Skip to content
Menu
The Mahamaya
  • Home
  • Articles
  • Tribes In India
  • Buddhist Caves
  • Book Reviews
  • Memories
  • All Posts
  • Hon. Swami Prasad Mourya
  • Gallery
  • About
  • hi हिन्दी
    en Englishhi हिन्दी
The Mahamaya

ह्वेनसांग की भारत यात्रा – खुतन,कूचा और गोबी..

Posted on जून 14, 2020जुलाई 14, 2020
Advertisement

खुतन,कूचा और गोबी…

अपनी भारत यात्रा के अंतिम पड़ाव में ह्वेनसांग “क्यूसटन” अर्थात् “खुतन” देश में आया। उसने लिखा है कि इस देश का क्षेत्रफल लगभग 4000 ली है। देश का अधिक भाग पथरीला और बालुकामय है। यह देश संगीत विद्या के लिए प्रसिद्ध है। लोग गाना और नाचना बहुत पसंद करते हैं। लोगों का बाहरी व्यवहार शिष्टाचार पूर्ण होता है।

Leshan Buddha
लेशान के विशाल बुद्ध, मिनजियांग, दादु और किंग्यी नदी के संगम पर.

इन लोगों की लिखावट और वाक्य विन्यास भारत वालों से मिलते जुलते हैं। बोलने की भाषा दूसरों से अलग है। लोग बुद्ध धर्म की बड़ी प्रतिष्ठा करते हैं। कोई 100 संघाराम और लगभग 5000 अनुयाई हैं जो महायान सम्प्रदाय का अध्ययन करते हैं। राजा बड़ा साहसी और वीर है तथा बुद्ध धर्म की बड़ी भक्ति करता है।(पेज नं 430) राजधानी के दक्षिण में लगभग 10 ली पर एक संघाराम है जिसको देश के किसी प्राचीन नरेश ने “वरोचन” अर्हत की प्रतिष्ठा में बनवाया था। यह भिक्षु कश्मीर से यहां पर आया था। राजधानी के दक्षिण – पश्चिम में 20 ली पर एक पहाड़ है जिसकी घाटी में एक संघाराम बनाया गया है, जिसके भीतर बुद्ध देव की एक बड़ी मूर्ति है। इस स्थान पर तथागत ने देवताओं के लाभ के लिए धर्म का विशुद्ध स्वरूप वर्णन किया था। यहीं उन्होंने भविष्य वाणी किया था कि इस स्थान पर एक राज्य स्थापित होगा तथा सत्य धर्म का प्रचार होगा।(पेज नं 433) राजधानी के दक्षिण- पश्चिम में लगभग दस ली पर “दीर्घ भवन” नामक इमारत है। इसके भीतर बुद्ध देव की एक खड़ी हुई मूर्ति है। पूर्व काल में यह मूर्ति “किउची” से लाकर यहां पर रखी गई थी।

Hanging Temple of Hengshan
हवा में खड़ा मंदिर, हेंगशान, शांग्सी प्रोविंस, चीन ।

खुतन आज चीन के शिंजियांग प्रांत के अंतर्गत आता है। वहां के स्थानीय लोग इसको “इल्वी” कहते हैं। रेशम मार्ग पर स्थित “खुतन” प्राचीन काल में बौद्ध राज्य था।खुतन के मार्ग से ही बौद्ध धर्म चीन पहुंचा है। भारत के साथ खुतन का घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है। एक समय खुतन बौद्ध धर्म की शिक्षा का बहुत बड़ा केन्द्र था। वहां पर भारतीय लिपि तथा प्राकृत भाषा प्रचलित थी।खुतन में गुप्त कालीन अनेक अवशेष मिले हैं जिनकी भित्ति पर अजंता शैली से मिलती-जुलती शैली के चित्र पाये गए हैं। सुप्रसिद्ध बौद्ध विद्वान “बुद्ध सेन” का यह निवास स्थान था। काशगर से चीन और चीन से भारत आने वाले सार्थवाह, व्यापारी खुतन होकर ही आते थे।फाहियान और “मार्को पोलो” भी इसी रास्ते से निकले थे। यह तारिम द्रोणी में कुनलुन पर्वतों से ठीक उत्तर में स्थित है। यहां पर मुख्य रूप से “उइगुर” लोग बसते हैं।भुरुंगकाश और कारकाम नदियां मिलकर यहां पर खुतन नदी का रूप ले लेती हैं। यहां की नदियों में सोना पाया जाता है। जैतून, लूकाट, नाशपाती और सेब खूब उगाया जाता है।खुतन की आबादी लगभग 3,22,330 है।

