पुस्तक समीक्षा- विश्व इतिहास की झलक, (खंड-१) भाग-४
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बेमिसाल, प्राचीन भारत का मौर्य साम्राज्य –
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी पुस्तक विश्व इतिहास की झलक में लिखा है कि ‘‘सिकन्दर के धावे और उसकी मृत्यु से भारत में एक बहुत बड़े साम्राज्य, मौर्य साम्राज्य की नींव पड़ी, जो भारत के इतिहास का शानदार युग है। मौर्य साम्राज्य की राजधानी मगध में पाटिल पुत्र थी। जिसे आजकल पटना कहा जाता है। सिकन्दर की मृत्यु होते ही चन्द्र गुप्त मौर्य ने आचार्य विष्णु गुप्त कौटल्य के साथ मिलकर तक्षशिला पर आक्रमण कर उस पर अधिकार कर लिया। तत्पश्चात् उसने पाटलिपुत्र पर हमला किया तथा राजा नंद को हरा दिया। यह ३२१ ईसा पूर्व अर्थात् सिकन्दर की मौत के सिर्फ ५ वर्ष बाद की बात है।
चन्द्र गुप्त मौर्य ने सिकन्दर के सेनापति सेलेउक को पराजित कर उसकी पुत्री हेलेना से विवाह भी किया। जिससे दो संतानें भी हुई, बेटा एडोनल तथा बेटी एलिस। चन्द्रगुप्त मौर्य ने मगध पर २४ वर्ष राज किया। ईसा पूर्व २९६ में उसकी मृत्यु हुई। मौर्य साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र शानदार शहर था। यह गंगा के किनारे-किनारे ९ मील तक फैला हुआ था। इसकी चारदीवारी में ६४ मुख्य फाटक थे और सैकड़ों छोटे-छोटे दरवाजे थे।अगर सड़क पर कोई भी व्यक्ति कूड़ा फेंकता था तो उस पर जुर्माना लगता था। पाटलिपुत्र में व्यवस्था के लिए एक नगर परिषद थी जो जनता के द्वारा चुनी जाती थी। इसमें ३० सदस्य होते थे।
चन्द्र गुप्त मौर्य की मृत्यु के बाद उसका पुत्र बिंदुसार मगध का राजा बना जिसने २५ वर्ष तक शांति के साथ शासन किया। उसके शासनकाल में सेलेउक के पुत्र अंतीओक तथा मिस्र के तालमी राजवंश की ओर से राजदूत आते थे। मेगस्थनीज ने भारत के बारे में लिखा है कि कि भारतीय लोग श्रंगार और सौंदर्य के बड़े प्रेमी होते हैं।अपना कद ऊंचा करने के लिए जूता पहनते हैं। बिन्दुसार की मृत्यु होने पर ईसा से २६८ वर्ष पूर्व अशोक मगध का राजा बना। उसने अपने राज्याभिषेक के नवें वर्ष में कलिंग पर चढ़ाई की और उसे जीता। इसके बाद उसने युद्ध का परित्याग कर दिया। इतिहास भर में अशोक ही ऐसा राजा हुआ है जिसने विजय के बाद युद्ध का परित्याग कर दिया था और बौद्ध धर्म अपना लिया था।
सम्राट अशोक ने लगभग ४० वर्ष राज किया। उसने यह आदेश कर रखा था कि हर समय और हर जगह पर चाहे मैं खाता होऊं, अपने सोने के कमरे में होऊं या टहलता होऊं, या सवारी पर होऊं, या कूच कर रहा होऊं, रनिवास में होऊं, प्रतिवेदकों को चाहिए कि वे प्रजा का हाल- चाल बराबर मुझे बताते रहें। अशोक के लिए कोरी प्रार्थनाओं और पूजा पाठ तथा कर्म कांड का नाम धर्म नहीं था, बल्कि उसका अर्थ था नेक काम करना और समाज को ऊंचा उठाना। पाटलिपुत्र के आस पास इतने अधिक बौद्ध विहार थे कि कालांतर में उसका नाम ही विहार पड़ गया। आज़ बिहार एक प्रांत है।
ईसा से लगभग २२६ वर्ष पूर्व सम्राट अशोक की मौत हो गई। अपनी मृत्यु से कुछ दिन पहले वह राज- पाठ छोड़कर बौद्ध भिक्षु हो गया था। बनारस के पास सारनाथ में अशोक का सुंदर स्तम्भ सुरक्षित है जिसकी चोटी पर चार शेर बने हुए हैं। यही भारत का राज चिन्ह है। अशोक की मृत्यु के ६०० साल बाद चीनी यात्री फाहियान ने पाटलिपुत्र नगर को देखा था। उसने अपने विवरण में लिखा है कि राजमहल मनुष्यों का बनाया हुआ नहीं मालुम पड़ता है। फाहियान की यात्रा के दौरान भारत में चन्द्र गुप्त द्वितीय का शासन था। पंडित नेहरू के अनुसार बौद्ध धर्म जाति- पांति, पुरोहिताई और कर्म कांड के खिलाफ एक विद्रोह था। बुद्ध का अर्थ है- जागा हुआ, यानी जिसे ज्ञान प्राप्त हो गया हो।
