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एक युग का अंत : श्री गिरिजा शंकर मौर्य का परिनिर्वाण

Posted on दिसम्बर 18, 2021दिसम्बर 19, 2021
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( जन्म, दिनांक- ०४ दिसम्बर, १९४४, परिनिर्वाण – १३ दिसम्बर, २०२१ ई.)

– डॉ. राज बहादुर मौर्य, असिस्टेंट प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग, बुंदेलखंड कालेज, झांसी। फोटो गैलरी- डॉ. संकेत सौरभ, एम. बी. बी. एस., झांसी (उत्तर प्रदेश), भारत।

परिचय

जनपद रायबरेली के विधानसभा क्षेत्र ऊंचाहार, विकास खण्ड दीनशाह गौरा के गांव सुट्ठा हरदो के मूल निवासी श्री गिरिजा शंकर मौर्य के दिनांक १३ दिसम्बर, २०२१ के परिनिर्वाण से एक युग का अंत हो गया। एक आवाज, जिसमें सामाजिक परिवर्तन की गूंज थी, एक साहस, जिसमें जुर्म, अन्याय और अत्याचार के खिलाफ बोलने का जज्बा था, एक साहित्य और संगीत का प्रेमी, जिसकी खनकती हुई आवाज रातों की नींद छीन लेती थी, एक शिक्षक, जिसके शिष्य आज भी उसे शिद्दत के साथ याद करते हों, एक नेतृत्व, जिसके साथ कारवां चल पड़ता था, अब वह हमेशा हमेशा के लिए इस दुनिया से अलविदा हो गया। लेकिन अपने पीछे सामाजिक न्याय और बदलाव की विरासत भावी पीढ़ियों के लिए छोड़ गया है।

जन्म और परिवार

दिनांक ०४ दिसम्बर, १९४४ को गुलाम भारत में ममतामयी मां मेवा देवी और पिता श्री पृथ्वीपाल मौर्य के सुपुत्र के रूप में जन्मे श्री गिरिजा शंकर मौर्य क्षेत्र में गुरूजी के नाम से जाने जाते थे। उनके एक भाई श्री उमाशंकर मौर्य जी हैं तथा धर्मपत्नी श्रीमती जमुना देवी हैं। मूलतः ग्रामीण कृषक परिवार में पले बढ़े श्री गिरिजा शंकर मौर्य बचपन से ही प्रखर बुद्धि और गीत संगीत के प्रेमी थी। सामाजिकता की भावना बाल्यकाल से ही उनमें कूट-कूट कर भरी थी। सम्मान और स्वाभिमान का जीवन उन्हें शुरू से ही प्रिय था। किसी को अपमानित करना और किसी से अपमानित होना उनके स्वभाव में नहीं था।

गुरुजी का घर और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती जमुना देवी

अलमस्त, फक्कड और बिंदास जीवन जीने वाले गुरुजी को नौकरी का बंधन स्वभावत: अस्वीकार था। परन्तु पारिवारिक परिस्थितियों के कारण उन्होंने सन् १९६२ में प्राथमिक शिक्षक की नौकरी कर ली और लगभग ४५ साल तक उन्होंने एक शिक्षक के रूप में समाज और देश को अपनी सेवाएं दीं।जून, २००७ में प्रधानाध्यापक के पद से वह सेवानिवृत्त हुए। गुरूजी का एक बेटा श्री विनोद कुमार मौर्य तथा पुत्र वधू श्रीमती मिथलेश कुमारी हैं।बेटा सहकारिता विभाग में सरकारी नौकरी में है और वर्तमान समय में जनपद रामपुर में पदस्थ है। गुरूजी के शारीरिक स्वास्थ्य की सर्वाधिक जिम्मेदारी उठाने वाले श्री पुष्पेन्द्र कुमार मौर्य हैं। पुष्पेन्द्र कुमार गुरु जी के छोटे भाई श्री उमाशंकर मौर्य के बेटे हैं।

संगीत में रुचि

एक जिम्मेदार शिक्षक होने के साथ-साथ गुरु जी संगीत के अनन्यतम् प्रेमी थे। सन् १९६७ से ही वह कीर्तन पार्टी के साथ जुड़ गए तथा सैकड़ों स्थानों पर अपनी प्रस्तुति दी। उन्होंने सन् १९७४ में ललित कला नाट्य परिषद, सुट्ठा हरदो के नाम से एक संस्था का गठन भी किया था जिसके १९७४ से १९९५ तक वह प्रबंधक भी रहे। इस संस्था के द्वारा गुरूजी एक नाटक पार्टी का भी संचालन करते थे।जिसे आम बोलचाल की भाषा में ड्रामा पार्टी कहा जाता था। वह स्वयं भी नाटक में पार्ट लेते थे। सभी उनकी कला का लोहा मानते थे।

इन नाटकों के माध्यम से गुरूजी समाज में फैले आडम्बर को दूर करने तथा सभ्य समाज के निर्माण का पैगाम देते थे।उनकी अपील लोगों को प्रभावित करती थी। एक अल्प शिक्षित समाज में जागरूकता पैदा करने की उनकी यह कोशिश बेनजीर थी।इन सब कार्यों में उनका अपना खुद का पैसा और परिश्रम दोनों खर्च होता था। रातों की नींद और दिन की सरकारी ड्यूटी दोनों साथ साथ निभाते हुए थे।लेकिन गुरूजी ने कभी इसकी परवाह नहीं किया।उन्होंने अपने जीवन काल में लगभग २०० से अधिक प्रगतिशील एवं सामाजिक परिवर्तन के गीत भी लिखे और गाए। उनकी स्वरचित बुद्ध वंदना अनुपम होती थी।

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मौर्य चेतना संघर्ष समिति की स्थापना

समाज में व्याप्त कुप्रथाओं, कुरीतियों, गलत परम्पराओं तथा रूठिवादिता को समाप्त करने, परम्परावादिता और भाग्यवादिता की जकड़न से समाज को दूर हटाना, विषमता में समता का समावेश करने, पिछड़े पन और अंधविश्वास को दूर करने, समाज के अत्यंत गरीब और प्रतिभाशाली छात्र छात्राओं की आर्थिक सहायता करने, समाज में नई जागृति और नई चेतना पैदा करने तथा मौर्य राजवंश के गौरवशाली इतिहास और संस्कृति से लोगों को परिचित कराने के उद्देश्य से गुरूजी ने वर्ष १९९६ में मौर्य चेतना संघर्ष चेतना समिति का गठन किया।

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लगभग १० वर्षों तक इस समिति ने बड़े पैमाने पर समाज में जागरूकता अभियान चलाने का महत्वपूर्ण कार्य किया।गांव गली, कूचे मुहल्ले और खेत खलिहान तक इस समिति का कार्य क्षेत्र था। समिति के जिम्मेदार कार्यकर्ताओं द्वारा गांव गांव जाकर वहां रात्रि विश्राम किया जाता था तथा भोजन के बाद वहीं सभाएं आयोजित की जाती थीं।इन कार्यक्रमों में गलत परम्पराओं और प्रथाओं का विरोध किया जाता था। शिक्षा और संगठन के साथ साथ भगवान बुद्ध के बताए रास्ते पर चलने के लिए भी लोगों को प्रेरित किया जाता था।

इस सबका प्रभाव यह हुआ कि क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर समाज में जागरूकता पैदा हुई। शिक्षा के प्रति लोगों में ललक बढ़ी। बड़े पैमाने पर विद्यालय और महाविद्यालयों की स्थापना का सिलसिला शुरू हुआ। लोगों ने बुद्ध, सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक, महामना ज्योतिबा फूले तथा बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर को जानना, पहचानना और उन्हें मानना प्रारम्भ किया।

