Skip to content
Menu
The Mahamaya
  • Home
  • Articles
  • Tribes In India
  • Buddhist Caves
  • Book Reviews
  • Memories
  • All Posts
  • Hon. Swami Prasad Mourya
  • Gallery
  • About
The Mahamaya
swami prasad maurya

श्री स्वामी प्रसाद मौर्य : कृतज्ञता की मुक्तामाला

Posted on अगस्त 25, 2020जनवरी 3, 2023

उत्तर – प्रदेश सरकार के श्रम एवं सेवायोजन मंत्री, गरीबों, मजदूरों, मजलूमों तथा वंचितों के रहनुमा, मेरे जैसे अनगिनत लोगों के बौद्धिक ऊर्जा स्रोत, युवाओं के चहेते, मौर्य, कुशवाहा, शाक्य, सैनी समाज के लाडले श्री स्वामी प्रसाद मौर्य सचमुच कृतज्ञता की मुक्तामाला हैं जो कि स्वयं छिन्न होकर मोती बिखेर देती है।

गिनती कर यह बताना असम्भव है कि कितना अपार जनमानस उन्हें अपना रहबर मानता है और उनके प्रति कृतज्ञ है। बावजूद इसके उन्होंने कभी इसे अपना बड़प्पन नहीं माना, शायद यह भी उनकी महानता है। यह अनायास ही नहीं है कि पूरे प्रदेश में उनके चाहने वाले उन पर मरते हैं तथा उनके एक इशारे पर किसी भी आदेश को मानने के लिए तैयार रहते हैं। यह सब भारी त्याग और समर्पण की मांग करता है। अपने सार्वजनिक जीवन में चार घंटे से अधिक वह कभी सोए नहीं हैं।

पिछले तीन- चार माह में, कोरोना महामारी के कारण स्वामी प्रसाद मौर्य प्रत्यक्ष रूप से अपने चाहने वालों और कार्यकर्ताओं से नहीं मिल पाये। महामारी की बंदिशों ने उनकी गाड़ी के पहियों में ब्रेक लगा दिया। परन्तु एक जन नेता जब अपने कार्यकर्ताओं, अपने चाहने वालों तथा आम जनता से नहीं मिल पाता तब उसकी छटपटाहट क्या होती है ? वह किस मानसिक कष्ट से गुजरता है इसका अनुमान सिर्फ वही लगा सकता है जिसका जीवन सामाजिक सरोकारों से आबद्ध हो। जब स्वामी प्रसाद मौर्य को ऐसा एकांतिक जीवन जीना पड़ा तो आंतरिक करुणा ज़बाब दे गई और वह सबसे मिलने के लिए छटपटा उठे।

swami prasad maurya

जिम्मेदारी और करुणा का भाव उन्होंने वर्चुअल मीटिंग के माध्यम से सबसे जुड़ कर पूरा किया। प्रदेश के लगभग प्रत्येक जिले से उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से रूबरू होकर सभी का कुशल क्षेम लिया, उनकी समस्याओं को सुना तथा उसका प्रभावी निराकरण किया। साथ ही सरकार की नीतियों, योजनाओं एवं कोरोना महामारी में सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी सभी को दिया। समय समय पर राष्ट्रीय राजनीति में घट रही घटनाओं से भी सभी को अवगत कराया। सीमा पर तनाव और उससे भारत सरकार के प्रभावी तरीके से निबटने में माननीय प्रधानमंत्री जी की भूमिका को स्वामी प्रसाद मौर्य ने निरंतर उद्धत किया।

वस्तुत: आम जनता से संवाद करने में श्री स्वामी प्रसाद मौर्य का कोई सानी नहीं है। सैकड़ों की भीड़ आवास पर, सैकड़ों लोगों की भीड़ आफिस में और जहां पर भी वह दौरे पर होते हैं वहां पर भी वह हजारों की भीड़ के बीच घिरे होते हैं। उनके साथ चलने वाला सरकारी स्टाफ सील, मुहर, इंकपैड तथा पेन और कागज हमेशा जेब में रखता है, क्योंकि कहां और कब उसकी जरूरत पड़ जाए इसका पता किसी को नहीं रहता। अनेकों बार मैंने उन्हें गाड़ी की बोनट पर तथा मकान की दीवार पर लोगों के प्रार्थना पत्रों पर लिखते देखा है।

