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झाँसी- ललितपुर संसदीय क्षेत्र : वर्ष 1952 से 2024 तक

Posted on जुलाई 13, 2025जुलाई 27, 2025

डॉ. राजबहादुर मौर्य,असिस्टेंट प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग, बुंदेलखंड कॉलेज, झाँसी (उत्तर- प्रदेश)
email : drrajbahadurmourya@gmail.com , website : themahamaya.com

भूमिका :

प्रस्तुत आलेख भारत के उत्तर – प्रदेश राज्य के अंतर्गत आने वाले बुंदेलखंड परिक्षेत्र में स्थित जनपद झाँसी और ललितपुर की संसदीय सीट पर केंद्रित है । यह बात महत्वपूर्ण है कि झाँसी और ललितपुर दो जनपदों को मिलाकर यह संसदीय क्षेत्र बनाया गया है । इस लोकसभा सीट में झाँसी की तीन, झाँसी नगर, बबीना और मऊरानीपुर विधानसभा सीटें और जनपद ललितपुर की दो विधानसभा सीटें ललितपुर सदर और महरौनी शामिल हैं । इस सीट पर अब तक 17 चुनावों में 9 बार कांग्रेस, 6 बार भाजपा तथा एक- एक बार भारतीय लोकदल व समाजवादी पार्टी को यहाँ की जनता ने प्रतिनिधित्व का मौक़ा दिया है । सम्प्रति इस लोकसभा सीट पर भाजपा के उम्मीदवार श्री अनुराग शर्मा सांसद हैं । लगभग 5,024 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हुए जनपद झाँसी की वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार कुल आबादी 19 लाख, 98 हज़ार, 603 है । झाँसी के उत्तर में जालौन, पूर्व में हमीरपुर और महोबा दक्षिण में मध्यप्रदेश के जनपद टीकमगढ़ तथा दक्षिण पश्चिम में ललितपुर ज़िले आते हैं । पूर्व में झाँसी ज़िले से मध्यप्रदेश का जनपद दतिया और भिंड लगते हैं । वर्ष 1974 में झाँसी से अलग करके जनपद ललितपुर नया जनपद बनाया गया । झाँसी की साक्षरता दर लगभग 70 फ़ीसदी है । झाँसी ज़िले में पाँच तहसीलें : झाँसी, मऊरानी पुर, गरौठा, टहरौली तथा मोंठ तथा 4 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र : बबीना, झाँसी नगर, मऊरानीपुर और गरौठा शामिल हैं । वर्ष 2011 की जनसंख्या रिपोर्ट के अनुसार ललितपुर ज़िले की कुल आबादी 1 लाख, 33 हज़ार, 305 है । ललितपुर जिला मध्यप्रदेश के सागर, टीकमगढ़, छतरपुर, शिवपुरी और गुना ज़िले से सटा हुआ है । बेतवा, धसान और जमनी यहाँ की मुख्य नदियाँ हैं । वर्ष 1958 में बनाया गया तथा लगभग 20 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ माताटीला बांध इसी जनपद के अंतर्गत आता है । झाँसी और ललितपुर दोनों जनपद बेहतरीन रेल कनेक्टिविटी से जुड़े हुए हैं ।

लेखन का उद्देश्य :

उत्तर- प्रदेश के अन्तर्गत आने वाले बुंदेलखंड परिक्षेत्र में कुल सात जनपद झाँसी, ललितपुर, जालौन, चित्रकूट, बांदा, हमीरपुर और महोबा आते हैं । कुल मिलाकर लगभग 1 करोड़ की आबादी यहाँ पर निवास करती है । यहीं 1857 की क्रांति में अपना बलिदान देने वाली महारानी लक्ष्मीबाई की झाँसी तथा शौर्य के प्रतीक आल्हा और ऊदल की नगरी महोबा है । आज़ादी के बाद से ही यहाँ की जनता ने बारी- बारी से सभी प्रमुख राजनीतिक दलों को अपने प्रतिनिधित्व का अवसर दिया है बावजूद इसके आज भी बुंदेलखंड की पहचान एक अभावग्रस्त क्षेत्र के रूप में है । आज भी यह क्षेत्र सूखे की चपेट में आ जाता है । यहाँ पर रोज़गार का कोई साधन नहीं है जिससे पलायन यहाँ की बड़ी चुनौती है । कृषि योग्य भूमि का अभाव होने के कारण किसान भुखमरी की स्थिति में पहुँच जाते हैं । बच्चों की परवरिश, पढ़ाई और शादी- ब्याह के लिए लोग क़र्ज़ लेते हैं जिसे चुका न पाने की स्थिति में मानसिक अवसाद में चले जाते हैं । यह स्थिति उन्हें आत्महत्या तक ले जाती है । प्रस्तुत लेखन और विश्लेषण इसी परिदृश्य के आस-पास केन्द्रित है ।

परिचय:

उत्तर- प्रदेश के बुंदेलखंड परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाली झाँसी- ललितपुर संसदीय सीट पर अब तक कुल 10 माननीयों ने लोकसभा में यहाँ का प्रतिनिधित्व किया है । इनमें से पहले सांसद आचार्य रघुनाथ विनायक धुलेकर (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) से लेकर डॉ.सुशीला नैय्यर,(भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस तथा एक बार भारतीय लोकदल से) श्री गोविन्द दास रिछारिया,(भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) श्री विश्वनाथ शर्मा,(भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) श्री सुजान सिंह बुंदेला,(भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) श्री राजेंद्र अग्निहोत्री,(भारतीय जनता पार्टी) डॉ. चन्द्रपाल सिंह यादव,(समाजवादी पार्टी ) श्री प्रदीप जैन आदित्य,(भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) सुश्री उमा भारती(भारतीय जनता पार्टी) और श्री अनुराग शर्मा (भारतीय जनता पार्टी) शामिल हैं । वर्ष 1952 से 1957 तक रघुनाथ विनायक धुलेकर, वर्ष 1957 से 1967 और 1977 से 1980 तक सुशीला नैय्यर, 1971 से 1977 तक गोविन्द दास रिछारिया, 1980 से 1984 तक विश्वनाथ शर्मा, 1984 से 1989 और 1999 से 2004 तक सुजान सिंह बुंदेला, 1989 से 1998 तक राजेन्द्र अग्निहोत्री, 2004 से 2009 तक चन्द्रपाल सिंह यादव, 2009 से 2014 तक प्रदीप जैन आदित्य, 2014 से 2019 तक साध्वी उमा भारती तथा 2019 से 2024 तथा 2024 से अब तक (2029) तक झाँसी- ललितपुर संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व श्री अनुराग शर्मा कर रहे हैं । सम्प्रति अनुराग शर्मा यहाँ से लोकसभा सदस्य हैं ।

