प्राकृतिक सुंदरता, शांत वातावरण तथा हिमालय पर बसा दक्षिण एशिया का महत्वपूर्ण देश भूटान बौद्ध संस्कृति का संवाहक और भारत का करीबी दोस्त है। बौद्ध धर्म यहां का राजकीय धर्म है। चीन और भारत के बीच स्थित भूटान एक भूमि आबद्ध देश है। इसका स्थानीय नाम डुगयूल है। जिसका अर्थ होता है- उडने और आग उगलने वाले ड्रैगन का देश।
भूटान मुख्यत: पहाड़ी देश है। केवल दक्षिणी भाग में समतल भूमि है। सांस्कृतिक और धार्मिक तौर पर भूटान तिब्बत तथा भौगोलिक और राजनीतिक परिस्थितियों में भारत के करीब है। भूटान में प्लास्टिक और तम्बाकू पूरी तरह से प्रतिबंधित है। किसी भी जानवर की हत्या प्रतिबंधित है।
लगभग ४७,००० वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बसे हुए भूटान की जनसंख्या लगभग १० लाख है। भूटान की वर्तमान राजधानी थिम्पू है, जबकि सन् १९६१ तक यहां की राजधानी पुनाखा थी। यहां की राजभाषा जोडखा तथा मुद्रा डुल्ट्रम है। ‘द्रुक सेन्देन, भूटान का राष्ट्र गान है। यहां की साक्षरता दर ७० प्रतिशत से अधिक है।

सन् १८६५ में भूटान और ब्रिटेन के बीच सिनचुलु की संधि पर हस्ताक्षर किए गए। १९०७ में वहां पर राजशाही की स्थापना हुई। भूटान के वर्तमान राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक हैं। भूटान में उनकी पूजा की जाती है। भारत, अमेरिका और ब्रिटेन में पढ़े लिखे भूटानी प्रिंस काफी प्रगतिशील सोच रखते हैं। उनकी पत्नी, रानी जेटसुन पेमा बेहद लोकप्रिय हैं।
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भूटान में बौद्ध धर्म के विनय का आचरण किया जाता है। यहां पर लोग सादा जीवन जीते हैं। बेहद शांत स्वभाव के होते हैं। भूटान में कोई भिखारी नहीं है। यहां पर विकास का अर्थ खुशियों से है। लोग दिलदार हैं तथा वृक्षों से बहुत प्यार करते हैं। कलरफुल कपडे पहनने के शौकीन होते हैं। भूटान में सभी का जन्म दिन समान मनाया जाता है। यहां पर पहाड़ों पर बने होटल बहुत खूबसूरत हैं।
भूटान में परिवार मातृसत्तात्मक होते हैं। शादी के बाद पति को अपना घर छोड़कर पत्नी के घर रहना पड़ता है। भूटान में १९७० से पहले किसी विदेशी पर्यटक को आने की अनुमति नहीं थी। भूटान की टाइगर मोनेस्ट्री बहुत प्रसिद्ध है। यहां के शहर पारो में १५५ से अधिक मंदिर और मठ हैं।पुनाखा शहर १०८ गुम्बदों के लिए प्रसिद्ध है।

भूटान को दूसरा स्वर्ग भी कहा जाता है। भूटानी मान्यता में स्तूप बुद्ध के मस्तिष्क का प्रतीक तथा प्रतिनिधित्व करता है। भूटान में सड़कों पर रहने वाला कोई नहीं है। सबके पास मकान होता है। प्रत्येक भूटान निवासी को मुफ्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। महिलाओं को अत्यधिक सम्मान दिया जाता है। विरासत की सम्पत्ति बड़ी बेटी को जाती है, बेटे को नहीं। शाकाहार आम भोजन है। चावल मुख्य पकवान है। यहां किसी विदेशी से शादी करना निषिद्ध है। भूटान में जीवन स्तर को सकल राष्ट्रीय खुशी से नापा जाता है। भूटान की राजधानी में अभी भी कोई ट्रैफिक लाइट नहीं है। भूटानी लोग अपने घरों को पक्षियों, जानवरों तथा अनेक प्रकार की डिजाइन से सजाते हैं।
९ वीं सदी में तिब्बती बौद्ध भिक्षु भूटान आए। १७ वीं सदी के अंत में भूटान ने बौद्ध धर्म को अंगीकार किया। बौद्ध धर्म की वज्रयान शाखा का अनुपालन यहां की ७५ प्रतिशत जनसंख्या करती है। २५ प्रतिशत आबादी हिन्दू समुदाय की है। यहां पर हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार दशन है। भूटान के मूल निवासियों को गांलोप कहा जाता है। भूटान की संस्कृति पूरी तरह से इसके साहित्य, धर्म, रीति रिवाज, राष्ट्रीय परिधान संहिता, मठों, संगीत और नृत्य तथा मीडिया में परिलक्षित होती है। बेचु यहां का महत्वपूर्ण त्योहार है। मुम्बौटा नृत्य को यहां पर चाम नृत्य के नाम से भी जाना जाता है। थिम्पू का ताशी हो डोजोंग पारम्परिक दुर्ग और मठ है जिसे शाही सरकार के कार्यालयों के रूप में प्रयोग किया जाता है।
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भूटान धीरे धीरे राजतंत्र से संसदीय लोकतंत्र में परिवर्तित हो रहा है। वर्ष २००८ में वहां पर आम चुनाव सम्पन्न हुए। भूटान की संसद शोगड में १५४ सीटें हैं। जिसमें १०५ सदस्य स्थानीय रूप से चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं। १२ सीटें धार्मिक प्रतिनिधियों के लिए आरक्षित हैं। शेष ३७ सदस्य राजा के द्वारा नामांकित किए जाते हैं। इनका कार्यकाल ३ वर्ष होता है। संसद के २/३ बहुमत से राजा को पद से हटाया जा सकता है। भूटान कुल २० जनपदों में बंटा हुआ है। यहां पर नौसेना और वायुसेना नहीं है। वायुसेना के रूप में भूटान की मदद भारत सरकार करती है। यहां का एक मात्र हवाई अड्डा पारो में स्थित है। भूटान वर्ष १९७१ में संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य बना।

