योग का अर्थ है- मिलन अर्थात् जीवात्मा का परमात्मा से मिलन । गीता में योग को दुःख संयोग का वियोग बताया गया है ।पतंजलि सिर्फ़ योग दर्शन के प्रणेता और योगसूत्र रचयिता ही नहीं बल्कि महाभाष्य के रचयिता भी माने जाते हैं । योगसूत्र में चार पाद हैं : समाधिपाद, साधनपाद, विभूतिपाद और कैवल्यपाद । याज्ञवल्क्य स्मृति के अनुसार हिरण्यगर्भ योग के वक्ता हैं और पतंजलि ने तो प्राचीन काल में प्रतिपादित शास्त्र का उपदेश मात्र दिया है ।
महीना: मई 2022
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राजनीति विज्ञान / समाज विज्ञान, महत्वपूर्ण तथ्य (भाग- 18)
ईसाई राष्ट्रवाद का इतिहास काफ़ी पुराना है ।ईसाइयत का राजनीतिकरण चौथी सदी में रोम के सम्राट कांस्टेटाइन द्वारा ईसाइयत अपना लेने से शुरू हो गया था ।सोलहवीं सदी में प्रोटेस्टेंट सुधारक जॉन कैल्विन द्वारा जिनेवा की ईसाई शहर राज्य की स्थापना से ईसाई राष्ट्रवाद को नया उछाल मिला ।
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राजनीति विज्ञान / समाज विज्ञान, महत्वपूर्ण तथ्य ( भाग- 17)
चार्ल्स रॉबर्ट डार्विन (१८०९-१८८२) की वर्ष १९५९ में प्रकाशित रचना ऑन द ओरिजिन ऑफ स्पीशीज में प्रतिपादित जैविक विकासवाद, योग्यतम् के जीवित रहने, प्राकृतिक वरण और साझे पूर्वज होने के सिद्धांतों ने सामाजिक विचारधाराओं, जीव विज्ञान तथा धर्म के क्षेत्रों में खलबली मचा दी ।