वर्ष 1951 में यहाँ से कुल 7 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे जबकि 1957 में 3, वर्ष 1962 में 3, वर्ष 1967 में 4, वर्ष 1971 में 4, वर्ष 1977 में 4, वर्ष 1980 में 14, वर्ष 1984 में 27, वर्ष 1989 में 18, वर्ष 1991 में 24, वर्ष 1996 में 45, वर्ष 1998 में 18, वर्ष 1999 में 25, वर्ष 2004 में 16, वर्ष 2009 में 18, वर्ष 2014 में 15, वर्ष 2019 में 11 प्रत्याशी मैदान में थे । इस सीट पर वर्ष 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक 45 उम्मीदवार मैदान में थे । इसी चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी राममिलन को अब तक सबसे कम 221 मत मिले थे जबकि वर्ष 2019 में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी श्री अनुराग शर्मा को अब तक के सर्वाधिक वोट 809272 प्राप्त हुए थे । (1) वर्ष 2024 में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनावों में यहाँ की जनता ने पुनः भाजपा प्रत्याशी अनुराग शर्मा को सांसद चुना है । इस बार के चुनाव में यहाँ से कुल 10 प्रत्याशी मैदान में थे । जबकि 21 लाख, 61 हज़ार, 221 कुल मतदाता थे जिनमें 13 लाख, 80 हज़ार, 719 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था । कुल 6 लाख, 90 हज़ार, 316 मत प्राप्त कर अनुराग शर्मा दोबारा सांसद चुने गए और उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के उम्मीदवार प्रदीप जैन आदित्य को 1 लाख, 02 हज़ार, 614 मतों के अंतर से पराजित किया । प्रदीप जैन आदित्य को कुल मिलाकर इस चुनाव में 5 लाख, 87 हज़ार, 702 मत मिले और वह दूसरे स्थान पर रहे ।

निर्दलीय प्रत्याशी :

यद्यपि झाँसी- ललितपुर संसदीय सीट पर जीत का सेहरा हमेशा दलीय प्रत्याशियों ने ही पहना है बावजूद इसके यहाँ पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपनी क़िस्मत आजमाई है । साल 1952 में दो निर्दलीय प्रत्याशियों भार्गव चिंतामणि और बेनी प्रसाद ने चुनाव लड़ा । भार्गव चिंतामणि को 5564 वोट और बेनी प्रसाद को 4426 मत प्राप्त हुए थे । 1957 और 1962 के चुनाव में किसी भी निर्दलीय प्रत्याशी ने नामांकन नहीं किया जबकि शेष सभी चुनावों में निर्दलीय प्रत्याशियों ने अपनी जोर आज़माइश की है । 1967 में 1, 1971 में 1, 1977 में 2, 1980 में 8, 1984 में 22, 1989 में 12, 1991 में 24 और 1996 के लोकसभा चुनाव में यहाँ से सबसे अधिक 32 निर्दलीय उम्मीदवारों ने दलीय प्रत्याशियों को चुनौती दी है । जबकि 1998 में 8, 1999 में 18, 2004 में 9, 2009 में 8, 2014 में 6 और 2019 में 4 तथा वर्ष 2024 के चुनाव में 5 निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में थे । इस प्रकार 1967 से 1977 तक के चुनाव में एक- दो निर्दलीय उम्मीदवार ही रहे लेकिन 1980 के चुनाव से निर्दलियों की तादाद बढ़ती गई और साल 1996 में सबसे ज़्यादा 32 निर्दलीय उम्मीदवारों ने यहाँ से चुनाव लड़ा । 1991 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े ओमप्रकाश रिछारिया 1 लाख, 3 हज़ार, 114 मत पाकर दूसरे नंबर पर रहे । इसी तरह से 1967 में हुए लोकसभा चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़े बी. कुमार 55 हज़ार, 766 मत प्राप्त कर तीसरे स्थान पर रहे ।(2)

झाँसी- ललितपुर संसदीय सीट : मत एवं मतदाता

वर्ष 1957 के आम चुनाव में झाँसी- ललितपुर लोकसभा सीट पर कुल 3 लाख, 90 हज़ार, 926 पंजीकृत मतदाता थे जिनमें से 1 लाख, 65 हज़ार, 447 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था । यह कुल पड़े वैध मतों का 42.32 फ़ीसदी था । इस चुनाव में यहाँ से कुल 3 उम्मीदवार मैदान में थे । वर्ष 1962 के चुनाव में झाँसी- ललितपुर लोकसभा सीट पर 4 लाख, 22 हज़ार, 940 पंजीकृत मतदाता थे जिनमें से 2 लाख, 5 हज़ार, 656 लोगों ने मतदान में हिस्सा लिया था । यह पंजीकृत मतदाताओं का 48.63 प्रतिशत था । इस चुनाव में यहाँ पर 1 लाख, 96 हज़ार, 979 मत वैध पाए गए थे ।(3) इसी प्रकार से वर्ष 1977 के चुनाव में इस सीट पर कुल 6 लाख, 33 हज़ार, 446 पंजीकृत मतदाता थे जिनमें से 55.42 फ़ीसदी अर्थात् 3 लाख, 51 हज़ार, 40 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था । इस बार कुल 4 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे । वर्ष 1980 के चुनाव में यहाँ पर पंजीकृत मतदाताओं की संख्या बढ़कर कुल 7 लाख, 2 हज़ार, 912 हो गई थी जिसमें से 3 लाख, 96 हज़ार, 619 अर्थात् 56.43 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाला था । इस चुनाव में यहाँ पर कुल 3 लाख, 84 हज़ार, 785 मत मान्य किए गए थे ।(4) वर्ष 1984 के आम चुनाव में यहाँ कुल पंजीकृत मतदाताओं की संख्या बढ़कर लगभग 7 लाख, 73 हज़ार, 224 हो गई जबकि लगभग 4 लाख, 73 हज़ार, 784 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था । कुल 27 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे और 61.27 प्रतिशत मतदान हुआ था । वर्ष 1989 के संसदीय चुनाव में झाँसी- ललितपुर संसदीय सीट पर पंजीकृत मतदाताओं की संख्या का आँकड़ा 10 लाख को पार कर गया । इस बार यहाँ पर कुल पंजीकृत मतदाता 10 लाख, 45 हज़ार, 429 थे जबकि 57.90 फ़ीसदी अर्थात् 6 लाख, 5 हज़ार, 281 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था । इसमें से 5 लाख, 71 हज़ार, 794 मत वैध पाए गये थे । (5)