भूटान के ९० फ़ीसदी लोग कृषि पर निर्भर हैं। इस देश की ज्यादातर आबादी छोटे छोटे गांव में रहती है। तीरंदाजी यहां का राष्ट्रीय खेल है। भूटान की हवाई सेवा देने वाली कम्पनी को ड्रूक एयर कहा जाता है। यहां पर दूसरे देश की विमान कम्पनियों को विमान उतारने की अनुमति नहीं है। देश का लगभग ७० प्रतिशत क्षेत्र जंगल है। कुला कांगरी यहां की सबसे ऊंची चोटी है जिसकी ऊंचाई ७५५३ मीटर है। भूटान का मुख्य आर्थिक स्रोत पन बिजली है जिसका भारत सबसे बड़ा खरीदार है। यह दुनिया का एकमात्र कार्बन निगेटिव देश है। यहां की मुद्रा का विनिमय भारतीय रुपए के बराबर होता है।
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भारतीय पासपोर्ट धारकों को भूटान में प्रवेश करने के लिए किसी बीजा की आवश्यकता नहीं होती है। यहां प्रवेश करने के लिए सिर्फ मतदाता पहचान पत्र भी काफी है।जुलाई २०२० से भारतीय पर्यटकों को भूटान जाने के लिए १२०० रुपए प्रतिदिन प्रवेश शुल्क अदा करना पड़ता है। ६ से १२ वर्ष के बच्चों के लिए यह शुल्क ६०० रूपए प्रतिदिन है। पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से भूटान के बार्डर फुएंतशोलिंग पहुंचने में सड़क मार्ग से ४ से ५ घंटे का वक्त लगता है। रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी से ४० किलोमीटर चलकर गोल्डेन प्लाजा बस स्टैंड सिलीगुड़ी पहुंचा जा सकता है। पश्चिम बंगाल में एक अन्य जय नगर बार्डर से भी प्रवेश किया जा सकता है।

भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने १९५८ में भूटान की ७ दिवसीय यात्रा किया था। १५ एवं १६ जून २०१४ में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी पहली विदेश यात्रा में भूटान गये उनके साथ तत्कालीन विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज भी थीं। उनके सम्मान में भूटानी लोगों ने पारो से थिम्पू तक मानव श्रृंखला बनाकर अतिथियों का स्वागत किया। अपने स्वागत से अभिभूत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था ‘ भारत फार भूटान- भूटान फार भारत,। दिनांक १७ एवं १८ अगस्त २०१९ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पुनः दो दिवसीय भूटान यात्रा किया।
प्रकृति के आंचल में बसा, बुद्ध की ज्ञान आभा से आलोकित भूटान बहुत ही प्यारा देश है।
– डॉ. राजबहादुर मौर्य, फोटो गैलरी- संकेत सौरभ, झांसी (उत्तर प्रदेश), भारत
बहूत ही ज्ञान वर्धक ब्लाग है सुन्दर वर्णन
Thank you sir
सारगर्भित अभिव्यक्ति… आपका अथक श्रम अनुकरणीय है।
धन्यवाद आपको डॉ साहब
Baudh sanskriti Adbhut sahitya saundarya ka prateek hai …aap ka margdarshan srahneey hai….namo buddhay sir
Thanks