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ह्वेनसांग की भारत यात्रा- सिंहल द्वीप में…

Posted on मई 22, 2020जुलाई 13, 2020
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सिंहल द्वीप

“सिंहल” को आम बोलचाल की भाषा में “सिरीलंका” (श्री लंका) के नाम से जाना जाता है।इसको “सीलोन” भी कहा जाता है।

mahabodhi tree sri lanka
महा-बोधि वृक्ष, अनुराधापुरा, श्रीलंका।

इस देश का प्राचीन नाम “रत्न द्वीप” भी था। कुछ विद्वान मानते हैं कि ह्वेनसांग सिंहल नहीं गया। परन्तु उसके यात्रा विवरण में सिंहल का विस्तृत उल्लेख मिलता है। उसने लिखा है कि सिंहल राज्य का क्षेत्रफल लगभग 7000 ली तथा राजधानी का क्षेत्रफल लगभग 40 ली है।प्रकृति गर्म है। भूमि उपजाऊ और उत्तम है।फल और फूलों की उपज अधिकता के साथ होती है। लोग अमीर हैं।विद्या से प्रेम और धार्मिक कृत्यों का आदर करते हैं।(पेज नं 371) उसने लिखा है कि इस देश का वास्तविक नाम रत्न द्वीप है, क्योंकि बहुमूल्य रत्नादि यहां पर पाये जाते हैं।(पेज नं 372) नवीं शताब्दी में अरब लोग भी इसको जवाहिरात का टापू कहते थे।जावा में बहुमूल्य पत्थरों का नाम सेल है। इसलिए कुछ लोगों का विचार है कि इसी शब्द से “सैलन” अथवा “सीलोन” की उत्पत्ति हुई है। यह नाम जातकों में भी जिसको शाक्य तथागत ने प्रकट किया था, लिखा हुआ पाया जाता है।

mahendra ashoka son
अर्हत महिंदा की प्रतिमा, श्रीलंका।

ह्वेनसांग ने लिखा है कि इस देश में बुद्ध देव के निर्वाण प्राप्त करने के 100 साल बाद अशोक राजा के छोटे भाई महेंद्र ने गृह त्याग कर सत्य धर्म और विशुद्ध सिद्धांतों का प्रचार किया। इस समय यहां 100 संघाराम थे जिसमें 20 हजार साधु निवास कर सकते थे। यह लोग बुद्ध देव के धर्मोपदेश का विशेष रूप से अनुसरण करते थे और स्थविर धर्म के महायान सम्प्रदाय के अनुयाई थे।(पेज नं 381) ईसा से 75 वर्ष पूर्व लंका में “त्रिपिटक” का अनुवाद हुआ। यहां हीनयानियों को “महा विहार” स्वामी तथा महायानी साधुओं को “अभयगिरि” वासी कहा जाता है। दीपवंश ग्रंथ में वर्णित अभय गिरि कदाचित वही विहार है जिसमें बुद्ध देव के दन्तावशेष का विवरण फाहियान ने दिया था।इसका निर्माण ईसा से 250 वर्ष पूर्व हुआ था।

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यात्री ने अपने यात्रा विवरण में लिखा है कि राजमहल के पास एक विहार जिसमें बुद्ध देव का दांत है। यह विहार कई सौ फीट ऊंचा तथा दुष्प्राप्य रत्नों से सुशोभित और सुसज्जित है। विहार के ऊपर एक सीधी छड़ लगी हुई है जिसके शिरे पर “पद्मराज” रत्न जड़ा हुआ है। इस रत्न मे ऐसा स्वच्छ प्रकाश निकलता है जो दूर से देखने पर चमकदार नक्षत्र के समान प्रतीत होता है। प्रत्येक दिन में तीन बार राजा स्वंय आकर बुद्ध दन्त को सुगंधित जल से स्नान कराता है तथा उसकी पूजा अर्चना करता है।(पेज नं 382)

buddhist stupa sri lanka
अभयगिरि विहार, अनुराधापुरा, सिरीलंका|

सिंहल देश,जिसका प्राचीन नाम सिंह का राज्य है,शोक रहित राज्य के नाम से भी पुकारा जाता है। कथानक है कि प्राचीन काल में एक समय बुद्ध देव ने सिंहल नामक एक मायावी रूप धारण कर यहां के लोगों का उद्धार किया था। इसीलिए इसका नाम सिंहल हुआ। बुद्ध दंत विहार के निकट ही एक और छोटा सा विहार बना हुआ है। यह भी सब प्रकार के बहुमूल्य रत्नों से सुशोभित है। इसके भीतर बुद्ध देव की स्वर्ण मूर्ति है जो बहुमूल्य रत्नों के उष्णीय (पगड़ी) से विभूषित है।(पेज नं 383)

