साहित्य समाज का दर्पण होता है, जिसमें समाज की सभ्यता, संस्कृति, परमपराएं, आस्थाएं, विश्वास, मूल्य तथा मान्यताएं प्रतिबिंबित होती हैं। यही प्रतिबिंब समाज के अतीत के अध्ययन की प्ररेणा देता…
महीना: फ़रवरी 2020
विरासत राजवंशों की, किन्तु विपन्नता में जीते “कोल आदिवासी”…
अपने अतीत में गौरवशाली विरासत को संजोए हुए “कोल “आदिवासी आज मुफलिसी और अभाव का जीवन जीने के लिए अभिशप्त हैं।समय और परिस्थितियों के थपेड़ों ने उन्हें लाचार और बेबस…
दिलेर और स्वाभिमानी कौम “भील आदिवासी”…
“भील ” नाम द्रविड़ भाषा परिवार के अन्तर्गत कन्नड़ के “बील”शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है- धनुष। आदिम विश्वासों में जीने वाले भील समुदाय के लोग अपने धनुष…
पातालकोट की अंधेरी गलियों में जीवन जीते “भारिया” आदिवासी…
मध्य -प्रदेश के छिंदवाड़ा जिला मुख्यालय के उत्तर सतपुड़ा के पठार पर अवस्थित पातालकोट प्रकृति की अद्भुत रचना है। छिंदवाड़ा से पातालकोट की दूरी 62 किलोमीटर तथा तामिया विकास खंड…
मुफलिसी और अभाव के साथ स्वाभिमान का जीवन जीते “बैगा”आदिवासी…
“बैगा “मध्य- प्रदेश का आदिम, आदिवासी समुदाय है जो मुफलिसी और अभाव तथा ग़रीबी का जीवन जीने के लिए अभिशप्त है। वह नागरिक और सामाजिक जीवन की मूलभूत सुविधाओं से…
अमेरिकी कालों के मसीहा और दासों के मुक्तिदाता- अब्राहम लिंकन …
परिचय अब्राहम लिंकन का जन्म 12 फरवरी 1809 ई. को अमेरिका के केण्टुकी प्रान्त के हार्डिंन काउंटी में हुआ था। यह संयोग ही है कि इसी दिन चार्ल्स डार्विन का भी…
हक़, इंसाफ और सम्मान के लिए संघर्षरत, रजक समाज…
रजक समाज को उत्तर भारत में “धोबी” समाज के नाम से जाना जाता है। यह भारत का मूल निवासी समाज है। कपड़े धोना, कपड़ों को रंगना, कपड़ों को प्रेस करना,…