मध्य-प्रदेश की राजधानी भोपाल से 65 किलोमीटर दूर, भोपाल-दिल्ली रेलमार्ग पर “विदिशा” शहर स्थित है। यहीं पर विदिशा से 6 किलोमीटर दूर बेतवा और बैस नदी के बीच,हलाली नदी के…
पंचमढ़ी की गुफाएं (म.प्र.)
“सतपुड़ा की रानी” के नाम से मशहूर पंचमढ़ी, मध्य – प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 200 किलोमीटर दूर होशंगाबाद जिले में स्थित हैं। मध्य भारत के सबसे खूबसूरत पर्यटन…
प्राकृतिक सौंदर्य के साथ इतिहास बोध- बाघ की गुफाएं(म.प्र.)
“शब-ए-मालवा” के नाम से मशहूर तथा प्राचीन काल में धारा नगरी के नाम से विख्यात, मध्य- प्रदेश के ऐतिहासिक शहर की स्थापना परमार राजा “भोज” ने किया था। यहीं धार…
भारत की ऐतिहासिक धरोहर- बेडसा, कोण्डाने, जुन्नर, शिवनेरी तथा लेण्याद्रि गुफाएं
बेडसा गुफाएं मुम्बई- पुणे रेलमार्ग पर बड़गांव स्टेशन से 6 मील की दूरी पर स्थित “बेडसा” की गुफाएं महाराष्ट्र के प्रसिद्ध ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों में से एक हैं। पुणे से…
अतीत के वैभव का खजाना – जोगेश्वरी, मण्डपेश्वर तथा महाकाली की गुफाएं
भारत में राक- कट गुफाओं की खूबसूरत वास्तुकला देश के अतीत के वैभव का खजाना है। यह गौरवशाली शिल्प कला ईसा पूर्व दूसरी सदी में, सम्राट अशोक के ज़माने में…
बौद्ध गुफा वास्तुकला की बेनजीर शिल्प- भाजा और पीतल खोरा की गुफाएं
भाजा की गुफाएं महाराष्ट्र के पुणे जनपद में, मुम्बई और पुणे के बीच आधे रास्ते के पुराने कारवां मार्ग के पास, डेक्कन पठार पर स्थित “भाजा” गुफाएं, बौद्ध गुफ़ा वास्तुकला…
बौद्ध धर्म की बेजोड़ कलाकृति- पाण्डु लेण(गुफाएं), नासिक
गोदावरी नदी के तट पर स्थित नासिक, महाराष्ट्र के उत्तर- पश्चिम में मुम्बई से 150 किलोमीटर और पुणे से 205 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह सातवाहन वंश के…
बौद्ध दर्शन तथा कला का उत्कृष्ट नमूना- कार्ले की गुफाएं
भारत भूमि पर मौजूद बौद्ध दर्शन तथा कला के उत्कृष्ट शिल्प, देश के गौरवशाली अतीत की अनमोल धरोहर हैं। महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित,भोरघाट नामक पहाड़ी पर निर्मित कार्ली…
प्राचीन सभ्यता का जीवंत प्रदर्शन- एलोरा, एलीफेंटा और कान्हेरी गुफाएं
भारत विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है, जिसमें बहुरंगी विविधता और संवृद्ध सांस्कृतिक विरासत है। इसके साथ ही यह अपने आप को बदलते हुए समय के अनुसार…
ह्वेनसांग की भारत यात्रा का महत्व
दुनिया में ” प्रिंस आफ़ ट्रैवलर्स” अर्थात् “यात्रियों का राजकुमार” के नाम से मशहूर ह्वेनसांग चीन के मशहूर दार्शनिक, प्रकांड विद्वान, बौद्ध दर्शन के अध्धेयता, घुमक्कड़ और अनुवादक थे। चीनी…
समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों के रहनुमा थे- सचिव श्री राजबहादुर मौर्य (09.05.1956 – 16.06.2020)
श्रद्धांजलि दिनांक 16.06.2020 ई. को इस दुनिया को अलविदा कह सबसे अंतिम विदा लेकर चिरनिंद्रा में लीन हुए सचिव श्री राजबहादुर मौर्य समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों के…
ह्वेनसांग की भारत यात्रा – खुतन,कूचा और गोबी..
खुतन,कूचा और गोबी… अपनी भारत यात्रा के अंतिम पड़ाव में ह्वेनसांग “क्यूसटन” अर्थात् “खुतन” देश में आया। उसने लिखा है कि इस देश का क्षेत्रफल लगभग 4000 ली है। देश…

ह्वेनसांग की भारत यात्रा- काशगर, यारकंद और बुखारा…
काशगर, यारकंद ह्वेनसांग का अगला पड़ाव “कइश” अथवा “काशगर” राज्य था। उसने लिखा है कि इस देश का क्षेत्रफल लगभग 5 हजार ली है। इस देश में रेगिस्तानी और पथरीली…
ह्वेनसांग की भारत यात्रा- तिब्बत में…
तिब्बत में पामीर की घाटी को पार कर ह्वेनसांग को ” कइप अटो” देश मिला। उसने लिखा है कि इस देश का क्षेत्रफल लगभग 2 हजार ली है। राजधानी एक…