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आदिवासियों का घर “पूर्वोत्तर भारत”…

Posted on मार्च 23, 2020जुलाई 12, 2020

भारत में “पूर्वोत्तर भारत” को “आदिवासियों का घर” कहा जाता है। इसमें अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैण्ड, सिक्किम तथा त्रिपुरा शामिल हैं।

अरुणाचल प्रदेश में अनुसूचित जनजाति की आबादी, वहां की कुल जनसंख्या का 70.1 प्रतिशत है। इसी प्रकार मणिपुर में अनुसूचित जनजाति की आबादी 37.7 प्रतिशत, मेघालय में 88.5 प्रतिशत, मिजोरम में 98.9 प्रतिशत, नागालैण्ड में 96.7 प्रतिशत, सिक्किम में 36 प्रतिशत तथा त्रिपुरा में 30.1 प्रतिशत है। अरुणाचल प्रदेश 83,743 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। 20 फरवरी 1987 को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। 1972 तक यह पूर्वोत्तर सीमांत एजेंसी(नेफा) के नाम से जाना जाता था। इस राज्य में 16 जिले हैं। यहां के लोगों के जीवन यापन का मुख्य आधार कृषि है।

अरुणाचल प्रदेश के मुख्य आदिवासियों में मोनपा, मिजी,अकाशेरदुकपेन,निशी,अपतानी,तगिन,अदी,दिगारु-मिशमी,खामटी,नोकटे,तंगसा और वांचू हैं। भारत की पूर्वी सीमा पर स्थित मणिपुर का क्षेत्रफल 22,327 वर्ग किलोमीटर है। राजधानी इंफाल है। भाषा मणिपुरी है। 21 जनवरी, 1972 को मणिपुर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला और 60 निर्वाचित सदस्यों वाली विधानसभा गठित की गई। इसमेें से 19 अनुसूचित जनजाति और 1 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। राज्य से लोकसभा में 2 और राज्य सभा में 1 प्रतिनिधि है। इस राज्य के 9/10 भाग में पहाड़ियां हैं। राज्य की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है। 70 प्रतिशत आबादी इस पर निर्भर है। यहां घाटी तथा पर्वत राज्य के दो प्रमुख भौगोलिक क्षेत्र हैं। घाटी को “चावल का कटोरा” कहा जाता है।


मेघालय, अर्थात् “मेघों का आलय” यानी बादलों का घर, मूलतः एक पहाड़ी राज्य है। यहां मुख्यत: खासी,जयंतिया और गारो आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं। इस राज्य का क्षेत्रफल 22,429 वर्ग किलोमीटर है।इसकी राजधानी शिलांग है। बुनियादी रूप से मेघालय कृषि प्रधान राज्य है। यहां की लगभग 81 प्रतिशत जनसंख्या आजीविका के लिए मुख्य रूप से खेती बाड़ी पर निर्भर है। पांच दिनों तक मनाया जाने वाला ‘का पाबलेंग नोंगक्रेम’ खासियों का एक प्रमुख धार्मिक त्यौहार है। राज्य में एक मात्र हवाई अड्डा उमरोई में है। इसी प्रकार पूर्वोत्तर का मिज़ोरम राज्य भी पर्वतीय प्रदेश है। फ़रवरी 1987 में यह भारत का 23 वां राज्य बना। इसका क्षेत्रफल 21,081 वर्ग किलोमीटर है। राजधानी आइजोल है। मिज़ोरम के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 91.27 प्रतिशत भाग वनों से आच्छादित है।मिजो लोग मूलतः किसान हैं। त्योहारों के लिए मिजो शब्द “कुट” है। लोकनृत्यों में “बंबू” के साथ किया जाने वाला “छेराव” नृत्य काफी मनमोहक और सुंदर होता है। समुद्र तल से लगभग 4,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित पर्वतीय नगर आइजोल, मिज़ोरम का एक धार्मिक और सांस्कृतिक केन्द्र है।

