पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी पुस्तक विश्व इतिहास की झलक में लिखा है कि १५२६ ई. में बाबर भारत आया और ४ वर्ष बाद १५३० ई. में ४९ वर्ष की उम्र में बाबर की मौत हुई।उसका पुत्र हुमायूं था। बाबर की लाश को लोग काबुल ले गए और वहीं उसे दफनाया गया। बाबर के बाद हुमायूं गद्दी पर बैठा लेकिन १५४० ई. में बाबर की मृत्यु के १० वर्ष बाद, बिहार के शेर खां नामक अफगान सरदार ने उसे हराकर भारत से निकाल दिया। इसी मुफलिसी की हालत में इधर उधर भटकते राजपूताना के रेगिस्तान में नवम्बर १५४२ में उसकी पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया। रेगिस्तान में पैदा हुआ यही पुत्र आगे जाकर अक़बर के नाम से मशहूर हुआ।
शेर खां से परास्त होने के बाद हुमायूं भागकर ईरान गया। शेरशाह की मृत्यु के बाद १५५६ ई. में हुमायूं ने सेना लेकर फिर दिल्ली जीत लिया और १६ साल बाद दिल्ली के सिंहासन पर आ बैठा। परंतु ६ माह बाद ही वह जीने से गिरकर मर गया। हुमायूं का मकबरा दिल्ली में स्थित है। अक़बर उस समय १३ साल का था।वह दिल्ली का शासक बना। १५५६ ई. के शुरू से १६०५ ई. के अन्त तक यानी करीब ५० वर्ष तक, अकबर ने भारत पर राज किया। अकबर ने गैर मुस्लिमों से लिया जाने वाला जजिया कर समाप्त कर दिया था।अकबर के वफादारों में फैजी और अबुल फ़ज़ल, बीरबल, वित्त मंत्री टोडरमल, मानसिंह तथा गायक तानसेन थे।
शुरू में अकबर की राजधानी आगरा थी, जहां उसने किला बनवाया।इसके बाद उसने आगरे से १५ मील दूर फतहपुर सीकरी में एक नया शहर बसाया।उसने यह जगह इसलिए पसंद की थी कि यहां शेख़ सलीम चिश्ती नाम के एक मुस्लिम संत रहते थे।यहां उसने एक आलीशान शहर बनवाया जो उस वक्त के एक अंग्रेज यात्री के शब्दों में ‘लंदन से भी ज्यादा बड़ा था। यही १५ वर्ष से ज्यादा उसके साम्राज्य की राजधानी रहा। फतहपुर सीकरी और उसकी खूबसूरत मस्जिद, उसका जबरदस्त बुलंद दरवाजा आज भी मौजूद है। मौजूदा इलाहाबाद शहर भी अकबर का बसाया हुआ है। यहां उसने एक किला भी बनवाया।

अकबर ने दीन इलाही नामक एक नए मज़हब का ऐलान किया जिसका इमाम वह खुद था।अकबर अनपढ़ था यानी वह पढ़ लिख नहीं सकता था फिर भी वह विद्वान था। उसने बहुत सी संस्कृत पुस्तकों का फारसी में अनुवाद किया था। उसने हिन्दू विधवाओं के सती होने की प्रथा को बंद करने का हुक्म निकाला था और युद्ध बंदियों को गुलाम बनाए जाने की मनाही कर दी थी। ६४ साल की उम्र में करीब ५० वर्ष राज़ करने के बाद, अक्टूबर १६०५ ई. में अकबर की मृत्यु हो गई।उसकी लाश आगरा के पास सिकंदरे में एक खूबसूरत मकबरे में दफ़न है। अकबर के शासन काल का इतिहास एक लेखक अब्दुल कादिर बदायूंनी ने लिखा है। वह बदायूं का रहने वाला था तथा एक कट्टर मुसलमान था।
अकबर के बाद जहांगीर गद्दी पर बैठा जो उसकी राजपूत रानी का पुत्र था। कश्मीर में श्री नगर के पास शालीमार और निशात नामों से मशहूर बाग इसी ने बनवाए थे। जहांगीर की एक सुंदर बेगम नूरजहां थी। एतमादुद्दौला की कब्र पर आगरे में खूबसूरत इमारत जहांगीर के राज में ही बनी थी। जहांगीर के बाद उसका पुत्र शाहजहां गद्दी पर बैठा और उसने ३० वर्ष यानी १६२८ से १६५८ ई. तक शासन किया। अनमोल रत्नों से जडा मशहूर तख्ते हाउस तथा आगरा में जमना के किनारे सुन्दरता का सपना ताजमहल शाहजहां ने ही बनवाया था। ताजमहल उसकी प्यारी बेगम मुमताज महल का मकबरा है।