गुरुजी का गाँव, मकान, सुट्ठा हरदो

राजनीति सहभागिता

सामाजिक सरोकारों से जुड़ा हुआ व्यक्ति राजनीति से बिल्कुल अलग नहीं हो सकता क्योंकि सामाजिक कार्यों की पूर्णाहुति राजनीतिक व्यवस्था में ही होती है। गुरूजी भी यद्यपि सक्रिय राजनीति में तो कभी नहीं रहे, परन्तु सामाजिक कार्यकर्ता बन राजनीति को सहयोग और समर्थन देते रहे। वर्ष १९८३-८४ में जब श्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने जनपद रायबरेली को अपनी कर्मभूमि बनाया और विधानसभा क्षेत्र डलमऊ से अपनी राजनीतिक पारी की शुरूआत की तब से गुरूजी उन्हीं के साथ हो लिए। तब से आजीवन वह उन्हीं की टीम के अनुशासित सिपाही बने रहे, कभी अपनी निष्ठा नहीं बदली। इसके बदले में उन्हें श्री स्वामी प्रसाद मौर्य का अपार स्नेह, सम्मान और सहयोग मिला।

माननीय श्री स्वामी प्रसाद मौर्य निजी तौर उन्हें बहुत सम्मान देते रहे हैं। गुरु जी के यहां होने वाले सभी छोटे बड़े कार्यक्रमों में अपनी व्यस्तताओं के बावजूद वह हमेशा आते रहे हैं। उनके परिनिर्वाण पर माननीय मंत्री जी श्री स्वामी प्रसाद मौर्य अपने सभी कार्यक्रमों को निरस्त कर उनके अंतिम दर्शन और श्रृद्धांजलि अर्पित करने स्वयं उनके घर पर पहुंचे और उन्हें भारी मन और नम आंखों से अंतिम बिदाई दिया। आजीवन सामाजिक सरोकारों से जुड़े रहने वाले गुरूजी जी और उनके परिवार के लिए यह सर्वोच्च सम्मान था।

सांस्कृतिक अवदान

गुरूजी, श्री गिरिजा शंकर मौर्य आजीवन क्षेत्र में सांस्कृतिक बदलाव के कारवां को गति देते रहे। हमारे जैसे अनगिनत लोग उन्हीं के कारण सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक, महामना ज्योतिबा फूले, माता सावित्री बाई फूले, सन्त कबीर, सन्त रविदास, गाडगे बाबा, रामास्वामी नायकर पेरियार तथा बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर को जीवन के प्रारम्भिक दौर में जान सके। दिनांक ३ एवं ४ अप्रैल, २००५ ई. में तथागत भिक्षु सेवक संघ, परिवार जनपद रायबरेली के द्वारा गुरूजी के घर के सामने ही स्थित प्राथमिक विद्यालय, सुट्ठा हरदो में दो दिवसीय कार्यक्रम, गुरूजी के सहयोग और सानिध्य में सम्पन्न हुआ था। इस सारे आयोजन की जिम्मेदारी वहीं के निवासी श्री अमित कुमार मौर्य ने सम्भाली थी।

इसके अतिरिक्त भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सिलसिला लगातार चलता रहता था। दिनांक १५.१२.१९९६ को उनके घर पर, २६.१२.१९९६ को दीनशाह गौरा में, २९.०८.२००४ को महात्मा गौतम बुद्ध बालिका विद्यालय, माफी कुरौली बुधकर में, दिनांक २६.०९.२००४ को बाबा का पुरवा में, श्री राम आसरे मौर्य जी के निवास स्थान पर, दिनांक ३१.१०.२००४ को रसूलपुर धरांवा में, श्री राम पाल मौर्य की बाग में, दिनांक ०५.१२.२००४ को पूरे अवर्थिन दाउद पुर गडई में श्री अमरेश मौर्य के दरवाजे पर तथा इसी प्रकार लगभग वहां की सभी ग्राम पंचायतों में अज्ञानता के खिलाफ तथा शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए गुरूजी का अभियान चलता रहता था।

