बहुत याद आते हैं भाई “उमाशंकर मौर्य” जी…
कभी,माननीय मंत्री,श्री स्वामी प्रसाद मौर्य जी के साथ साये की तरह चलने वाले भाई “उमाशंकर मौर्य” जी बहुत याद आते हैं।उनका प्रसन्नचित्त चेहरा, मिलनसार स्वभाव, मीठी बोली, सबके साथ अपनापन का रिश्ता और उन रिश्तों को निभाने की प्रतिबद्धता,हर व्यक्ति को सम्मान देने की उनकी आदत,घर पहुंचने पर यथोचित सत्कार और अभिवादन की उनकी अदा,आज भी ज़हन में तरोताजा है और भुलाए से भी नहीं भूलती है। विश्वास ही नहीं होता कि अब वह हमारे बीच में नहीं हैं। लगता है कि उनकी खनकती हुई आवाज़ कानों में गूंज रही है और वह यहीं आस -पास हैं।
यद्यपि वह मुझसे उम्र में बड़े थे, परन्तु मुझे याद नहीं पड़ता कि उन्होंने कभी मुझे डाक्टर साहब के अलावा नाम लेकर बुलाया हो। जितना वह सबको प्यार करते थे उतना ही उनके चाहने वाले उन्हें दिलो जान से चाहते थे। आज उन्हें इस दुनिया से बिदा लिए हुए पांच साल बीत चुके हैं बावजूद इसके उनकी याद आंखों को नम कर देती है। ऐसे कम लोग होते हैं दुनिया में जिनकी स्मृतियां अमिट होती हैं।श्री उमाशंकर जी ऐसे ही नेक इंसान थे।
दिनांक 13.07.1969 ई को ग्राम व पोस्ट कोर्रही सरैंया जनपद प्रतापगढ़ में उमाशंकर जी का जन्म हुआ था। उनके पिता श्री ननकूराम मौर्य तथा मां श्रीमती शिवकली मौर्या (परिनिवृत्त) थीं। दिनांक 18.03.2015 को मात्र 45 वर्ष की उम्र में ही बीमारी ने उनके प्राण ले लिए। बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी उनकी पत्नी श्रीमती राजकुमारी मौर्या पर आ गई। उमाशंकर जी की पांच बेटियां तथा एक बेटा (संदीप कुमार मौर्य) है। उनकी धर्मपत्नी श्रीमती राजकुमारी मौर्या जी जिला पंचायत सदस्य भी रह चुकी हैं। पिछले दिनों, अशोक की लाट के लोकार्पण समारोह में दिनांक 14.03.2020 को माननीय मंत्री जी के गांव चकवड़ जाते वक्त कोर्रही से गुजर रहे थे तब उमाशंकर जी को याद कर मन भारी हो गया…! हम आप को बहुत याद करते हैं…
– डॉ. राजबहादुर मौर्य,झांसी