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विश्व इतिहास की झलक जवाहरलाल नेहरू

विश्व इतिहास की झलक- पुस्तक समीक्षा (खण्ड-१), भाग-2

Posted on फ़रवरी 10, 2021दिसम्बर 9, 2024

पुस्तक का नाम- विश्व इतिहास की झलक (भाग- एक), लेखक- जवाहरलाल नेहरू

निनीवे का दूसरा नाम नाइनस भी है। यह पुराने जमाने का एक मशहूर शहर है और असीरियन साम्राज्य की राजधानी था। सम्राट सेनकेविच के जमाने में इस शहर ने बड़ी तरक्की की थी। यह करीब दो सौ साल तक बहुत बड़ा व्यापारिक केन्द्र था। यहाँ का पुस्तकालय अपने जमाने में दुनिया भर में मशहूर था। ईसा से पूर्व 612 में मीडों और बेबीलोनियनों ने मिलकर हमला किया और इस फूलते-फलते शहर को तहस नहस कर डाला। लेखक ने लिखा है कि इंजील या बाइबिल के पुराने हिस्से को तौरात कहा जाता है। अलिफ़ लैला की माया नगरी बगदाद इराक में है।(पेज नं.-34)

एशिया कोचक या एशिया माइनर महाद्वीप के पश्चिम में एक प्रायद्वीप है। यहाँ पर तुर्की का राज्य है। फिनिश जाति एशिया कोचक की एक मशहूर समुद्र- यात्री कौम थी। यूनान की मुख्य भूमि में एथेंस, थीब्स, स्पार्टा और कोरिन्थ जैसे मशहूर शहर थे। यूनानी दार्शनिक होमर अन्धा था जिसने इलियड और ओडिसी नामक महाकाव्यों की रचना की है। यह दोनों महाकाव्य भारत की रामायण और महाभारत की तरह के ग्रन्थ हैं। (पेज नं. 38) यूनान में ही जन्मा पाइथागोरस कट्टर शाकाहारी था। फिदियास यूनान का विख्यात मूर्तिकार था। सोफोक्ले, यूनान का प्रसिद्ध दुखान्त नाटककार और कवि था। इसका समय 495 से 405 ईसा पूर्व है। 468 ईसा पूर्व में उसने अपने प्रतिद्वंद्वी एस्किल को हराकर इनाम पाया था। यह यूनान का कवि सम्राट था।

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तुर्की
तुर्की

ईसा से 490 साल पहले ईरान ने एथेंस पर चढ़ाई की थी। एथेंस के पास मैराथन नामक स्थान पर दोनों के मध्य लड़ाई हुई थी जिसमें एथेंस की विजय हुई थी। मैरेथन के युद्ध के लगभग 10 वर्षों के बाद ईरानी शहंशाह अहस्सुर ने बड़ी सेना लेकर पुनः यूनान पर आक्रमण किया। लियोनीद के नेतृत्व में 300 स्पार्टा वासियों ने थर्मापोली नामक स्थान पर ईरानी सेना का सामना किया और अपना बलिदान दिया। यूनान के प्रसिद्ध टापू सैलेमिस पर 580 ईसा पूर्व में यूनानी और ईरानी जल सेना की प्रसिद्ध लड़ाई हुई थी।

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रोम को संसार की स्वामिनी कहा जाता था। यह अमरपुरी के नाम से भी मशहूर है। रोमुलस, रोम का संस्थापक और पहला सम्राट था। रोमुलस और रेमस दो जुड़वॉं भाई थे। इन दोनों को उनके नाना एम्यूलियस ने एक डोंगी में रखकर टाइबर नदी में बहा दिया। डोंगी उस दलदल में जाकर रुक गई, जहां कि बाद को रोम आबाद हुआ। कहा जाता है कि यहां से एक मादा भेड़िया इनको उठाकर ले गई और इन्हें अपना दूध पिलाया। बाद में फोस्च्यूलस नामक गडरिए की पत्नी ने इनका पालन- पोषण किया। बड़े होकर ये फिलिस्तीन के युद्ध प्रिय गडरियों के एक गिरोह के सदस्य बन गए। कुछ समय बीतने पर इनके बाबा ने इन्हें पहचान लिया, जिसने अन्यायी एम्यूलियस को कत्ल करके अल्बस की गद्दी पर इनको बैठा दिया। बाद में झगड़े में रेमस मारा गया।(पेज नं. 38)

पार्थेनन, अथीनियान एक्रोपोलिस, एथेंस.
पार्थेनन, अथीनियान एक्रोपोलिस, एथेंस.

सालूस यहूदियों के देश इजरायल का पहला बादशाह था। इसका समय ईसा से करीब 1010 साल पहले का है। इसने फिलस्तीन जाति को हराया और अमाले काइट जाति का दमन किया। लेकिन अन्त में फिर फिलस्तीनियों से हार गया और इसीलिए आत्मग्लानि से अपनी ही तलवार पर गिरकर आत्महत्या कर ली। दाऊद या डेविड इजरायल का दूसरा बादशाह था।इसका समय ईसा से 990 साल पहले तक है। जब बादशाह सालूस ने खुदकुशी कर ली और फिलस्तीनियों ने राजकुमार को मार डाला, जब यह राजा बनाया गया। कहा जाता है कि बाइबिल के पुराने अहदनामे का बहुत सा हिस्सा इसी का लिखा हुआ है।

