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पुस्तक समीक्षा- विश्व इतिहास की झलक ( भाग- 14)

Posted on जून 28, 2021अप्रैल 20, 2024

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी पुस्तक विश्व इतिहास की झलक में लिखा है कि गुरु नानक ने सिक्ख पंथ की स्थापना किया। उन्होंने हिन्दू धर्म और इस्लाम को एक मंच पर लाने की कोशिश किया। गुरुनानक देव जी के बाद तीन गुरु और हुए जो इन्हीं की तरह शांतिप्रिय थे और सिर्फ धर्म की बातों में ही दिलचस्पी रखते थे।

मुगल सम्राट अकबर ने चौथे गुरू को अमृतसर के तालाब और स्वर्ण मंदिर के लिए जमीन दी थी। तब से अमृतसर सिक्ख धर्म का केन्द्र बन गया। इसके बाद पाँचवें गुरु अर्जुन सिंह हुए, जिन्होंने ग्रन्थ साहिब का संकलन किया। यह बानियों और भजनों का संग्रह है और सिक्खों का पवित्र ग्रंथ माना जाता है। एक राजनीतिक अपराध के लिए मुगल सम्राट जहांगीर ने अर्जुन सिंह को यंत्रणाएं देकर मरवा डाला। यहीं से सिक्खों के इतिहास की घड़ी बदल गई। गुरु के साथ अन्याय और बेरहमी के इस बर्ताव ने उनमें गुस्सा भर दिया और उन्होंने तलवारें उठा लीं।

छठवें गुरु हरगोविंद सिंह जी के समय में सिक्ख एक सैनिक बिरादरी बन गए। गुरु हरगोविंद सिंह १० साल तक जहांगीर की क़ैद में रहे। नवें गुरु औरंगजेब के जमाने में हुए। यह गुरु तेग बहादुर जी थे।इस्लाम न कबूल करने पर औरंगजेब ने इन्हें कत्ल करा दिया था। दसवें और आखिरी गुरु गुरु गोविंद सिंह जी थे। उन्होंने सिक्खों को एक बलशाली सैनिक सम्प्रदाय बना दिया। 1708 में इनकी मृत्यु हुई। इसके बाद से अब तक कोई गुरु नहीं हुआ। कहते हैं गुरु के सारे अधिकार अब सिक्ख सम्प्रदाय में हैं, जो खालसा कहलाता है।

मराठों का गौरव और मुगल साम्राज्य को थर्रा देने वाला शिवाजी था। यह शाह जी भोंसले का पुत्र था जिसका जन्म 1627 में हुआ था। 1674 ई. में शिवाजी ने रायगढ़ के किले में राजमुकुट पहना। १६८० में ५३ वर्ष की उम्र में उसका देहांत हो गया। शिवाजी के पुत्र संभाजी को मुगलों ने यंत्रणाएं देकर मरवा डाला था। शिवाजी के जीवित रहते दक्षिण के मुगल हाकिमों में उसका इतना डर था कि वे अपनी हिफाजत के लिए उसे धन देने लगे थे। यही वह इतिहास प्रसिद्ध चौथ यानी लगान का चौथा अंश थी जिसे मराठे लोग जहां जाते वहीं वसूल करते थे।

डूप्ले फ्रांसीसी था, क्लाइव अंग्रेज। क्लाइव बड़ा दिलेर, हौसले बाज और हद दर्जे का लालची था।उसने बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के वजीर मीरजाफर को गद्दारी करने के लिए घूस देकर अपनी ओर मिला लिया।जिसके परिणामस्वरूप 1757 की पलासी की लड़ाई में नबाब हार गया और बंगाल अंग्रेजों के हाथ में आ गया। इसी समय 1770 में बंगाल और बिहार में एक बड़ा भयंकर अकाल पड़ा जिसमें इन इलाकों की एक तिहाई से ज्यादा आबादी खत्म हो गई। बाबजूद इसके अंग्रेजों ने मालगुजारी वसूलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। क्लाइव ने ब्रिटेन जाकर आत्महत्या कर ली।