इसी प्रकार वर्ष 1991 के आम चुनाव में झाँसी- ललितपुर संसदीय सीट पर कुल पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 10 लाख, 51 हज़ार, 181, वर्ष 1996 में 12 लाख, 78 हज़ार, 326, वर्ष 1998 में 12 लाख, 98 हज़ार, 180, वर्ष 1999 में 13 लाख, 19 हज़ार, 184, वर्ष 2004 में 15 लाख, 26 हज़ार, 320, वर्ष 2009 में 15 लाख, 62 हज़ार, 82, वर्ष 2014 में 19 लाख, 32 हज़ार, 52 तथा वर्ष 2019 में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 20 लाख के आँकड़े को पार कर गयी । इस बार यहाँ पर पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 20 लाख, 4 हज़ार, 739 थी । वर्ष 1991 के चुनाव में यहाँ पर कुल 24 प्रत्याशी थे और 45.75 प्रतिशत मतदान हुआ था जबकि कुल 4 लाख, 80 हज़ार 883 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था । वर्ष 1996 के चुनाव में यहाँ पर कुल 53.75 फ़ीसदी अर्थात् 6 लाख, 87 हज़ार, 216 लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था । इनमें से 6 लाख, 70 हज़ार, 131 मत वैध पाए गये थे । वर्ष 1998 के चुनाव में यहाँ पर कुल 18 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे जबकि 7 लाख, 82 हज़ार, 854 यानी 50.30 फ़ीसदी मतदान हुआ था । वर्ष 1999 के मध्यावधि चुनावों में झाँसी- ललितपुर संसदीय सीट पर 57.84 फ़ीसदी मतदान हुआ था जबकि 7 लाख, 62 हज़ार, 984 लोगों ने वोट डाला था और इसमें से 7 लाख, 50 हज़ार, 501 मत मान्य किए गए थे । (6)

इसी प्रकार से वर्ष 2004 में सम्पन्न लोकसभा के चुनाव में झाँसी- ललितपुर संसदीय सीट पर कुल 16 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे जबकि 53.70 प्रतिशत यानी 8 लाख, 19 हज़ार, 664 लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया । जबकि 2009 के चुनाव में यहाँ पर 55.17 फ़ीसदी अर्थात् 8 लाख, 61 हज़ार, 859 लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था । वर्ष 2014 के चुनावों में यहाँ पर 15 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे और 13 लाख, 20 हज़ार, 867 अर्थात् 68.37 प्रतिशत लोगों ने वोट किया था जबकि वर्ष 2019 के चुनाव में यहाँ पर 67.67 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने वोट डाले थे और यह संख्या 13 लाख, 80 हज़ार, 890 पहुँचती है । (7)

सांसद आचार्य रघुनाथ विनायक धुलेकर (जन्म- 06-01-1891-मृत्यु-1980 ई.)

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख सेनानी, लेखक तथा भारतीय संविधान सभा के सदस्य रहे आचार्य रघुनाथ विनायक धुलेकर झाँसी लोकसभा क्षेत्र के पहले सांसद थे । एक महाराष्ट्रीयन परिवार से ताल्लुक़ रखने वाले रघुनाथ विनायक धुलेकर का जन्म 6 जनवरी, 1891 को झाँसी शहर में हुआ था । वर्ष 1914 में उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से बी. ए. की तथा 1916 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम. ए. की डिग्री प्राप्त की । तत्पश्चात उन्होंने झाँसी में वकालत करना प्रारम्भ कर दिया । उनकी विद्वता का आलम यह था कि उन्हें फारसी, अरबी और जर्मन सहित 11 विदेशी भाषाओं का ज्ञान था । भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में रहते हुए उन्होंने 1920 में स्वराज प्रशांति नामक अख़बार का प्रकाशन प्रारम्भ किया । 1934 में उन्होंने राष्ट्र सेवा के उद्देश्य से झाँसी में राष्ट्र सेवा मंडल की स्थापना किया । वह 1937 में तथा 1946 से 1950 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे । 1946 से 1950 तक वह भारत की संविधान सभा के सदस्य रहे । आज़ादी के बाद आचार्य धुलेकर ने 1952 का पहला संसदीय आम चुनाव कांग्रेस पार्टी के टिकट पर झाँसी लोकसभा से लड़ा और जीत दर्ज की । इस पद पर वह 1957 तक रहे ।18 अप्रैल, 1958 से 5 मई, 1964 तक वह उत्तर- प्रदेश विधानपरिषद के सदस्य रहे । 20 जुलाई, 1958 से 5 मई, 1964 तक वह विधानपरिषद के सभापति रहे । वर्ष 1967 में राजनीति से संन्यास लेने के बाद उन्होंने सिद्धेश्वर वेदांत पीठ की स्थापना की और अध्यात्मवाद तथा दर्शन पर कई पुस्तकें लिखीं । वर्ष 1974 में बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के द्वारा पंडित रघुनाथ विनायक धुलेकर को डी. लिट से सम्मानित किया गया । वर्ष 1980 में झाँसी में उनका निधन हो गया ।(Wikipedia)

सांसद सुशीला नैय्यर (जन्म-26-12-1914 -मृत्यु-03-01-2001 ई.)

