Skip to content
Menu
The Mahamaya
  • Home
  • Articles
  • Tribes In India
  • Buddhist Caves
  • Book Reviews
  • Memories
  • All Posts
  • Hon. Swami Prasad Mourya
  • Gallery
  • About
The Mahamaya
Praja socialist party symbol

बुंदेलखंड में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (प्र.सो.पा.)

Posted on अक्टूबर 23, 2021अक्टूबर 23, 2021

– डॉ. राजबहादुर मौर्य, असिस्टेंट प्रोफेसर राजनीति विज्ञान, बुंदेलखंड महाविद्यालय झांसी (उत्तर प्रदेश)

प्रजा सोशलिस्ट पार्टी- परिचय

सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापक सदस्य, श्री जय प्रकाश नारायण, आचार्य नरेन्द्र देव तथा किसान मजदूर प्रजा पार्टी के नेता आचार्य जे. बी. कृपलानी के संयुक्त प्रयासों से सन् १९५२ में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की गई। वर्ष १९७२ तक प्रसोपा का अस्तित्व रहा। यह पार्टी निरन्तर आपसी कलह के चलते विखंडन का शिकार हुई। वर्ष १९५५ में डा. राममनोहर लोहिया ने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से अलग होकर सोशलिस्ट पार्टी के नाम से अलग दल बना लिया। वर्ष १९६० में जे. बी. कृपलानी ने प्रसोपा का साथ छोड़ दिया।जे. बी. कृपलानी का पूरा नाम जीवट राम भगवान दास कृपलानी था। श्री मती सुचेता कृपलानी इनकी पत्नी थी। सुचेता कृपलानी उत्तर प्रदेश की चौथी और भारत की प्रथम महिला मुख्यमंत्री थीं।

इसी प्रकार वर्ष १९६४ में बड़े समाजवादी नेता अशोक मेहता को प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से निकाल दिया गया और वह कांग्रेस में शामिल हो गए। वर्ष १९६९ में जार्ज फर्नांडिस ने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से अलग होकर ‘‘संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी’’ के नाम से अलग राजनीतिक दल बना लिया। परन्तु पुनः जार्ज फर्नांडिस की संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का आपस में विलय हो गया और एक नई पार्टी अस्तित्व में आई। इसका नाम सोशलिस्ट पार्टी रखा गया।आगे चलकर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का विलय जनता पार्टी में हो गया। प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का चुनाव चिन्ह झोपड़ी था। जनता पार्टी का चुनाव चिन्ह हलधर किसान था।

उत्तर -प्रदेश में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी

उत्तर प्रदेश की चुनावी राजनीति में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने वर्ष १९५७ के चुनाव से कदम रखा। इस चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने २६१ स्थानों पर चुनाव लड़कर ४४ स्थानों पर जीत दर्ज किया।साथ ही साथ कुल पड़े वैध मतों का १४.४७ प्रतिशत मत भी हासिल किया। वर्ष १९६२ के विधानसभा चुनावों में प्रजा सोशलिस्ट ने अपने २८८ प्रत्याशियों को मैदान में उतारा। इसमें ३८ लोग विधायक चुने गए।साथ ही पार्टी को ११.५२ फीसदी मत भी हासिल हुए। वर्ष १९६७ आते- आते प्रजा सोशलिस्ट पार्टी की ताकत और जनाधार कम हो गया।

सन् १९६७ के इस चुनाव में पार्टी ने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में कुल १६७ प्रत्याशी ही मैदान में उतारा जिसमें से केवल ११ सीटों पर जीत हासिल कर पाए।मत प्रतिशत भी घटकर ४.०९ पर आ गया। अगले चुनाव यानी वर्ष १९६९ के विधानसभा चुनावों में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी की ताकत लगभग अवसान पर आ गई।इस चुनाव में पार्टी ने ९२ स्थानों पर चुनाव लडा परन्तु केवल ३ स्थानों पर उसे जीत मिली।मत प्रतिशत भी घटकर १.७२ रह गया। इसके बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी की भूमिका समाप्त हो गई।