गोलन हाइट्स या गोलन पहाड़ियां
गोलन हाइट्स या गोलन पहाड़ियां

सुलेमान या सालोमन इजरायल का तीसरा बादशाह था। इसके पास बहुत सा धन था। पुराने इतिहास में इसका राज्य शान शौकत के लिए मशहूर है। इसके गीत और कविताएं भी प्रसिद्ध हैं और कहा जाता है कि यह बड़ा बुद्धिमान और इंसाफ़ पसंद बादशाह था। इसकी अक्लमंदी की बहुत सी कहानियाँ मशहूर हैं। हेरोडोटस ने लिखा है कि किसी भी राष्ट्र के इतिहास की तीन मंजिलें होती हैं- पहले सफ़लता, फिर उस सफलता के परिणामस्वरूप अन्याय और उद्दंडता और अंत में इन बुराइयों के फलस्वरूप पतन।

लाखों- करोड़ों वर्ष पहले उत्तरी यूरोप और उत्तरी एशिया में बहुत कड़ी सर्दी पड़ती थी। इस जमाने को हिम युग कहते हैं। जब बर्फ की विशाल नदियाँ मध्य यूरोप तक फैली हुई थीं। समरकंद मध्य एशिया का एक मशहूर शहर है। इसका पुराना नाम माराकांडा है। चौदहवीं शताब्दी में यह मुस्लिम एशिया का सांस्कृतिक केंद्र था। जो देश आज अफगानिस्तान कहलाता है वह प्राचीन काल में वर्षों तक भारत का हिस्सा था। भारत का उत्तर- पश्चिम हिस्सा गांधार कहलाता था। प्राचीन भारत में दक्षिण विहार में मगध, उत्तर विहार में विदेह, काशी, कोशल थे।

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इलाहाबाद में आनंद भवन के सामने भारद्वाज आश्रम है। भारद्वाज रामायण के पुराने जमाने के विद्वान माने जाते हैं। कहा जाता है कि रामचन्द्र अपने वनवास के दिनों में इनके यहाँ आए थे। पौराणिक कथा है कि अगस्त्य ऋषि पहले आर्य थे जो दक्षिण गये और आर्य धर्म तथा आर्य संस्कृति का संदेश दक्षिण तक ले गए। भारत की असली भाषाएं दो भाषा परिवारों में बांटी जा सकती हैं- द्रविड़ भाषा परिवार और आर्य भाषा परिवार। तमिल, तेलगु, कन्नड़ और मलयालम द्रविड़ भाषा परिवार की भाषाएं हैं। प्राचीन भारत में पांचाल गंगा और यमुना के मध्य स्थित था। पांचालों के देश में मथुरा और कान्यकुब्ज दो मुख्य शहर थे। कान्यकुब्ज अब कन्नौज कहलाता है और कानपुर के निकट है।

vaishali stupa
आनंद स्तूप, वैशाली

प्राचीन भारत में पाटलिपुत्र या पटना के निकट वैशाली का नगर था जो लिच्छवी वंश के लोगों की राजधानी थी। प्राचीन भारत में ही हड़प्पा एक बहुत प्राचीन गाँव था। यहाँ से बहुत पुराने जमाने के खंडहर खोदकर निकाले गए हैं। जिनसे पता चलता है कि उस पुराने जमाने में भी भारत की सभ्यता कितनी बढ़ी-चढी थी। वर्तमान समय में यह पश्चिमी पाकिस्तान रावी नदी के दक्षिणी किनारे पर कोट कमालिया से 16 मील दक्षिण- पूर्व में है।

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भारत में जन्मे महावीर का असली नाम बर्धमान था। उन्होंने ही जैन धर्म चलाया। महावीर तो उन्हें दी गई महानता की एक पदवी है। काठियावाड़ में और राजस्थान के आबू पर्वत पर इनके बड़े सुंदर मंदिर पाये जाते हैं। अहिंसा में इनकी बड़ी आस्था है।

पिछले भाग– विश्व इतिहास की झलक- पुस्तक समीक्षा – खंड- १

– डॉ. राज बहादुर मौर्य, असिस्टेंट प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान, बुंदेलखंड कालेज, झाँसी (उत्तर-प्रदेश) फोटो गैलरी-संकेत सौरभ, झांसी, उत्तर प्रदेश, भारत।

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5 thoughts on “विश्व इतिहास की झलक- पुस्तक समीक्षा (खण्ड-१), भाग-2”

  1. आर यल मौर्य कहते हैं:
    मार्च 13, 2021 को 1:09 अपराह्न पर

    पुस्तक की समीक्षा बहूत ही अच्छी एव सारगर्भित है

    प्रतिक्रिया
  2. पिंगबैक: पुस्तक समीक्षा- विश्व इतिहास की झलक (खंड-१), भाग-५ - The Mahamaya
  3. पिंगबैक: पुस्तक समीक्षा- विश्व इतिहास की झलक, (खंड-१) भाग-४ - The Mahamaya
  4. देवेंद्र कुमार मौर्य कहते हैं:
    फ़रवरी 14, 2021 को 8:04 अपराह्न पर

    बेहद पैनी दृष्टि से आपने अवलोकन किया है इसके लिए आप बधाई के पात्र है।

    प्रतिक्रिया
  5. पिंगबैक: पुस्तक समीक्षा- विश्व इतिहास की झलक (खंड-१) भाग-३ - The Mahamaya

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