2022, पेज नंबर 11

5- उपरोक्त, दिनांक 15 मार्च, 2023, पेज नंबर 11

6- उपरोक्त, दिनांक 24 मार्च, 2023, पेज नंबर 12

7- उपरोक्त, दिनांक 24 मार्च, 2023, पेज नंबर 12

8- उपरोक्त, दिनांक 6 अप्रैल, 2023, पेज नंबर 11

9- दैनिक जागरण, समाचार पत्र, झाँसी(उत्तर -प्रदेश) संस्करण, दिनांक 27 अक्टूबर, 2022, पेज नंबर 12

10- अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, झाँसी(उत्तर -प्रदेश) संस्करण, दिनांक 22,23 मई, 2023, पेज नंबर 1,10

11- अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, झाँसी (उत्तर-प्रदेश) संस्करण, दिनांक 9 नवम्बर, 2022, पेज नंबर 12

12- उपरोक्त, दिनांक 11 फ़रवरी, 2023, पेज नंबर 2

13- उपरोक्त, दिनांक 20 मार्च, 2023, पेज नंबर 12

14- उपरोक्त, दिनांक 11 अप्रैल, 2023, पेज नंबर 12

15- उपरोक्त, दिनांक 23 मई, 2023, पेज नंबर 9

16- अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, झाँसी(उत्तर -प्रदेश) संस्करण, दिनांक 28 मई, 2023, पेज नंबर 18

17- उपरोक्त, दिनांक 28 जुलाई, 2023, पेज नंबर 16

18- उपरोक्त, दिनांक 2 अगस्त, 2023, पेज नंबर 14

19- उपरोक्त, दिनांक 17 अगस्त, 2023, पेज नंबर 1

20- अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, झाँसी(उत्तर -प्रदेश) संस्करण, दिनांक 20 अगस्त, 2023, पेज नंबर 15

21- अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, झाँसी(उत्तर -प्रदेश) संस्करण, दिनांक 7 मार्च, 2024, पेज नंबर 2

22- अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, झाँसी(उत्तर -प्रदेश) संस्करण, दिनांक 7 मार्च, 2024, पेज नंबर, 2

23- अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, झाँसी(उत्तर -प्रदेश) संस्करण, दिनांक 7 मार्च, 2024, पेज नंबर, 2

24- narendramodi.in

अन्य सन्दर्भ ग्रन्थ

❖ पाण्डेय, ए. के. (2019). कश्मीरनामा: इतिहास और समकाल. राजपाल एंड संस, दिल्ली.

❖ जगमोहन. (2018). अशान्त कश्मीर: चुनौतियाँ और समाधान. एलॉयड पब्लिशर्स प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली.

❖ उर्मिलेश. (2016). कश्मीर: विरासत और सियासत. अनामिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स प्रा. लि., नई दिल्ली.

❖ चंद्र, बी. (2009). आज़ादी के बाद का भारत. हिंदी माध्यम कार्यान्वयन निदेशालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली.

❖ अरोरा, सी. पी. (2019). भारत का संविधान. यूनिवर्सल लॉ पब्लिशर्स, प्रयागराज.

❖ भारत-2022. प्रकाशन विभाग, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली.

❖ जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019.

 

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Dr. RB Mourya:
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