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पुस्तक समीक्षा- विश्व इतिहास की झलक (भाग-१२)

Posted on जून 2, 2021जून 2, 2021
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पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी पुस्तक विश्व इतिहास की झलक में लिखा है कि ११ वीं सदी में दक्षिण भारत में एक महान समाज सुधारक रामानुज पैदा हुए। वह वैष्णव मत के अनुयायी थे। १४ वीं सदी में दक्षिण भारत में रामानंद पैदा हुए। कबीर इन्हीं के शिष्य थे। कबीर के कुछ दिनों बाद उत्तर में एक बड़े समाज सुधारक और धार्मिक नेता पैदा हुए, इनका नाम गुरुनानक था। इन्होंने सिक्ख पंथ चलाया। इनके बाद एक-एक करके सिक्खों के १० गुरु हुए जिनमें आखिरी गुरु गोविंद थे।

१६ वीं सदी में बंगाल में एक नामी विद्वान हुए जिनका नाम चैतन्य था। चैतन्य ने कहा कि किताबी ज्ञान किसी काम का नहीं है, इसीलिए उन्होंने भक्ति का मार्ग अपनाया। इस काल में नये किस्म के नए विश्वविद्यालय केन्द्र पैदा हो गये थे। यह टोल कहलाते थे और उनमें पुरानी संस्कृत विद्या पढायी जाती थी। नालंदा और तक्षशिला के बड़े विश्वविद्यालयों का नामों निशान तक मिट चुका था।

दक्षिण भारत में १४ वीं सदी में दो बड़ी सल्तनतें कायम हुईं। एक गुलबर्गा, जिसे बहमनी सल्तनत कहते थे और दूसरी विजय नगर।१६ वीं शताब्दी में बहमनी सल्तनत ढह गई। उसके पांच टुकड़े हो गए- बीजापुर, अहमदाबाद, गोलकुंडा, बीदर और बरार। १५६५ में तालीकोटा के युद्ध में मुगलों ने विजय नगर के साम्राज्य को नष्ट कर दिया। बीजापुर की मुसलमान रियासत में हिन्दू घुड़सवार फौज थी और विजय नगर के हिन्दू राज्य में मुसलमान सिपाही थे। १५१० ई. में पुर्तगालियों ने अल्बुकर्क के नेतृत्व में,जिसे पूर्व के वायसराय का खिताब मिला था, गोवा पर कब्जा कर लिया तथा भयंकर अत्याचार किया।

विजय नगर की बुनियाद सन् १३३६ ई. के क़रीब पड़ी। यह शहर दक्षिण भारत के कर्नाटक प्रदेश में था। यह हिंदू राज्य था। इस नगर में अनेक विदेशी यात्री आए थे। निकोलो कोन्ती नाम का एक इतालवी सन् १५२० में आया था।हिराक का अब्दुर्रज्जाक मध्य एशिया में ख़ान महान् के दरबार से १४४३ में आया था। पेइज नाम का एक पुर्तगाली १५२२ में इस शहर में आया था। कृष्ण देवराय ने यहां पर सन् १५०९ से १५२९ तक २० वर्ष राज किया।

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मलेशिया के टापुओं को मोलुक्का या मलक्का कहते हैं। इन्हें मसाले के टापू भी कहा जाता है।गर्म जलवायु के कारण यहां मसाला अधिक होता है। यूरोप में मसाले बिल्कुल पैदा नहीं होते।रोमिनी ज़माने में काली मिर्च सोने के भाव बिकती थी। बोरोबुदुर के मंदिर जावा में हैं। १३ वीं सदी के अंत में यहां मज्जापहित नामक एक शहर बसाया गया था जो बाद में जावा की राजधानी हो गया।

बोरोबुदुर के बौद्ध मंदिर

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लिखा है कि चीन में महान् सौन्दर्य है, लेकिन यह तीसरे पहर का या शाम का शान्त सौन्दर्य है। चीन के युवान राजवंश को मंगोल कुबलई खां ने क़ायम किया था। जापान के बारे में उन्होंने लिखा है कि कारामुरा शोगुनशाही और अशीकागा शोगुनशाही जापान की हैं। जापान की दो मशहूर इमारतें हैं, एक किनकाकूजी यानी सोने की दालान और दूसरी जिनकाकूजी यानी चांदी की दालान।

किनकाकूजी, जापान

फ्रांस में लुई चौदहवें ने १६४३ से १७१५ ई. अर्थात् ७२ साल तक राज किया।वह महान बादशाह कहलाता है। वह सूर्य था। राइज ऑफ द डच रिपब्लिक नामक उपन्यास, जे. एल. मोटले नामक अमेरिकी लेखक ने लिखा है। यह पुस्तक हिन्दी में नरमेघ नाम से प्रकाशित है। गुलीवर्स ट्रेवल्स (१६६७- १७४५) का लेखक जोनाथन स्विफ्ट है। इस पुस्तक में डाक्टर गुलीवर्स की यात्राओं का दिलचस्प बयान है। एक बार वह एक एक इंच के मनुष्यों के देश में जा पहुंचा और दूसरी बार ५०-६० फुट लम्बे मनुष्यों के देश में। इस पुस्तक का बाल साहित्य में बडा ऊंचा स्थान है।