देवनाम् पिय सम्राट अशोक के बारे में ब्रिटिश इतिहासकार एच. जी. वेल्स ने अपनी पुस्तक आउट लाइन ऑफ हिस्ट्री में लिखा है कि ‘‘इतिहास के पन्नों में संसार की जिन तरह- तरह की उपाधियों वाले लाखों राजाओं के नाम भरे पड़े हैं, उनमें अकेले अशोक का नाम ही सितारे की तरह चमकता है।वोल्गा नदी से जापान तक आज भी उसका नाम आदर के साथ लिया जाता है।” चीन, तिब्बत और भारत ने भी- हालांकि उसने धर्म सिद्धांतों को छोड़ दिया है- उसकी महानता की परम्परा को कायम रखा है। आज अशोक का नाम श्रृद्धा के साथ याद करने वालों की संख्या इससे कहीं अधिक है जिन्होंने कॉन्स्तेंतीन या शार्लमेन के नाम कभी सुने हों।
कॉन्स्तेंतीन, बिजैतीन साम्राज्य का पहला बादशाह था जो महान् कहलाता है। इसका समय २७३ से २३७ ईसा पूर्व है। तुर्की का कुस्तुंतुनिया नगर इसी का बसाया हुआ है।अब इस शहर का नाम इस्तम्बूल है और यह तुर्की की राजधानी है। शार्लमेन, पवित्र रोमन सम्राट और फ्रांसीसी जाति का राजा था। इसका जन्म सन् ७४२ में हुआ था। इसके साम्राज्य में क़रीब सारा पश्चिमी यूरोप था। ८१४ ई. में इसकी मृत्यु हुई।
सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के महामात्य कौटल्य की पुस्तक अर्थ शास्त्र में राजा के धर्म का, उसके मंत्रियों और सलाहकारों के कर्तव्यों का, राज परिषद का, शासन विभागों का, वाणिज्य और व्यापार का, गांवों और कस्बों के शासन का, कानून और अदालत का, सामाजिक रीति-रिवाजों का, स्त्रियों के अधिकार का, बूढ़े और असहाय लोगों के पोषण का, विवाह और तलाक का, टैक्सों का, जलसेना और थलसेना का, युद्ध और संधि का, खेती-बाडी का, कातने और बुनने का, कारीगरों का, पासपोर्टों का और जेलों का भी जिक्र है।
कौटल्य के अर्थ शास्त्र के अनुसार राजसत्ता ग्रहण करते समय राजा को शपथ लेनी पड़ती थी कि ‘‘अगर मैं तुम्हें सताऊं तो स्वर्ग से, जीवन से और संतान से वंचित रहूं। कौटल्य ने लिखा है कि राजा को जरूरी काम के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए, क्योंकि जनता का काम न तो रुक सकता है और न ही राजा की सुविधा का इंतजार कर सकता है। अगर राजा मुस्तैद होगा तो प्रजा भी उतनी ही मुस्तैद होगी। अपनी प्रजा की खुशी में ही उसकी खुशी है। प्रजा के कल्याण में ही उसका कल्याण है। जो बात उसे अच्छी लगे उसी को वह अच्छी न समझे, बल्कि प्रजा को जो अच्छी लगे उसी को वह भी अच्छा समझे।
– डॉ. राज बहादुर मौर्य, फोटो गैलरी-संकेत सौरभ, झांसी, उत्तर प्रदेश, भारत
इतिहास भर में अशोक ही ऐसा राजा हुआ है जिसने विजय के बाद युद्ध का परित्याग कर दिया था और बौद्ध धर्म अपना लिया था।ऐतिहासिक जानकारी से भरपूर है।
आपको बहुत बहुत बधाई सर
मौर्य साम्राज्य भारत के आधुनिक इतिहास की शुरुआत करता है, इसके बिना बृहद भारत की कल्पना ही नामुमकिन है। कई पुराणों में भी मौर्य वंश के राजाओं का उल्लेख मिलता है। इस सारपूर्ण समीक्षा के लिए आपका आभार।
this is the good for students and other peoples who is the interested in history and social knowledge.
Thank you sir
धन्यवाद आपको सर
इतिहास भर में अशोक ही ऐसा राजा हुआ है जिसने विजय के बाद युद्ध का परित्याग कर दिया था और बौद्ध धर्म अपना लिया था।ऐतिहासिक जानकारी से भरपूर है।
आपको बहुत बहुत बधाई सर
धन्यवाद आपको
This is book gives good knowledge and historic facts. It is a great work.
बहुत बहुत धन्यवाद आपको डॉ साहब
बहुत बहुत धन्यवाद आपको डॉ साहब
मौर्य साम्राज्य भारत के आधुनिक इतिहास की शुरुआत करता है, इसके बिना बृहद भारत की कल्पना ही नामुमकिन है। कई पुराणों में भी मौर्य वंश के राजाओं का उल्लेख मिलता है। इस सारपूर्ण समीक्षा के लिए आपका आभार।
धन्यवाद आपको सर
आप की पैनी निगाह को सैल्यूट
ऐतिहासिक जानकारी से भरपूर बहूत ही उम्दा लेख
धन्यवाद आपको, राजा
बहुत सुन्दर व्याख्या.. बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं