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Swami prasad maurya

श्री स्वामी प्रसाद मौर्य : इंसानियत की आवाज़

Posted on दिसम्बर 27, 2021दिसम्बर 31, 2022

– डॉ. राजबहादुर मौर्य, असिस्टेंट प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग, बुंदेलखंड कालेज झांसी। फोटो गैलरी- डॉ. संकेत सौरभ, झांसी, उत्तर प्रदेश, भारत। email: drrajbahadurmourya @ gmail. Com, website : themahamaya.com

उत्तर – प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री तथा विधान परिषद के सदस्य माननीय श्री स्वामी प्रसाद मौर्य सामाजिक और राष्ट्रीय नव निर्माण के लिए प्रतिबद्ध, सकारात्मक बदलाव के पैरोकार, इंसानियत की आवाज हैं। उनकी आवाज में जहां अन्याय, जुर्म और अत्याचार के खिलाफ तीखा और जुझारू तेवर है वहीं प्रेम, दया, ममता और करुणा से परिपूर्ण सहिष्णुता है जो अपनी ओर खींचती है। उनकी आवाज में अधिकार या उपेक्षा का भाव नहीं बल्कि एक अद्भुत चेतना है जिसकी परिधि में प्रेम है।ऐसा प्रेम जिसमें जीवन की स्वाभाविक मुक्ति और आत्म विश्वास की चरम परिणति है।

स्वामी प्रसाद मौर्य के भाषणों में जहां सरकारी दायित्व का भाव होता है वहीं वंचितों की दशा का ह्रदय विदारक करुण क्रंदन भी है जो सबके ह्रदय को झकझोरता है। वह दूरदृष्टा, मनीषी और ज्ञानी भी हैं। उनमें बदलाव को समझने की खूबी है।यही उन्हें एक राजनीतिक चिंतक के दायरे में भी लाते हैं। उन्होंने अपने जीवन काल में सैकड़ों बेहतरीन शिक्षा संस्थानों की स्थापना में अपना योगदान दिया है। यह संस्थाएं प्रदेश के विभिन्न जनपदों में स्थित हैं। अपने सामाजिक दायित्वों में श्री स्वामी प्रसाद मौर्य शिक्षा, स्वास्थ्य तथा संस्कारों को सर्वोपरि दर्जा देते हैं।

Swami prasad maurya

एक राजनीतिक व्यक्ति के रूप में स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए राजनीति समाज के लिए सबसे महत्वपूर्ण कार्य क्षेत्र है। अपने भाषणों में वह भगवान बुद्ध, बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर और पंडित दीनदयाल उपाध्याय तथा श्यामा प्रसाद मुखर्जी के अंत्योदय दर्शन को भी उठाते हैं तथा उसे सर्वोदय के साथ शिद्दत से जोड़ते हैं। अपने प्रत्येक वक्तव्य में वह श्रमिक भाईयों को सम्बोधित करते हुए कहते हैं कि ‘‘आप मजदूर बने यह आपके बस में नहीं था, परन्तु आप इस बात की शपथ लीजिए कि आप अपने बच्चों को मजदूर नहीं बनने देंगे।”उनका यह उद्बोधन करुणा से परिपूर्ण होता है।

श्री स्वामी प्रसाद मौर्य के उद्बोधन में करुणा के इस भाव पर बुद्धिज्म् का प्रभाव है। परन्तु उनका बुद्धिज्म् केवल रीति-रिवाजों का समुच्चय नहीं है बल्कि एक आधुनिक राजनीतिक विचारधारा और प्रतिबद्धता है जिसमें सामाजिक बेहतरी के साथ राष्ट्र निर्माण और बदलाव की शक्ति अंतर्निहित है।उनके लिए बुद्धिस्ट होने का मतलब करुणा और मैत्री के साथ जनसेवा में सक्रिय, राजनीतिक तौर पर जाग्रत और व्यवहारिक तौर पर कर्मशील होना है।उनके अनुसार राज्य या सरकार का मकसद और दायित्व केवल व्यक्ति की स्वतंत्रता को बढ़ाना तथा आर्थिक गैरबराबरी को कम करना ही नहीं है बल्कि सामाजिक न्याय की स्थापना करना भी है। इस समझ में ही मजबूत और शक्तिशाली राष्ट्र वाद की संकल्पना समाहित है।

Swami prasad maurya

यह बात और भी ज्यादा महत्वपूर्ण है कि बुद्धिज्म ने कभी भी अलगाव की बात नहीं उठाई है और न ही उसका समर्थन किया है। साम्प्रदायिक और नस्लीय पूर्वाग्रहों को नकारकर बुद्धिज्म् राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देता है। वह ज्ञान और अनुभव की रौशनी में वैज्ञानिक चिन्तन की अनिवार्यता को स्थापित करता है ताकि भविष्य की पीढ़ियां नए तरीके से सोचने के लिए प्रेरित हों। इसलिए प्रत्येक बुद्धिस्ट भारतीय राष्ट्र की एकता और अखंडता का प्रबल पक्षधर है।

जब मानव जनित अनुभव ज्ञान से अंतर्गुंफित हो उस पर प्राथमिकता पाता है तब उसके सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक फलितार्थ होने लगते हैं। मनुष्य और उसकी दुनिया सभी तरह के चिंतन और समझ के केन्द्र में आ जाती है। यह किसी प्राधिकार के प्रमाणपत्र को अस्वीकार करता है तथा निहित सम्भावनाओं को आकार देता है। श्री स्वामी प्रसाद मौर्य के विमर्शों की दुनिया की यही आधारशिला है।गहन विमर्श के इस फलक में उथलापन बिल्कुल नहीं है।हॉं इसे समझने के लिए हमें तटस्थ भाव से, किसी पूर्वाग्रह के बिना विचार करना होगा। इस बारे में डाली गयी कोई भी बाधा ज्ञान और समझ को विकृत करके उसे मनमानी कल्पना का शिकार बना देगी।


वस्तुत: यदि विकास मानवीय सम्भावनाओं को साकार करने और मानवीय क्षमताओं की अभिवृद्धि करने में सक्षम न तो तो वह अपने निहित उद्देश्यों को प्राप्त नहीं कर सकता। क्योंकि इसी के जरिए ही समाज और परिवार के भीतर व्यक्ति की खुशहाली परवान चढ़ती है। आर्थिक वृद्धि का मतलब सिर्फ विकास ही नहीं होता बल्कि विकास की कसौटी जीवन प्रत्याशा, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं की वृद्धि से है।यदि सामाजिक नीति इस प्रकार बनाई जाए कि उसके आधार पर लोग विभिन्न काम करने लायक क्षमताएं विकसित कर सकें तो समता का आदर्श प्राप्त किया जा सकता है।

Swami prasad maurya

विषमता का विश्लेषण करते समय मानवीय विविधता का पूरी बारीकी से ध्यान रखा जाना चाहिए। यह देखकर ताज्जुब होता है और सुकून मिलता है कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने उत्तर प्रदेश सरकार में श्रम मंत्री बनते ही श्रमिकों के लिए ऐसी नीतियों के निर्माण का भरपूर प्रयास किया जो श्रमिक परिवारों के सर्वथा अनुकूल और आवश्यक थीं। उन्हें जमीनी स्तर पर क्रियान्वित करने के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों से प्रेरणा ली जा सकती है। अभी इन नीतियों के परिणामस्वरूप आए बदलाव का अध्ययन किया जाना शेष है।

श्री स्वामी प्रसाद मौर्य सामाजिक बहुलता के हिमायती हैं। लोकतांत्रिक राजनीति के पैरोकार हैं। सामुदायिक एकता और राजनीतिक भागीदारी के प्रबल समर्थक हैं। वह चाहते हैं कि मानवीय मूल्यों और सामूहिकता के बीच फासला पैदा न हो। व्यक्ति सत्ता और प्राधिकार की संरचनाओं को अपनी बेहतरी के रूप में देखे और उनका प्रयोग करे। वह कहते हैं कि यही रास्ता है जिसकी परिधि में रहकर सभी को बदलाव, विकास और समभाव के लिए प्रेरित किया जा सकता है।यहीं से राष्ट्र निर्माण का मजबूत मार्ग भी प्रशस्त किया जा सकता है।

