केसर की माटी – कश्मीर घाटी
भारत के केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में स्थित “कश्मीर घाटी” अपने प्राकृतिक सौंदर्य, स्वच्छ पर्यावरण तथा हरी-भरी वादियों के साथ हमेशा से पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रही है। यहां की माटी में “केसर” जैसा बहुमूल्य उत्पाद होता है। कश्मीर घाटी दक्षिण-पश्चिम में “पीर पंजाल” और उत्तर पूर्व में मुख्य हिमालय पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ है। इसकी लंबाई 135 किलोमीटर तथा चौड़ाई 32 किलोमीटर है। कश्मीर घाटी में ही “वैष्णो देवी” तथा अमरनाथ गुफा है जो हिन्दुओं के महत्वपूर्ण तीर्थ हैं।
जम्मू और कश्मीर की उत्तरी और पश्चिमी पट्टी पर पाकिस्तान का कब्जा है जिसे पाक अधिकृत कश्मीर कहा जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय रूप से इसे पाक नियंत्रित कश्मीर कहते हैं। जम्मू कश्मीर की पूर्व रियासत के उत्तर- पूर्वी भाग पर 1962 के बाद से चीन का नियंत्रण है जिसे अक्साई चिन कहा जाता है। पाक अधिकृत कश्मीर घाटी का क्षेत्रफल 2,22,236 वर्ग किलोमीटर है जबकि भारत के पास 1,38,124 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र है। घाटी में कश्मीरी, पहाड़ी, गूजर तथा शिना प्रमुख जातीय समूह निवास करते हैं।
सम्राट अशोक के द्वारा बसाया गया श्री नगर कश्मीर घाटी का ह्रदय स्थल तथा वहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। समुद्र तल से 1700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कश्मीर घाटी में ही विश्व प्रसिद्ध डल झील है। लगभग 18 किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई डल झील की शिकारा नावें तथा उन पर तैरते हुए हाउस बोट पूरी दुनिया में मशहूर हैं।
शालीमार तथा निशात बाग, गुलमर्ग, पहलगाम व चश्मा शाही यहां के खूबसूरत पर्यटन स्थल हैं। यहां पर स्थित मुग़ल गार्डेन की खूबसूरती लाजबाव है। कश्मीर घाटी में तस्तरी नुमा घास के मैदानों को मर्ग कहा जाता है। इस प्रकार गुलमर्ग का अर्थ है- “फूलों का मैदान” तथा सोनमर्ग का अर्थ- “सोने से बना हुआ घास का मैदान”। सोनमर्ग, श्री नगर से उत्तर- पूर्व 87 किलोमीटर दूर तथा समुद्र तल से 3,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। नागिन झील, डल झील से 6 किलोमीटर दूर स्थित है। इसे “ज्वैल इन द रिंग” भी कहते हैं।
कश्मीर के दक्षिण- पश्चिम में पंजाब के मैदान हैं। उत्तर में काराकोरम तथा दक्षिण में हिमालय जांस्कर श्रेणियां हैं जिनके मध्य में सिन्धु नदी की संकरी घाटी है। कश्मीर का अधिकांश भाग चिनाव, झेलम तथा सिन्धु नदी की घाटियों में स्थित है। कश्मीर की सीमाएं पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सिक्यांग तथा तिब्बत से मिलती हैं। जम्मू के पश्चिम का कुछ भाग रावी नदी की घाटी में पड़ता है। चिनाव घाटी में किश्तवाड़ तथा भद्रवाह के पठार, पहाड़ियां और मैदानी भाग पड़ते हैं।
झेलम नदी की घाटी में, कश्मीर घाटी तथा उनके मध्य स्थित संकरी घाटियां और वारामुला- किशनगंज की संकुचित घाटी का निकटवर्ती भाग शामिल है। सिन्धु नदी की घाटी में जांस्कर और रूपशू सहित लद्दाख, बल्तिस्तान, अस्तोद् एवं गिलगित क्षेत्र पड़ते हैं। सिन्द नदी तथा लिद्दर नदी, झेलम नदी की सहायक नदियां हैं।
