1 thought on “ग़रीबी के अभिशाप से ग्रस्त “कोरकू” आदिवासी समुदाय…

  1. जनजातीय समाज पर आपके द्वारा अध्ययन एवं रखे हुए विचार किसी राजनीतिशास्त्री की तरह नहीं बल्कि एक मानवशास्त्रीय दृष्टिकोण से देखा गया है। मुझे पूरा विश्वास है कि आपके इस दृष्टिकोण से ना केवल शोध में संलग्न विद्यार्थियों को बल्कि शासन-प्रशासन के नीति नियामकों को इनके लिए विकास योजनाओं को बनाने, संचालन करने अर्थात क्रियान्वयन करने में सहयोगी होगा। सादर

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