अपनी पुस्तक विश्व इतिहास की झलक में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लिखा है कि भारत में जमशेदजी नौशेरवान जी टाटा पहले उद्योग पति थे जिन्होंने १९०७ में बिहार के साकची गांव में टाटा आयरन एंड स्टील कम्पनी प्रारम्भ किया। साकची गांव अब जमशेदपुर नगर हो गया है और यहां से थोड़ी दूर पर रेल का स्टेशन टाटा नगर कहलाता है। १९११ में भारत में पहला कारखाना कानून बना। इस कानून में पुरुषों के लिए दिन में १२ घंटे और बच्चों के लिए ६ घंटे काम करने के लिए निर्धारित किए गए थे।
भारत से पलायन कर विदेश में मजदूरी करने गए मजदूरों को गिरमिटिया कहा जाता था। गिरमिट शब्द अंग्रेजी के एग्रीमेंट का बिगड़ा रूप है। इसमें मजदूरों के साथ किया गया शर्तनामा होता था, जिसके मातहत वे अपने मालिकों के गुलाम होते थे। रूसी साम्यवादी क्रान्ति अथवा लाल क्रांति के नायक लेनिन की मौत २१ जनवरी १९२४ ई. को मास्को के पास हुई थी मास्को के लाल चौक में उसका मकबरा है। ल्यूनाशार्की, जो लेनिन का साथी था, ने कहा था कि ईसा अगर आज जिन्दा होता तो वह बोल्शेविक होता।
लेनिन ने स्त्रियों के बारे में कहा था कि जब तक आधी आबादी गुलामी करती रहेगी, तब तक कोई राष्ट्र आजाद नहीं हो सकता। उसने बच्चों के बारे में कहा था कि इनके जीवन हमारे जीवनों से ज्यादा आनंद के होंगे। इन्हें उन बहुत सारी मुसीबतों से नहीं गुजरना पड़ेगा जिन्हें हम लोगों ने पार किया है। इन्हें अपने जीवन में इतने ज्यादा जुल्म नहीं देखने पड़ेंगे। भारत में श्रीमती एनी बेसेंट पहली महिला थीं जो कांग्रेस की अध्यक्ष बनी। श्रीमती सरोजिनी नायडू दूसरी महिला। १९१५ के कलकत्ता अधिवेशन की अध्यक्षता एनी बेसेंट ने किया था। १९१६ का लखनऊ अधिवेशन हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए मशहूर है। इसी में कांग्रेस और मुस्लिम लीग में समझौता हुआ।

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान पंजाब के बाबा गुरुदत्त सिंह नामक एक सिक्ख ने कोमागातामारु नामक पूरा का पूरा जहाज़ किराए पर लिया और उसे भरकर कलकत्ता से कनाडा ले गया। कनाडा के बैंकोवर में इसके सवारों को सरकार ने उतरने नहीं दिया और उसे वापस भेज दिया गया। कलकत्ता में पुलिस झड़प में इस जहाज के कई यात्री मारे गए।इसे कोमागातामारू काण्ड के नाम से जाना जाता है। प्रथम विश्व युद्ध के परिणामस्वरूप राष्ट्रसंघ बना।इसका मुख्यालय जिनेवा था।इसे बनाने में अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विल्सन की बड़ी भूमिका रही है। भारत इस संघ का मूल सदस्य था। अमेरिका की कांग्रेस ने इस प्रस्ताव को मंजूर नहीं किया इसलिए अमेरिका इस संघ का सदस्य नहीं बन पाया।
प्रथम विश्व युद्ध के बाद मित्र राष्ट्रों ने तुर्की के लिए जो संधि तैयार की थी उसे सेब्र की संधि कहा जाता है। इसने तुर्की की आजादी का अन्त कर दिया। १९२१ में तुर्की और यूनानियों के बीच सकरिया नदी की जंग हुई जिसमें यूनानी परास्त हो गए। अगस्त १९२२ में मुस्तफा कमालपाशा ने अफ्यूम काराहिसार की जंग में आखिरी जीत हासिल कर लिया। १९२३ में तुर्की गणराज्य की घोषणा हो गई। उसकी राजधानी अंगोरा रखी गई। मुस्तफा कमालपाशा राष्ट्रपति चुने गए।१९३३ में लोजान की संधि पर दस्तखत किए गए।
तुर्की भाषा अरबी लिपि में लिखी जाती थी। मुस्तफा कमालपाशा ने उसे बदलकर लातीनी लिपि कर दिया। उसने मज़हबी स्कूल बन्द करा दिया। महिलाओं की बुर्का पहनने की प्रथा समाप्त कर दी गई और आधुनिक तुर्की का निर्माण किया, इसीलिए उसे आधुनिक तुर्की का निर्माता या अतातुर्क कहा जाता है। फ़ैज़ टोपी, तुर्रेदार लाल तुर्की टोपी, जो तुर्की, मिस्र, भारत आदि देशों के मुसलमान पहना करते थे। मोरक्को के फ़ैज़ नगर में बनने के कारण इसका यह नाम पड़ा। आयरलैंड में ब्रिटिश सैनिकों की वर्दी का रंग काला व भूरा था। ब्रिटिश आइल्स में इंग्लैंड, स्काटलैण्ड और आयरलैंड आता है।गाजी का अर्थ- विजयी होता है।