16,579 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ नगालैंड 1 दिसम्बर 1963 को भारतीय संघ का 16 वां राज्य बना।इसकी राजधानी “कोहिमा” है। नगालैंड की प्रमुख जनजातियों मे अंगामी, आओ, चाखेसांग, चांग, खियामनीउंगन, कुकी, कोन्याक, लोथा, फौम, पोचुरी, रेंग्मा, संगताम, सुमी, यिमचुंगरू और जेलियांग हैं। पूर्वी हिमालय क्षेत्र में स्थित सिक्किम भारत का सबसे सुंदर प्रदेश है। विश्व के तीन सबसे ऊंचे पर्वतों में से एक “कंचनजंगा” यहीं है। इसे “सिक्किम की रक्षा देवी” माना जाता है। 7,096 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुए सिक्किम की राजधानी गंगटोक है।

त्रिपुरा देश के उत्तर पूर्वी अंचल में एक छोटा परंतु सजीव राज्य है। यहां 19 जनजातियां हैं। यहां के मनोहारी दृश्य,इसकी सम्बृद्ध और विविध संस्कृति, पुरातत्व एवं वास्तुकला,इसकी हस्तशिल्प और शिल्पकारी सब अपनी ओर खींचते हैं। यहां की अर्थव्यवस्था मुख्यत: कृषि पर आधारित है। इसका भौगोलिक क्षेत्रफल 10,49,169 हेक्टेयर है। त्रिपुरा बांग्लादेश तथा म्यांमार की नदी घाटियों के बीच स्थित है। इसके तीन तरफ बांग्लादेश है।इसकी अपनी अनोखी जनजातीय संस्कृति तथा दिलचस्प लोककथाएं हैं। 1972 में इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। यहां के लोगों की मेहमाननवाजी सब को आकर्षित करती है। बांग्ला और काकबरक यहां की मुख्य भाषाएं हैं। अगरतला, त्रिपुरा की राजधानी है।

पूर्वोत्तर भारत का एक प्रमुख राज्य असम भी है। यह 17,438 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां की राजधानी “दिसपुर” है। मुख्य भाषा “असमिया” है। खेती यहां की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है जिसमें चाय उद्योग प्रमुख है।”बिहू” असम का मुख्य पर्व है। यहीं कामाख्या मंदिर, काजीरंगा राष्ट्रीय पार्क, बौद्ध, हिंदू और इस्लाम की मिलन स्थली “हाजो” स्थित है। इस राज्य का सबसे प्राचीन उल्लेख इलाहाबाद में समुद्र गुप्त के शिलालेख में मिलता है, जहां कामरूप नाम से इसका जिक्र है। चीनी यात्री ह्वेनसांग 743 ई में राजा कुमार भास्कर वर्मन के बुलावे पर यहां आया था। उसने कामरूप का उल्लेख “कामोलुपा” के रूप में किया था।असम “पूर्वोत्तर भारत का प्रहरी”तथा प्रवेशद्वार है। यहां अनुसूचित जनजाति की आबादी वहां की कुल जनसंख्या का 14 प्रतिशत है।

उपरोक्त विवेचन का उद्देश्य यह है कि उस भौगोलिक पृष्ठभूमि को भी समझा जाए जहां बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय रहता है। जिस जनजातीय समाज को पिछड़ा कह कर तिरस्कृत किया गया है, वह पिछले 5000 वर्षों से अधिक समय से जंगलों में कठिन परिस्थितियों में जीने के बावजूद भी अपनी भाषा, बोली और संस्कृति को क़ायम रखे हुए जीवट के साथ जिंदा है।पूरी दुनिया की तरह पूर्वोत्तर भारत में भी आदिवासी समुदाय में सामूहिक जीवन शैली की परम्परा है। अपने विवादों को वह स्वयं निबटाते हैं।मिल जुल कर मस्ती का जीवन जीते हैं।झूम कर नाचते और गाते हैं। अभाव में भी प्रसन्न रहते हैं। आधुनिक सभ्यता में इन्हें विस्थापन और पलायन का दर्द झेलना पड़ा है।

-डॉ. राजबहादुर मौर्य,झांसी

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1 thought on “आदिवासियों का घर “पूर्वोत्तर भारत”…”

  1. Sapna maurya कहते हैं:
    मार्च 24, 2020 को 11:54 पूर्वाह्न पर

    Interesting and informative article .

    प्रतिक्रिया

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