अपने इसी स्पष्ट दृष्टि कोण और स्पष्ट समझ के कारण ही जब बहुजन समाज पार्टी के लक्ष्यों, उद्देश्यों और रणनीतियों में भटकाव आया तब उन्होंने समाज और राष्ट्र के हित में अपने को विकास और राष्ट्रीय हितों के साथ जोडा। भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर समाज और राष्ट्र के लिए काम करने का फैसला किया।उनके इस निर्णय के पीछे सामाजिक सरोकार और मानवीय संवेदनाओं की बंधुता ही प्रमुख थी। यद्यपि उत्तर प्रदेश की राजनीति में स्वामी प्रसाद मौर्य की सांगोपांग भूमिका का विस्तृत अध्ययन अभी किया जाना बाकी है।उनके कार्यों और परिश्रम के अनुरूप बौद्धिक जगत में उन्हें वह स्वीकार्यता नहीं मिली जिसके वह हकदार हैं।


अंततः

श्री स्वामी प्रसाद मौर्य निरंतर अपने भाषणों में सर्वधर्म समभाव और सर्वधर्म ममभाव की वकालत करते हैं। वह अपने अनुयायियों से संवाद करते हुए हमेशा कहते हैं कि लालच बुरी बला है। इससे दूर रहो। किसी मजबूर की की मजबूरी का फायदा मत उठाओ।किसी पर जुर्म, अन्याय और अत्याचार करने के बारे में सोचों भी नहीं। मानवता की सेवा में धनी और निर्धन व्यक्ति में फर्क नहीं करो। सभी की हर संभव मदद करो। झूठ बोलकर किसी को धोखा नहीं दो। अपने दायरे को बढ़ाकर सभी से प्रेम करो।

Swami prasad maurya

यह उनकी संवेदनशीलता का ही प्रमाण है कि उन्होंने बतौर श्रम मंत्री, श्रमिक अड्डों का दौरा किया। उनके बच्चों और परिवार को लाचारी और बेबसी से निकालने में अपने आप को खपा दिया। उन्हें सम्मान और स्वाभिमान के साथ जीने की राह दिखाई।उनके साथ कदम कदम पर मुसीबतों में खड़े रहे। खुद उनकी बहन बेटियों की शादी विवाह का जिम्मा अपने ऊपर लिया। उन्हें आशीर्वाद देने और अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए, वर्ष २०१७ से अब तक उन्होंने लगभग ४ लाख किलोमीटर की यात्रा किया।ऐसा करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य सचमुच लाचार, बेबस, मजबूर और बेसहारा लोगों के मसीहा हैं।

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4 thoughts on “श्री स्वामी प्रसाद मौर्य : इंसानियत की आवाज़”

  1. देवेंद्र कुमार मौर्य कहते हैं:
    दिसम्बर 31, 2022 को 10:37 अपराह्न पर

    यथार्थ … स्वामी प्रसाद मौर्य जी स्वयं में एक संस्था है और हम लोगो के लिए प्रेरणा स्तंभ है

    प्रतिक्रिया
    1. Dr. Raj Bahadur Mourya कहते हैं:
      जनवरी 1, 2023 को 9:05 पूर्वाह्न पर

      जी, बिल्कुल सही कहा आपने डॉ. साहब

      प्रतिक्रिया
  2. आर यल मौर्य कहते हैं:
    दिसम्बर 31, 2022 को 10:04 अपराह्न पर

    बहुत सुन्दर लिखा आप यथार्थ के साथ

    प्रतिक्रिया
    1. Dr. Raj Bahadur Mourya कहते हैं:
      दिसम्बर 31, 2022 को 10:32 अपराह्न पर

      जी सर, आभार आपका

      प्रतिक्रिया

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