Skip to content
Menu
The Mahamaya
  • Home
  • Articles
  • Tribes In India
  • Buddhist Caves
  • Book Reviews
  • Memories
  • All Posts
  • Hon. Swami Prasad Mourya
  • Gallery
  • About
The Mahamaya
afghanistan thailand uzbekistan history

पुस्तक समीक्षा- विश्व इतिहास की झलक, भाग- 23 (अंतिम भाग)

Posted on अगस्त 25, 2021दिसम्बर 10, 2023

– डॉ. राजबहादुर मौर्य, असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, राजनीति विज्ञान, बुंदेलखंड कालेज, झाँसी (उत्तर-प्रदेश) भारत । email : drrajbahadurmourya @ gmail.com, website : themahamaya.com

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी पुस्तक विश्व इतिहास की झलक में लिखा है कि इराक या मेसोपोटामिया दजला और फुरात नामक दो नदियों के बीच का हरा भरा और उपजाऊ खण्ड है। बगदाद, हारूं रशीद और अलिफ़ लैला की पुरानी कहानियों की भूमि है। यह ईरान और अरब के रेगिस्तान के बीच में है। इसका मुख्य बंदरगाह बसरा है। यहीं मोसल के पास असीरियाइयों के प्राचीन नगर के खंडहर हैं।

अफगानों की आम भाषा पश्तो है जबकि अफगानिस्तान की दरबारी भाषा फारसी है। बेगम सुरैया अफगान शासक अमानुल्लाह की बीबी थी जिसने अफगानिस्तान के पश्चिमीकरण का प्रयास किया। 1928 में बच्चा- सक्का नामक एक मामूली भिश्ती ने क्रांति कर दिया जिससे 1929 में अमानुल्लाह का तख्तापलट हो गया। वह देश छोड़कर भाग गया और बच्चा- सक्का बादशाह बन बैठा। पांच महीने बाद अमानुल्लाह के एक सेनापति नादिर खां ने उसे हटा दिया और खुद नादिरशाह के नाम से गद्दी पर बैठा। नवम्बर 1933 में नादिरशाह की हत्या कर गयी और उसके बाद उसका पुत्र ज़हीर शाह गद्दी पर बैठा।


भारत के पड़ोसी देश थाईलैंड में राजाओं की उपाधियां राम से होती हैं, जैसे राम प्रथम, राम द्वितीय इत्यादि। पंडित नेहरू के शब्दों में असली क्रांति वह होती है जो राजनीतिक, समाजी और आर्थिक ढांचे को बदल डाले। अगर सत्ता क्रांति के दुश्मनों के हाथ में रह जाए तो यह उम्मीद रखना बेकार है कि क्रांति जिन्दा रह जाएगी।

कील, जर्मनी के उत्तर में महत्वपूर्ण बंदरगाह और जर्मनी जहाज़ी बेडे का अड्डा है। यहां समुद्र के उस पार तक नहर काटी गई है, जो कील नहर कहलाती है। जनवरी 1919 के प्रारम्भ में जर्मन साम्यवादियों ने एक सप्ताह तक शहर में कब्जा बनाए रखा था। इसी को बर्लिन का लाल सप्ताह कहा जाता है। इसके बाद जर्मनी में काप पुत्स विद्रोह हुआ। काप इसका नेता था। पुत्स जर्मन भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है- बलवा। 1922 में जर्मनी ने रूस के साथ संधि कर ली जो रापालो की संधि कहलाती है। 1925 में लोकार्नो की संधियां हुईं।

जर्मनी में बड़े बड़े जमींदारों को यूंकर कहा जाता है। अनुदार राष्ट्रवादियों की सेना (स्वयं सेवक) फौलादी टोप कहलाती है। साम्यवादी मजदूरों के स्वयं सेवक रेड फ्रंट या लाल मोर्चा कहलाते हैं। हिटलर के पीछे पीछे चलने वाले सिपाही नाजी कहलाते थे। इनकी फ़ौज को तूफानी सिपाही कहा जाता था। नाज़ी दल का चिन्ह स्वास्तिक था। 1919 में हंगरी में सफेद आतंक कहलाने वाला जमाना शुरू हुआ जिसका अर्थ था- सामन्ती जमींदारों के द्वारा मजदूरों का कत्ल। प्रथम विश्व युद्ध के कर्जों को चुकाने के लिए अमेरिका ने 1924 में डौज योजना तथा 1929 में यंग योजना बनाई थी। 1926 में अमेरिका 25 अरब डॉलर का लेनदार साहूकार राष्ट्र बन गया था।