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गुरूजी की टीम

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गुरूजी की टीम के साथियों में श्री राम मौर्य, प्रवक्ता इंटर कॉलेज गौरा, श्री राजाराम मौर्य,गौरा, मास्टर शिव नारायण वर्मा, श्री भवानी भीख मौर्य, गदागंज, डॉ. एस. बी. मौर्य, जगतपुर, श्री चन्द्र भान मौर्य, धमधमा, श्री शिवराज मौर्य, बेहीखोर, श्री कर्ण बहादुर मौर्य, कैली आजाद पुर, श्री मुकेश कुमार मौर्य, कैली, श्री राम आसरे मौर्य, गौरा बाजार, श्री जगदीश मौर्य, बिन्नवां, राम कृष्ण मौर्य, रसूलपुर धरांवा, श्री धनऊ, श्री राजदेव मौर्य, पूरे बारिन का पुरवा, एडवोकेट सूर्य भान मौर्य, गौरा, श्री शेर बहादुर मौर्य, गदागंज, श्री भारत मौर्य, श्री डी. के. मौर्य, जलाल पुर धई, हीरालाल मौर्य, पूरे पनवारी, श्री संत प्रसाद मौर्य, अलीपुर चकराई प्रमुख थे।

गुरुजी के टीम के साथी

इसके अलावा श्री जंगबहादुर मौर्य, पनवारी, राम किशन मौर्य, शेखूपुर, गंगा दयाल मौर्य, नयापुरवा, श्री रंजीत कुमार मौर्य, नारायण पुर बन्ना, ओ. पी. मौर्य, चंदनिहा, रामबरन मौर्य, हमीरपुर, श्री श्याम सुन्दर मौर्य, माफी, राम प्रताप मौर्य, सुदामा पुर, ओम प्रकाश मौर्य, बेलाखारा, विजय पाल मौर्य, हजरत गंज, राजकुमार मौर्य, खरगवनपुर, श्याम लाल मौर्य, कनकपुर, रामसुमेर मौर्य, गोविन्द पुर माधव, शत्रुघ्न शाक्य, बीक चरूहार, दिलीप कुमार मौर्य, पयागपुर, सूरजदीन मौर्य, मेलखा साहब, राम मनोहर मौर्य, बसंतीपुर, राम शंकर मौर्य, चूली भी गुरूजी की टीम के सक्रिय सदस्य थे।

भावी पीढ़ियों को प्रेरणा

गुरूजी श्री गिरिजा शंकर मौर्य जी अब हमारे बीच में नहीं हैं, परन्तु उनकी दी हुई शिक्षाएं, उनके द्वारा दिखाया गया मार्ग, सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण उनके गीत, उनके अनोखे और जुझारू तेवर की स्मृतियां, सामाजिक कार्यों को प्रेरित करने वाली उनकी सीख, सामाजिक नव निर्माण के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों की मजबूत झलक, जज्बा, काबिलियत और प्रतिबद्धता के साथ जीवन जीने की कला और प्रेरणा तथा मजबूती के साथ प्रतिदिन तथा निरंतर गतिमान होने का सिलसिला हम सबको हमेशा उनकी याद दिलाता रहेगा। हमारी प्रतिबद्धता है और हमारा विश्वास है कि हम सब मिलकर गुरूजी के विजन और मिशन को निरंतर आगे बढ़ाएंगे, अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे।

अन्ततः

दार्शनिक भाषा में कहा जाए तो मृत्यु, नवीन जीवन का सृजन है।आज से ढाई हजार साल पहले भगवान बुद्ध ने कहा था कि जीवन और मृत्यु का चक्र हमारी अज्ञानता का परिणाम है।तिक न्यात हन्ह ने अपनी पुस्तक- जहं जहं चरन परे गौतम के, के अध्याय इक्यासी में पुरातन पथ, धवल मेघ के अंतर्गत बुद्ध के शिष्य स्वास्ति के वचनों को उद्धृत करते हुए लिखा है- बुद्ध का महापरिनिर्वाण हो गया है, किन्तु बुद्ध पहले की अपेक्षा कहीं अधिक विद्यमान हैं। वह बोधिवृक्ष में हैं, जल में हैं, हरी घास में हैं, धवल मेघों और पत्तों में हैं। सभी वस्तुओं पर सजगता से दृष्टि डालना, शांति पूर्वक पग उठाना और करुणामय भाव से मुस्कराना, किसी के कलह को शांत करना, कहीं लगी हुई आग को बुझाना और किसी से प्रेम पूर्वक दो बातें करना बुद्धत्व है।

