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बौद्ध संस्कृति, स्वतंत्रता, मुक्ति और खुशहाली के लिए जीवट के साथ जीता- वियतनामी समाज (भाग-१)

Posted on नवम्बर 26, 2020नवम्बर 25, 2020
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लगभग २७०० वर्षों से अधिक के ऐतिहासिक कालखंड को अपने अन्तस में संजोए हुए वियतनाम बौद्ध संस्कृति के साथ जीवट के साथ जिंदा है। यहां का राष्ट्र वाक्य है- स्वतंत्रता- मुक्ति और खुशहाली। ‘आगे बढ़ती हुई सेना के कदम, वियतनाम का राष्ट्र गान है।

बौद्ध धर्म यहां का प्रमुख धर्म है। वियतनाम की ८५ प्रतिशत आबादी बौद्ध धर्म को मानती है। चीन और जापान के बाद बौद्ध जनसंख्या में यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है। लगभग साढ़े सात करोड़ यहां बौद्ध अनुयाई हैं। वियतनाम की कुल आबादी लगभग ९ करोड़ है।

जिसे हम आम बोलचाल की भाषा में वियतनाम कहते हैं उसे आधिकारिक तौर पर ‘वियतनाम समाजवादी गणराज्य, के नाम से जाना जाता है। यह देश दक्षिण- पूर्व एशिया के हिन्दचीन प्रायद्वीप के पूर्वी भाग में स्थित है। वियतनाम के उत्तर में चीन, उत्तर- पश्चिम में लाओस, दक्षिण- पश्चिम में कम्बोडिया और पूर्व में दक्षिण चीन सागर स्थित है।

वियतनाम की मुद्रा दोंग है। वियतनामी यहां की राजभाषा है जिसे यहां के ८६ फ़ीसदी लोग बोलते हैं। यह ऐस्ट्रो- एशियाई भाषा परिवार की भाषा है। वियतनाम की स्थापना २ सितंबर १९४५ को हुई है।

लगभग ३३१,२१२ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बसे वियतनाम ने अपने अतीत में गुलामी और उपनिवेशवाद का लम्बा दौर देखा है। २०७ ईसा पूर्व से ९३८ ईसवी तक यहां पर चीनी मूल के कई राजवंशों ने शासन किया है। १९ वीं सदी के मध्य में सन् १८६० से १९४१ तक फ्रांस ने यहां पर अधिकार कर लिया था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान ने सन् १९४१ में फ्रांसीसियों को परास्त कर वियतनाम पर कब्जा कर लिया।

प्रथम हिन्द-चीन युद्ध के बाद वियतनाम की जीत हुई। सन् १९५४ में जिनेवा समझौता हुआ। अमेरिका द्वारा चलाए जा रहे वियतनाम युद्ध का अंत सन् १९७३में  पेरिस समझौते से हुआ। सन् १९७५ उत्तर और दक्षिण वियतनाम का एकीकरण हुआ। पूर्व में वियतनाम, लाओस और कम्बोडिया के इलाकों को इंडो- चीन कहा जाता था।

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वियतनाम में बौद्ध धर्म की महायानी शाखा का प्रभाव अधिक है। वियतनाम की राजधानी हनोई में स्थित हुओंग पगोड़ा बौद्ध धर्म में अत्यधिक पवित्र माना जाता है। बौद्ध मंदिरों का यह परिसर अपनी पवित्रता और अनूठी वास्तुकला के कारण प्रतिवर्ष हजारों पर्यटकों को आकर्षित करता है। इस अद्भुत परिसर का केन्द्र इत्र मंदिर या भीतरी मंदिर हुओंग टीच गुफा में स्थित है। ड्रैगन के मुंह जैसे प्रवेश द्वार के माध्यम से गुफा के अंदर जाने पर सुंदर बुद्ध देव की मूर्तियों के दर्शन होते हैं। यहां का वातावरण पवित्र है जो मन को शांत कर तनाव से मुक्ति देता है। यहां का शानदार प्राकृतिक परिदृश्य प्रभावशाली और बहुत सुंदर है।

हुओंग पगोड़ा

दिनांक ३ सितम्बर २०१६ को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस पगोड़ा की यात्रा किया तथा वहां प्रार्थना किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि आज मुझे यहां पर आने का मौका मिला।कुछ लोग यहां युद्ध को लेकर आए थे,हम यहां बुद्ध को लेकर आए। बुद्ध हमें शांति का मार्ग दिखाते हैं।हमारा वियतनाम से २ हजार साल पुराना नाता है। वियतनाम में स्वस्तिक पवित्र चिन्ह बुद्ध देव के ह्रदय को दर्शाता है।

वियतनामी शानदार, गर्वित, जिद्दी और शरारती होते हैं। उनमें एक साथ टीम वर्क करने की मानसिकता होती है। परम्परागत रूप से वियतनामी जीवन परिवार, खेतों और विश्वास के इर्द- गिर्द घूमता है।लोग कड़ी मेहनत करते हैं। आराम और सुकून से रहना पसंद करते हैं। वियतनामी लोग बेहद खुशमिजाज होते हैं और हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहते हैं। यहां पर काजू की भी खेती की जाती है। बौद्ध धर्म यहां की जीवन पद्धति का हिस्सा है।

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भारत की राजधानी नई दिल्ली से वियतनाम की राजधानी हनोई पहुंचने में हवाई जहाज से लगभग ६ घंटे का समय लगता है। एक तरफ का औसत किराया लगभग २५ से ३० हजार रुपए है। वियतनाम की मुद्रा दोंग कमजोर है। भारत का १ रूपया= ३५० वियतनामी दोंग। वियतनाम की राजधानी हनोई यहां का व्यापारिक बंदरगाह है। वियतनाम का प्राचीन नाम चंपा था। यहां पर रहने वाले फ्रांसीसी को अब कोलोन कहा जाता है। The History of Loss of Vietnam पुस्तक फान बोई चाऊ की लिखी हुई है।

साम्यवादी हो ची मिन्ह वियतनाम के प्रथम राष्ट्रपति थे। १९३० में यहां पर वियतनामी साम्यवादी दल की स्थापना हुई थी। हो ची मिन्ह ने वामपंथ में ‘ राष्ट्रीय मुक्ति संघर्ष, का उदाहरण वियतनाम के माध्यम से प्रस्तुत किया। उनका कहना था कि वर्ग संघर्ष का अंतर्राष्ट्रीय रूप मुक्ति संघर्ष है। यहां पर यह बात याद दिलाना कि द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका ने जितने बम यूरोप में गिराए थे उसके दो गुना अधिक वियतनाम में गिराया है। एक अनुमान के मुताबिक अमेरिका और वियतनाम के युद्ध में लगभग २० से २५ लाख लोग मारे गए। क़रीब ५८ हजार अमेरिकी सैनिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी। वियतनाम को नेपाम केमिकल एजेंट तथा एजेंट ओरेंज जैसे घातक केमिकल का सामना करना पड़ा। बावजूद इसके अपनी जीवटता के कारण वियतनाम पुनः उठ खड़ा हुआ है।

– डॉ. राजबहादुर मौर्य, फोटो गैलरी-संकेत सौरभ, अध्ययन रत एम.बी.बी.एस., झांसी,उ.प्र.(भारत)

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