Skip to content
Menu
The Mahamaya
  • Home
  • Articles
  • Tribes In India
  • Buddhist Caves
  • Book Reviews
  • Memories
  • All Posts
  • Hon. Swami Prasad Mourya
  • Gallery
  • About
The Mahamaya

पासवान समाज के साथ……

Posted on जनवरी 15, 2020जुलाई 12, 2020

भारतीय संस्कृति और सभ्यता के संवर्द्धन में पासवान समाज / पासी समाज का अमूल्य योगदान है।

उत्तर- भारत में भारी संख्या में निवास करने वाली यह जाति अतीत में द्रविड़ परिवार से सम्बन्धित थी। नाग इनका कुल था। कुषाणों को उत्तर -भारत से भगाने वाले तथा गंगा -जमुना के जल से स्तूपों का जलाभिषेक करने वाले भारशिव नाग नरेश ही थे। गुप्त वंश के राजा चन्द्रगुप्त द्वितीय की पत्नी कुबेर नागा गणपति नाग की बेटी थी। राजा बिजली पासी, राजा सातन पासी, राजा सुहेल देव पासी, वीरा पासी, राजा कडे (इलाहाबाद के पास), राजा संधार (बांगरमऊ,उन्नाव जिला) पासी समाज के शूरवीर राजा थे, जिन्होंने कभी अपने सम्मान और स्वाभिमान से समझौता नहीं किया। कंसगढी के राजा के पुत्र सलीहा ने संडीला (हरदोई) तथा मलीहा ने मलिहाबाद बसाया। यह समाज कमंनियां, तिरसूलिया, गूजर, बेलखरिया, दुसाध, बहेलिया, अहेरिया, भर, आरख, प्रहरी, महतो, गोदुहा, राजपासी, कैथवास, पसमंगता, रावत, सरोज मोठी आदि अन्य अनेक नामों से भी जाना जाता है।असम में पासी घाट बहुत प्रसिद्ध है।

1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की अमर शहीद वीरांगना ऊदा देवी, पासी समाज की थी, जिसने अपनी शक्ति, पराक्रम एवं शौर्य से अंग्रेजी सेना के छक्के छुड़ा दिए थे। दिनांक 18.11.1857 ई.को सिकंदर बाग, लखनऊ में 36 अंग्रेजों को मौत के घाट उतार कर स्वयं अपनी कुर्बानी देकर जंगे आज़ादी की मशाल को जलाया था। ऊदा देवी के पति मक्का पासी ने भी अपनी कुर्बानी दी थी।वह गोमती नगर के पास उजरियांव गांव की रहने वाली थी।

पासी समाज एक मार्शल क़ौम है। यह बहादुर, लड़ाकू तथा स्वाभिमानी शासक जाति है।यह भाला, तलवार तथा लाठी चलाने में पारंगत थी। अपने पराभव के दिनों में जमींदार, तालुकेदारों तथा राजा महाराजाओं की बहू -बेटियों की डोलियों की सुरक्षा में यही पासी लठैत चलते थे। सरकारी खजाने व राजस्व की सुरक्षा हेतु पुलिस थानों में 90 फीसदी लोग पासी समाज के ही रखे जाते थे। आज़ भी पुलिस महकमे में इनका बड़ा सम्मान है। अन्याय से लड़ना इनकी आदत है। इस समुदाय में जादू- टोना, पीपल के वृक्ष की पूजा, पशु बलि धार्मिक रिवाज था। खेती तथा पशुपालन भी इनका पुश्तैनी धंधा था।पासी समाज के लोकजीवन में गायकों को वितिरहा कहा जाता था। सारंगी वाद्ययंत्र था। एकल गायन की परंपरा थी।

अपने राजनीतिक और सामाजिक जीवन के प्रारम्भिक दौर से ही श्री स्वामी प्रसाद मौर्य का जुड़ाव पासी समाज से रहा है।वह समय समय पर हमेशा उनके बीच पहुंचते रहे हैं और आज भी जाते हैं। दिनांक 22.12.2002 को कमालपुर रोहनिया जनपद रायबरेली में, दिनांक 25.03.1999 को राजा माहे पासी क़िला, रोहनिया, ऊंचाहार में, दिनांक 10.07.1999 को पासी समाज रैली लखनऊ में, दिनांक 18.03.1996 को पासी समाज सम्मेलन, मोहनगंज,तिलोई में, दिनांक 16.11.2008 को विराट पासी समाज सम्मेलन तथा वीरांगना ऊदा देवी शहीद दिवस, लखनऊ में उन्होंने हिस्सा लिया।इन कार्यक्रमों में स्वामी प्रसाद मौर्य अपने ओजस्वी भाषणों से पासी समाज को झकझोरते हैं और उनका गौरवशाली अतीत उन्हें याद दिलाते हैं।वह चाहते हैं कि पासी समाज अपनी चुप्पी और मौन को तोड़ जुर्म ,अन्याय और अत्याचार के खिलाफ लडे। शिक्षा को अपने अपमान ,शोषण और ज़लालत से मुक्ति का हथियार बनाये। अपने बच्चों को सम्मान, गरिमा पूर्ण एवं खुशहाल जीवन दे।