कश्मीर की मुख्य फसल तथा भोजन चावल है। यहां पर आय का मुख्य स्रोत पर्यटन है। मीठे पानी की “वुलर झील” भी यहीं पर है। कश्मीर घाटी तथा श्री नगर हिमालय के पार जाने वालों का प्रमुख पड़ाव है। सिन्धु के उस पार गिलगित क्षेत्र पड़ता है जहां से चारों ओर पर्वतीय मार्ग जाते हैं। यहीं पर 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित “कोर्जोक” नामक स्थान संसार का उच्चतम कृषक ग्राम माना जाता है।
झेलम नदी के किनारे पर बसा हुआ बारामुला, जम्मू कश्मीर का एक शहर तथा जिला और उसका मुख्यालय भी है। डोडा नदी या स्तोद नदी जम्मू कश्मीर के पूर्वी लद्दाख खण्ड के जंस्कार क्षेत्र में बहने वाली 79 किलोमीटर लंबी नदी है। यह पेन्सी ला (दर्रे) के पास स्थित द्रांग-द्रुंग ग्लेशियर से निकलती है तथा आगे चलकर सिन्धु नदी में मिल जाती है। शीत ऋतु में यह नदी जम जाती है।
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जम्मू कश्मीर के बारामूला जिले में ही झेलम नदी के किनारे “उड़ी” शहर स्थित है। यह पाक अधिकृत कश्मीर के साथ सटी हुई नियंत्रण रेखा से लगभग 10 किलोमीटर दूर है। यहां पर “रालन” का वृक्ष होता था जिसको कश्मीरी भाषा में उड़ी कहते हैं। इसी के नाम पर इस स्थान का नाम उड़ी पड़ा। भारत विभाजन से पहले उड़ी तहसील मुजफ्फराबाद का हिस्सा हुआ करती थी। 14 सितंबर 2016 को यहीं पर भारतीय सेना के कैम्प पर आतंकवादी हमला हुआ था जिसमें 18 जवान शहीद हो गए थे। बाद में भारत ने “सर्जिकल स्ट्राइक” कर इसका बदला लिया था। गुलमर्ग का प्रसिद्ध स्थल भी बारामूला जिले में है। यहीं पर “अमरनाथ गुफा” है।
झेलम उत्तरी भारत में बहने वाली नदी है। वितस्ता उसका वास्तविक नाम है। झेलम नदी का उद्गम वेरीनाग नामी नगर में है। इसकी लंबाई 725 किलोमीटर है। यह मुजफ्फराबाद से मंगला तक भारत-पाक सीमा के समानांतर बहती हुई पाकिस्तान के झंग के निकट चिनाव नदी से मिल जाती है। कश्मीरी भाषा में नाग शब्द का अर्थ “पानी का चश्मा” होता है। पानी का चश्मा ऐसी जगह को कहा जाता है जहां जमीन में बनी हुई दरार या छेद से जमीन के नीचे के किसी जलाशय का पानी अनायास ही बाहर बहता रहता है। वेरीनाग, अनंतनाग से 26 किलोमीटर तथा श्री नगर से 78 किलोमीटर दक्षिण- पूर्व है। यह “जवाहर टनल” को पार करने के बाद कश्मीर घाटी के प्रवेश बिन्दु पर स्थित है। इसे “गेट वे ऑफ कश्मीर” कहा जाता है।
श्री नगर के उत्तर- पश्चिम में 16 किलोमीटर दूर “बुर्ज होम” नामक स्थान से पुरातात्विक उत्खनन में ईसा पूर्व 3,000-1,000 के सांस्कृतिक महत्व के रहस्यों का पता चला है। सम्राट अशोक के काल में यहां पर बौद्ध धर्म आया जिसे कुषाण वंशी राजाओं ने मजबूती प्रदान की। कश्मीर का प्राचीन विस्तृत लिखित इतिहास कल्हण द्वारा लिखी गयी पुस्तक “राजतरंगिणी” में मिलता है। गिलगित में जो पाण्डु लिपियां मिली हैं उनकी भाषा पाली है। उनमें बौद्ध धर्म से संबंधित लेख हैं। वादी-ए-कश्मीर अपने चिनार के पेड़ों, कश्मीरी सेब, केसर, पश्मीना ऊन और शालों पर की गई कढ़ाई,गलीचों और देशी चाय ( कहवा) के लिए प्रसिद्ध है। परम्परागत कश्मीरी दावत को “बाजवान” कहा जाता है। थामस मूर की पुस्तक “लैला रुख” कश्मीर की खूबियों पर आधारित है।
– डॉ. राज बहादुर मौर्य, फोटो गैलरी-संकेत सौरभ, झांसी
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आभार आपका डाक्टर साहब
– डॉ राजबहादुर मौर्य झांसी
विस्तृत लेख और सुंदर अभिव्यक्ति के लिए आप बधाई के पात्र है।
Incredible information Sir..Buddhism flourished and maintained till date in Kashmir..that is amazing..
Thank you very much Dr Sahab