हमारे गुरूजी भी यहीं पर जन्मे थे, यहीं पले बढ़े, यहीं जिए और यहीं अंतिम सांस लिए।उनकी सारी स्मृतियां, सारे जीवन के सहोदर, वह मिट्टी, वह पानी, वह आग, वह वायु, वह गगन, वह वृक्ष सब कुछ वहीं है जहां वह आज के सदियों पहले था।जो भी इन सब का अनुभव करेगा, इनसे रिश्ता जोड़ेगा, इनसे संवाद करेगा, इनको प्यार करेगा, वह हमेशा गुरूजी को देख पाएगा, उनसे बातें कर पाएगा, उन्हें प्यार कर पाएगा।यही इस लोक से हमारा और आपका नाता है।

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10 thoughts on “एक युग का अंत : श्री गिरिजा शंकर मौर्य का परिनिर्वाण”

  1. DEEPCHANDRA MAURYA कहते हैं:
    अगस्त 7, 2022 को 4:37 अपराह्न पर

    JIS TARAH MAURYA SAMAJ KO AGE BADHANE ME MASTER JI KI TEAM NE WORK KIYA Aor samaj KO age lejane me shivraj maurya ka ahem roll raha hai unke Jaisa samaj me koi nhi hai sache samaj devi hai.

    प्रतिक्रिया
    1. Dr. Raj Bahadur Mourya कहते हैं:
      अगस्त 7, 2022 को 6:38 अपराह्न पर

      जी, बिल्कुल सच कहा आपने…।

      प्रतिक्रिया
  2. सुनील कुशवाहा कहते हैं:
    दिसम्बर 21, 2021 को 10:00 पूर्वाह्न पर

    सादर सत सत बार नमन,वंदन । आपने अपनी लेखनी से इन महापुरुष के विषय में अवगत कराया ,सादर प्रणाम आपको भी ।

    प्रतिक्रिया
    1. Dr. Raj Bahadur Mourya कहते हैं:
      दिसम्बर 22, 2021 को 3:40 अपराह्न पर

      धन्यवाद आपको

      प्रतिक्रिया
  3. Dr.Lovli mourya कहते हैं:
    दिसम्बर 19, 2021 को 6:41 अपराह्न पर

    Very authentic and real explanation.thanks a lot .

    प्रतिक्रिया
    1. Dr. Raj Bahadur Mourya कहते हैं:
      दिसम्बर 19, 2021 को 8:54 अपराह्न पर

      Exactly, Dr Sahab

      प्रतिक्रिया
  4. देवेन्द्र कुमार मौर्य कहते हैं:
    दिसम्बर 19, 2021 को 5:55 अपराह्न पर

    सादर श्रद्धांजलि💐💐

    प्रतिक्रिया
    1. Dr. Raj Bahadur Mourya कहते हैं:
      दिसम्बर 19, 2021 को 8:55 अपराह्न पर

      Thank you Dr Sahab

      प्रतिक्रिया
  5. अजय कहते हैं:
    दिसम्बर 19, 2021 को 5:48 अपराह्न पर

    गुरुजी के जीवनसंघर्षों की बयार से हम सभी को प्रेरणा मिलती रहेगी 🙏🙏

    प्रतिक्रिया
    1. Dr. Raj Bahadur Mourya कहते हैं:
      दिसम्बर 19, 2021 को 8:55 अपराह्न पर

      जी, बिल्कुल

      प्रतिक्रिया

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