राबिन्सन क्रूसो का लेखक डेनियल डेफो है। यह अंग्रेजी की एक बड़ी मशहूर और दिलचस्प किताब है। इसमें एक मल्लाह की कहानी है, जिसने लगभग २० वर्ष अकेले ही एक टापू पर बिताए हैं और अपने लिए सब तरह की सहूलियतें इकट्ठा कर लिया था। चे शायर की बिल्ली, एलिस इन द वंडरलैंड, नाम की कहानी की पुस्तक में बयान की हुई एक कल्पित बिल्ली है, जो सदा मुस्कुराती रहती है।

इंग्लैंड में १५६४ से १६१६ ई. तक मशहूर नाटककार शेक्सपियर हुआ। १७ वीं सदी में पैराडाइज लास्ट का लेखक अन्धा कवि मिल्टन हुआ। फ्रांस में १७ वीं सदी में देकार्ते नामक दार्शनिक और मॉलियर नामक नाटककार हुआ।स्पेन में शेक्सपियर का समकालीन सरवांतेज हुआ जिसने दान क्विक्सोत नामक पुस्तक की रचना किया। फ्लोरेंस में मेकियावली हुआ जिसने प्रिंस नामक मशहूर पुस्तक लिखा।

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हालैंड का अर्थ है- धंसी हुई जमीन। स्वीडन के बादशाह गुस्तावश अदोल्फ्स को उत्तर का सिंह कहा जाता है। सन् १६५८ में वेस्टफालिया की संधि से जर्मनी के गृह युद्ध का अंत हुआ। आक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज जैसे विश्वविद्यालय इंग्लैंड की शान है। इंग्लैंड में चार्ल्स पंचम के जमाने में कहा जाता था कि उसके साम्राज्य में सूर्य अस्त नहीं होता। प्यूरिटन, १६ वीं और १७ वीं सदियों में प्रोटेस्टेंट लोगों का एक समुदाय था, जो सादगी पर जोर देता था। बम्बई का टापू इंग्लैंड के बादशाह चार्ल्स द्वितीय को उसकी पत्नी ब्रैगेन्जा (पुर्तगाल) की कैथरीन, के साथ दहेज में मिला था।

सर वाल्टर रैले ने अतलांतिक महासागर को पार कर उस देश के पूर्वी किनारे पर बस्ती डालने की कोशिश की जिसे आज अमेरिका का संयुक्त राज्य कहते हैं, कुंवारी महारानी ऐलिजाबेथ के सम्मान में इसे वर्जीनिया का नाम दिया गया।रैले ही पहला आदमी था, जो अमेरिका से तम्बाकू पीने का रिवाज यूरोप में लाया।

चीनी भाषा में चिन्ह हैं, शब्द नहीं। कांड्.- ही, जिसने चीन में १६६१ से १७२२ ई. तक राज किया, उसने चीनी भाषा का एक कोष तैयार करवाया। यह एक जबर्दस्त ग्रन्थ था। जिसमें ४० हजार से ज्यादा चिन्ह थे। उसका एक सचित्र विश्व कोष है जो कई सौ जिल्दों वाला एक अद्भुत ग्रन्थ है। इसमें हर एक बात को लिया गया है, हरेक बात पर विचार किया गया है। उसकी मृत्यु के बाद यह ग्रंथ तांबे के ठप्पों से छापा गया।

चीनी भाषा में चिन्ह

– डॉ. राजबहादुर मौर्य, फोटो गैलरी- डॉ. संकेत सौरभ, झांसी (उत्तर प्रदेश), भारत

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3 thoughts on “पुस्तक समीक्षा- विश्व इतिहास की झलक (भाग-१२)”

  1. देवेन्द्र कुमार मौर्य कहते हैं:
    जून 3, 2021 को 12:13 अपराह्न पर

    सारगर्भित समीक्षा के लिए आपको साधुवाद।

    प्रतिक्रिया
    1. Dr. Raj Bahadur Mourya कहते हैं:
      जून 3, 2021 को 4:19 अपराह्न पर

      धन्यवाद आपको डॉ साहब

      प्रतिक्रिया
    2. Dr. Raj Bahadur Mourya कहते हैं:
      जून 8, 2021 को 5:31 अपराह्न पर

      बहुत बहुत धन्यवाद आपको डॉ साहब

      प्रतिक्रिया

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