1897 ई की पेरिस में सम्पन्न “एकादश अंतरराष्ट्रीय प्राच्य विद्या कांग्रेस” में फ्रेंच विद्वान “सेनारते” ने भोजपत्र हस्तलेख प्राप्त होने की घोषणा किया जो खरोष्ठी अक्षरों में लिखे धम्मपद का एक अंश था।इसे फ्रेंच यात्री “देरिन” ने 1892 में खोतन में पाया था। भाषा उसकी पाली थी और वह अशोक के शिलालेख की पाली से मिलती-जुलती है। 1896 में स्वीडन निवासी “स्वेन हेडेन” को खुतन और उसके आसपास कितनी ही बुद्ध की मूर्तियों और हस्तलेखों के टुकड़े मिले।

Hanging Temple of Hengshan
बुद्ध देव, हवा में तैरता मंदिर, चीन ।

कूचा

यहीं “कूचा” प्रदेश भी था। अशोकावदान के चीनी अनुवाद में लिखा है कि कूचा अशोक राजा के राज्य में था और वह उसे अपने पुत्र “कुणाल” को देना चाहता था। ईसा की तीसरी सदी में कूचा में बौद्ध धर्म का एक बहुत बड़ा केन्द्र था। वहां पर 1000 मंदिर और विहार थे। 383 ई पूर्व में यहां का राजा “पोच्वेन” था। वह बहुत श्रद्धालु बौद्ध था। कूचा के विहार सुंदर कला के निधान थे। वहां पर विद्या का बहुत सम्मान था। कूचा के विद्यार्थी विद्याध्ययन के लिए भारत में आते थे। चीनी लेखकों के अनुसार कूचा का संगीत भारत से निकला था जिसे कूचियों ने अपनी मौलिकता से समृद्ध किया था। चीनी यात्री “फाहियान” अपनी यात्रा में कूचा से होकर गुजरा था। उस समय यहां पर उसे 4000 भिक्षु मिले थे। फाहियान के बाद काबुल के भिक्षु “धर्म मित्र” 20 साल कूचा में रहे। “मोक्ष गुप्त” नामक बौद्ध भिक्षु भी यहां पर रहते थे जिन्होंने 20 साल तक भारत में अध्ययन किया था। यहां “आश्चर्य” नामक बौद्ध विहार था। ह्वेनसांग को यहां पर 100 विहार तथा 4000 भिक्षु मिले थे।

Related -  पुस्तक समीक्षा- विश्व इतिहास की झलक (भाग-८)

“हेशी” या “गांशू” गलियारा भी एक ऐतिहासिक मार्ग जो उत्तरी रेशम मार्ग में, उत्तरी चीन को “तारिम” द्रोणी (द्रोणी या जलसंभर उसे कहते हैं जहां वर्षा अथवा पिघलती बर्फ का पानी नदियों, नहरों और नालों से बहकर एक स्थान पर एकत्रित हो जाता है) और मध्य एशिया से जोडता था। इस मार्ग के दक्षिण में बहुत ऊंचा और वीरान तिब्बत का पठार है तथा उत्तर में “गोबी” रेगिस्तान है। इस गलियारे में एक के बाद एक नखलिस्तानों (रेगिस्तान में हरी भरी जगह को नखलिस्तान कहा जाता है) की कडियां मिलती हैं जहां छोटे -छोटे कस्बे हुआ करते थे। यहां से गुजरते हुए व्यापारी और अन्य यात्री इन जगहों पर अपने और अपने घोड़ों, ऊंटों के लिए दाना पानी प्राप्त किया करते थे और ठहर भी सकते थे। हेशी गलियारे से पश्चिम की ओर जाने पर रेशम मार्ग तीन उप मार्गों में बंट जाता है। आजकल हेशी गलियारा चीन के ग्वांगझू प्रांत में है।

Cave 158, Reclining Buddha
बुद्ध देव, हजार बुद्ध की गुफाएं(मोगो गुफाएं), गोबी मरुस्थल।