ताज के अलावा शाहजहां ने आगरे की मोती मस्जिद, दिल्ली की विशाल जामा मस्जिद और दिल्ली के महलों में दीवाने आम और दीवाने खास बनवाए। इन इमारतों में ऊंचे दर्जे की सादगी है।इसके बाद आखिरी मुगल औरंगजेब आया। उसने अपने शासन की शुरुआत पिता को कैद में डालकर किया। इसने १६५९ से १७०७ ई. तक ४८ साल राज किया। वह कट्टर मजहबी था। उसने जजिया टैक्स दुबारा लगा दिया था। १७०७ में ९० वर्ष की उम्र में औरंगजेब की मृत्यु हुई। औरंगजेब के बाद मुगल साम्राज्य नष्ट हो गया।
मुगल सम्राट जब कहीं के लिए कूच करते थे तो उनका शाही घेरा ३० मील का होता था और आबादी करीब ५ लाख होती थी। इस आबादी में सम्राट की फौज के अलावा लाखों दूसरे लोग और बाजार होते थे। इन्हीं चलते- फिरते डेरों में उर्दू यानी लश्कर की भाषा का विकास हुआ। मुगल सम्राट दिन में कम से कम दो बार झरोखे से लोगों को दर्शन दिया करते थे।अकबर के दरबार में पुर्तगाली पादरियों पर बड़ी कृपा रहती थी।

इंग्लैंड के सम्राट जेम्स प्रथम का राजदूत सर टामस रो १६१५ ई. में जहांगीर के दरबार में गया था। उसने सम्राट से बहुत सारी सहूलियतें हासिल कर ली और ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापार की नींव जमा दी। १६२९ में हुगली में शाहजहां और पुर्तगालियों के बीच युद्ध हुआ जिसमें शाहजहां की जीत हुई। १६३९ में अंग्रेजों ने मद्रास शहर की नींव डाली।१६६२ में इंग्लैंड के बादशाह चार्ल्स द्वितीय ने पुर्तगाल की कैथरीन ऑफ ब्रैगेंजा के साथ शादी की और बम्बई का टापू उसे दहेज में मिला। कुछ दिनों बाद उसने इसे ईस्ट इंडिया कंपनी को बेंच दिया। १६०९ में जॉब चार्नोक ने कलकत्ता शहर की नींव डाली। १६६८ में एक फ्रांसीसी कम्पनी ने सूरत में अपना कारखाना खोला।कुछ साल बाद उसने पांडिचेरी खरीद लिया, जो पूर्वी तट पर सबसे बड़ा बंदरगाह था।
सन् १७३९ ई. में ईरान के शाह नादिरशाह ने अचानक भारत पर धावा बोल दिया और लूट मारकर बेशुमार दौलत के साथ शाहजहां का बनवाया मशहूर तख्ते हाउस भी ले गया। १७ वर्ष के भीतर ही दिल्ली पर अहमद शाह दुर्रानी ने हमला बोला, जो अफगानिस्तान में नादिरशाह का उत्तराधिकारी था। १७६१ ई. में पुनः दुर्रानी ने भारत पर धावा बोला और पानीपत के मैदान में मराठों को परास्त कर दिया और तमाम उत्तर भारत का मालिक बन बैठा। कुछ दिन बाद वह वापस अपने देश लौट गया।
– डॉ. राजबहादुर मौर्य, फोटो गैलरी- डा. संकेत सौरभ, झांसी, उत्तर प्रदेश, भारत