लेनिन ने स्त्रियों के बारे में कहा था कि जब तक आधी आबादी गुलामी करती रहेगी, तब तक कोई राष्ट्र आजाद नहीं हो सकता। उसने बच्चों के बारे में कहा था कि इनके जीवन हमारे जीवनों से ज्यादा आनंद के होंगे। इन्हें उन बहुत सारी मुसीबतों से नहीं गुजरना पड़ेगा जिन्हें हम लोगों ने पार किया है। इन्हें अपने जीवन में इतने ज्यादा जुल्म नहीं देखने पड़ेंगे। भारत में श्रीमती एनी बेसेंट पहली महिला थीं जो कांग्रेस की अध्यक्ष बनी। श्रीमती सरोजिनी नायडू दूसरी महिला। 1915 के कलकत्ता अधिवेशन की अध्यक्षता एनी बेसेंट ने किया था। 1916 का लखनऊ अधिवेशन हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए मशहूर है। इसी में कांग्रेस और मुस्लिम लीग में समझौता हुआ।

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान पंजाब के बाबा गुरुदत्त सिंह नामक एक सिक्ख ने कोमागातामारु नामक पूरा का पूरा जहाज़ किराए पर लिया और उसे भरकर कलकत्ता से कनाडा ले गया। कनाडा के बैंकोवर में इसके सवारों को सरकार ने उतरने नहीं दिया और उसे वापस भेज दिया गया। कलकत्ता में पुलिस झड़प में इस जहाज के कई यात्री मारे गए। इसे कोमागातामारू काण्ड के नाम से जाना जाता है। प्रथम विश्व युद्ध के परिणामस्वरूप राष्ट्रसंघ बना।इसका मुख्यालय जिनेवा था।इसे बनाने में अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विल्सन की बड़ी भूमिका रही है। भारत इस संघ का मूल सदस्य था। अमेरिका की कांग्रेस ने इस प्रस्ताव को मंजूर नहीं किया इसलिए अमेरिका इस संघ का सदस्य नहीं बन पाया।

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प्रथम विश्व युद्ध के बाद मित्र राष्ट्रों ने तुर्की के लिए जो संधि तैयार की थी उसे सेब्र की संधि कहा जाता है। इसने तुर्की की आजादी का अन्त कर दिया। 1921 में तुर्की और यूनानियों के बीच सकरिया नदी की जंग हुई जिसमें यूनानी परास्त हो गए। अगस्त 1922 में मुस्तफा कमालपाशा ने अफ्यूम काराहिसार की जंग में आखिरी जीत हासिल कर लिया। 1923 में तुर्की गणराज्य की घोषणा हो गई। उसकी राजधानी अंगोरा रखी गई। मुस्तफा कमालपाशा राष्ट्रपति चुने गए। 1933 में लोजान की संधि पर दस्तखत किए गए।


तुर्की भाषा अरबी लिपि में लिखी जाती थी। मुस्तफा कमालपाशा ने उसे बदलकर लातीनी लिपि कर दिया। उसने मज़हबी स्कूल बन्द करा दिया। महिलाओं की बुर्का पहनने की प्रथा समाप्त कर दी गई और आधुनिक तुर्की का निर्माण किया, इसीलिए उसे आधुनिक तुर्की का निर्माता या अतातुर्क कहा जाता है। फ़ैज़ टोपी, तुर्रेदार लाल तुर्की टोपी, जो तुर्की, मिस्र, भारत आदि देशों के मुसलमान पहना करते थे। मोरक्को के फ़ैज़ नगर में बनने के कारण इसका यह नाम पड़ा। आयरलैंड में ब्रिटिश सैनिकों की वर्दी का रंग काला व भूरा था। ब्रिटिश आइल्स में इंग्लैंड, स्काटलैण्ड और आयरलैंड आता है। गाजी का अर्थ- विजयी होता है।

