18 thoughts on “ज्योतिबा फुले और उनके चिंतन की जीवंतता…

  1. सर्व समाज में शिक्षा की अलख जगाने वाले महामानव को नमन करती हूँ।महापुरुषों को श्रधान्जली अर्पित करने का सही तरीका यही है कि आप उनके महान कार्यों को प्रसारित करें।आपके ब्लॉग मूल्यवान हैं।

  2. महामना ज्योतिबाराव फूले एवं माता सावित्री बाई फूले के संघर्ष से मै अपनी मुक़ाम तक पहुँच हूँ । जो कुछ भी में आज हूँ , वह महामना की देन है । हार्दिक से नमन करता हूँ ।
    डॉ. बृजेंद्र सिंह बौद्ध
    वरिष्ठ प्रवक्ता , बुंदेलखंड कालेज, झाँसी ।
    पूर्व सदस्य- उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा आयोग, प्रयागराज ।

    1. हमें अपने देश के पूर्वजों के त्याग और तपस्या के लिए श्रृद्धावनत होना ही चाहिए। राष्ट्र के महापुरुषों के प्रति यही सच्ची श्रद्धांजलि है। बेशक आप श्रेष्ठ हैं।

    1. ये बात सही है कि वंचित वर्ग को १९वी शताब्दी में सामाजिक स्तर पर मुख्य धारा में लाने के लिए बहुत प्रयास किए गए जिनका प्रभाव अब तलक देखने को मिल रहा है ऐसे महानुभावों को कोटि कोटि प्रणाम।।।। इसके साथ ही मैं ये भी अपने बक्तव्य में व्यक्तिगत रूप से आपकी सराहना करना चाहता हूं कि कागज़ कलम और तकनीकी के माध्यम से आपने जो कदम आगे बढ़ाए हैं वो सराहनीय हैं, आपके विचार हम नवयुवकों के लिए सदा मार्गदर्शन का कार्य करेगे।।।। धन्यवाद्

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *