एरिक फ्रॉम का विश्लेषण इस धारणा पर आधारित था कि व्यक्तिवाद के उभार से पहले का समाज व्यक्ति को सुरक्षाएं देता था, पर उसका विकास रोक देता था ।व्यकितवादी समाज के उभार ने समाज को परम्पराओं से मुक्त कर दिया ।
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राजनीति विज्ञान / समाज विज्ञान, महत्वपूर्ण तथ्य (भाग- 13)
आइजिया बर्लिन की मान्यता थी कि जिस दुनिया में हम रहते हैं, वह अपनी विविधता में अनगिनत मूल्यों से सम्पन्न है । उनमें से किसी एक मूल्य या मानक को प्राथमिकता देने का मतलब होगा अन्य मूल्यों का दमन । बर्लिन के अनुसार ऐसा कोई विवेक सम्मत मानदंड नहीं हो सकता जिसके अनुसार उत्तम जीवन के किसी एक मानक को दूसरे मानकों से बेहतर ठहराया जा सके ।

राजनीति / समाज विज्ञान : महत्वपूर्ण तथ्य (भाग- 12)
अमर्त्य सेन का मानना है कि, किसी अर्थव्यवस्था के अच्छे होने की निशानी केवल यह नहीं है कि वह वस्तुएं और सेवाएं मुहैया करा पा रही है या नहीं। देखना यह चाहिए कि उसके तहत कितने लोगों का जीवन बेहतर हुआ है।

राजनीति विज्ञान : महत्वपूर्ण तथ्य (भाग – 11)
ब्रिटिश सरकार को ‘महारानी की सरकार’ या ‘महागरिमामयी की सरकार’ कहा जाता है। यहां के मंत्रियों को राजमुकुट के मंत्री कहा जाता है। यहां की सशस्त्र सेनाओं को ‘राजमुकुट की सशस्त्र सेनाएं’ कहा जाता है।

राजनीति विज्ञान : महत्वपूर्ण तथ्य ( भाग- 10)
फ्रांसीसी क्रांति, फ्रांस के इतिहास की वह युगान्तर कारी घटना है, जिसका प्रारम्भ १७८९ में हुआ।इसके अंतर्गत मध्य वर्ग ने संगठित होकर सम्राट लुई १६ वें (१७५४-१७९३) को सत्ता से हटाकर राजतंत्र का अंत कर दिया था और कुलीन वर्ग के प्रभुत्व को समाप्त करके जनसाधारण की प्रभुसत्ता स्थापित कर दी थी।

राजनीति विज्ञान : महत्वपूर्ण तथ्य ( भाग- 9)
गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर (१८६१-१९४१) ने अपनी महत्वपूर्ण कृति, ‘ स्वदेशी समाज’ के अंतर्गत लिखा है कि ‘‘ प्राचीन भारत में जीवन के सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों को एक- दूसरे से अलग रखा जाता था। इस देश के जनसाधारण का जीवन समाज की रीति- नीति, परम्पराओं और परिपाटी के अनुसार नियमित होता था। राज्य जन जीवन की धुरी नहीं था।’’

राजनीति विज्ञान : महत्वपूर्ण तथ्य (भाग- 8)
मार्क्सवादी दृष्टिकोण के अनुसार, राज्य न तो प्राकृतिक संस्था है, न नैतिक संस्था है बल्कि यह एक कृत्रिम उपकरण है।कार्ल मार्क्स और एंगेल्स ने कम्युनिस्ट मैनीफेस्टो में लिखा है कि, ‘‘ सही सही कहा जाए तो राजनीतिक शक्ति एक वर्ग का उत्पीडन करने के लिए दूसरे वर्ग की संगठित शक्ति मात्र है।

राजनीति विज्ञान : महत्वपूर्ण तथ्य ( भाग- 7)
उदारवाद, एक ऐसा सिद्धांत है जो व्यक्ति को यथासंभव अधिकतम स्वतंत्रता प्रदान करके सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देना चाहता है। उदारवाद की मान्यता है कि, मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है। व्यक्ति के स्वार्थ और सामान्य हित की सिद्धि में कोई बुनियादी टकराव नहीं है।

राजनीति विज्ञान : महत्वपूर्ण तथ्य ( भाग- 6)
राजनीति के क्षेत्र में भिन्न- भिन्न विचारधाराओं का प्रयोग परस्पर विरोधी मानकों या आदर्शों की पुष्टि के लिए किया जा सकता है। जैसे, अरस्तू ने दास प्रथा का समर्थन किया। इमैनुअल कांट ने मानव गरिमा के आधार पर दास प्रथा को सर्वथा तर्क सून्य ठहराया। अरस्तू ने क्रांति की निंदा की जबकि कार्ल मार्क्स ने क्रांति को आवश्यक बताया।

राजनीति विज्ञान : महत्वपूर्ण तथ्य (भाग- 5)
आधुनिक युग के आरम्भ में फ्रांसीसी क्रांति (१७८९) के उन्नायकों ने ‘स्वतंत्रता, समानता और बन्धुत्व’ का नारा बुलंद किया था। भारतीय संविधान की प्रस्तावना (१९५०) के अंतर्गत भी उपरोक्त लक्ष्यों के साथ ही ‘व्यक्ति की गरिमा’ और ‘राष्ट्र की एकता और अखंडता’ को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है।

राजनीति विज्ञान : महत्वपूर्ण तथ्य (भाग- 4)
अफ्रीका के प्रसिद्ध नव मार्क्स वादी समीर अमीन ने अपनी पुस्तक ‘ एक्युमुलेशन ऑन ए वर्ल्ड स्केल’ (१९७४) और ‘ अनईक्वल डिवलेपमेंट’ (१९७६) के अंतर्गत लिखा कि आज के युग में औद्योगीकृत देश और अत्यल्प विकसित देश आपस में इस ढंग से जुड़ गए हैं कि पूंजीवाद अल्प विकसित देशों में उत्पादन शक्तियों के विकास की अपनी ऐतिहासिक भूमिका निभाने में असमर्थ हो गया है।

राजनीति विज्ञान : महत्वपूर्ण तथ्य (भाग- 3)
वर्ष १९५४ में उसी अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय ने ‘ब्राउन बनाम टोपैका’ के मामले में अपने पुराने निर्णय को रद्द करते हुए यह व्यवस्था दी कि यदि श्वेत और अश्वेत जातियों को समान सुविधाएं तो उपलब्ध हों परन्तु उन्हें मिलजुल कर उनका उपयोग करने से रोक दिया जाए तो कानून की दृष्टि से उसकी समानता निरर्थक हो जाती है।

राजनीति विज्ञान : महत्वपूर्ण तथ्य (भाग-२)
सोवियत संघ में वर्ष १९८५ से मिखाइल गोर्वाचेव ने ‘पेरेस्रोइका’ ( पुनर्गठन) और ‘ग्लासनास्त’ (खुलेपन) की जिस नीति की शुरुआत की, उसने सूचना के स्वतंत्र प्रवाह, सामाजिक और राजनीतिक वाद- विवाद, अर्थव्यवस्था के विकेन्द्रीयकरण और विदेश नीति पर पुनर्विचार को बढ़ावा दिया।

राजनीति विज्ञान : महत्वपूर्ण तथ्य (भाग- 1)
फ्रांसिस बेकन (१५६१-१६२६) एक ब्रिटिश दार्शनिक था, जिसका मानना था कि विज्ञान की उन्नति से ही समाज की उन्नति हो सकती है। अपनी योजना को कार्यरूप देने के लिए बेकन ने ‘‘विज्ञान की प्रबुद्ध तानाशाही’’ की संस्तुति की है।