अगस्त 1928 में पेरिस में एक करार पर हस्ताक्षर हुए, जिसे केलॉग- ब्रियॉ करार भी कहते हैं।केलॉग अमेरिका का राज्य मंत्री था, जिसने इसकी अगुवाई किया था और आरिस्ताइद ब्रियॉ फ्रांस का विदेश मंत्री था। इस करार में अंतर्राष्ट्रीय मतभेदों का निबटारा आपसी सहमति से करने की बात की गई थी। 1928 में आंग्ल- फ्रांसीसी नौ सेना समझौता हुआ। 1929 फरवरी में, लित्विनोफ करार हुआ, जिसमे रूस ने अपने पड़ोसियों से करार किया। जनरल प्राइमो दि रिवेरा स्पेन का फौजी तानाशाह था।पिल्सूदस्की, पोलैंड का तानाशाह था। अलैक्जेंडर युगोस्लाविया का तानाशाह था।


इटली के तानाशाह बेनितो मुसोलिनी का जन्म 1883 में हुआ था। इसका पिता लोहार था। मार्च 1919 में इसने फासीवाद की बुनियाद डाली। वह हमेशा कहता था कि हमारा कार्यक्रम बहुत सीधा सादा है।हमारा काम, काम करना है, बातें नहीं। उसका चिन्ह रोम का एक पुराना साम्राज्यशाही चिन्ह था, जो रोम के सम्राटों और मजिस्ट्रेटों के आगे- आगे चला करता था। यह छड़ियों का एक बंडल होता था, जिसके बीच में कुल्हाडी रहती थी। उसका गुरु मंत्र था- तर्क वितर्क नहीं, सिर्फ आज्ञा पालन। अपनी वर्दी के लिए उन्होंने काला कुर्ता अपनाया और इसलिए उनका नाम काले कुर्तों वाले पड़ गया। 30 अक्टूबर 1922 को वह इटली का तानाशाह बना। अप्रैल 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति पर मुसोलिनी के विरोधियों ने उसकी हत्या कर दी।

इतालवी विश्व कोष में मुसोलिनी ने लिखा है कि फासीवाद सदा शांति की जरूरत या फायदे मंदी में विश्वास नहीं करता। इसलिए वह शांतिवाद को ठुकराता है, क्योंकि इसमें संघर्ष से इनकार और कुर्बानी के मौके पर लाजिमी बुजदिली के ऐब छिपे हुए हैं। युद्ध और युद्ध ही ऐसी चीज है जो इनसानी शक्तियों को हद दर्जे के खिंचाव पर उठा देता है और जिन कौमों में युद्ध कबूल करने का साहस होता है उन पर अपने बड़प्पन की छाप लगा देता है। मुसोलिनी लोकतंत्र को एक सड़ा हुआ मुर्दा मानता था। जियोवानी जैंताइल एक फासीवादी विचारक और शास्त्र कार था।

वेटिकन, रोम के पास वेटिकन पहाड़ी पर बने हुए पोपों के विशाल राजभवन का नाम है। सन् 1377 ई. से यह पोपों का आवास है। इसी महल के नीचे बसा हुआ वेटिकन नगर पोपों की राजधानी और स्वतंत्र रियायत माना जाता है। इसमें सेंट पीटर्स का गिरिजाघर भी है। आज यह प्रभुसत्ताधारी राज्य है।

विद्वान एंडिख ने लिखा है कि विज्ञान की प्रगति का नाप यह नहीं है कि हम कितने सवालों के उत्तर दे सकते हैं, बल्कि यह है कि हम कितने सवाल पूछ सकते हैं। वर्ष 1929 की विश्व व्यापी मंदी पर नेहरू जी ने कहा था कि हकीकत में यह मंदी पूंजीवाद की पैदा की हुई फालतू आमदनी के असमान बंटवारे का नतीजा थी। 1840 में लंदन में विश्व की गुलामी विरोधी सभा का पहला अधिवेशन हुआ था। डर से आंखें बड़ी हो जाती हैं- यह एक रूसी कहावत है।