झाँसी- ललितपुर संसदीय सीट से प्रखर नेता सुशीला नैय्यर चार बार सांसद चुनी गईं । वर्ष 1957 का लोकसभा चुनाव उन्होंने कांग्रेस पार्टी के टिकट पर यहाँ से लड़ा और जीत हासिल की । यद्यपि कि इससे पहले वह कभी झाँसी नहीं आयी थीं लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में उन्हें यहाँ पर अपार जनसमर्थन मिला । उनके पहली बार झाँसी आने पर दो हज़ार से ज़्यादा लोगों की भीड़ उनके स्वागत के लिए झाँसी रेलवे स्टेशन पर पहुँच गयी थी । 1962 और 1967 का लोकसभा का चुनाव भी उन्होंने कांग्रेस पार्टी से ही यहीं से लड़ा और जीत दर्ज किया । वह पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री भी रहीं । वर्ष 1971 के चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया । 1977 में डॉ. सुशीला नैय्यर ने भारतीय लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज किया । जनपद झाँसी शहर में स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज की स्थापना उन्हीं के प्रयासों से हुई । इसके अलावा बेतवा नदी पर बना नोटघाट का पुल भी उन्हीं के कार्यकाल में बना था जबकि इसके पहले नदी पार करने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता था ।

डॉ. सुशीला नैय्यर का जन्म पाकिस्तान के कुंजाह शहर में 26 दिसम्बर, 1914 को हुआ था । दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज से उन्होंने एम. बी. बी. एस. और एम. डी. की डिग्री हासिल की थी । वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में उन्होंने हिस्सा लिया और पूना के आगा ख़ाँ पैलेस में क़ैद कर ली गईं । वर्ष 1944 में उन्होंने सेवाग्राम में एक चिकित्सालय की स्थापना की । वर्ष 1948 में गांधी जी की हत्या के बाद सुशीला नैय्यर संयुक्त राज्य अमेरिका चली गईं, जहाँ उन्होंने जॉन हॉपकिंस स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ से सार्वजनिक स्वास्थ्य में दो डिग्री प्राप्त की ।(Wikipedia) उनका कार्यक्षेत्र गुजरात रहा है और वह महात्मा गाँधी की निजी चिकित्सक थीं । उनके भाई प्यारे लाल नैय्यर गांधी जी के निजी सचिव थे ।(Wikipedia) 1952 में पहली बार सुशीला नैय्यर ने राजनीति में प्रवेश किया और दिल्ली विधानसभा के लिए चुनी गईं । 1955 से 1956 तक वह दिल्ली विधानसभा की अध्यक्ष रहीं । चार बार झाँसी- ललितपुर संसदीय क्षेत्र की नुमाइंदगी करने के बावजूद भी उन्होंने कभी झाँसी या ललितपुर में अपना मकान नहीं बनाया बल्कि हमेशा वह अपने कार्यकर्ताओं के घर पर ही ठहरती थीं इसलिए जनता से उनका सीधा जुड़ाव था । (8) उनके दौर में एक नारा बहुत लोकप्रिय हुआ करता था, “एक चवन्नी तेल में, नैय्यर पहुँची जेल में । 3 जनवरी, 2001 को उनका देहांत हो गया । डॉ. सुशीला नैय्यर आजीवन अविवाहित रहीं और गांधीवादी उसूलों के लिए समर्पित रहीं । महात्मा गाँधी और गांधीवादी विचारों पर आधारित कई पुस्तकों का उन्होंने लेखन किया ।

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी, चौधरी चरण सिंह और देवेगौड़ा अटल बिहारी वाजपेयी का झाँसी आगमन :

वर्ष 1977 में कांग्रेस को मिली करारी शिकस्त के बाद पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी अपने क़रीबी कमलापति त्रिपाठी के सुझाव पर फ़रवरी, 1978 में झाँसी आयीं तथा यहाँ पर स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर में पूजा- अर्चना किया । इसके बाद वर्ष 1980 में हुए लोकसभा चुनावों में इंदिरा गाँधी ने पुनः जीत दर्ज की तथा देश की प्रधानमंत्री बनीं । प्रधानमंत्री बनने के बाद दोबारा वह झाँसी आईं तथा यहाँ मंदिर में माथा टेककर आशीर्वाद प्राप्त किया । वर्ष 1977 के आम चुनाव में झाँसी- ललितपुर लोकसभा सीट से चौधरी चरण सिंह ने अपनी पार्टी भारतीय लोकदल से कांग्रेस की बागी प्रत्याशी डॉ. सुशीला नैय्यर को अपना उम्मीदवार बनाया । यहाँ से कांग्रेस को पहली बार 1977 में हार का सामना पड़ा और भारतीय लोकदल की उम्मीदवार डॉ. सुशीला नैय्यर को जीत मिली । नैय्यर के समर्थन में चौधरी चरण सिंह स्वयं यहाँ पर क़िले के मैदान में आयोजित जनसभा को सम्बोधित करने आये थे । उनके पहुँचने से पहले ही मैदान खचाखच भर चुका था । ललितपुर से लगभग 200 किसान कंधे पर हल रखकर सभा में शामिल होने आए थे । यह किसान दो दिन पहले ललितपुर से पैदल चलकर यहाँ पहुँचे थे । चूँकि कंधे पर हल धर किसान भारतीय लोकदल का चुनाव चिह्न था इसलिए चौधरी चरण सिंह यहाँ उमड़ी अपार भीड़ से बेहद खुश और प्रभावित हुए । वर्ष 1998 में पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा भी झाँसी के दौरे पर आए । (9) वर्ष 1996 के लोकसभा चुनावों में झाँसी- ललितपुर संसदीय सीट से उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री नारायण दत्त त्रिपाठी ने भी अपनी अलग पार्टी बना कर क़िस्मत आजमाई लेकिन उनकी पराजय हुई और वह भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी राजेन्द्र अग्निहोत्री से चुनाव हार गए । (10) पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का झाँसी से गहरा रिश्ता रहा है । 1952 यानी जनसंघ की स्थापना के बाद से ही उनका झाँसी आना जाना लगा रहता था । यहाँ क़िले के मैदान में उन्होंने कई जनसभाओं को सम्बोधित किया था । अयोध्या प्रकरण के बाद लालकृष्ण आडवाणी व अन्य नेताओं को यहाँ अस्थायी जेल में रखा गया था और उनसे मिलने अटल बिहारी बाजपेयी जी झाँसी आये थे ।

सांसद डॉ. गोविन्द दास रिछारिया (जन्म-26-02-1920 – मृत्यु-18-03-1996 ई.)

