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baba saheb ambedkar nagpur lucknow

ममता का मानवीय रूप- बोधिसत्व बाबा साहेब डा.भीमराव अम्बेडकर

Posted on दिसम्बर 6, 2020दिसम्बर 6, 2020
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महान भारतीय संविधान के निर्माता, आधुनिक भारत के शिल्पी, बुद्ध की करुणा के संवाहक, बोधिसत्व बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर का आज परिनिर्वाण दिवस है। पूरी दुनिया में बाबा साहेब के अनुयाई इस दिन उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं तथा उनके बताए हुए रास्ते पर चलने व मिशन को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हैं।

दिनांक ६ दिसम्बर १९५६ को शारीरिक रूप से इस दुनिया को अलविदा कहने वाले बाबा साहेब डा. आम्बेडकर बुद्ध की करुणा से प्रेरित, ममता के मानवीय रूप हैं। एक व्यक्तित्व, जिनके अंदर स्नेह की अभिव्यक्ति और गहन मानवीय संवेदनाओं की पराकाष्ठा है। उनके द्वारा स्थापित की गई मानवीय गरिमा आज भी समस्त मानवीय जगत में गुंजायमान है।

आज भी उनकी हाथ खोलकर पुकारने वाली तन्मयता पूछ रही है कि संसार में विषमता की निष्ठुरता क्यों है ? इसके सृजन की चेतना का अन्त कब होगा ? उनके स्पर्श में आज भी एक अद्भुत चेतना है।आज भी उनके संदेश इस बात के लिए प्रेरित करते हैं कि विषमता के खिलाफ लड़ो। उनकी पुकार न्याय और करुणा की मांग कर रही है। उनके संदेशों का अंतर्निहित सार है कि यह संसार मूलतः यातना नहीं है, दुःख नहीं है बल्कि यह तो एक सुंदर रचना है जिसमें प्रेम है, आकर्षण है, नवीन सृजन है, जो दिन-दिन निखार लाती है। यातना, मनुष्य द्वारा पैदा की गई विषमता के कारण है जिसे ठीक किया जाना जरूरी है।

Chaitya bhoomi mumbai
चैत्यभूमि, दादर, मुंबई

बाबा साहेब का जीवन संघर्ष हमें सिखाता है कि जीवन की सार्थकता व्यक्तिगतता में नहीं सामूहिकता में परिपूर्ण होती है। ठीक उसी प्रकार जिस तरह इकाई की सार्थकता उसके निजत्व में बिन्दु बनकर नहीं बल्कि अनन्त बनकर सिन्धुत्व में है, जहां पर उसका कोई अन्त नहीं होता। वह सीख देते हैं कि किसी मजबूर की मजबूरी का फायदा उठाकर उस पर जुर्म मत करो।

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उनकी आवाज में सहिष्णुता है जो अपनी ओर खींचती है। उनके स्वर में ईष्र्या, अधिकार या उपेक्षा का भाव नहीं बल्कि जीवन के प्रति प्रेम की अभिन्न गौरव गाथा है। उनमें सांसारिक जीवन के आकर्षण की अखंड शक्ति है,वही जो जीवन की स्वाभाविक मुक्ति है।

वस्तुत: विचार जीवन की यथार्थ विषमताओं में ही जन्मता है। दुःख एक अजीब वस्तु है जिसमें इंसान सिर्फ इंसान बनके रह जाता है।सुख में इंसान के फ़र्क शुरू होते हैं, वह धनी और गरीब बनता है। बाबा साहेब के लेखन में वंचितों की दशा का ह्रदय विदारक,करुण क्रन्दन हाहाकार करता हुआ सबके ह्रदय को झकझोरता है। यह उनके कठिन जीवन संघर्षों से गहन रूप से अंतर्गुम्फित है।उनका क्रांतिकारी उद्बोधन है कि वह गुलाम है जो अपने मन की नहीं कर सकता।उनका दर्द है कि तूने ऐसा इंसान क्यों बनाया जिसे कोई हक नहीं। आजादी वह होती है जिसमें सुबह भी अपनी हो और रात भी अपनी हो।

विषमता, अन्याय और जुर्म के समाज में आज भी बाबा साहेब डा. आम्बेडकर का ममता से परिपूर्ण मानवीय रूप करोड़ों लोगों की आंखों में जीवन्त है, उनके लिए आशा की एक किरण है, अन्याय के खिलाफ लड़ने की प्रेरक शक्ति है जो नश्वर सृष्टि तथा भाषा से परे आकर्षण का प्रतीक बनकर युग युगांतर और देश देशान्तर की सीमाओं को पार कर रहा है। क्योंकि चलने के निशान छोड़ना सिर्फ आदमी के पांव जानते हैं।

उन सबकी तरफ से जिनके जीवन के तुम प्रकाश हो, मैं अरदास करता हूं- मेरे मसीहा तू रहम दिल है, सबको पनाह दे, मैं तुम्हें सजदा करता हूं।

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– डॉ. राज बहादुर मौर्य, फोटो गैलरी-संकेत सौरभ, झांसी, उ.प्र.(भारत)

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8 thoughts on “ममता का मानवीय रूप- बोधिसत्व बाबा साहेब डा.भीमराव अम्बेडकर”

  1. Brijesh Kumar कहते हैं:
    दिसम्बर 6, 2022 को 8:48 पूर्वाह्न पर

    सर बहुत ही रोचक जानकारी साझा किया आपने,नमो: बुद्धाय जय भीम ।।

    प्रतिक्रिया
    1. Dr. Raj Bahadur Mourya कहते हैं:
      दिसम्बर 6, 2022 को 2:39 अपराह्न पर

      नमो बुद्धाय, जय भीम, ब्रजेश जी । धन्यवाद आपको

      प्रतिक्रिया
  2. आर यल मौर्य कहते हैं:
    दिसम्बर 20, 2020 को 5:33 अपराह्न पर

    बहूत ही सुन्दर व उपयोगी तथ्यात्मक लेख है डा राजबहादुर जी को इस लेख के लिये धन्यवाद

    प्रतिक्रिया
    1. Dr. Raj Bahadur Mourya कहते हैं:
      दिसम्बर 21, 2020 को 1:02 अपराह्न पर

      धन्यवाद आपको सर

      प्रतिक्रिया
    2. Dr. Raj Bahadur Mourya कहते हैं:
      दिसम्बर 21, 2020 को 8:00 अपराह्न पर

      आपको, धन्यवाद,सर

      प्रतिक्रिया
  3. देवेन्द्र कुमार मौर्य कहते हैं:
    दिसम्बर 6, 2020 को 2:07 अपराह्न पर

    बाबासाहेब का योगदान स्वतंत्र भारत के निर्माण में बहुत ज्यादा है। काश की उस समय की सरकार उनका पूरा लाभ ले पाती तो हमारे देश की अर्थव्यवस्था बहुत ही उन्नत होती। मेरा करबद्ध नमन ऐसे महापुरुष को💐💐

    प्रतिक्रिया
    1. Dr. Raj Bahadur Mourya कहते हैं:
      दिसम्बर 6, 2020 को 7:11 अपराह्न पर

      जी बिल्कुल

      प्रतिक्रिया
    2. Dr. Raj Bahadur Mourya कहते हैं:
      दिसम्बर 9, 2020 को 2:09 अपराह्न पर

      सत्य वचन, डॉ साहब

      प्रतिक्रिया

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