सेक्सपियर के मर्चेंट ऑफ वेनिस नामक नाटक का नायक एक व्यापारी यहूदी से रूपया उधार लेता है और दस्तावेज लिख देता है कि अगर निश्चित तारीख तक कर्ज़ न लौटा सके तो उसके बाद यहूदी को उसके शरीर का एक पौण्ड मांस काट लेने का अधिकार होगा। व्यापारी उस तारीख को पैसा नहीं दे पाता है और यहूदी उसके शरीर का एक पौण्ड मांस मांगता है। इस पर मुकदमा अदालत में जाता है और व्यापारी की प्रेमिका वकील बनकर उसे छुड़ा लेती है।इसी कथानक के आधार पर अंग्रेजी में एक पौण्ड मांस की कहावत बन गई।
१३ अप्रैल १९१९ ई. के दिन अमृतसर में जलियांवाला बाग़ हत्याकांड हुआ था। आधिकारिक तौर पर इसमें ३८९ लोग मारे गए थे। परंतु मरने वालों की वास्तविक संख्या कहीं अधिक थी।उस साल कांग्रेस का सालाना जलसा भी अमृतसर में हुआ था। इस जलसे में आखिरी बार तिलक आए थे, क्योंकि अगले वर्ष उनकी मृत्यु हो गई थी। इस जलसे में अली बन्धु ( मौलाना मोहम्मद अली और मौलाना शौकत अली) भी आए थे। दिसम्बर १९२१ में असहयोग आन्दोलन के दौरान कांग्रेस के अध्यक्ष देशबंधु चितरंजन दास भी गिरफ्तार कर लिए गए। इसलिए उनके स्थान पर अहमदाबाद के सालाना जलसे की सदारत हकीम अजमल खान ने की थी।

मार्च १९२२ में गोरखपुर के पास चौरा-चौरी में घटी हिंसक घटना के परिणामस्वरूप असहयोग आन्दोलन वापस ले लिया गया। इस आंदोलन में करीब ३० हजार व्यक्ति कानून तोड़कर जेल गए थे। स्वराज पार्टी का जन्म इसी आंदोलन की विफलता का परिणाम था। दिसम्बर १९२७ में मद्रास में कांग्रेस का सालाना जलसा हुआ और उसने तय किया कि भारत के लिए राष्ट्रीय स्वाधीनता उसका लक्ष्य है। यह पहला मौका था जब कांग्रेस ने स्वाधीनता की घोषणा किया। २ वर्ष बाद लाहौर में १९२९ के सालाना जलसे में स्वाधीनता साफ़ तौर पर कांग्रेस की नीति बन गई। मद्रास कांग्रेस में सर्वदल सम्मेलन भी बना।
सन् १९२८ में साइमन कमीशन भारत आया। लाहौर में साइमन कमीशन का विरोध करते हुए लाला लाजपत राय पुलिस की लाठियों से घायल हुए। कुछ महीनों बाद उनकी मृत्यु हो गई।इसी समय सर्वदल सम्मेलन संविधान का मसौदा बनाने का और साम्प्रदायिक उलझन का हल निकालने की कोशिश कर रहा था। इसने एक रिपोर्ट तैयार की जिसे नेहरू रिपोर्ट कहा जाता है। जिस कमेटी ने इस प्रारूप को तैयार किया था उसके अध्यक्ष पंडित मोतीलाल नेहरू थे। दिसम्बर १९२८ के कलकत्ता कांग्रेस ने नेहरू रिपोर्ट मंजूर कर ली, जिसमें ब्रिटिश उपनिवेशों के संविधान से मिलते- जुलते संविधान की सिफारिश की गई थी।
– डॉ. राजबहादुर मौर्य, फोटो गैलरी- डॉ. संकेत सौरभ, झांसी, उत्तर प्रदेश, भारत
बहुत अच्छा सर जी
धन्यवाद, कपिल जी
ज्ञान से परिपूर्ण एवम तथ्यों की समावेशी अभिव्यक्ति।
बहुत बहुत धन्यवाद आपको डॉ साहब
सादर प्रणाम सर। आप के द्वारा लाई गई हर एक जानकरी हम जैसे लर्नर के लिए बहुत उपयोगी है सर। बहुत सही और सटीक बातें होती हैं आपकी ।
धन्यवाद आपको प्रिय दुर्गेश जी
महामाया ब्लॉग में dr r b muria ji द्वारा international history aur Indian national movement से महत्त्वपूर्ण जानकारी दी गई हैं। यह सभी के लिए लाभदायक है। ईश्वर आप के कार्य को क्रमबद्ध करने की इच्छाशक्ति प्रदान karta रहे।
बहुत बहुत धन्यवाद आपको डॉ साहब