वर्ष 1971 के पांचवें संसदीय आम चुनाव में झाँसी- ललितपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते डॉ. गोविन्द दास रिछारिया की पहचान बुंदेलखंड में एक गांधीवादी नेता के रूप में थी । यह डॉ. रिछारिया की लोकप्रियता तथा आम लोगों के बीच मज़बूत पकड़ ही थी कि उन्होंने तीन बार की विजयी सांसद डॉ. सुशीला नैय्यर को पराजित कर दिया था । यद्यपि डॉ. गोविंद दास रिछारिया केवल एक बार (1971-1977) ही सांसद रहे जबकि 19 साल तक वह लगातार जिला पंचायत के अध्यक्ष रहे । वह 6 सालों तक खादी कमीशन बोर्ड के उपाध्यक्ष रहे । डॉ. गोविंद दास रिछारिया ने बुन्देलखण्ड के प्रमुख राजघाट डैम के शिलान्यास के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को 1975 में आग्रहपूर्वक आमंत्रित किया था और उनके आमंत्रण पर प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी यहाँ पर आयीं थीं ।डॉ. रिछारिया ने पहली बार राज्यसभा में बुन्देलखण्ड की नुमाइंदगी की थी । (11) 26 फ़रवरी, 1920 को गोविंद दास रिछारिया का जन्म झाँसी ज़िले के बरुआ सागर क़स्बे में हुआ । उनके पिता श्री घनश्याम दास रिछारिया थे । लगभग 76 वर्ष की आयु में 18 मार्च, 1996 को गोविंद दास रिछारिया का निधन हो गया । वह 1980 से 1985 तक उत्तर- प्रदेश विधानसभा के सदस्य भी रहे । वह राज्यसभा के सदस्य भी रहे । वर्ष 1974 में झाँसी में स्थापित किये गये भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड कॉर्पोरेशन कारख़ाने की स्थापना में सांसद गोविन्द दास रिछारिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही है । लगभग 431 एकड़ क्षेत्र में फैले हुए इस प्लांट में 210 हेक्टेयर की टाउनशिप भी है । बुन्देलखण्ड में इस प्लांट ने बड़े पैमाने पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लोगों को रोज़गार मुहैया करवाया । इसके साथ ही सांसद जी के प्रयासों से वर्ष 1977 में झाँसी में सूती मिल की शुरुआत की गयी थी जो वर्ष 2021 में पूरी तरह से अब बन्द हो चुकी है । लगभग 67.69 एकड़ में फैली इस सूती मिल में सूती धागों का निर्माण किया जाता था जिसकी सप्लाई देश भर की कपड़ा मिलों में की जाती थी ।

सांसद पंडित विश्वनाथ शर्मा (जन्म-19-10-1939 – मृत्यु-20-11-2017 ई.)

झाँसी- ललितपुर संसदीय क्षेत्र से वर्ष 1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते पंडित विश्वनाथ शर्मा ने मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन को खेल दिवस घोषित कराने का प्रयास किया और उसमें उन्हें सफलता भी मिली । ऐसा कहा जाता है कि एक बड़े औद्योगिक घराने से ताल्लुक़ रखने के बावजूद भी वह जनता के बीच लोकप्रिय थे । इसीलिए जब उन्होंने बुन्देलखण्ड की ही हमीरपुर सीट से चुनाव लड़ा तो उन्हें वहाँ पर भी जीत मिली । (12) पंडित विश्वनाथ शर्मा का जन्म 19 अक्टूबर, 1939 को, कांसली जनपद जयपुर, राजस्थान में हुआ था । वर्ष 1980 से 1984 तक वह झाँसी- ललितपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर सांसद रहे और 1991 से 1996 तक लोकसभा क्षेत्र हमीरपुर से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर सांसद रहे । दिनांक 20 नवम्बर, 2017 को 78 वर्ष की आयु में उनका देहांत हुआ । झाँसी- ललितपुर सीट से वर्तमान सांसद श्री अनुराग शर्मा उनके सुपुत्र हैं । जो दूसरी बार इस सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर संसद पहुँचे हैं ।

सांसद अनुराग शर्मा : (जन्म- 16-11-1964 ई.)

वर्ष 2019 के संसदीय चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने झाँसी- ललितपुर के पूर्व सांसद श्री विश्वनाथ शर्मा के सुपुत्र श्री अनुराग शर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया । पार्टी की उम्मीद के मुताबिक़ श्री अनुराग शर्मा ने यहाँ से शानदार जीत हासिल किया और अपनी पारिवारिक विरासत को सम्भाला । वर्ष 2024 में एक बार फिर से भाजपा ने श्री अनुराग शर्मा को ही झाँसी- ललितपुर लोकसभा सीट से लोकसभा चुनाव में उतारा । इस बार उन्होंने यहाँ से जीत दर्ज की और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के प्रत्याशी रहे श्री प्रदीप जैन आदित्य को 1 लाख से अधिक मतों के अंतर से पराजित किया । दिनांक 16 नवम्बर, 1964 को जन्में श्री अनुराग शर्मा के पिता श्री विश्वनाथ शर्मा न केवल पूर्व सांसद हैं बल्कि देश के जाने माने उद्योगपति भी हैं । अनुराग शर्मा की माँ श्रीमती गीता शर्मा हैं । श्री अनुराग शर्मा की शिक्षा- दीक्षा उच्च कोटि की तथा प्रतिष्ठित संस्थानों से हुई है । उनकी प्रारंभिक शिक्षा नैनीताल के प्रतिष्ठित शेयरबुड कॉलेज से हुई है । बी. काम. की पढ़ाई उन्होंने हिस्लोप कॉलेज, नागपुर से पूरी की है और हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल, बोस्टन, संयुक्त राज्य अमेरिका से अनुराग शर्मा ने ओपीएम प्रोग्राम की पढ़ाई की है । परास्नातक की डिग्री उन्होंने बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी से हासिल किया है । श्री अनुराग शर्मा बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन के प्रबंध निदेशक और रानी लक्ष्मीबाई ग्रुप ऑफ पब्लिक स्कूल के अध्यक्ष भी हैं । वह संसदीय प्रक्रियाओं और संवाद में भी पर्याप्त रुचि लेते हैं । उनका सौम्य और सहज व्यवहार लोगों के बीच उन्हें लोकप्रिय बनाता है । “कम बातें और काम अधिक” उनके जीवन का मूल मंत्र है । झाँसी- ललितपुर संसदीय क्षेत्र की जनता को उनसे काफ़ी उम्मीदें हैं ।

सांसद राजेन्द्र अग्निहोत्री (जन्म-01-01-1938 – मृत्यु-05-06-2008 ई.)

