सारनाथ कपिलवस्तु और लुम्बिनी की अपनी यात्रा को सम्पन्न कर ह्वेनसांग वहां से चलकर ” पओलोनिस्की ” अर्थात् वाराणसी या बनारस आया। उसने लिखा है कि यहां 30 संघाराम और…
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ह्वेनसांग की भारत यात्रा- कपिल वस्तु और कुशीनगर…
कपिलवस्तु का आगे वर्णन करते हुए ह्वेनसांग ने लिखा है कि नगर के दक्षिण, फाटक के बाहर,सड़क के वाम भाग में, एक स्तूप उस स्थान पर बना हुआ है जहां…
ह्वेनसांग की भारत यात्रा- श्रावस्ती और कपिलवस्तु…
श्रावस्ती साकेत की अपनी यात्रा को सम्पन्न कर ह्वेनसांग वहां से चलकर “शीलोफुसीटी” अर्थात् श्रावस्ती आया। प्राचीन समय में इसका नाम “सहेट-महेट” गांव था। यह अयोध्या से 58 मील उत्तर…
ह्वेनसांग की भारत यात्रा- उन्नाव, प्रयाग, कौशाम्बी और सुल्तानपुर…
महाराज हर्षवर्धन से भेंट कर ह्वेनसांग “ओयूटो” राज्य में आया। सम्भवतः यह आजकल का उन्नाव रहा होगा। उस समय यहां सम्पूर्ण देश में कोई 100 संघाराम और 3000 साधु थे।…
ह्वेनसांग की भारत यात्रा- गढ़वाल, कुमायूं, संकिसा और कन्नौज…
गढ़वाल और कुमाऊं मायापुर या हरिद्वार से आगे चलकर ह्वेनसांग “पन्हो लोहिह मोपुलो” अर्थात् “ब्रह्मपुर” राज्य में आया इसकी पहचान गढ़वाल और कुमायूं के रूप में की गई है यहां…
ह्वेनसांग की भारत यात्रा- कश्मीर, राजौरी, कुल्लू, लद्दाख और जालंधर…
पुनट और राजौरी कश्मीर की अपनी यात्रा के अगले चरण में ह्वेनसांग आगे चलकर पुन्नूमो (पुनच) राज्य में आया।इसको कश्मीर के लोग पुनट कहते हैं। यहां बौद्ध धर्म का प्रचार…
ह्वेनसांग की भारत यात्रा- उद्यान, वल्टिस्तान, तक्षशिला, सिंहपुर
उद्यान प्रदेश ह्वेनसांग अपनी यात्रा में आगे चलकर “उचंड्गना” अर्थात् “उद्यान” प्रदेश में आया।उस समय यह देश पेशावर के उत्तर में स्वात नदी पर था।उस समय यहां लगभग 1400 प्राचीन…
ह्वेनसांग की भारत यात्रा – लमगान, नगरहार, हिद्दा, गांधार, पेशावर और लाहौर
लमगान और नगरहार कपिशा देश से 600 ली पूरब चलकर तथा घाटियों एवं पहाड़ियों को पार कर ह्वेनसांग उत्तरी भारत में पहुंचा। यहां उसका सबसे पहला पड़ाव “लैनयो”(लमगान) देश था।…