गोबी

यहीं गोबी का मरुस्थल है जिसे पार करने में फाहियान को 17 दिन लगे थे। ह्वेनसांग के भी आने-जाने का यही मार्ग था।यद्यपि आज यह रेगिस्तान है, लेकिन प्राचीन काल में यहां बीच बीच में सम्पन्न बस्तियां थीं। सर औरेल स्टोन द्वारा की गई पुरातात्विक खुदाई में यहां बौद्ध स्तूपों, बौद्ध विहारों तथा बौद्ध देवताओं की मूर्तियां, बहुत सी पांडुलिपियां तथा भारतीय भाषाओं व वरणावर्णाक्षरों में लिखे आलेख प्राप्त हुए हैं। यह कई तरह के जीवाश्मों और दुर्लभ जंतुओं के लिए भी जाना जाता है।अतीत में गोबी मरुस्थल महान् मंगोल साम्राज्य का हिस्सा रहा है। रेशम मार्ग से जुड़े हुए कई महत्वपूर्ण शहरों का भी यह क्षेत्र रहा है।

Related -  ह्वेनसांग की भारत यात्रा- कलिंग, कोशल और अन्ध्र देश...

इस मरुस्थल में आज भी प्राचीन सभ्यताओं के भग्नावशेष पाये जाते हैं। मंगोल यहां की मुख्य जाति है। उत्तर तथा ददक्षिण के घास के मैदानों में आदिवासी लोग हैं जो खानाबदोश जीवन व्यतीत करते हैं। आजकल यह चीन और मंगोलिया में स्थित है। उत्तर से दक्षिण तक इसका विस्तार लगभग 600 मील तथा पूरब से पश्चिम में लगभग 1000 मील है। यह तिब्बत और अल्ताई पर्वत मालाओं के बीच छिछले गर्त के रूप में विद्यमान है। यहां पर आबादी बहुत विरल है। यह एशिया का सबसे बड़ा मरुस्थल है। यहां दो कूबड वाला बेकिटरियन ऊंट पाया जाता है। कभी यह खतरनाक डायनासोर का घर होता था। गोबी एक मंगोलियन शब्द है जिसका अर्थ होता है जल रहित स्थान।

Spring Temple Buddha
बुद्ध देव, ऊँचे कमल-सिंहासन पर, स्प्रिंग टैम्पल, चीन।

जधानी के पश्चिम में लगभग 300 ली चलकर ह्वेनसांग “पोक्याई” अथवा “भगई” नगर मे आया।इस नगर में बुद्ध देव की एक खड़ी मूर्ति लगभग सात फ़ीट ऊंची है। इसके शिर पर बहुमूल्य रत्न हैं।(पेज नं 434) राजधानी के पश्चिम में पांच ली पर एक “समोजोह” नामक संघाराम है। इसके मध्य में एक स्तूप लगभग 100 फ़ीट ऊंचा बना हुआ है।(पेज नं 436) यहां पर एक अर्हत रहता था। एक दिन राजा ने बुद्ध देव का कुछ शरीरांश प्राप्त किया तथा उसे रखना चाहा। अर्हत ने अपने दक्षिणी हाथ से स्तूप को उठाकर और अपनी हथेली पर रखकर राजा को शरीरावशेष उसके नीचे रख देने का आदेश दिया। यह आज्ञा पाकर उसने पात्र रखने के लिए भूमि को खोदा और यह कार्य निबट जाने पर अर्हत ने फिर ज्यों का त्यों स्तूप उसी स्थान पर सहज में रख दिया।

राजधानी के दक्षिण पूर्व में पांच ली पर एक “लुशी” नामक संघाराम है जिसको देश के किसी प्राचीन नरेश की रानी ने बनवाया था।(पेज नं 437) राजधानी के दक्षिण – पूर्व दिशा में लगभग 200 ली पर एक बहुत बड़ी नदी उत्तर- पश्चिम की ओर बहती है। यहां से पूर्वोत्तर लगभग एक हजार ली चलकर ह्वेनसांग “नवय” नामक एक प्राचीन देश में पहुंचा जो ठीक लिडलन के समान है। आगे वह अपने देश में पहुंच गया।

ह्वेनसांग ने यहां तक जो भी देखा या सुना उसका वृत्तांत लिखा है। उसकी सब बातें शिक्षाप्रद हैं।जिन लोगों से उसकी भेंट हुई, सभी ने उसकी प्रशंसा की है। बिना किसी सवारी और बिना किसी सहायक के हजारों मील की यात्रा करना ह्वेनसांग सरीखे धर्म निष्ठ व्यक्ति का ही काम था। धन्य ह्वेनसांग।(पेज नं 440)

“अब रुखसत होता हूं आपसे,आओ सम्भालो साजे ग़ज़ल।
छेड़ो नये तराने, मेरे नगमों को नींद आती है।।”
-फ़िराक़ गोरखपुरी


– डॉ. राज बहादुर मौर्य, फोटो गैलरी- संकेत सौरभ, झांसी (उत्तर प्रदेश)

5/5 (10)

Love the Post!

