सिंध देश में उज्जयिनी की अपनी यात्रा को सम्पन्न कर ह्वेनसांग ने राजस्थान के रेतीले मैदान को पार कर सिंधु नदी को पार किया और “सिण्टु” अथवा “सिंध” देश में…
श्रेणी: Book Review
ह्वेनसांग की भारत यात्रा- उज्जयिनी नगरी…
उज्जयिनी नगरी सौराष्ट्र की अपनी यात्रा को सम्पन्न कर ह्वेनसांग वहां से दक्षिण- पश्चिम लगभग 2800 ली चलकर “उशेयनना” देश में आया। इसे “उज्जयिनी” के नाम से जाना जाता था।…
ह्वेनसांग की भारत यात्रा – महेसाना, सौराष्ट्र तथा गिरनार…
अनंदपुर वलभी से उत्तर- पश्चिम की ओर लगभग 700 ली चलकर ह्वेनसांग “ओननटोपुलो” अर्थात् “अनंदपुर” आया। उसने लिखा है कि इस राज्य का क्षेत्रफल लगभग 2 हजार ली और राजधानी…
ह्वेनसांग की भारत यात्रा- भरुच, मालवा,वल्लभी और कच्छ…
भरूकछ अजंता की गुफाओं से आगे पश्चिम में चलकर ह्वेनसांग ने नर्मदा नदी को पार किया और “पोलकयीचोपो” अर्थात् “भरूकछ” या “भरोच” राज्य में आया। आज यह दक्षिणी गुजरात में…
ह्वेनसांग की भारत यात्रा- कोंकण और महाराष्ट्र में…
कोंकण सिंहल द्वीप की अपनी यात्रा को सम्पन्न कर ह्वेनसांग पुनः वापस द्रविड देश में आया तथा यहां से उत्तर दिशा में 2 हजार ली चलकर घने जंगलों को पार…
ह्वेनसांग की भारत यात्रा- सिंहल द्वीप में…
सिंहल द्वीप “सिंहल” को आम बोलचाल की भाषा में “सिरीलंका” (श्री लंका) के नाम से जाना जाता है।इसको “सीलोन” भी कहा जाता है। इस देश का प्राचीन नाम “रत्न द्वीप”…
ह्वेनसांग की भारत यात्रा- चोल तथा द्रविड़ देश में…
चोल तथा द्रविड देश में “अन्ध्र” देश की अपनी यात्रा को सम्पन्न कर ह्वेनसांग वहां से दक्षिण- पश्चिम लगभग एक हजार ली चलकर “चुलिये” अर्थात् “चुल्य” अथवा “चोल” देश में…
ह्वेनसांग की भारत यात्रा- कलिंग, कोशल और अन्ध्र देश…
कलिंग यात्रा के अगले चरण में ह्वेनसांग “कयी लिंग किया” अर्थात् “कलिंग” राज्य में आया। आजकल यह उड़ीसा, आंध्र प्रदेश का उत्तरी भाग तथा छत्तीसगढ़ राज्य तक फैला हुआ है।…