झाँसी- ललितपुर संसदीय सीट पर वर्ष 1989 के चुनाव में भाजपा से सांसद चुने गए राजेन्द्र अग्निहोत्री ने पहली बार इस सीट पर कमल खिलाया । इसके बाद उन्होंने 1991, 1996 और 1998 के लोकसभा के लगातार तीन चुनावों में अपनी जीत बरकरार रखी । मूलतः कानपुर के गाँव विजयपुर में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार में जन्में राजेंद्र अग्निहोत्री का छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ाव था । 12 वीं तक की उनकी शिक्षा कानपुर में हुई थी जबकि स्नातक की डिग्री उन्होंने लखनऊ से हासिल की । इसके बाद वह कानपुर में स्टेट बैंक में नौकरी करने लगे थे । इसी बीच वह अशोक सिंघल के संपर्क में आ गए और नौकरी छोड़कर पूरी तरह से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए । 1970 में संघ ने उन्हें विभाग प्रचारक बना कर झाँसी भेजा था । राजेन्द्र अग्निहोत्री ने अपने सरल स्वभाव के चलते यहाँ के आम जनमानस में अपनी पहचान बनाई और साथ ही साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए मज़बूत आधारभूमि भी तैयार की । भारतीय जनता पार्टी के गठन के बाद उन्हें क्षेत्रीय संगठन मंत्री बनाया गया और 1980 के उत्तर- प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा ने झाँसी नगर सीट से अपना प्रत्याशी बनाया । इस चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई । राजेन्द्र अग्निहोत्री सर्वमान्य नेता थे और बुंदेलखंड में लोकप्रिय थे । (13)

सांसद सुजान सिंह बुंदेला (जन्म-01-05-1946 – मृत्यु-30-03-2023 ई.)

वैसे तो झाँसी- ललितपुर संसदीय सीट पर लगातार झाँसी के निवासियों का दबदबा रहा है लेकिन वर्ष 1985 में ललितपुर निवासी सुजान सिंह बुंदेला ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से टिकट हासिल कर जीत दर्ज की और ललितपुर को प्रतिनिधित्व का अवसर दिलाया । वह आठवीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए । 53.18 प्रतिशत मत प्राप्त कर वह पहली बार सांसद बने और लोगों की उम्मीदों पर खरे उतरे । यही कारण रहा कि जनता ने उन्हें 1999 में दूसरी बार भी यहीं से अपना सांसद चुना । तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी से सुजान सिंह बुंदेला के अच्छे संबंध रहे हैं । वर्ष 1977 में अपने बुंदेलखंड दौरे में श्रीमती इंदिरा गाँधी सुजान सिंह बुंदेला के आवास पर भी गईं थीं । राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले सुजान सिंह बुंदेला ने पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी को भी चुनाव में करारी शिकस्त दी थी । दिनांक 1 जून, 1946 को पिता ठाकुर ऊदल सिंह बुंदेला और माँ प्रेम कुँवर के सुपुत्र के रूप में विला, डोंगरा कलां, जनपद ललितपुर, उत्तर प्रदेश में जन्में श्री सुजान सिंह बुंदेला ने अपना राजनीतिक सफ़र बतौर ग्राम प्रधान से शुरू किया था । वर्ष 1972 में वह डोंगराखुर्द से पहली बार निर्विरोध ग्राम प्रधान चुने गए थे । इस पद पर वह 1974 तक रहे । वर्ष 1974 में जब ललितपुर जिला बना तब वह ललितपुर ज़िले के पहले निर्विरोध जिला परिषद के अध्यक्ष चुने गये और 1977 तक इस पद पर रहे । वर्ष 1980 में सुजान सिंह बुंदेला ललितपुर की महरौनी विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गये थे । (14) वर्ष 2000 से 2004 तक श्री सुजान सिंह बुंदेला केंद्र सरकार में श्रम मंत्रालय की परामर्श दात्री समिति के सदस्य रहे ।

जन्म डॉ. चन्द्रपाल सिंह यादव (जन्म- 16-03-1959 ई.)

वर्ष 2004 में सम्पन्न हुए लोकसभा के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने झाँसी- ललितपुर संसदीय सीट से चन्द्रपाल सिंह यादव को चुनाव मैदान में उतारा । बुंदेलखंड कॉलेज की छात्र राजनीति में सक्रिय रहे डॉ. चन्द्रपाल सिंह यादव ने इस चुनाव में 2 लाख, 38 हज़ार, 781 मत प्राप्त कर बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार बाबूलाल कुशवाहा को 26,298 मतों के अंतर से पराजित कर जीत हासिल किया । दिनांक 19 मार्च, 1959 को डाकोर, जनपद जालौन में जन्में चन्द्रपाल सिंह यादव समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेताओं में शुमार किए जाते हैं । उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में फर्श से अर्श तक का शानदार सफ़र तय किया है । उनके पिता का नाम श्री ठाकुर प्रसाद यादव तथा माता का नाम श्रीमती इंद्राणी यादव है । झाँसी- ललितपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद (2004-2009) बनने से पहले वह 1996-2001 के बीच झाँसी की विधानसभा सीट बबीना से उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य भी रह चुके हैं । कालान्तर में समाजवादी ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य भी बनाया । दिनांक 26 नवम्बर, 2014 स 25 नवम्बर, 2020 तक डॉ. चन्द्र पाल सिंह यादव राज्य सभा सांसद रहे । डॉ. चन्द्रपाल सिंह यादव की शिक्षा- दीक्षा बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी से सम्पन्न हुई । 2006 में उन्होंने बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से पी.एच. डी. की उपाधि प्राप्त की । डॉ. चन्द्रपाल सिंह यादव 1999 से लगातार 2010 तक कृषक भारती सहकारी समिति (कृभको), भारत और इसकी सभी सहायक कम्पनियों के अध्यक्ष हैं । 2015 में पुनः उन्हें कृभको के अध्यक्ष के रूप में चुना गया । वह एन. सी. यू. आई. के सबसे लम्बे समय तक सेवा करने वाले अध्यक्षों में से एक हैं । वह राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड), राष्ट्रीय शहरी सहकारी बैंक और ऋण समितियों का संघ (नेफक्यूब) के बोर्ड सदस्य भी हैं । नवम्बर, 2021 में आयोजित अंतिम क्षेत्रीय सभा में उन्हें आईसीए- एपी का अध्यक्ष चुना गया था ।

इसके पूर्व वर्ष 1996 में समाजवादी पार्टी ने यहाँ से हरगोविंद कुशवाहा को अपना प्रत्याशी बनाया था । हरगोविंद कुशवाहा को कुल मिलाकर 1 लाख, 34 हज़ार, 152 वोट मिले थे और वह दूसरे नंबर पर रहे । 1998 के चुनाव में भी समाजवादी पार्टी ने पुनः हरगोविंद कुशवाहा को अपना उम्मीदवार बनाया । इस बार उन्हें 2 लाख, 22 हज़ार, 965 मत प्राप्त हुए लेकिन हार का सामना करना पड़ा और दूसरे स्थान से ही संतोष करना पड़ा । इसी प्रकार से वर्ष 2009 तथा 2014 में चन्द्रपाल सिंह यादव तथा 2019 में श्याम सुन्दर यादव को चुनाव मैदान में उतारा था लेकिन जीत किसी को नहीं मिली । 2019 का लोकसभा चुनाव उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा ने मिलकर लड़ा था । (15) समाजवादी विचारधारा के जनक डॉ. राममनोहर लोहिया ललितपुर जिले में दो बार आये थे । पहली बार दिनांक 20 अप्रैल, 1960 में नवनिर्मित घंटाघर के उद्घाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने शिरकत की थी और दूसरी बार सन् 1965 में एक जनसभा को सम्बोधित करने आए थे ।

सांसद प्रदीप जैन आदित्य : (जन्म- 08-09-1962 ई.)