-डॉ.राजबहादुर मौर्य,झांसी

Next Post- शोकाकुल परिवारों के साथ….

Previous Post – सहारिया समुदाय के बीच …..

No ratings yet.

Love the Post!

Share this Post

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

About This Blog

This blog is dedicated to People of Deprived Section of the Indian Society, motto is to introduce them to the world through this blog.

Latest Comments

  • Tommypycle पर असोका द ग्रेट : विजन और विरासत
  • Prateek Srivastava पर प्रोफेसर (डॉ.) ज्योति वर्मा : विद्वता, साहस और ममत्व का अनुपम संगम
  • Mala Srivastava पर प्रोफेसर (डॉ.) ज्योति वर्मा : विद्वता, साहस और ममत्व का अनुपम संगम
  • Shyam Srivastava पर प्रोफेसर (डॉ.) ज्योति वर्मा : विद्वता, साहस और ममत्व का अनुपम संगम
  • Neha sen पर प्रोफेसर (डॉ.) ज्योति वर्मा : विद्वता, साहस और ममत्व का अनुपम संगम

Posts

  • जून 2025 (2)
  • मई 2025 (1)
  • अप्रैल 2025 (1)
  • मार्च 2025 (1)
  • फ़रवरी 2025 (1)
  • जनवरी 2025 (4)
  • दिसम्बर 2024 (1)
  • नवम्बर 2024 (1)
  • अक्टूबर 2024 (1)
  • सितम्बर 2024 (1)
  • अगस्त 2024 (2)
  • जून 2024 (1)
  • जनवरी 2024 (1)
  • नवम्बर 2023 (3)
  • अगस्त 2023 (2)
  • जुलाई 2023 (4)
  • अप्रैल 2023 (2)
  • मार्च 2023 (2)
  • फ़रवरी 2023 (2)
  • जनवरी 2023 (1)
  • दिसम्बर 2022 (1)
  • नवम्बर 2022 (4)
  • अक्टूबर 2022 (3)
  • सितम्बर 2022 (2)
  • अगस्त 2022 (2)
  • जुलाई 2022 (2)
  • जून 2022 (3)
  • मई 2022 (3)
  • अप्रैल 2022 (2)
  • मार्च 2022 (3)
  • फ़रवरी 2022 (5)
  • जनवरी 2022 (6)
  • दिसम्बर 2021 (3)
  • नवम्बर 2021 (2)
  • अक्टूबर 2021 (5)
  • सितम्बर 2021 (2)
  • अगस्त 2021 (4)
  • जुलाई 2021 (5)
  • जून 2021 (4)
  • मई 2021 (7)
  • फ़रवरी 2021 (5)
  • जनवरी 2021 (2)
  • दिसम्बर 2020 (10)
  • नवम्बर 2020 (8)
  • सितम्बर 2020 (2)
  • अगस्त 2020 (7)
  • जुलाई 2020 (12)
  • जून 2020 (13)
  • मई 2020 (17)
  • अप्रैल 2020 (24)
  • मार्च 2020 (14)
  • फ़रवरी 2020 (7)
  • जनवरी 2020 (14)
  • दिसम्बर 2019 (13)
  • अक्टूबर 2019 (1)
  • सितम्बर 2019 (1)

Contact Us

Privacy Policy

Terms & Conditions

Disclaimer

Sitemap

Categories

  • Articles (108)
  • Book Review (60)
  • Buddhist Caves (19)
  • Hon. Swami Prasad Mourya (23)
  • Memories (13)
  • travel (1)
  • Tribes In India (40)

Loved by People

“

030489
Total Users : 30489
Powered By WPS Visitor Counter
“

©2025 The Mahamaya | WordPress Theme by Superbthemes.com