भारत के पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग जनपद, सिक्किम तथा पूर्वी नेपाल के पर्वतीय जिले इलाम, तिब्बत व पश्चिम तथा दक्षिण पश्चिम भूटान में “लेपचा” जनजाति के लोग पाये जाते हैं।…
ज्योतिबा फुले और उनके चिंतन की जीवंतता…
– डॉ. राजबहादुर मौर्य, असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, राजनीति विज्ञान, बुंदेलखंड कालेज, झाँसी, उत्तर- प्रदेश । फ़ोटो गैलरी एवं प्रकाशन प्रभारी : डॉ. संकेत सौरभ, झाँसी, उत्तर- प्रदेश, भारत । email :…
तागिन जनजाति…
कभी पूर्वोत्तर सीमांत एजेन्सी (नेफा) के नाम से जाना जाने वाला क्षेत्र “अरुणाचल” प्रदेश जनजातियों का घर है। यहां असंख्य जनजातियां निवास करती हैं जिनमें से मुख्य रूप से- मोनपा,मिजी,…
लावारिश ” हाजाॅङ “आदिवासी समुदाय…
“हाजाॅङ” आदिवासी समुदाय पूर्वोत्तर भारत की सबसे पिछड़ी जनजाति मानी जाती है। शैक्षिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक तौर पर अति पिछड़ा हुआ यह समाज आज भी “लावारिश” स्थिति में…
सेवा भाव से परिपूर्ण, ग्राम्य- संगीत के प्रेमी – “मिजो जनजाति” के लोग…
अपनी प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण, पूर्वोत्तर भारत का पर्वतीय प्रदेश, मिज़ोरम “मिजो जनजाति”के आवास स्थल के रूप में जाना जाता है।असीम विविधता, अपार सौन्दर्य,जैविकी की प्रचुरता से लबालब भरे मिजोरम…
जीवंतता के साथ जीते “बोरोक आदिवासी” …
“बोरोक” आदिवासी त्रिपुरा की आदिवासी जनजाति है। यह अपने अतीत की स्मृतियों के साथ “बिंदास” और “जीवंतता” का जीवन जीती है। त्रिपुरा में 19 जनजातियां हैं जिनमें आठ समुदाय- त्रिपुरी,…
“नागा जनजाति”- एक अनसुलझी पहेली…
पूर्वोत्तर भारत में निवास करने वाली “नागा” जनजाति का जीवन,रहन – सहन, परिवेश तथा उद्ग्म अभी भी एक अनसुलझी पहेली है। इस समुदाय के बारे में अभी तक कोई व्यवस्थित…
पिछड़ेपन के बीच शिक्षा की बढ़ती रौशनी में “राभा जनजाति”…
“राभा” असम की एक प्रमुख आदिवासी क़ौम है, जिसका संबंध मंगोल वंश से माना जाता है। राभा समुदाय के लोग असम के अलावा पश्चिम बंगाल, नेपाल और उत्तरी बांग्लादेश में…
परम्पराओं की दुनिया में जीते- “आपातानी जनजाति” के लोग…
अरुणाचल प्रदेश के संवसीरी जिले के पूर्वी हिमालय की ऊंची बर्फ से ढकी हुई बाहृय श्रृंखला और असम की उप उष्णकटिबंधीय मध्य ब्रम्हपुत्र घाटी के बीचों-बीच “आपातानी” घाटी स्थित है।इसी…
पुस्तक समीक्षा – दलित समाज के हक़ इंसाफ और संघर्ष का दस्तावेज़ हैं, ‘मोहनदास नैमिशराय’ की आत्मकथा “अपने अपने पिंजरे” -भाग – 3
भारत में दलित साहित्य के पुरोधा, (अब तक 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक) पत्रकार, कथाकार, कवि, उपन्यासकार, फिल्मकार और इतिहासकार (दलित आंदोलन का इतिहास) मोहनदास नैमिशराय की आत्मकथा “अपने…
“जयंतिया” आदिवासी समुदाय…
मेघालय की आदिवासी जनजातियों में “जयंतिया” भी प्रमुख क़ौम है। यह जनजाति जयंतिया की पहाड़ियों में रहती है। यह खासी पहाड़ियों का ही एक भाग है। वर्ष 2011 की जनगणना…
आदिवासी समुदाय “खासी”…
“खासी” आदिवासी पूर्वोत्तर भारत में मुख्य रूप से “मेघालय” में पाये जाते हैं। यह उत्तर में कामरूप व नौगांव जिला, पूर्व में जयंतियां पहाड़ियों तथा पश्चिम में गारो पहाड़ियों के…
भारत की बेटी, बदायूं से सांसद, डॉ. “संघमित्रा मौर्या” ने बढ़ाया देश का मान
दिनांक 20 मार्च 2020 ई. को देश की सबसे बड़ी पंचायत अर्थात् लोकसभा में भारत के महानतम सम्राट “अशोका द ग्रेट” के जन्मदिन पर सार्वजनिक अवकाश की मांग कर देश…
आदिवासी समुदाय “गारो”…
“गारो” पूर्वोत्तर भारत का एक प्रमुख आदिवासी समुदाय है। यह मुख्य रूप से मेघालय की गारो पहाड़ियों में रहते हैं तथा स्वयं को एचिक या मांडे नाम से पुकारते हैं।…