किसी का काम निबटाते समय उसका निजी परिचय उनके लिए मायने नहीं रखता। कोई अपरिचित भी स्वामी प्रसाद मौर्य के पास आकर सरकार का एहसास करता है। सत्ता में रहना या ना रहना समय का चक्र है इससे उनकी मानवीय सरोकारों की प्रतिबद्धता कभी बाधित नहीं हुई। उनके यहां प्रवेश -निषेध की तख्ती कभी नहीं रही।

swami prasad maurya

अनवरत परिश्रम करते करते ऐसा लगता है कि श्री स्वामी प्रसाद मौर्य का शरीर, मन और मस्तिष्क थकावट जैसी शब्दावली पर विजय प्राप्त कर चुका है। बिना रुके, बिना थके हजारों किलोमीटर की यात्रा कर लेना उनके लिए सामान्य बात है। अपने किसी साधारण कार्यकर्ता की आवाज पर भी वह हजारों किलोमीटर की अविराम यात्रा करते हैं चाहे वह सुख की घड़ी हो या दुःख की। उन्होंने कभी किसी को धोखा नहीं दिया, बेवजह किसी को अपमानित नहीं किया। सभी के लिए उनके दिल में प्यार है। स्वामी प्रसाद मौर्य अपने विवेक से उचित- अनुचित का निर्णय लेते हैं। वह गुणी लोगों को आश्रय देते हैं तथा विद्वानों का सम्मान करते हैं। उनके अंदर असीम राष्ट्र प्रेम है। राजकीय गरिमा उनके सहज भाव से प्रकट होती है। किसी के करुण क्रंदन में वह अपने को होम कर देने की क्षमता रखते हैं।

हजारों- हजारों लोगों का स्नेह स्वामी प्रसाद मौर्य के निजी जीवन पर भारी है। उनकी रात अपनी नहीं, दिन अपने नहीं, गति अपनी नहीं, मन अपना नहीं। कितनी रात्रियां और कितने दिन रास्ते में बीते हैं, इसका कोई हिसाब नहीं, शायद कई लाख किलोमीटर की यात्राएं। इन सबके लिए कौन प्रेरित करता है उन्हें ? कोई कहता है या किसी की चाहत है अथवा समाज का दर्द। कहना कठिन है। जितना लोग उन्हें पहचानते जाएंगे उतना ही उनके प्रति सम्मान का भाव प्रदर्शित करेंगे।

swami prasad maurya


जिस प्रकार पावक को कलंक कभी स्पर्श नहीं कर सकता, दीपशिखा को अंधकार की कालिमा नहीं लगती उसी प्रकार स्वामी प्रसाद मौर्य के जीवन को संदेह के घेरे में नहीं लाया जा सकता। उनके अंदर संकल्प की सच्चाई है। वह सुचिता की आश्रय भूमि हैं। आहत अभिमान में भी उन्होंने झुकना नहीं सीखा बल्कि अपनी प्रतिष्ठा और मर्यादा की रक्षा किया। जो अकेले हैं, जिनको कोई सान्त्वना देने वाला नहीं है, स्वामी प्रसाद मौर्य उनके मसीहा हैं।

– डॉ. राज बहादुर मौर्य, फोटो गैलरी-संकेत सौरभ, झांसी



Previous Post- करुणामय है त्रिपुरा राज्य का वेणुवन विहार !!


पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुचाये. पोस्ट को शेयर करने के लिए ‘Share This Post’ button का उपयोग करें. Thank You 🙂




5/5 (6)

Love the Post!

