वस्तुत: यदि विकास मानवीय सम्भावनाओं को साकार करने और मानवीय क्षमताओं की अभिवृद्धि करने में सक्षम न तो तो वह अपने निहित उद्देश्यों को प्राप्त नहीं कर सकता। क्योंकि इसी के जरिए ही समाज और परिवार के भीतर व्यक्ति की खुशहाली परवान चढ़ती है। आर्थिक वृद्धि का मतलब सिर्फ विकास ही नहीं होता बल्कि विकास की कसौटी जीवन प्रत्याशा, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं की वृद्धि से है।यदि सामाजिक नीति इस प्रकार बनाई जाए कि उसके आधार पर लोग विभिन्न काम करने लायक क्षमताएं विकसित कर सकें तो समता का आदर्श प्राप्त किया जा सकता है।

Swami prasad maurya

विषमता का विश्लेषण करते समय मानवीय विविधता का पूरी बारीकी से ध्यान रखा जाना चाहिए। यह देखकर ताज्जुब होता है और सुकून मिलता है कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने उत्तर प्रदेश सरकार में श्रम मंत्री बनते ही श्रमिकों के लिए ऐसी नीतियों के निर्माण का भरपूर प्रयास किया जो श्रमिक परिवारों के सर्वथा अनुकूल और आवश्यक थीं। उन्हें जमीनी स्तर पर क्रियान्वित करने के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों से प्रेरणा ली जा सकती है। अभी इन नीतियों के परिणामस्वरूप आए बदलाव का अध्ययन किया जाना शेष है।

श्री स्वामी प्रसाद मौर्य सामाजिक बहुलता के हिमायती हैं। लोकतांत्रिक राजनीति के पैरोकार हैं। सामुदायिक एकता और राजनीतिक भागीदारी के प्रबल समर्थक हैं। वह चाहते हैं कि मानवीय मूल्यों और सामूहिकता के बीच फासला पैदा न हो। व्यक्ति सत्ता और प्राधिकार की संरचनाओं को अपनी बेहतरी के रूप में देखे और उनका प्रयोग करे। वह कहते हैं कि यही रास्ता है जिसकी परिधि में रहकर सभी को बदलाव, विकास और समभाव के लिए प्रेरित किया जा सकता है।यहीं से राष्ट्र निर्माण का मजबूत मार्ग भी प्रशस्त किया जा सकता है।

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अपने इसी स्पष्ट दृष्टि कोण और स्पष्ट समझ के कारण ही जब बहुजन समाज पार्टी के लक्ष्यों, उद्देश्यों और रणनीतियों में भटकाव आया तब उन्होंने समाज और राष्ट्र के हित में अपने को विकास और राष्ट्रीय हितों के साथ जोडा। भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर समाज और राष्ट्र के लिए काम करने का फैसला किया।उनके इस निर्णय के पीछे सामाजिक सरोकार और मानवीय संवेदनाओं की बंधुता ही प्रमुख थी। यद्यपि उत्तर प्रदेश की राजनीति में स्वामी प्रसाद मौर्य की सांगोपांग भूमिका का विस्तृत अध्ययन अभी किया जाना बाकी है।उनके कार्यों और परिश्रम के अनुरूप बौद्धिक जगत में उन्हें वह स्वीकार्यता नहीं मिली जिसके वह हकदार हैं।


अंततः

श्री स्वामी प्रसाद मौर्य निरंतर अपने भाषणों में सर्वधर्म समभाव और सर्वधर्म ममभाव की वकालत करते हैं। वह अपने अनुयायियों से संवाद करते हुए हमेशा कहते हैं कि लालच बुरी बला है। इससे दूर रहो। किसी मजबूर की की मजबूरी का फायदा मत उठाओ।किसी पर जुर्म, अन्याय और अत्याचार करने के बारे में सोचों भी नहीं। मानवता की सेवा में धनी और निर्धन व्यक्ति में फर्क नहीं करो। सभी की हर संभव मदद करो। झूठ बोलकर किसी को धोखा नहीं दो। अपने दायरे को बढ़ाकर सभी से प्रेम करो।

Swami prasad maurya

यह उनकी संवेदनशीलता का ही प्रमाण है कि उन्होंने बतौर श्रम मंत्री, श्रमिक अड्डों का दौरा किया। उनके बच्चों और परिवार को लाचारी और बेबसी से निकालने में अपने आप को खपा दिया। उन्हें सम्मान और स्वाभिमान के साथ जीने की राह दिखाई।उनके साथ कदम कदम पर मुसीबतों में खड़े रहे। खुद उनकी बहन बेटियों की शादी विवाह का जिम्मा अपने ऊपर लिया। उन्हें आशीर्वाद देने और अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए, वर्ष २०१७ से अब तक उन्होंने लगभग ४ लाख किलोमीटर की यात्रा किया।ऐसा करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य सचमुच लाचार, बेबस, मजबूर और बेसहारा लोगों के मसीहा हैं।

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