बुंदेलखंड

उत्तर प्रदेश के अंतर्गत आने वाले बुन्देलखण्ड परिक्षेत्र में ७ जिले आते हैं। जनपद जालौन, हमीरपुर, महोबा, बांदा, चित्रकूट, ललितपुर और झांसी। लगभग एक करोड़ की आबादी यहां पर निवास करती है। बुंदेलखंड से ४ सांसद चुनकर लोकसभा जाते हैं। उत्तर प्रदेश की विधानसभा में यहां से १९ विधायक चुन कर जाते हैं। वर्ष २०१२ के पूर्व यहां पर विधानसभा की २१ सीटें थीं परन्तु २०१० में हुए परिसीमन में यहां की दो विधानसभा सीटें कम कर दी गई। जनपद हमीरपुर की विधानसभा सीट मौदहा तथा जनपद जालौन की विधानसभा क्षेत्र कोंच समाप्त कर दी गई।

बुंदेलखंड में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का राजनीतिक सफर

बुंदेलखंड में श्री गोविन्द नारायण तिवारी, श्री गरीब दास, श्री आर. कुमार तथा श्री मदन पाल सिंह प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे थे।कई सीटों पर पार्टी को दूसरा स्थान हासिल हुआ था। बुंदेलखंड के विभिन्न जनपदों में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का राजनीतिक सफर निम्नलिखित रूप में समझा जा सकता है-

जनपद- जालौन

जनपद जालौन के विधानसभा क्षेत्र माधौगढ़ (क्रमांक-२१९) में, उत्तर प्रदेश विधानसभा के दूसरे आम चुनाव, वर्ष १९५७ में ( तब इस विधानसभा क्षेत्र को जालौन के नाम से जाना जाता था) प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी श्री गोविन्द नारायण तिवारी ने २६ हजार, ५४२ मत प्राप्त कर कांग्रेस के उम्मीदवार श्री चतुर्भुज शर्मा को ९२९ मतों के अंतर से हराया था। परन्तु १९६२ के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के उम्मीदवार श्री चतुर्भुज शर्मा ने गोविंद नारायण तिवारी को हरा दिया। इस बार गोविंद नारायण तिवारी को कुल मिलाकर २२ हजार, १७० मत प्राप्त हुए थे। वह प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर ही चुनाव लडे थे।

जनपद जालौन की दूसरी विधानसभा क्षेत्र कालपी (क्रमांक-२२०) से वर्ष १९५७ में ही प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी श्री गरीब दास ने ४१ हजार, २३२ मत प्राप्त कर कांग्रेस के उम्मीदवार श्री शिवशंकर सिंह को ११ हजार, ३१ मतों के अंतर से पराजित किया। अगले चुनाव यानी वर्ष १९६२ में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी श्री मन्नी लाल अग्रवाल १४ हजार, २५ मत मिले, परन्तु वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड रहे श्री शिव सम्पत्ति शर्मा से ३ हजार, ४२५ मतों के अंतर से चुनाव हार गए।

जनपद जालौन की विधानसभा क्षेत्र उरई (क्रमांक-२२१) से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी कभी न तो जीत दर्ज कर सके और न ही उप विजेता रहे।

वर्ष २०१२ में इस जनपद की विधानसभा क्षेत्र कोंच को समाप्त कर दिया गया। इस सीट पर यद्यपि प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी कभी चुनाव नहीं जीत सके, परन्तु १९५७ तथा १९६२ दोनों चुनावों में पार्टी को दूसरा स्थान मिला था। १९५७ में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी श्री गणेश प्रसाद ने १० हजार, ८९१ मत प्राप्त कर दूसरा स्थान हासिल किया परन्तु वह कांग्रेस के उम्मीदवार श्री चित्तर सिंह से १ हजार, १६३ मतों के अंतर से हार गए। १९६२ में भी गणेश प्रसाद ही प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी थे। इस बार उन्हें कुल मिलाकर ८ हजार, १९३ मत प्राप्त हुए थे जबकि जीतने वाले कांग्रेस के उम्मीदवार श्री विजय सिंह को कुल मिलाकर मात्र ८ हजार, ७५० मत प्राप्त हुए थे और वह केवल ५५७ मतों के अंतर से जीत दर्ज कर सके थे।

जनपद- झांसी

बुंदेलखंड की बहुचर्चित विधानसभा सीट, झांसी सदर (क्रमांक- २२३) तथा विधानसभा क्षेत्र बबीना (क्रमांक-२२२) प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के लिए मुफीद नहीं रही।इन दोनों सीटों पर न तो पार्टी को कभी जीत मिली और न ही दूसरा स्थान।