Share this Post

4 thoughts on “श्री स्वामी प्रसाद मौर्य : कृतज्ञता की मुक्तामाला”

  1. पिंगबैक: उत्तर-प्रदेश में मौर्य, कुशवाहा, शाक्य, सैनी समाज का राजनीतिक प्रतिनिधित्व- एक झलक - The Mahamaya
  2. देवेन्द्र कुमार मौर्य कहते हैं:
    सितम्बर 6, 2020 को 8:25 अपराह्न पर

    हम सभी के लिए माननीय स्वामी प्रसाद मौर्य जी केवल प्रेरणास्रोत ही नही बल्कि हमारी सामाजिक राजनीतिक चेतना के संवाहक एवं अग्रदूत भी है।

    प्रतिक्रिया
  3. Vishwanath Chaudhary कहते हैं:
    अगस्त 25, 2020 को 8:07 अपराह्न पर

    Great personality sir

    प्रतिक्रिया
    1. डॉ. राज बहादुर मौर्य कहते हैं:
      अगस्त 25, 2020 को 9:21 अपराह्न पर

      Undoubtedly

      प्रतिक्रिया

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

About This Blog

This blog is dedicated to People of Deprived Section of the Indian Society, motto is to introduce them to the world through this blog.

Latest Comments

  • Tommypycle पर असोका द ग्रेट : विजन और विरासत
  • Prateek Srivastava पर प्रोफेसर (डॉ.) ज्योति वर्मा : विद्वता, साहस और ममत्व का अनुपम संगम
  • Mala Srivastava पर प्रोफेसर (डॉ.) ज्योति वर्मा : विद्वता, साहस और ममत्व का अनुपम संगम
  • Shyam Srivastava पर प्रोफेसर (डॉ.) ज्योति वर्मा : विद्वता, साहस और ममत्व का अनुपम संगम
  • Neha sen पर प्रोफेसर (डॉ.) ज्योति वर्मा : विद्वता, साहस और ममत्व का अनुपम संगम

Posts

  • अप्रैल 2025 (1)
  • मार्च 2025 (1)
  • फ़रवरी 2025 (1)
  • जनवरी 2025 (4)
  • दिसम्बर 2024 (1)
  • नवम्बर 2024 (1)
  • अक्टूबर 2024 (1)
  • सितम्बर 2024 (1)
  • अगस्त 2024 (2)
  • जून 2024 (1)
  • जनवरी 2024 (1)
  • नवम्बर 2023 (3)
  • अगस्त 2023 (2)
  • जुलाई 2023 (4)
  • अप्रैल 2023 (2)
  • मार्च 2023 (2)
  • फ़रवरी 2023 (2)
  • जनवरी 2023 (1)
  • दिसम्बर 2022 (1)
  • नवम्बर 2022 (4)
  • अक्टूबर 2022 (3)
  • सितम्बर 2022 (2)
  • अगस्त 2022 (2)
  • जुलाई 2022 (2)
  • जून 2022 (3)
  • मई 2022 (3)
  • अप्रैल 2022 (2)
  • मार्च 2022 (3)
  • फ़रवरी 2022 (5)
  • जनवरी 2022 (6)
  • दिसम्बर 2021 (3)
  • नवम्बर 2021 (2)
  • अक्टूबर 2021 (5)
  • सितम्बर 2021 (2)
  • अगस्त 2021 (4)
  • जुलाई 2021 (5)
  • जून 2021 (4)
  • मई 2021 (7)
  • फ़रवरी 2021 (5)
  • जनवरी 2021 (2)
  • दिसम्बर 2020 (10)
  • नवम्बर 2020 (8)
  • सितम्बर 2020 (2)
  • अगस्त 2020 (7)
  • जुलाई 2020 (12)
  • जून 2020 (13)
  • मई 2020 (17)
  • अप्रैल 2020 (24)
  • मार्च 2020 (14)
  • फ़रवरी 2020 (7)
  • जनवरी 2020 (14)
  • दिसम्बर 2019 (13)
  • अक्टूबर 2019 (1)
  • सितम्बर 2019 (1)

Contact Us

Privacy Policy

Terms & Conditions

Disclaimer

Sitemap

Categories

  • Articles (105)
  • Book Review (60)
  • Buddhist Caves (19)
  • Hon. Swami Prasad Mourya (23)
  • Memories (13)
  • travel (1)
  • Tribes In India (40)

Loved by People

“

030201
Total Users : 30201
Powered By WPS Visitor Counter
“

©2025 The Mahamaya | WordPress Theme by Superbthemes.com