वर्ष 2009 से 2014 तक झाँसी- ललितपुर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर सांसद बने श्री प्रदीप जैन आदित्य की छवि सहज, सरल और मिलनसार व्यक्तित्व के रूप में है । प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार में वह ग्रामीण विकास राज्यमंत्री रहे । इसके अलावा प्रदीप जैन आदित्य वर्ष 2007 से 2012 तक (2009 में विधायक पद से इस्तीफ़ा देकर सांसद का चुनाव लड़े और जीते) की उत्तर- प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर झाँसी सदर सीट से विधायक भी चुने गए । इसके पूर्व 2004 में झाँसी सदर सीट पर विधानसभा के उपचुनाव में उन्होंने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर भाजपा के दिग्गज नेता श्री रवीन्द्र शुक्ल को 16,937 मतों से हराया था । दिनांक 8 सितम्बर, 1962 को जन्में प्रदीप जैन के पिता श्री विष्णु कुमार जैन और माता श्रीमती शांति देवी जैन हैं । प्रदीप जैन आदित्य की सहजता, सरलता और सादगी की छवि आम लोगों के बीच काफ़ी लोकप्रिय है । उनकी शिक्षा- दीक्षा बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से हुई है । उनके पास एम. काम. और क़ानून की डिग्री है । बुंदेलखंड महाविद्यालय झाँसी से छात्र राजनीति से अपना सियासी सफ़र शुरू करने वाले प्रदीप जैन कांग्रेस नेता श्री राहुल गाँधी के क़रीबी माने जाते हैं ।जनपद झाँसी और ललितपुर के विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है । झाँसी में रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना, भारतीय चरागाह और चारा अनुसंधान संस्थान की स्थापना, रेल कोच कारख़ाने का आधुनिकीकरण तथा शहर के बीचोंबीच स्थित सीपरी बाज़ार ओवरब्रिज के निर्माण में भी प्रदीप जैन आदित्य का भरपूर और सराहनीय योगदान रहा है । (विभिन्न वेबसाइट से)

सांसद सुश्री उमा भारती (जन्म- 03-05-1959 ई.)

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी तेज तर्रार छवि की नेता और मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री साध्वी उमा भारती को झाँसी- ललितपुर लोकसभा सीट पर अपना प्रत्याशी बनाया । सुश्री उमा भारती ने अपनी शानदार जीत से यहाँ की सीट भाजपा की झोली में डाल दी । उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले प्रदीप जैन आदित्य को हराया । सुश्री उमा भारती इस सीट पर 2019 तक सांसद रहीं । रामजन्मभूमि आंदोलन की प्रमुख और अग्रपंक्ति की जुझारू कार्यकर्ता रहीं सुश्री उमा भारती ने ही उस दौरान एक प्रमुख नारा दिया था, “श्री राम लला घर आएँगे… मंदिर वहीं बनाएँगे ।” मध्यप्रदेश के जनपद टीकमगढ़ में हुंडा नामक स्थान पर पैदा हुई उमा भारती ने अपने जुझारू तेवर के कारण भारतीय राजनीति में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई । अपने जीवन के शुरुआती दौर से ही वह भारतीय जनता पार्टी में जुड़ गईं और सक्रियता पूर्वक कार्य करने लगीं । वर्ष 1989, वर्ष 1991, वर्ष 1996 और वर्ष 1998 में लगातार चार बार वह मध्यप्रदेश के खजुराहो संसदीय क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर सांसद बनीं । वर्ष 1999 में वह मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर सांसद बनीं । श्री अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में वह मानव संसाधन विकास, पर्यटन, युवा मामले एवं खेल, कोयला और खदान जैसे राज्य स्तरीय तथा कैबिनेट स्तर के विभागों में काम किया ।

वर्ष 2003 के मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में सुश्री उमा भारती के नेतृत्व में भाजपा ने तीन चौथाई बहुमत हासिल किया और वह मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं । लेकिन अगस्त 2004 में उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया ।कुछ समय के लिए भाजपा से उनकी असहमति रही लेकिन वर्ष 2011 में पुनः वह भाजपा में वापस लौट आईं और वर्ष 2012 के उत्तर- प्रदेश विधानसभा चुनावों में जनपद महोबा की चरखारी विधानसभा सीट से विधायक चुनी गयीं । वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पुनः भाजपा ने सुश्री उमा भारती को झाँसी- ललितपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारा और वह विजयी हुईं । उन्हें मोदी सरकार में भारत की जल संसाधन, नदी विकास और गंगा सफ़ाई विभाग का कैबिनेट मंत्री बनाया गया ।

मंत्री पद :

झाँसी- ललितपुर संसदीय सीट से चुनाव जीतने वाले केवल तीन सांसद ही केन्द्र की सरकार में मंत्री बन पाए । वर्ष 1962 में दूसरी बार सांसद बनी डॉ. सुशीला नैय्यर केंद्र सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहीं । वर्ष 2009 में लोकसभा चुनाव जीतने वाले प्रदीप जैन आदित्य को यू.पी. ए. सरकार में ग्रामीण विकास राज्यमंत्री बनने का मौक़ा मिला । प्रदीप जैन आदित्य ने बुंदेलखंड कॉलेज की छात्र राजनीति से अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी । वर्ष 2014 में यहाँ से भाजपा से सांसद बनी साध्वी उमा भारती को केन्द्र सरकार में जल संसाधन, नदी विकास और गंगा सफ़ाई विभाग का कैबिनेट मंत्री बनाया गया । ऐसे में अब तक तीन ही सांसद केन्द्र सरकार में मंत्री बन पाए । साध्वी उमा भारती जी मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री रह चुकी हैं । वह खजुराहो से चार बार तथा भोपाल लोकसभा सीट से भी एक बार सांसद चुनी गईं । उमा भारती का जन्म मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ ज़िले में हुआ है । (16)

चुनावी मैदान और मुद्दे :

जनपद झाँसी में रानी लक्ष्मीबाई के ऐतिहासिक क़िले का मैदान लगातार 40 सालों तक चुनावी सभाओं का प्रमुख स्थान रहा है । क़िले के मैदान को झंडे वाली फील्ड के नाम से भी जाना जाता है यद्यपि अब यह जनरल विपिन रावत पार्क का हिस्सा बन गया है । इस मैदान पर पहली चुनावी जनसभा सन् 1952 में हुई थी जिसे पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सम्बोधित किया था । कालांतर में इस मैदान पर इंदिरा गाँधी, राजीव गांधी, अटल बिहारी बाजपेयी, एच. डी. देवेगौड़ा, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, मुलायम सिंह यादव, मायावती, नारायण दत्त तिवारी और अर्जुन सिंह, राहुल गाँधी, अखिलेश सिंह समेत देश के कई दिग्गज नेता क़िले के मैदान में जनसभा को सम्बोधित कर चुके हैं । इस मैदान पर लगभग बीस हज़ार लोगों के बैठने की व्यवस्था होती थी । बाद में नुमाइश मेला ग्राउंड, क्राफ्ट मेला ग्राउंड, मुक्ताकाशी मंच तथा राजकीय इण्टर कालेज के मैदान पर जनसभाएँ आयोजित की जाने लगीं । बसपा सुप्रीमो मायावती की एक चुनावी रैली सर्किट हाऊस के पास स्थित नुमाइश ग्राउंड में हुई थी जिसमें अपार जनसमूह उपस्थित था । आजकल यह नुमाइश ग्राउंड अटल एकता पार्क में तब्दील हो चुका है और पुराने नुमाइश ग्राउंड का कायाकल्प हो गया है उसका अस्तित्व ख़त्म हो गया है । पिछले चुनाव में दिनांक 15 फ़रवरी, 2019 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जनसभा भोजला मंडी के परिसर में आयोजित की गयी थी । (17) ललितपुर में जिला मुख्यालय में कटरा बाज़ार और घंटाघर पर जनसभाएँ होती थीं । बुंदेलखंड में प्रारम्भिक दौर से ही सूखे की समस्या, बेहतर जल प्रबंधन का अभाव, बेरोज़गारी का दंश, भुखमरी और ग़रीबी की समस्या, पलायन की समस्या, सूखी और बंजर भूमि, क़र्ज़ की समस्या तथा अलग बुंदेलखंड राज्य निर्माण जैसे मुद्दे मुख्य चुनावी मुद्दे होते थे और आज भी हैं ।

निष्कर्ष :

डॉ. राजबहादुर मौर्य,असिस्टेंट प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग, बुंदेलखंड कॉलेज, झाँसी

उपरोक्त सारे विवेचन का निष्कर्ष यह है कि बुंदेलखंड में स्थित झाँसी- ललितपुर संसदीय सीट पर बहुजन समाज पार्टी को छोड़कर, यहाँ की जनता ने सभी प्रमुख राजनीतिक दलों को अपनी नुमाइंदगी का अवसर प्रदान किया है बावजूद इसके अभी भी बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश के सबसे अधिक पिछड़े क्षेत्रों में शामिल किया जाता है । आज भी बुंदेलखंड में बेहतर जल प्रबंधन के अभाव में किसान सूखे की मार झेलते हैं । क़र्ज़, बेरोज़गारी और महंगाई से त्रस्त लोगों के आत्महत्या की ख़बरें आये दिन यहाँ के दैनिक समाचार पत्रों में छपी रहती हैं । बेबसी और लाचारी के कारण बुंदेलखंड से पलायन करके लोग शहरों की ओर जा रहे हैं । पूरे देश में जब जनसंख्या बढ़ रही है तब बुंदेलखंड में यह आँकड़ा विपरीत दिशा में जा रहा है जिसकी मुख्य वजह यहाँ से भारी संख्या में होने वाला पलायन है ।

सन्दर्भ स्रोत :

1- अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, झाँसी, बृहस्पतिवार, 21 मार्च 2024, पेज नम्बर 6

2- अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, झाँसी, शुक्रवार, 22 मार्च 2024, पेज नम्बर 4

3- अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, झाँसी, सोमवार, 1 अप्रैल, 2024, पेज नंबर 4

4- अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, झाँसी, बुधवार, 3 अप्रैल, 2024, पेज नंबर 6

5- अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, झाँसी, बृहस्पतिवार, 4 अप्रैल, 2024, पेज नंबर 4

6- अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, झाँसी, शुक्रवार, शनिवार, 5,6 अप्रैल, 2024, पेज नंबर 6

7- अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, झाँसी, रविवार एवं सोमवार, दिनांक 7, 8 अप्रैल, 2024 पेज नंबर 6, 4

8- अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, झाँसी, दिनांक 28-03-2024

9- अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, झाँसी, दिनांक 12, 21 -04-2024

10- अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, झाँसी, दिनांक 16-03-2024

11- अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, झाँसी, दिनांक 29-03-2024

12- अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, झाँसी, दिनांक 30-03-2024

13- अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, झाँसी, दिनांक 31-03-2024

14- अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, झाँसी, दिनांक 03-04-2024

15- अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, झाँसी, दिनांक 08-04-2024

16- अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, झाँसी, दिनांक 19-04-2024

17-अमर उजाला, दैनिक समाचार पत्र, झाँसी, दिनांक 20-04-2024

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1 thought on “झाँसी- ललितपुर संसदीय क्षेत्र : वर्ष 1952 से 2024 तक”

  1. ANITYA KUMAR JAIN कहते हैं:
    जुलाई 29, 2025 को 4:31 अपराह्न पर

    बहुत ही स्पष्ट, तथ्यात्मक और गहराई से लिखा गया लेख। हमारे संसदीय क्षेत्र की समझ और प्रस्तुति दोनों ही लाजवाब हैं। ऐसे संवेदनशील और तथ्यात्मक सच्चाई से भरे विचार आज की राजनीति में एक नई सोच लाते हैं और राजनीतिज्ञों को आईना दिखाने का कार्य करते है। ऐसे और प्रयास बुद्धिजीवियों को करना चाहिए l

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