झांसी जनपद की विधानसभा क्षेत्र, मऊरानीपुर (क्रमांक-२२४) पर भी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी कभी जीत दर्ज नहीं कर सके। केवल वर्ष १९६२ में पार्टी के प्रत्याशी श्री हल्केराम ने चुनाव में ९ हजार, ४१० मत प्राप्त कर दूसरा स्थान हासिल किया था। उन्हें कांग्रेस की बहु चर्चित प्रत्याशी बेनीबाई ने ८ हजार, २८१ मतों के अंतर से हराया था।बेनीबाई कांग्रेस की मजबूत नेता मानी जाती थी।१९६२ में यह सीट मऊ नाम से जानी जाती थी।

मऊ की तरह ही झांसी की विधानसभा गरौठा (क्रमांक- २२५) में भी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी को कभी जीत नहीं मिली। केवल वर्ष १९६२ के चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी श्री कन्हैयालाल को १४ हजार, ३७८ मतों के साथ दूसरा स्थान मिला था। वह कांग्रेस के उम्मीदवार श्री काशी प्रसाद द्विवेदी से २ हजार, ५२७ मतों के अंतर से चुनाव हार गए थे।

जनपद- ललितपुर

बुंदेलखंड के जनपद ललितपुर में दो विधानसभा सीटें हैं। ललितपुर सदर (क्रमांक- २२६) तथा महरौनी (क्रमांक- २२७)।इन दोनों सीटों पर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी न तो कभी जीत दर्ज सके और न ही दूसरा स्थान हासिल कर पाए।

जनपद- हमीरपुर

जनपद हमीरपुर की विधानसभा क्षेत्र, हमीरपुर सदर (क्रमांक- २२८) से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के कभी जीत दर्ज नहीं कर सके। केवल वर्ष १९६२ में पार्टी के टिकट पर श्री यदुनाथ सिंह ने चुनाव लड़कर दूसरा स्थान हासिल किया। उन्हें कुल मिलाकर १६ हजार, ४३९ मत प्राप्त हुए थे। यदुनाथ सिंह कांग्रेस के उम्मीदवार श्री सुरेन्द्र दत्त बाजपेई से ४ हजार, ६८७ मतों से पराजित हुए थे।

इसी प्रकार इसी जनपद की विधानसभा क्षेत्र राठ (क्रमांक- २२९) में भी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी कभी जीत दर्ज नहीं कर सके। वर्ष १९६२ में पार्टी के टिकट पर चुनाव लडे श्री श्रीपत साही ने १८ हजार, ७५ मत प्राप्त कर दूसरा स्थान हासिल किया। वह कांग्रेस के उम्मीदवार श्री डूंगर सिंह से ८ हजार, ७९५ मतों के अंतर से चुनाव हार गए थे। यही स्थिति १९५७ के चुनाव में हुई थी जब प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी श्री राम नारायण सिंह कांग्रेस के उम्मीदवार श्री डूंगर सिंह से ३ हजार, ९७७ मतों के अंतर से चुनाव हार गए थे। उन्हें कुल मिलाकर २० हजार, ७१४ मत प्राप्त हुए थे।

वर्ष २०१२ में जनपद हमीरपुर की खत्म कर दी गई विधानसभा सीट मौदहा से वर्ष १९५८ के उप चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी श्री आर. कुमार ने ३२ हजार, ४०६ मत प्राप्त कर कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी श्री सी.बी. गुप्ता को ६ हजार, ८६६ मतों के अंतर से हराया था। इसी सीट पर १९५७ के चुनाव में पार्टी को दूसरा स्थान मिला था। पार्टी के प्रत्याशी श्री नवल किशोर को १९ हजार, ३९९ मत प्राप्त हुए थे और वह कांग्रेस के उम्मीदवार श्री रामगोपाल से ६ हजार, ७६ मतों के अंतर से हार गए थे। इसी सीट पर १९६२ में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी श्री मन्नी लाल को भी १५ हजार, ४२ मतों के साथ दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था। उन्हें कांग्रेस के उम्मीदवार श्री बृजलाल सिंह ने ९ हजार, ५३ मतों के अंतर से हराया था।