मैसूर में हैदर अली अंग्रेजों का कट्टर दुश्मन था। 1769 में उसने मद्रास तक अपना दबदबा बना लिया था। हैदर अली की मृत्यु के बाद उसका पुत्र टीपू सुल्तान अंग्रेजों की राह का कांटा था। 1782 में दक्षिण में मराठों ने भी अंग्रेजों को हराया।

भगवान बुद्ध ने कहा है कि सागर में जितना पानी है, उससे भी ज्यादा आँसू बह चुके हैं।

यरमक

1581 ई. में यरमक नामक एक रूसी डाकू ने कज्जाकों की मदद से यूराल पर्वत को लाँघकर सिबिर नाम के एक छोटे से राज्य को जीत लिया। साइबेरिया का नाम इसी राज्य से निकला है। सन् 1689 में रूस और चीन के बीच नरखिन्स की संधि हुई। कांड्- ही का पोता 1736 से 1796 ई. तक यानी 60 वर्ष तक चीन का शासक रहा। चाय का आविष्कार चीन से माना जाता है। अंग्रेजी के मशहूर डायरी लेखक सेम्युअल पेपीज की डायरी में सबसे पहले टी (एक चीनी पेय) पीने के बारे में एक इंदिराज है। श्वेत कमल समिति, दैवी न्याय समिति, श्वेत पंख समिति, स्वर्ग और पृथ्वी समिति चीन की गुप्त समितियां थीं।

सन् 1728 में वितुस बेरिंग नामक एक डेनमार्क निवासी कप्तान ने, जो रूस में नौकर था, एशिया और अमेरिका को अलग करने वाले जलडमरूमध्य की खोज की।समूर अलास्का (उत्तरी अमेरिका) में एक लोमड़ी होती है, जिसके बाल बहुत मुलायम होते हैं। इसकी खाल के गुलुबंद बनते हैं, जो बड़े कीमती होते हैं। अंग्रेजी में समूर के बालों को फर कहते हैं। सन् 1648 में वैस्टफैलिया की संधि हुई जिससे यूरोप के तीस वर्षीय युद्ध का अंत हुआ। 1688 में ब्रिटेन में अहिंसक क्रांति हुई, जिसमें जेम्स द्वितीय को बाहर निकाल दिया और पार्लियामेंट की विजय हुई।

वाल्टेयर एक फ्रांसीसी था जिसका जन्म 1694 ई. में हुआ था। उसकी मृत्यु 1787 में हुई। वाल्टेयर को अन्याय और कट्टरपन से सख्त नफ़रत थी। बुद्धिवाद व दूसरे विषयों पर लिखने के कारण उसे क़ैद करके देश से निकाल दिया गया था। उसका कहना था कि इन बदनाम चीजों को नष्ट कर दो। अपनी एक पुस्तक में उसने लिखा है कि जो व्यक्ति बिना जाँच पड़ताल किए किसी मज़हब को कबूल कर लेता है, वह उस बैल के समान है, जो अपने कंधे पर जुआँ रखवा लेता है।

जीन जैक्स रूसो भी वाल्टेयर का समकालीन था, लेकिन उससे उम्र में छोटा था। उसकी पुस्तकों और विचारों ने फ्रांस की राज्य क्रांति को भड़काने में भूमिका निभाई। इसकी सबसे मशहूर पुस्तक सोशल कांटैक्ट या समाजी मुआदिया है। उसने लिखा है कि मनुष्य जन्म से मुक्त है, लेकिन वह सब जगह जंजीरों से जकड़ा हुआ है।

मांटेस्क्यू (1689-1755) फ्रांस का प्रसिद्ध विचारक, तत्व वेत्ता और इतिहासकार था। सन् 1758 में इसकी मशहूर पुस्तक Esprit des lois प्रकाशित हुई। जिससे उसके गहरे अध्ययन का पता चलता है। इस पुस्तक को खूब लोकप्रियता मिली। फ्रांस में लुई चौदहवें और लुई पन्द्रहवें ने मिलकर कुल 131 वर्ष राज़ किया। यह दुनिया का एक रिकार्ड है।

– डॉ. राजबहादुर मौर्य, असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, राजनीति विज्ञान, बुंदेलखंड कालेज, झाँसी, फोटो गैलरी- डॉ. संकेत सौरभ, झांसी, उत्तर प्रदेश, भारत

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