रूस में पहले पंचवर्षीय योजनाएं प्रारम्भ की गई। रूसी लोग अपनी भाषा में पंचवर्षीय योजना को पायातिलेत्का कहते हैं। वहां की पहली पंचवर्षीय योजना केवल 4 वर्ष में ही पूरा कर ली गई थी। स्टालिन कहता था कि समाजवाद की इमारत मेहनत- मजूरी पर बनती है। समाजवाद की मांग है कि सब लोग ईमानदारी के साथ मेहनत करें। दूसरों के लिए नहीं, मालदारों के लिए नहीं, शोषकों के लिए नहीं बल्कि खुद अपने लिए, समाज के लिए। नेहरू ने लिखा है कि पूंजीवाद की बुनियाद ही मुकाबलेदारी और निजी मुनाफा रही है और वह भी सदा दूसरों को नुकसान पहुंचा कर। आपसी सहारे का उसूल मान लेने पर गरीबी और भय से छुटकारा मिलता है।

स्टालिन

शमीम का हत्याकांड 1925 में, चीन के एक कस्बे में हुआ था। सोवियत राजनीतिज्ञों को लार्ड बेरकेन हेड हत्यारों की मजलिस और दम्भी मेंढकों की मजलिस कहता था।रूस में मालदार किसानों को कुलक कहा जाता है। कुलक शब्द का अर्थ घूंसा है। दियासलाई का बादशाह स्वीडन निवासी ईवान क्रूगर को कहा जाता था। 1921 में मोरक्को में रिफ युद्ध हुआ, जिसमें अब्दुल करीम ने स्पेनी सेना को पूरी तरह से हरा दिया था। स्पेन की सभा का नाम कोर्ते था। बुखारा और समरकंद, उज़्बेकिस्तान के शहर हैं।

स्रोत :उपरोक्त सभी तथ्य, नेहरू, जवाहर लाल, विश्व इतिहास की झलक, (अनुवाद : चन्द्रगुप्त वार्ष्णेय), प्रकाशन : सस्ता साहित्य मण्डल, कनॉटप्लेस, नई दिल्ली, संस्करण 2015, पुस्तक से साभार लिए गए हैं ।

5/5 (2)

Love the Post!

Share this Post

9 thoughts on “पुस्तक समीक्षा- विश्व इतिहास की झलक, भाग- 23 (अंतिम भाग)”

  1. Rajat Kushwaha कहते हैं:
    सितम्बर 4, 2021 को 9:29 अपराह्न पर

    Sir really excellent informative knowledge , its very helpful for students

    प्रतिक्रिया
    1. Dr. Raj Bahadur Mourya कहते हैं:
      सितम्बर 5, 2021 को 10:04 पूर्वाह्न पर

      Thank you, Rajat bhai

      प्रतिक्रिया
    2. Dr. Raj Bahadur Mourya कहते हैं:
      सितम्बर 10, 2021 को 1:22 अपराह्न पर

      Thank you bhai ji

      प्रतिक्रिया
  2. Toshi Anand कहते हैं:
    अगस्त 27, 2021 को 6:42 अपराह्न पर

    Very lucid and informative for Scholars of History and Political Science. Great work Sir!

    प्रतिक्रिया
    1. Dr. Raj Bahadur Mourya कहते हैं:
      अगस्त 28, 2021 को 9:13 पूर्वाह्न पर

      Thank you very much, Dr. Tosi Anand jee

      प्रतिक्रिया
  3. देवेन्द्र कुमार मौर्य कहते हैं:
    अगस्त 27, 2021 को 5:05 अपराह्न पर

    अत्यंत सुरुचिपूर्ण ढंग से आपने जानकारियों को पिरोया है। आपका समीक्षात्मक लेखन प्रशंसनीय है।

    प्रतिक्रिया
    1. Dr. Raj Bahadur Mourya कहते हैं:
      अगस्त 28, 2021 को 9:14 पूर्वाह्न पर