65,610 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले श्री लंका की कुल आबादी वर्तमान समय में 21,670,000 है। यह एक द्वीप है जो दक्षिण एशिया में,हिंद महासागर में स्थित है। इसके उत्तर- पश्चिम में बंगाल की खाड़ी तथा उत्तर-पूर्व में अरब सागर है।श्री लंका की कुल 1585 किलोमीटर सीमा रेखा समुद्र से मिलती है। यहां पर कुल 103 नदियां बहती हैं। सिंहली और तमिल यहां की आधिकारिक भाषाएं हैं। अंग्रेजी का भी खूब प्रचार हुआ है।

buddhist stupa sri lanka
बुद्ध विहार, कुब्बेकडुवा गाँव, श्रीलंका।

श्री लंका की लगभग 70 फीसदी आबादी बौद्ध धर्म को मानती है। 12.6 प्रतिशत हिंदू धर्म के अनुयाई हैं। 9.7 प्रतिशत लोग इस्लाम को तथा 7.4 प्रतिशत ईसाई धर्म को मानने वाले हैं। यहां की साक्षरता दर 92.5 प्रतिशत है। लोगों की जीवन प्रत्याशा 77.9 वर्ष है। प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक जनता के लिए मुफ्त है।सारा व्यय सरकार द्वारा वहन किया जाता है।

sanghmitra ashoka daughter
अर्हत संगमित्ता की प्रतिमा, श्रीलंका।

ईसा पूर्व दूसरी सदी में मगध सम्राट अशोक के बेटे महेंद्र और बेटी संघमित्रा ने यहां पर आकर बौद्ध धर्म का प्रचार किया। संघमित्रा अपने साथ बोध गया से उस बोधिवृक्ष की शाखा भी ले गयी थी जिसके नीचे तथागत भगवान् ने बुद्धत्व हासिल किया था।इस वृक्ष की वंशज अगली पीढ़ी अभी अनुराधपुरा में है। श्री लंका में अभी 6000 विहार हैं जिसमें भिक्षु ज्ञानार्जन करते हैं।

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– डॉ. राजबहादुर मौर्य, फोटो-संकेत सौरभ, झांसी (उत्तर-प्रदेश)

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6 thoughts on “ह्वेनसांग की भारत यात्रा- सिंहल द्वीप में…”

  1. .R L MAURYALUCKNOW कहते हैं:
    मई 23, 2020 को 3:08 अपराह्न पर

    your book Smixha is very very thoughtful and knowledgfull for the peoples who thought about budha history.

    प्रतिक्रिया
    1. Dr. RB Mourya कहते हैं:
      मई 23, 2020 को 5:15 अपराह्न पर

      Thank you very much for supporting us sir

      प्रतिक्रिया
  2. अभय राज सिंह कहते हैं:
    मई 22, 2020 को 11:42 अपराह्न पर

    बहुत ज्ञानवर्धक है। श्रुत जानकारियों का प्रमाणीकरण होने पर आनन्दानुभूति हो रही है।
    कोटिशः प्रणाम्!

    प्रतिक्रिया
    1. Dr. RB Mourya कहते हैं:
      मई 23, 2020 को 8:31 पूर्वाह्न पर

      धन्यवाद आपको

      प्रतिक्रिया
  3. देवेन्द्र कुमार मौर्य कहते हैं:
    मई 22, 2020 को 10:01 अपराह्न पर

    आपका लेखन सदैव हमारा ज्ञानवर्धन और मार्गदर्शन करता है। अदभुत जानकारियों का समावेश किया है आपने।

    प्रतिक्रिया
    1. Dr. RB Mourya कहते हैं:
      मई 22, 2020 को 10:12 अपराह्न पर

      बहुत बहुत धन्यवाद आपको डाक्टर साहब

      प्रतिक्रिया

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