अनियंत्रित औद्योगिक पूंजीवाद सामुदायिकता की मनोवैज्ञानिक भावना को क्षति पहुंचाती है। इसका परिणाम समाज को विखंडन वादी प्रवृत्ति के विस्तार के रूप में भुगतना पड़ता है। औद्योगिक जीवन की अवैयक्तिकता…
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
मानवीय सभ्यता के विकास के अनुक्रम में राजनीति का उद्भ़व उस पायदान पर होता है जब रीति- रिवाज तथा परम्पराओं पर टिकी कोई भी व्यवस्था चरमराने लगती है।ऐसी स्थिति में…
सामाजिक दृष्टि
राजनीति को कोई भी व्यक्ति न छू सकता है,न सूंघ सकता है और न ही उसके स्पर्श की अनुभूति कर सकता है। ऐंद्रिक जगत में तो राजनीति से सरोकार केवल…
सामुदायिक समरसता का चित्र
सामुदायिकता एक विचार तथा भावना है जिसके अंत: स्थल में बिना किसी भेद-भाव के सबके साथ समान व्यवहार करना है। यद्यपि दुनिया में सामुदायिकता की भावना का विकास बहुत धीमी,…
शैक्षिक दृष्टि का पुनर्नियोजन
आदर्श का चिंतन निश्चय ही राजनीति से परे और आगे की बात है। यह उन शाश्वत विचारों की खोज है जो इस भौतिक और नैतिक जगत की वास्तविकता है। फिर…
स्वामी प्रसाद मौर्य की व्यापक लोकप्रियता के कारण
स्वामी प्रसाद मौर्य की व्यापक लोकप्रियता के दो विशेष कारण हैं। पहला, व्यक्तिगत स्तर पर उनका जीवन बहुत साफ़ सुथरा है। उनके नज़दीक जाने पर ऐसा लगता है कि हम…
पक्ष सामाजिक परिवर्तन का
समाज की जैविक एकता का विचार राजनीति से यह प्रश्न पूछता रहा है कि क्या सामूहिक सामाजिक गतिविधियों को राजनीति के माध्यम से एक आध्यात्मिक, धार्मिक या सांस्कृतिक उद्देश्य दिया…
यात्राओं का परिवेश तथा परिप्रेक्ष्य
मानव सभ्यता के विकास तथा उसके जटिल अंतर्संबंधों को समझने में यात्राओं का विशेष महत्व है। चीनी यात्री ह्वेनसांग,फाहियान तथा इतसिंग की भारत यात्राओं ने दो सभ्यताओं को समझने की…