      बहुत बहुत धन्यवाद आपको डॉ साहब

      प्रतिक्रिया
  4. अभय कहते हैं:
    अगस्त 26, 2021 को 3:28 अपराह्न पर

    यह संक्षिप्तता और व्यापकता का अनूठा संगम है।
    अत्यन्त ज्ञानवर्धक है सर।

    प्रतिक्रिया
    1. Dr. Raj Bahadur Mourya कहते हैं:
      अगस्त 27, 2021 को 9:00 पूर्वाह्न पर

      सुन्दर और सार्थक टिप्पणी। धन्यवाद आपको।

      प्रतिक्रिया

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

About This Blog

This blog is dedicated to People of Deprived Section of the Indian Society, motto is to introduce them to the world through this blog.

Latest Comments

  • Kamlesh mourya पर बौद्ध धर्म और उनसे सम्बन्धित कुछ जानकारियाँ और मौलिक बातें
  • Tommypycle पर असोका द ग्रेट : विजन और विरासत
  • Prateek Srivastava पर प्रोफेसर (डॉ.) ज्योति वर्मा : विद्वता, साहस और ममत्व का अनुपम संगम
  • Mala Srivastava पर प्रोफेसर (डॉ.) ज्योति वर्मा : विद्वता, साहस और ममत्व का अनुपम संगम
  • Shyam Srivastava पर प्रोफेसर (डॉ.) ज्योति वर्मा : विद्वता, साहस और ममत्व का अनुपम संगम

Posts

  • जून 2025 (2)
  • मई 2025 (1)
  • अप्रैल 2025 (1)
  • मार्च 2025 (1)
  • फ़रवरी 2025 (1)
  • जनवरी 2025 (4)
  • दिसम्बर 2024 (1)
  • नवम्बर 2024 (1)
  • अक्टूबर 2024 (1)
  • सितम्बर 2024 (1)
  • अगस्त 2024 (2)
  • जून 2024 (1)
  • जनवरी 2024 (1)
  • नवम्बर 2023 (3)
  • अगस्त 2023 (2)
  • जुलाई 2023 (4)
  • अप्रैल 2023 (2)
  • मार्च 2023 (2)
  • फ़रवरी 2023 (2)
  • जनवरी 2023 (1)
  • दिसम्बर 2022 (1)
  • नवम्बर 2022 (4)
  • अक्टूबर 2022 (3)
  • सितम्बर 2022 (2)
  • अगस्त 2022 (2)
  • जुलाई 2022 (2)
  • जून 2022 (3)
  • मई 2022 (3)
  • अप्रैल 2022 (2)
  • मार्च 2022 (3)
  • फ़रवरी 2022 (5)
  • जनवरी 2022 (6)
  • दिसम्बर 2021 (3)
  • नवम्बर 2021 (2)
  • अक्टूबर 2021 (5)
  • सितम्बर 2021 (2)
  • अगस्त 2021 (4)
  • जुलाई 2021 (5)
  • जून 2021 (4)
  • मई 2021 (7)
  • फ़रवरी 2021 (5)
  • जनवरी 2021 (2)
  • दिसम्बर 2020 (10)
  • नवम्बर 2020 (8)
  • सितम्बर 2020 (2)
  • अगस्त 2020 (7)
  • जुलाई 2020 (12)
  • जून 2020 (13)
  • मई 2020 (17)
  • अप्रैल 2020 (24)
  • मार्च 2020 (14)
  • फ़रवरी 2020 (7)
  • जनवरी 2020 (14)
  • दिसम्बर 2019 (13)
  • अक्टूबर 2019 (1)
  • सितम्बर 2019 (1)

Contact Us

Privacy Policy

Terms & Conditions

Disclaimer

Sitemap

Categories

  • Articles (108)
  • Book Review (60)
  • Buddhist Caves (19)
  • Hon. Swami Prasad Mourya (23)
  • Memories (13)
  • travel (1)
  • Tribes In India (40)

Loved by People

“

030717
Total Users : 30717
Powered By WPS Visitor Counter
“

©2025 The Mahamaya | WordPress Theme by Superbthemes.com