Share this Post

4 thoughts on “ह्वेनसांग की भारत यात्रा – खुतन,कूचा और गोबी..”

  1. अयोध्या प्रसाद निर्मल कहते हैं:
    जून 18, 2020 को 7:34 पूर्वाह्न पर

    संसार के बहुरत्नों का अपार भण्डार तथा बुद्धदर्शन की विस्तृत जानकारी प्रदान करने के लिए साधन्यवाद सर
    — शत-शत नमन गुरूदेव

    प्रतिक्रिया
    1. Dr. RB Mourya कहते हैं:
      जून 18, 2020 को 8:46 पूर्वाह्न पर

      Thank you

      प्रतिक्रिया
  2. Dr. SITA RAM SINGH कहते हैं:
    जून 17, 2020 को 9:09 पूर्वाह्न पर

    अद्भुत जानकारियों का भंडार.. आपको बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं

    प्रतिक्रिया
    1. Dr. RB Mourya कहते हैं:
      जून 17, 2020 को 9:17 पूर्वाह्न पर

      धन्यवाद आपको डाक्टर साहब

      प्रतिक्रिया

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Seach this Site:

Search Google

About This Blog

This blog is dedicated to People of Deprived Section of the Indian Society, motto is to introduce them to the world through this blog.

Posts

  • मार्च 2023 (2)
  • फ़रवरी 2023 (2)
  • जनवरी 2023 (1)
  • दिसम्बर 2022 (1)
  • नवम्बर 2022 (3)
  • अक्टूबर 2022 (3)
  • सितम्बर 2022 (2)
  • अगस्त 2022 (2)
  • जुलाई 2022 (2)
  • जून 2022 (3)
  • मई 2022 (3)
  • अप्रैल 2022 (2)
  • मार्च 2022 (3)
  • फ़रवरी 2022 (5)
  • जनवरी 2022 (6)
  • दिसम्बर 2021 (3)
  • नवम्बर 2021 (2)
  • अक्टूबर 2021 (5)
  • सितम्बर 2021 (2)
  • अगस्त 2021 (4)
  • जुलाई 2021 (5)
  • जून 2021 (4)
  • मई 2021 (7)
  • फ़रवरी 2021 (5)
  • जनवरी 2021 (2)
  • दिसम्बर 2020 (10)
  • नवम्बर 2020 (8)
  • सितम्बर 2020 (2)
  • अगस्त 2020 (7)
  • जुलाई 2020 (12)
  • जून 2020 (13)
  • मई 2020 (17)
  • अप्रैल 2020 (24)
  • मार्च 2020 (14)
  • फ़रवरी 2020 (7)
  • जनवरी 2020 (14)
  • दिसम्बर 2019 (13)
  • अक्टूबर 2019 (1)
  • सितम्बर 2019 (1)

Latest Comments

  • Dr. Raj Bahadur Mourya पर राजनीति विज्ञान / समाज विज्ञान, महत्वपूर्ण तथ्य (भाग- 40)
  • Somya Khare पर राजनीति विज्ञान / समाज विज्ञान, महत्वपूर्ण तथ्य (भाग- 40)
  • Dr. Raj Bahadur Mourya पर राजनीति विज्ञान / समाज विज्ञान, महत्वपूर्ण तथ्य (भाग- 39)
  • Kapil Sharma पर राजनीति विज्ञान / समाज विज्ञान, महत्वपूर्ण तथ्य (भाग- 39)
  • Dr. Raj Bahadur Mourya पर पुस्तक समीक्षा- ‘‘मौर्य, शाक्य, सैनी, कुशवाहा एवं तथागत बुद्ध’’, लेखक- आर.एल. मौर्य

Contact Us

Privacy Policy

Terms & Conditions

Disclaimer

Sitemap

Categories

  • Articles (80)
  • Book Review (59)
  • Buddhist Caves (19)
  • Hon. Swami Prasad Mourya (22)
  • Memories (12)
  • travel (1)
  • Tribes In India (40)

Loved by People

“

015757
Total Users : 15757
Powered By WPS Visitor Counter
“

©2023 The Mahamaya | WordPress Theme by Superbthemes.com
hi हिन्दी
en Englishhi हिन्दी