जनपद- महोबा

बुंदेलखंड में वीरभूमि के नाम से मशहूर जनपद महोबा की विधानसभा क्षेत्र महोबा सदर (क्रमांक- २३०) से वर्ष १९६२ के प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी श्री मदन पाल सिंह ने १४ हजार, ८०७ मत प्राप्त कर कांग्रेस के उम्मीदवार श्री ब्रिज गोपाल को १ हजार, ५६८ मतों के अंतर से हराया। इसके पूर्व १९५७ के चुनाव में मदन पाल सिंह ने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लडा था परन्तु उन्हें पराजित होना पड़ा था। उन्हें कुल मिलाकर २१ हजार, ९५३ मत प्राप्त हुए थे। वह कांग्रेस के उम्मीदवार श्री मोहनलाल से मात्र २७८ मतों के अंतर से चुनाव हार गए थे।

महोबा जिले की विधानसभा, चरखारी (क्रमांक- २३१) से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी कभी चुनाव नहीं जीत सके। केवल १९६२ के चुनाव में यहां से पार्टी के प्रत्याशी श्री छन्नू लाल को दूसरा स्थान हासिल हुआ था और उन्हें कुल मिलाकर १० हजार, ६०६ मत प्राप्त हुए थे। उन्हें कांग्रेस के उम्मीदवार श्री मोहनलाल अहिरवार ने ४ हजार, ४७३ मतों के अंतर से हराया था।

जनपद- बांदा

जनपद बांदा की विधानसभा क्षेत्र तिंदवारी (क्रमांक- २३२) वर्ष १९७४ में अस्तित्व में आई।तब तक उत्तर प्रदेश में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का प्रभाव क्षीण हो गया था। तिंदवारी विधानसभा क्षेत्र से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी कभी न तो जीत दर्ज सके और न ही दूसरा स्थान हासिल कर पाए।

बांदा जिले की दूसरी विधानसभा क्षेत्र बबेरू (क्रमांक- २३३) में भी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी कभी जीत दर्ज नहीं कर सके। केवल एक बार, वर्ष १९५७ में पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर श्री जागेश्वर ने दूसरा स्थान हासिल किया। उन्हें कुल मिलाकर ५ हजार, ८५३ मत प्राप्त हुए थे। कांग्रेस के उम्मीदवार श्री राम सनेही भारतीय ने जागेश्वर को ७ हजार, ३१३ मतों के अंतर से हराया।

इसी जनपद की विधानसभा क्षेत्र नरैनी (क्रमांक- २३४) भी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के लिए मुफीद नहीं रही। यहां पर पार्टी को जीत कभी नहीं मिली।केवल १९६२ के चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी श्री जग प्रसाद ने ४ हजार, २८१ मत प्राप्त कर दूसरा स्थान हासिल किया था।वह जनसंघ के उम्मीदवार श्री मटोला सिंह से ५ हजार, ६९ मतों के अंतर से हार गए थे।

बांदा जिले की विधानसभा क्षेत्र बांदा सदर (क्रमांक-२३५) से भी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी कभी चुनाव नहीं जीत सके। केवल १९६७ में वाई.एन. सिंह ने ८ हजार, ३३३ मत प्राप्त कर तथा १९६९ में जमुना प्रसाद ने १४ हजार, ७२१ मत प्राप्त कर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी को दूसरा स्थान दिलाया।वाई. एन. सिंह भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार श्री जी. एस. सर्राफ से तथा जमुना प्रसाद कांग्रेस के उम्मीदवार एम. डी. सिंह से चुनाव हारे थे।

जनपद- चित्रकूट

उत्तर प्रदेश के अन्तर्गत आने वाले चित्रकूट जनपद में विधानसभा की दो सीटें हैं। चित्रकूट सदर (जिसे पहले कर्वी कहा जाता था) तथा मानिकपुर। चित्रकूट सदर (क्रमांक- २३६) से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी कभी चुनाव नहीं जीत सके। केवल १९५७ में पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर श्री गुलजार सिंह ने १२ हजार, १६२ मत प्राप्त कर दूसरा स्थान हासिल किया। उन्हें कांग्रेस की उम्मीदवार साईं दुलारी ने ४ हजार, ८२२ मतों के अंतर से हराया।

चित्रकूट जिले की विधानसभा मानिकपुर (क्रमांक- २३७) से भी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी कभी चुनाव नहीं जीत सके। केवल १९६२ में पार्टी के प्रत्याशी श्री आर. प्रसाद जाटव ने पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर दूसरा स्थान हासिल किया। उन्हें कुल मिलाकर २ हजार, २५४ मत प्राप्त हुए थे। कांग्रेस की उम्मीदवार सिया दुलारी ने उन्हें ५ हजार, ३२८ मतों के अंतर से हराया था।