सेक्सपियर के मर्चेंट ऑफ वेनिस नामक नाटक का नायक एक व्यापारी यहूदी से रूपया उधार लेता है और दस्तावेज लिख देता है कि अगर निश्चित तारीख तक कर्ज़ न लौटा सके तो उसके बाद यहूदी को उसके शरीर का एक पौण्ड मांस काट लेने का अधिकार होगा। व्यापारी उस तारीख को पैसा नहीं दे पाता है और यहूदी उसके शरीर का एक पौण्ड मांस मांगता है। इस पर मुकदमा अदालत में जाता है और व्यापारी की प्रेमिका वकील बनकर उसे छुड़ा लेती है। इसी कथानक के आधार पर अंग्रेजी में एक पौण्ड मांस की कहावत बन गई।

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13 अप्रैल 1919 ई. के दिन अमृतसर में जलियांवाला बाग़ हत्याकांड हुआ था। आधिकारिक तौर पर इसमें ३८९ लोग मारे गए थे। परंतु मरने वालों की वास्तविक संख्या कहीं अधिक थी।उस साल कांग्रेस का सालाना जलसा भी अमृतसर में हुआ था। इस जलसे में आखिरी बार तिलक आए थे, क्योंकि अगले वर्ष उनकी मृत्यु हो गई थी। इस जलसे में अली बन्धु ( मौलाना मोहम्मद अली और मौलाना शौकत अली) भी आए थे। दिसम्बर 1921 में असहयोग आन्दोलन के दौरान कांग्रेस के अध्यक्ष देशबंधु चितरंजन दास भी गिरफ्तार कर लिए गए। इसलिए उनके स्थान पर अहमदाबाद के सालाना जलसे की सदारत हकीम अजमल खान ने की थी।

मार्च 1922 में गोरखपुर के पास चौरा-चौरी में घटी हिंसक घटना के परिणामस्वरूप असहयोग आन्दोलन वापस ले लिया गया। इस आंदोलन में करीब 30 हजार व्यक्ति कानून तोड़कर जेल गए थे। स्वराज पार्टी का जन्म इसी आंदोलन की विफलता का परिणाम था। दिसम्बर 1927 में मद्रास में कांग्रेस का सालाना जलसा हुआ और उसने तय किया कि भारत के लिए राष्ट्रीय स्वाधीनता उसका लक्ष्य है। यह पहला मौका था जब कांग्रेस ने स्वाधीनता की घोषणा किया। 2 वर्ष बाद लाहौर में 1929 के सालाना जलसे में स्वाधीनता साफ़ तौर पर कांग्रेस की नीति बन गई। मद्रास कांग्रेस में सर्वदल सम्मेलन भी बना।

सन् 1928 में साइमन कमीशन भारत आया। लाहौर में साइमन कमीशन का विरोध करते हुए लाला लाजपत राय पुलिस की लाठियों से घायल हुए। कुछ महीनों बाद उनकी मृत्यु हो गई।इसी समय सर्वदल सम्मेलन संविधान का मसौदा बनाने का और साम्प्रदायिक उलझन का हल निकालने की कोशिश कर रहा था। इसने एक रिपोर्ट तैयार की जिसे नेहरू रिपोर्ट कहा जाता है। जिस कमेटी ने इस प्रारूप को तैयार किया था उसके अध्यक्ष पंडित मोतीलाल नेहरू थे। दिसम्बर 1928 के कलकत्ता कांग्रेस ने नेहरू रिपोर्ट मंजूर कर ली, जिसमें ब्रिटिश उपनिवेशों के संविधान से मिलते- जुलते संविधान की सिफारिश की गई थी।

– डॉ. राजबहादुर मौर्य, फोटो गैलरी- डॉ. संकेत सौरभ, झांसी, उत्तर प्रदेश, भारत

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8 thoughts on “पुस्तक समीक्षा- विश्व इतिहास की झलक, भाग- 21

  1. महामाया ब्लॉग में dr r b muria ji द्वारा international history aur Indian national movement से महत्त्वपूर्ण जानकारी दी गई हैं। यह सभी के लिए लाभदायक है। ईश्वर आप के कार्य को क्रमबद्ध करने की इच्छाशक्ति प्रदान karta रहे।

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