निष्कर्ष

बुंदेलखंड में सातों जनपदों में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का प्रभाव बहुत अधिक नहीं रहा है। परन्तु बिल्कुल नहीं रहा, ऐसा नहीं है। यहां की विधानसभा माधौगढ़, कालपी, महोबा सदर और मौदहा में पार्टी को एक एक बार जीत मिली है। मऊरानीपुर, गरौठा, हमीरपुर सदर, चरखारी, बबेरू, नरैनी, बांदा सदर, चित्रकूट, मानिकपुर तथा कोंच में उनके प्रत्याशी दूसरे स्थान तक पहुंचने में कामयाब रहे हैं। जनपद ललितपुर में उनकी स्थिति अच्छी नहीं रही।

– फोटो गैलरी- डॉ. संकेत सौरभ, झांसी, उत्तर- प्रदेश

No ratings yet.

Love the Post!

Share this Post

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

About This Blog

This blog is dedicated to People of Deprived Section of the Indian Society, motto is to introduce them to the world through this blog.

Latest Comments

  • Tommypycle पर असोका द ग्रेट : विजन और विरासत
  • Prateek Srivastava पर प्रोफेसर (डॉ.) ज्योति वर्मा : विद्वता, साहस और ममत्व का अनुपम संगम
  • Mala Srivastava पर प्रोफेसर (डॉ.) ज्योति वर्मा : विद्वता, साहस और ममत्व का अनुपम संगम
  • Shyam Srivastava पर प्रोफेसर (डॉ.) ज्योति वर्मा : विद्वता, साहस और ममत्व का अनुपम संगम
  • Neha sen पर प्रोफेसर (डॉ.) ज्योति वर्मा : विद्वता, साहस और ममत्व का अनुपम संगम

Posts

  • जून 2025 (2)
  • मई 2025 (1)
  • अप्रैल 2025 (1)
  • मार्च 2025 (1)
  • फ़रवरी 2025 (1)
  • जनवरी 2025 (4)
  • दिसम्बर 2024 (1)
  • नवम्बर 2024 (1)
  • अक्टूबर 2024 (1)
  • सितम्बर 2024 (1)
  • अगस्त 2024 (2)
  • जून 2024 (1)
  • जनवरी 2024 (1)
  • नवम्बर 2023 (3)
  • अगस्त 2023 (2)
  • जुलाई 2023 (4)
  • अप्रैल 2023 (2)
  • मार्च 2023 (2)
  • फ़रवरी 2023 (2)
  • जनवरी 2023 (1)
  • दिसम्बर 2022 (1)
  • नवम्बर 2022 (4)
  • अक्टूबर 2022 (3)
  • सितम्बर 2022 (2)
  • अगस्त 2022 (2)
  • जुलाई 2022 (2)
  • जून 2022 (3)
  • मई 2022 (3)
  • अप्रैल 2022 (2)
  • मार्च 2022 (3)
  • फ़रवरी 2022 (5)
  • जनवरी 2022 (6)
  • दिसम्बर 2021 (3)
  • नवम्बर 2021 (2)
  • अक्टूबर 2021 (5)
  • सितम्बर 2021 (2)
  • अगस्त 2021 (4)
  • जुलाई 2021 (5)
  • जून 2021 (4)
  • मई 2021 (7)
  • फ़रवरी 2021 (5)
  • जनवरी 2021 (2)
  • दिसम्बर 2020 (10)
  • नवम्बर 2020 (8)
  • सितम्बर 2020 (2)
  • अगस्त 2020 (7)
  • जुलाई 2020 (12)
  • जून 2020 (13)
  • मई 2020 (17)
  • अप्रैल 2020 (24)
  • मार्च 2020 (14)
  • फ़रवरी 2020 (7)
  • जनवरी 2020 (14)
  • दिसम्बर 2019 (13)
  • अक्टूबर 2019 (1)
  • सितम्बर 2019 (1)

Contact Us

Privacy Policy

Terms & Conditions

Disclaimer

Sitemap

Categories

  • Articles (108)
  • Book Review (60)
  • Buddhist Caves (19)
  • Hon. Swami Prasad Mourya (23)
  • Memories (13)
  • travel (1)
  • Tribes In India (40)

Loved by People

“

030489
Total Users : 30489
Powered By WPS Visitor Counter
“

©2025 The Mahamaya | WordPress Theme by Superbthemes.com